सच सामने आते ही तिलमिलाहट क्यों? - अरविन्द सिसोदिया

सच सामने आते ही तिलमिलाहट क्यों? - अरविन्द सिसोदिया

राजकुमार जाती जनगणना की चिल्लाचोंट लम्बे समय से समाज को विभाजित करने के लिये कर रहे थे, जब उनसे उनकी जाती पूछली तो सकपका गये.... क्योंकि वे अपनी असली जाती बता ही नहीं सकते, असली धर्म बता नहीं सकते असली नाम तक बता नहीं सकते। अब इसे वे इधर उधर घुमा कर भुलाना चाहते हैँ। मगर इन बेजाती वाले देश दुश्मनों को पूरी तरह एक्सपोज करना है।

इसी तरह हलवा सेरेमनी में sc, st, obc पूछने वालों से उनके ही फाउंडेशन में sc, st, obc पूछा तो पैरों के नीचे से जमीन निकल गई!

देश को बांटो, समाज को आपस में लड़वाओ और खुद का वोट बर्णक बनाओ का आपराधिक षड्यंत्र बहुत चलेगा नहीं। जब भी जबाव मिलेगा तव इटालियन एंड कंपनी को बेकफुट पर ही आना पड़ेगा।

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राजीव गांधी फाउंडेशन में कितने SC/ST... राहुल के दावे पर वित्त मंत्री ने एक साथ पूछ लिए कई सवाल

वित्त मंत्री ने कहा कि हलवा समारोह उस समय से चल रहा है जब से वित्त मंत्रालय का प्रीटिंग प्रेस मिंटो रोड में हुआ करता था। हमारे देश में कोई भी अच्छा काम करने से पहले मुंह मीठा करने की परंपरा है। इसकी आलोचना करना बजट की तैयारियों से जुड़े कमर्मचारियों का मजाक उड़ाना और उनका अपमान करना है।

नई दिल्ली: बजट पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से जो बातें कही गईं उनमें सबसे अधिक चर्चा चक्रव्यूह और हलवा सेरेमनी की रही। राहुल गांधी ने सवाल उठाए थे कि बजट बनाने वालों में कोई दलित अधिकारी नहीं था। उनके इस बयान के बाद ही यह चर्चा थी कि वित्त मंत्री जरूर इस पर कुछ न कुछ बोलेंगी।

 बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बजट तैयार करने वाले अधिकारियों और हलवा सेरेमनी में शामिल अधिकारियों की जाति के बारे में पूछना समाज को कई वर्गों में बांटने की साजिश है।

 उन्होंने यह भी पूछ डाला कि राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट में कितने SC-ST के लोग रखे गए हैं। 

हलवा सेरेमनी पर नेता प्रतिपक्ष के हमले पर वित्त मंत्री ने पूछा कि ये कब से फोटो इवेंट बन गया।

nirmala sitharaman rahul gandhi


ये आरक्षण की बात करते हैं... वित्त मंत्री ने साधा निशाना----
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एससी को लेकर पंडित नेहरू का एक कोट पढ़ा। इसमें उन्होंने रिजर्वेशन का विरोध करने की बात कही थी। वित्त मंत्री ने कहा कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट इंदिरा गांधी की सरकार के समय आई जिसे किनारे कर दिया गया। यह वही कांग्रेस है जिसका नारा था न जात पर न पात पर मुहर लगेगी हाथ पर। और आज फोटो दिखाकर ओबसी, एससी, एसटी के बारे में पूछा जा रहा है। निर्मला सीतारमण ने राजीव गांधी के एक इंटरव्यू का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि नो प्रमोशन टू इडियट्स ऑन द नेम ऑफ रिजर्वेशन। वित्त मंत्री ने कहा कि आज ये आरक्षण की बात करते हैं।

राजीव गांधी फाउंडेशन में कितने SC ? ----
वित्त मंत्री ने कहा कि मैं जानना चाहती हूं कि राजीव गांधी फाउंडेशन में कितने एससी हैं। नौ लोग हैं और इनमें कोई एससी नहीं है। राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी में 5 लोग हैं वहां भी कोई एससी नहीं है। राहुल गांधी ने सोमवार को बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया था कि 20 अधिकारियों ने देश का बजट बनाने का काम किया है, लेकिन इनमें से सिर्फ एक अल्पसंख्यक एवं एक ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) हैं और उनमें एक भी दलित एवं आदिवासी नहीं है।


किसी ने बेटा तो कोई पिता को खोया फिर भी बाहर नहीं निकले- 

सीतारमण ने कहा कि हलवा समारोह के बाद इससे जुड़े कर्मचारी बजट जारी नहीं होने तक बाहर नहीं आते हैं। पहले उन्हें नौ दिन और आठ रात अलग-थलग गुजारनी पड़ती थी, लेकिन अब उन्हें पांच रात और चार दिन सबसे दूर रहना होता है। वे बजट के बाद ही बाहर आ पाते हैं। बजट की गोपनीयता के लिए ऐसा करना जरूरी होता है। उन्होंने इस बजट की तैयारियों से जुड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा, उप-प्रबंधक कुलदीप शर्मा पिता के निधन के बावजूद बजट तैयारियों में शामिल हुए और बाहर नहीं निकले। इसी तरह सुभाष अपने बेटे का निधन होने के बाद भी बाहर नहीं आए। राहुल गांधी का बयान ऐसे कर्मचारियों का अपमान है।
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- योगी आदित्यनाथ ग़लत नहीं कहते कि राहुल का जनेऊ दिखा कर ख़ुद को सनातनी हिन्दू दिखाने का प्रयास हमारी (यानी कि संघ परिवार की) वैचारिक विजय है !
- महज़ वैचारिक ही क्यों, यह आपकी बहुत बड़ी राजनीतिक विजय है योगी जी!
- संघ की राजनीतिक जीत....
वोटों की लड़ाई में चाहे कोई हारे-जीते, सच यह है कि कांग्रेस राजनीतिक ज़मीन हार चुकी है. उसने मान लिया है कि अपने एजेंडे पर चल कर वह खड़ी भी नहीं रह सकती, भलाई इसी में है कि वह संघ के एजेंडे पर चलना शुरू कर दे.
- राहुल गांधी मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं. वैसे कहने के लिए वह अजमेर शरीफ़ भी चले जाते हैं. न भी जाएँ तो कोई हर्ज नहीं. मुसलमान उन्हें कभी साम्प्रदायिक दुराग्रही नहीं मानेंगे. 

