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सच सामने आते ही तिलमिलाहट क्यों? - अरविन्द सिसोदिया

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सच सामने आते ही तिलमिलाहट क्यों? - अरविन्द सिसोदिया राजकुमार जाती जनगणना की चिल्लाचोंट लम्बे समय से समाज को विभाजित करने के लिये कर रहे थे, जब उनसे उनकी जाती पूछली तो सकपका गये.... क्योंकि वे अपनी असली जाती बता ही नहीं सकते, असली धर्म बता नहीं सकते असली नाम तक बता नहीं सकते। अब इसे वे इधर उधर घुमा कर भुलाना चाहते हैँ। मगर इन बेजाती वाले देश दुश्मनों को पूरी तरह एक्सपोज करना है। इसी तरह हलवा सेरेमनी में sc, st, obc पूछने वालों से उनके ही फाउंडेशन में sc, st, obc पूछा तो पैरों के नीचे से जमीन निकल गई! देश को बांटो, समाज को आपस में लड़वाओ और खुद का वोट बर्णक बनाओ का आपराधिक षड्यंत्र बहुत चलेगा नहीं। जब भी जबाव मिलेगा तव इटालियन एंड कंपनी को बेकफुट पर ही आना पड़ेगा। ---------------------- राजीव गांधी फाउंडेशन में कितने SC/ST... राहुल के दावे पर वित्त मंत्री ने एक साथ पूछ लिए कई सवाल वित्त मंत्री ने कहा कि हलवा समारोह उस समय से चल रहा है जब से वित्त मंत्रालय का प्रीटिंग प्रेस मिंटो रोड में हुआ करता था। हमारे देश में कोई भी अच्छा काम करने से पहले मुंह मीठा करने की परंपरा है। इसकी ...

पहचान छुपाने का अधिकार किसी को नहीं - अरविन्द सिसोदिया jati dharm nam

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पहचान छुपाने का अधिकार किसी को नहीं - अरविन्द सिसोदिया  अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग .... इनमें जाती क्यों पूछते हो...! @ नेता जी से जाती पूछो तो इंसल्ट और जनता से जाती पूछो तो कानून...!! यह दोहरा चरित्र न तो संविधान सम्मत है न नैतिकता सम्मत है। अपनी असलियत प्रगट करना ही नैतिकता है। भारत क्या पूरे विश्व में किसी को भी अपनी पहचान छिपानें का अधिकार नहीं है और दिया भी नहीं जा सकता अन्यथा विदेशी घुसपेठियो सहित अपराधियों तक से उनकी असलियत सामने लाना असंभव हो जायेगा। असली पहचान छुपाना ही आपराधिक है। बहुत सारे फार्म आज भी इस तरह के हैँ जहां नाम, जाती और धर्म को दर्ज करना पड़ता है। अनुसूचित जाती, अनुसूचित जनजाती, अन्य पिछड़ा वर्ग सहित सभी नागरिक अपना नाम, जाती और धर्म को बहुत ही स्पष्टता से प्रगट करते हैँ। नाम, जाती और धर्म वे ही छिपाते हैँ जो धोखा देना चाहते हैँ। और यह कार्य अपराधीगण ही करते हैँ। यह इस देश का दुर्भाग्य ही है की राजनीति की बड़ी हस्तीयों को भी अपना नाम, जाती और धर्म छिपाना पढ़ रहा है। जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री , अटलबिहारी ...

