हिंदूओं को पुरषार्थी बनाओ, ताकी हिंदुत्व बच सके- अरविन्द सिसोदिया Hindu
बंगलादेश में जो कुछ हुआ वही तो भारत में करवाया जाना है, इसके लिये हम कितने तैयार हैँ, जब तक हम आंतरिक रूप से इजराईल की तरह मज़बूत नहीं बनेंगे, अपनी रक्षा और सुरक्षा नहीं कर सकेंगे। हमें अपने अंदर अपना होंसला, अपना पुरषार्थ जगाना ही होगा, अन्यथा फिर पछताना पड़ेगा।
यह पहली बार नहीं हुआ है.. इससे पहले यही सोमनाथ में भगवान शंकर के साथ हुआ, यही अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमी मंदिर के साथ हुआ, यही विश्वनाथ के साथ काशी में हुआ, यही श्री कृष्ण के मंदिर के साथ मथुरा में हुआ और लाखों मंदिरों की करोड़ों प्रतिमाओं के साथ लाखों जगह हुआ...!! हम अब तक भी यह नहीं समझ पा रहे कि किसी भी प्रतिमा की रक्षा पुरुषार्थ के बिना नहीं की जा सकती, हमारे सभी देवी देवता अपने हाथ में अस्त्र-शस्त्र रखकर के, युद्ध लड़ कर के यह बताते हैं कि सुरक्षा के लिए शस्त्र जरूरी है और व्यवस्था के लिए शास्त्र जरूरी।
एक बार फिर वही प्रश्न उठा है कि हिंदू की सुरक्षा, हिंदू की रक्षा कैसे हो। पिछले 800 - 900 साल में इस्लाम ने भारत पर जो जुल्म ढाये हैँ वे किसी से छुपे हुए नहीं हैँ। एक समय जो बौद्ध धर्म अफगानिस्तान से लेकर के इंडोनेशिया तक फैला हुआ था, वह शांति और अहिंसा के चक्रव्यूह में फंसकर अपने आपको समाप्त कर बैठा। भगवान बुद्ध की भी बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं हमने देखी जिन्हें अफगानिस्तान में इस्लाम नें तोपों से उड़ा दिया। ये प्रतिमायें अपनी रक्षा नहीं कर सकीं क्योंकि रक्षा करने के लिए पुरुषार्थ चाहिए!
इस्लाम के धर्मस्थल इस्लाम की रक्षा करने में सक्षम बनाते हैँ, वे पंथ के विस्तार की व्यवहारिक चिंता करते हैँ, शिक्षा देते हैँ। एक समय यह कार्य हिन्दू धर्मस्थलों पर भी होता था मगर अब भगवान की आरती भी मशीन से होती है।
हमारी हालत यह है कि हम मंदिर में प्रतिमा रखते हैं प्राण प्रतिष्ठा करवाते हैं पूजन अर्चन करते हैं और दान पुण्य करते हैं, किन्तु भक्तों में हमारे ईश्वर के बताये पुरुषार्थ नहीं भरते।
ईश्वर नें तो गाय के सिर में सींग इसलिए दिये कि वह अपनी रक्षा कर सके। उस पर आक्रमण करने वाले को जबाब दे सके। प्रत्येक जीव जंतु को अपने-अपने तरीके से सुरक्षा का साधन ईश्वर ने उसके शरीर में दिया है। हम फिर क्यों यह सोचते हैं कि ईश्वर आएगा और वह सुरक्षा करेगा। करोड़ों - करोड़ों आकाशगंगाओं और अनंत पिंडों में व्याप्त यह बृह्माण्ड है। क्या हर जगह एक ईश्वर पहुंचता रहेगा, उसने हमें हर तरह से सक्षम ज्ञानवान बलशाली शरीर सब कुछ दिया है। इसके बावजूद हम अहिंसा, शांति, सद्भाव के झूठे आवरण में कब तक उलझे हुए पिटते रहेंगे।
अहिंसा शांति और सद्भाव परिवार के लिए हैँ और जब कोई हम पर आक्रमण कर हमारी सुरक्षा को आघात पहुंचाएं, हम पर जबरिया अपना कब्जा जमाना चाहे, तो पुरुषार्थ हमारा कर्तव्य है। इन बातों पर सभी मंदिरों को सभी मतों को सभी धर्माचार्य को एक मत होकर हिंदुत्व की रक्षा, सुरक्षा और उसके विस्तार के लिए मैदान-ए-जंग में उतरना चाहिए और यह करना होगा।