- राहुल गांधी  CONGRESS
लेकिन इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि मुसलमान उन्हें क्या मानते हैं? फ़र्क़ इससे पड़ता है कि हिन्दू उन्हें क्या मानते हैं. फ़र्क़ इससे पड़ता है कि राहुल गांधी के परनाना जवाहरलाल नेहरू को किसी ग़यासुद्दीन का वंशज बताने वाली व्हाट्सऐप की तोपों का मुँह मोड़ा जा सकता है या नहीं. पिछले पाँच सालों से यह तोपें दनादन गोले दाग़ती रही हैं. लगातार, बिना रुके, बिना थके.

काँग्रेस कभी इन हमलों का कोई जवाब नहीं दे पाई. इसलिए कि काँग्रेस तो वैचारिक धरातल बहुत पहले ही छोड़ चुकी है, इंदिरा गाँधी के ज़माने से ही. तब से कांग्रेस ने राजनीति को महज़ वोटों की, सत्ता की लड़ाई बना लिया.

- कांग्रेस की शॉर्ट-कट पॉलिटिक्स
कांग्रेस में पनपी विचारशून्यता और शॉर्टकट संस्कृति का ही यह नतीजा था कि हिन्दू वोट पाने की हड़बड़ी में राजीव गांधी सरकार ने ख़ुद 1989 में मंदिर का शिलान्यास कराया. यानी एजेंडा संघ का, लेकिन काम किया कांग्रेस ने.

हालाँकि, इससे कांग्रेस को हिन्दू वोटों का कोई लाभ नहीं हुआ. लाभ अगर किसी को हुआ तो वह संघ के हिन्दुत्व के एजेंडे को ही हुआ. संघ को एक नई स्वीकृति मिली. सरकारी स्वीकृति.

अब राहुल गांधी भी वही कर रहे हैं. एजेंडा संघ परिवार तय कर रहा है कि सोनिया, राहुल और कांग्रेस हिन्दू विरोधी हैं, मुस्लिम समर्थक हैं. और सोनिया गांधी तिलक लगा कर, राहुल गांधी भगवा पहन कर, जनेऊ दिखा कर, ख़ुद को शिव भक्त बोल कर,अपना गोत्र बता कर खुद को हिन्दू साबित करने में लगे हैं.

संघ ने अन्तत: कांग्रेस को धकेल-धकेल कर उस कोने तक हाँक दिया है, जहां उसके पास 'हिन्दुओं की शुभचिन्तक' पार्टी का लेबल चिपका लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है.

तो संघ के एजेंडे का एक महत्त्वपूर्ण सूत्र पूरा हो गया है. कांग्रेस अपने को थोड़ा-थोड़ा हिन्दू दिखाने लगी है.
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राहुल गांधी तो स्यंव ही हिन्दू दिखना चाहते हैं 

- राहुल गांधी खुद को जनेऊधारी हिंदू ( ब्राम्हण ) और दत्तात्रेय गोत्र का कहते हैं. गोत्र पिता के परिवार से आता है.

- पंडित नेहरू जिन्हें लोग कश्मिरी ब्राम्हण है ऐसा कहते थे उनका गोत्र दत्तात्रेय हो सकता है. तो उनकी बेटी इंदिरा का गोत्र भी दत्तात्रेय हुआ.

- इंदिरा ने पारसी फिरोज गांधी से शादी की. फिरोज गांधी की मां मुस्लिम थी और पिताजी पारसी थे, पारसी परिवार में शादी करने से इंदिरा गांधी का गोत्रवंश खत्म हो गया.

- इंदिरा और फिरोज से राजिव और संजय नामक पुत्र हुए.

- यदि राजिव गांधी को पारसी मान लिया जाये तो उनका कोई गोत्र वगैरा नहीं है क्योंकी पारसी धर्म में गोत्र नहीं रहता और यदि राजिव गांधी को हिंदू मान लिया जाये तब भी उनका गोत्र उनके पिता और दादा से आना जरूरी है और वो दत्तात्रेय तो बिल्कुल नहीं हो सकता.

- राजिव ने आगे चलकर ख्रिश्चेन सोनिया से शादी की. ख्रिश्चेन में हिन्दू धर्म की तरह गोत्र नहीं होता. राजिव और सोनिया ने राहुल गांधी को जनम दिया.

- अब राहुल गांधी खुद को किस आधार पर हिंदू और दत्तात्रेय गोत्र का बताते हैं ये आप ही सोचे.

- हालांकी कौन किस जाती का है ये बात वैयक्तिक है. लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद और कांग्रेस के दस साल के शासन के दौरान दक्षिण भारत मे ईसाईयोंका बड़ी तेजी से वर्चस्व बढ़ गया है.

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