सन्तश्री स्वामी रामसुखदास जी महाराज swami ramsukhdas ji

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3 जुलाई/पुण्य-तिथि विरक्त सन्त स्वामी रामसुखदास जी धर्मप्राण भारत में एक से बढ़कर एक विरक्त सन्त एवं महात्माओं ने जन्म लिया है। ऐसे ही सन्तों में शिरोमणि थे परम वीतरागी स्वामी रामसुखदेव जी महाराज। स्वामी जी के जन्म आदि की ठीक तिथि एवं स्थान का प्रायः पता नहीं लगता; क्योंकि इस बारे में उन्होंने पूछने पर भी कभी चर्चा नहीं की। फिर भी जिला बीकानेर (राजस्थान) के किसी गाँव में उनका जन्म 1902 ई. में हुआ था, ऐसा कहा जाता है। उनका बचपन का नाम क्या था, यह भी लोगों को नहीं पता; पर इतना सत्य है कि बाल्यवस्था से ही साधु सन्तों के साथ बैठने में उन्हें बहुत सुख मिलता था। जिस अवस्था में अन्य बच्चे खेलकूद और खाने-पीने में लगे रहते थे, उस समय वे एकान्त में बैठकर साधना करना पसन्द करते थे। बीकानेर में ही उनका सम्पर्क श्री गम्भीरचन्द दुजारी से हुआ। दुजारी जी भाई हनुमानप्रसाद पोद्दार एवं सेठ जयदयाल गोयन्दका के आध्यात्मिक विचारों से बहुत प्रभावित थे। इस प्रकार रामसुखदास जी भी इन महानुभावों के सम्पर्क में आ गये। जब इन महानुभावों ने गोरखपुर में ‘गीता प्रेस’ की स्थापना की, तो रामसुखदास जी भी उनके सा...

होनी होती ही है उसे कोई टाल नहीं सकता

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- अरविन्द सिसोदिया, संस्थापक धर्मपथ.... होनी प्रबल है उसे कोई टाल नहीं सकता इस सृष्टि में ईश्वर द्वारा समस्त घटना क्रम पूर्व से तय है और तय व्यवस्था से ही घटित होता रहता है...... इस तरह के अनेक प्रशंग मिलते है। भगवान श्रीराम जब अयोध्या को छोड़ कर अपने धाम जाते हैं तब उनकी अंगूठी का खोना, उसे ढूढ़ते हुये हनुमान जी का नागलोक पहुंचना, वहाँ श्रीराम जी कि अंगूठीयों का ढेर मिलना और नागदेवता द्वारा बताया जाना कि एक समय विशेष के बाद इसी तरह एक अंगूठी आती है और उसे खोजता हुआ एक वानर आता है, फिर वह वानर रहस्य को जान कर अंगूठी को यहीं छोड़ कर वापस पृथ्वीलोक लौट जाता है। इस कथा का एक ही अर्थ है कि सब कुछ ईश्वरीय व्यवस्था से निर्धारित है। इसी तथ्य को यह दूसरी कथा भी साबित करती है। अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित थे। राजा परीक्षित के बाद उन के लड़के जनमेजय राजा बने। एक दिन जनमेजय वेदव्यास जी के पास बैठे थे बात बातों में जन्मेजय ने कुछ नाराजगी से वेदव्यास जी से कहा.. कि जहां आप समर्थ थे भगवान श्रीकृष्ण थे भीष्म पितामह गुरु द्रोणाचार्य कुलगुरू कृपाचार्य जी धर्मराज युधिष्ठिर जैसे महान लोग उपस्...

इस नफरत के पीछे कौन छिपे हैं..! - जयराम शुक्ल

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  1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश सरकार की नीति में बदलाव आया कि हिन्दू मुसलमान को मुर्गों की तरह आपस में लडा कर , इस क्षैत्र में स्थाई राज किया जा सकता है । इसी क्रम में अलीगढ मुस्लिम यूनीवसर्टी की स्थापना हुई, बंग भंग हुआ, मुस्लिम लीग बनवाई गई । जिसका मूल उद्देश्य आपस में लडो और ब्रिटिश गुलामी करते रहो ।   भारत को आजाद करवानें का फैसला दूसरे विश्वयुद्ध के बाद उपनिवेशी क्षैत्रों को स्वतंत्र करने की संधि के अर्न्तगत हुआ था, तब 50 से अधिक देश ब्रिटेन ने स्वतंत्र किये थे।   कांग्रेस ने वही फूट डालो राज करो की नीति अपना कर हिन्दू मुस्लिम को आपस में लडाये रखा और मुसलमान को बताया कि हमारी मदद से ही तुम सुरक्षित हो अर्थात तुष्टिकरण की नीति के चलते कांग्रेस ने इस समस्या को हमेशा ही खडा रखा । अब भारत के मुस्लमानों ने अधिकांश जगह कांग्रेस से दूरी बना ली है। जहां विकल्प नहीं है वहीं वह कांग्रेस के साथ है। कुल मिला कर जो दल मुस्लिम वोट को लालायित हैं वे चाहते हैं कि मुस्लिम हमेशा खतरा महसूस करता रहे । इसी षडयंत्र को अंजाम देनें वाली ताकतें इस तरह की नफरत को उफा...

