सनातन संस्कृति विश्व को निरंतर नवीन चेतना देनें वाली रही है - मुरलीधर जी
सनातन संस्कृति विश्व को निरंतर नवीन चेतना देनें वाली रही है - मुरलीधर जी
Sanatan culture has been constantly giving new consciousness to the world - Muralidhar Ji
- जन-जन में स्व की रक्षा का भाव जगाना ही रक्षाबंधन का संदेश है। स्वभाषा, स्वपरंपरा, स्वभूषा, स्वखान-पान और स्वज्ञान की रक्षा के साथ राष्ट्र रक्षा, समाज रक्षा और पर्यावरण रक्षा का संकल्प हमें करना होगा।
- अपने उत्थान और विकास के लिए, विदेशी को श्रेष्ठ मानने का भाव हमें छोड़ना होगा।
कोटा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समन्वय रक्षाबंधन उत्सव बुधवार को जवाहर नगर स्थित सत्यार्थ ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संघ के चित्तौड़ प्रांत प्रचारक मुरलीधर जी और मुख्य अतिथि वर्द्वमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कैलाश जी सोडाणी रहे। कार्यक्रम के बाद सभी ने एक दूसरे को एकता रक्षा सूत्र बांधे।
मुख्यवक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चित्तौड़ प्रान्त प्रचारक मुरलीधर जी ने कहा कि “ सनातन संस्कृति विश्व को नित्य निरंतर नवीन चेतना देनें वाली रही है, संघ की शाखाओं में चरित्रवान नागरिकों का निर्माण हो रहा है। इस बार विजयादशमी से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा। अब हमें समाजव्यापी कार्य खड़ा करने की जरूरत है। हमारा काम केवल संघ शाखा तक सीमित नहीं रहे,हमें जन-जन तक संघ के विचार व्यवहार को पहुंचाना है। समाज परिवर्तन की दिशा में निरंतर आगे बढने के लिये निरंतर प्रयत्न करना होगा । हमारे स्वत्व को समाप्त करनें के लिये विश्वभर में प्रयत्न किये गये और वे अभी भी जारी हैं। इसी कारण से भारत का 83 लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग घट कर मात्र 33 लाख वर्ग किलोमीटर बचा है। 50 लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग हमनें गंवा दिया है। समाज में स्व के उत्थान और विकास की दिशा में हमें आगे बढ़ कर पहल करनी है ।
उन्होंने कहा कि जन-जन में स्व की रक्षा का भाव जगाना ही रक्षाबंधन का संदेश है। स्वभाषा, स्वपरंपरा, स्वभूषा, स्वखान-पान और स्वज्ञान की रक्षा के साथ राष्ट्र रक्षा, समाज रक्षा और पर्यावरण रक्षा का संकल्प हमें करना होगा। स्वाभिमान से परिपूर्ण समाज खड़ा करना हमारा संकल्प है। हम ज्ञान विज्ञान तकनीकी में सर्वश्रेष्ठ रहें । प्रकृति के संरक्षण का संस्कार केवल सनातन विचार में ही है।
उन्होने कहा कि हम सम्पूर्ण विश्व की दृष्टि से विचार करते हैं हमनें पूरी दुनिया को एकात्म माना और उसे अपने ज्ञान, परंपराओं और व्यवहार से सिंचित किया है। हमनें कभी किसी देश को तलवार या हिंसा के बल पर नहीं जीता । भारत अपने उन्ही समन्वयकारी विचारों के कारण विश्व की आशा का केन्द्र है और भारत में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ जन जन की आशाओं आकांक्षाओं का विश्वास केन्द्र है।
संघ प्रचारक मुरलीधर जी नें कहा कि सनातन विचार ही विश्व में मानवता को बचा सकता है। भारत अपने सनातन मूल्यों के बल पर फिर से विश्व गुरू बननें की ओर बढ़ रहा है। विश्व को फिर से श्रेष्ठ गुणवत्तापूर्ण बनानें के लिये कृण्वन्तो विश्वमार्यम् मंत्र का उद्घोष करते हुये निकलना होगा।
प्रोफेसर कैलाश जी सोढ़ानी ने कहा कि भारतीय संस्कृति कमाल की है कि एक धागे में भी वह ताकत है, जो किसी में नहीं है। भारत के विरोध में आज विश्व व्यापी कार्यक्रम चल रहे है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने 100 वर्ष में हिन्दुओं को जागृत करने का काम किया है।
उन्होनें कहा कि विश्व का दुर्भाग्य है कि भारत की सीमायें घटती चलीं गईं। भारतीय शिक्षा, भारतीय विचार और भारतीय व्यवहार को विश्वभर में आगे बडानें की जरूरत है। आज अपनी शिक्षा में राष्ट्र वंदना का पाठ जोड़ने की आवश्यकता है। अब वह समय आ गया है कि विदेशों का श्रेष्ठ मानने की मानसिकता से हमें देश को बाहर निकालना होगा।
कार्यक्रम में विभाग संघ चालक पन्नालाल जी शर्मा महानगर संघ चालक गोपाल जी गर्ग सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक और प्रबुद्धजन मौजूद रहे।
नोट - अंग्रेजी का अनुवाद गूगल से किया गया है इसलिये उसी भाव से ग्रहण करें।
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- The message of Rakshabandhan is to awaken the feeling of self-defense in every person. Along with the protection of our own language, our own tradition, our own clothes, our own food and our own knowledge, we will have to take a pledge to protect the nation, society and environment.