भारत के हिंदू धर्म और उसकी अन्य उप शाखों को यह अच्छी तरह समझना होगा कि ना तो शुतुरमुर्ग बनने से काम चलेगा, न मुंह फेरने से काम चलेगा, आपको कायरता छोड़नी पड़ेगी, सुख सुविधा छोड़नी ही पड़ेगी, पूरे देश में फिर से अखाड़े स्थापित करने ही पड़ेंगे, धर्म की रक्षा के लिए, हर मंदिर हर मठ को पुरषार्थी होना ही पड़ेगा।
धर्म का अर्थ किसी प्रतिमा की पूजा और उसके चढ़ावे को प्राप्त करना मात्र नहीं है। धर्म का अर्थ है अच्छाई का, अच्छी व्यवस्थाओं का संरक्षण करना, उनकी रक्षा करना, उनके लिए लड़ना, उनके लिए पुरुषार्थ करना और इसलिए युद्ध भी धर्म शक्ति का ही एक अंग है। हिन्दू धर्म में तो भगवान स्वयं धर्म की स्थापना के लिये युद्ध भूमी में उतरे हैँ।
बांग्लादेश एक उदाहरण बन चुका है, पाकिस्तान भी इससे पहले एक उदाहरण था, उससे पहले अफगानिस्तान भी एक उदाहरण था। यह सब हिंदू प्रदेश थे, हिंदू बहुल प्रदेश थे और वहां किस तरह से हिंसा के बल पर हिंदूओं को समाप्त कर दिया गया, यह इतिहास भी सभी को मालूम है।
भारत में राजपूतों ने एक बड़ा संघर्ष इस्लाम के खिलाफ किया है एक बड़ी कुर्बानी दी और इस्लाम को रोक दिया। सनातन हिन्दू की रक्षार्थ ही सिखों जनमें और लड़ाई लड़ते रहे है, तब जा कर के आप हम यहां हिंदू के रूप पर रह रहे हैं। मगर आम हिंदू के आम धर्मस्थलों के यही हालात रहे तो 2047 में आप विकसित भारत नहीं देखेंगे बल्कि आप एक इस्लामी भारत देखेंगे।
अब वह समय आ गया है कि भारत पर कोई भी सरकार हो किसी भी दल की हो मगर उस पर हिंदू समाज का, हिंदू एकता का, हिंदू वोट बैंक का, इतना दबाव होना चाहिए कि वह हिंदू हित की चिंता करें। हिंदुओं की सुरक्षा की चिंता करें।
अब वह समय आगया है कि आवश्यकता हो तो हिन्दू हित के लिए आक्रमण जैसे कदम उठाकर भी उसे देश को पराजित करें जहां हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हों।
बांग्लादेश में हिंदू अत्याचार हो रहे हिंदू संगठनों ने इसकी चिंता व्यक्त की है, बयान जारी कर दिये, वीडियो बना कर निंदा करदी। यह दंत विहीन कृत्य करके इतिश्री ही जाना है।
हिंदू 80 प्रतिशत है, 100 करोड़ से ज्यादा है मगर अपने हिन्दुओं के लिये कितना सड़क पर उतरा। यह देखकर शर्म से हिंदू का सिर झुक जाता है कि आप सड़क पर उतरने का दम नहीं रखते है। संसद से लेकर सड़क तक कोई कुछ भी कह जाता है। दूसरे पंथ के विरुद्ध मुंह नहीं खुलता।
आप में ताकत नहीं है तो आप अपने पदों को छोड़िए, अपना कर्तव्य सक्षम लोगों को करने दीजिये। उन्हें धर्म रक्षा का कार्य सौंपदें जिनमें हिम्मत हो, साहस हो। इजराईल जैसा वीर बनना होगा, अन्यथा समाप्त हो जाओगे।
इसी के साथ में फिर से आग्रह करता हूं कि हिंदू को प्रतिमा का पुजारी मात्र मत बनाओ, हिंदू को पुरुषार्थ का पुजारी बनाओ। ताकी हिंदुत्व बच सके।
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