धारण किया हुआ कर्त्तव्यपथ ही धर्म है Dharma is the path of duty

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    धर्म ही हमारी पहचान हे  🌷 जिस प्रकार प्राणों के बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकता, उसी प्रकार धर्म (कर्त्तव्यपथ / नैतिक आचरण) के बिना मनुष्य का भी कोई महत्त्व नहीं।      धर्म आचरण की वस्तु है। धर्म केवल प्रवचन और वाद-विवाद का विषय नहीं।केवल तर्क-वितर्क में उलझे रहना धार्मिक होने का लक्षण नहीं है।धार्मिक होने का प्रमाण यही है कि व्यक्ति का धर्म पर कितना आचरण है। व्यक्ति जितना-जितना धर्म पर आचरण करता है उतना-उतना ही वह धार्मिक बनता है।'धृ धारणे' से धर्म शब्द बनता है, जिसका अर्थ है धारण करना। धर्म किसी संगठित लोगों के समुह का नाम नही न ही अभिमान व गर्व करने की वस्तु है ।        धर्म मनुष्य में शिवत्व /पवित्रता की स्थापना करना चाहता है।वह मनुष्य को पशुता के धरातल से ऊपर उठाकर मानवता की और ले जाता है और मानवता के ऊपर उठाकर उसे देवत्व की और ले-जाता है।यदि कोई व्यक्ति धार्मिक होने का दावा करता है और मनुष्यता और देवत्व उसके जीवन में नहीं आ पाते, तो समझिए कि वह धर्म का आचरण न करके धर्म का आडम्बर कर रहा है।     मनु महाराज के अनुसार धर्...

जाती पूछोगे और धर्म झुपाओगे...?

- अरविन्द सीसोदिया  जाती पूछो और धर्म छिपाओ .... सवाल यह है की सारे देश में आप ..,जाती पूछोगे और धर्म झुपाओगे .... ये कैसे चलेगा ..! इस देश में आप हिन्दू विधि और मुस्लिम पर्सनल कानून चलाते हो...! आज यह जरुरी ही गया है कि लोग किसी धर्म के होते हैं और अपने लाभ और स्वार्थ के हिसाब से शोऊ कुछ और करते हैं , पहचान छुपाने में भी इसका उपयोग हो रहा है जैसे कि हेडली नाम से इसाई लगता है मगर गए यह व्यक्ती मुस्लिम आतंकवादी  , जी मौलिक सूचनाएं हैं वे उजागर होनी चाहिए ..! उनकी स्पष्ट इन्द्राजी होनी चाहिए ..! चाहे वह धर्म हो , जाती हो , जन्म स्थान हो , मातृ  भाषा हो , इन्हें छुपाने का अधिकार क्यों दिया जाये ..?   *** सोनिया का धर्म जानने सम्बंधी याचिका खारिज     चण्डीगढ़ स्थित  पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के धर्म से जु़डी जानकरी के सम्बंध में दायर एक याचिका सोमवार को खारिज कर दी।      हरियाणा पुलिस के पूर्व प्रमुख पी.सी. वाधवा द्वारा दायर याचिका को उच्च न्यायालय की एक खण्डपीठ ने खारिज कर दिया। पूर...