- For our upliftment and development, we will have to give up the feeling of considering foreign things to be superior.
Kota. The coordination Rakshabandhan festival of Rashtriya Swayamsevak Sangh was held on Wednesday at Satyarth Auditorium in Jawahar Nagar. The main speaker of the program was Sangh's Chittor Prant pracharak Muralidhar ji and the chief guest was Vardhman Mahavir Open University's Vice Chancellor Professor Kailash ji Sodani. After the program, everyone tied each other with unity.
The main speaker, Rashtriya Swayamsevak Sangh's Chittor Prant pracharak Muralidhar ji said that "Sanatan culture has been constantly giving new consciousness to the world, characterful citizens are being created in the branches of the Sangh. This time Rashtriya Swayamsevak Sangh will celebrate its centenary year from Vijayadashami. Now we need to start a society-wide work. Our work should not be limited to Sangh shakha only, we have to spread the thoughts and behaviour of Sangh to the people. We will have to make continuous efforts to move ahead in the direction of social transformation. Efforts have been made all over the world to end our identity and they are still going on. Due to this reason, India's land area of 83 lakh square kilometers has been reduced to only 33 lakh square kilometers. We have lost 50 lakh square kilometers of land. We have to take initiative in the direction of self-upliftment and development in the society.
He said that the message of Rakshabandhan is to awaken the feeling of self-defense in the people. Along with the protection of our own language, our own tradition, our own clothes, our own food and our own knowledge, we will have to take a pledge to protect the nation, society and environment. It is our pledge to create a society full of self-respect. We should be the best in knowledge, science and technology. The sanskar of conservation of nature is only in Sanatan thought.
He said that we think from the point of view of the whole world. We have considered the whole world as one and have nourished it with our knowledge, traditions and behaviour. We have never conquered any country on the strength of sword or violence. India is the centre of hope for the world because of its coordinating thoughts and the Rashtriya Swayamsevak Sangh in India is the centre of faith of the hopes and aspirations of the people.
Sangh Pracharak Murlidhar ji said that only Sanatan thoughts can save humanity in the world. India is moving towards becoming the world guru again on the strength of its Sanatan values. To make the world again of the best quality, we will have to come out proclaiming the mantra Krinvanto Vishwamaryam.
Professor Kailash ji Sodhani said that Indian culture is amazing that even a thread has that strength, which nothing else has. Today, world-wide programmes are going on against India. Rashtriya Swayamsevak Sangh has worked to awaken the Hindus in its 100 years.
He said that it is the misfortune of the world that India's borders kept shrinking. Indian education, Indian thought and Indian behavior need to be promoted across the world. Today, there is a need to add the lesson of Rashtra Vandana in our education. Now the time has come that we have to take the country out of the mentality of considering foreign countries superior.
In the program, a large number of volunteers and intellectuals including Vibhag Sangh Chalak Pannalal ji Sharma, Mahanagar Sangh Chalak Gopal ji Garg were present.
Note - The English translation has been done from Google, so take it with the same meaning.
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