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सच सामने आते ही तिलमिलाहट क्यों? - अरविन्द सिसोदिया

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सच सामने आते ही तिलमिलाहट क्यों? - अरविन्द सिसोदिया राजकुमार जाती जनगणना की चिल्लाचोंट लम्बे समय से समाज को विभाजित करने के लिये कर रहे थे, जब उनसे उनकी जाती पूछली तो सकपका गये.... क्योंकि वे अपनी असली जाती बता ही नहीं सकते, असली धर्म बता नहीं सकते असली नाम तक बता नहीं सकते। अब इसे वे इधर उधर घुमा कर भुलाना चाहते हैँ। मगर इन बेजाती वाले देश दुश्मनों को पूरी तरह एक्सपोज करना है। इसी तरह हलवा सेरेमनी में sc, st, obc पूछने वालों से उनके ही फाउंडेशन में sc, st, obc पूछा तो पैरों के नीचे से जमीन निकल गई! देश को बांटो, समाज को आपस में लड़वाओ और खुद का वोट बर्णक बनाओ का आपराधिक षड्यंत्र बहुत चलेगा नहीं। जब भी जबाव मिलेगा तव इटालियन एंड कंपनी को बेकफुट पर ही आना पड़ेगा। ---------------------- राजीव गांधी फाउंडेशन में कितने SC/ST... राहुल के दावे पर वित्त मंत्री ने एक साथ पूछ लिए कई सवाल वित्त मंत्री ने कहा कि हलवा समारोह उस समय से चल रहा है जब से वित्त मंत्रालय का प्रीटिंग प्रेस मिंटो रोड में हुआ करता था। हमारे देश में कोई भी अच्छा काम करने से पहले मुंह मीठा करने की परंपरा है। इसकी ...

किसी भी रिश्वतखोरी को कानूनी कार्रवाई से बचने का विशेषाधिकार नहीं है - सुप्रीम कोर्ट

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  सर्वोच्च न्यायालय नें दो महान निर्णय अपने ही पूर्व में दी गई व्यवस्था को बदलते हुये दिये हैं कि एक तो उच्च न्यायालयों के द्वारा दिये गये स्टे आर्डर 6 महीनें बाद स्वतः समाप्त नहीं होंगे। 2018 में सर्वोच्च न्यायालय से इस तरह  का निर्णय आया था कि ऊपरी न्यायालयों के द्वारा दिये गये स्टे आर्डर स्वतः 6 माह में समाप्त हो जायेंगे । इस आदेश के पश्चात कोर्ट में चल रहे मुकदमों के निर्णयों में विसंगतियां उत्पन्न होनें लगीं थीं। अब यह निर्णय आया है कि स्टे आर्डर स्वतः समाप्त नहीं होगा ।  इसी तरह संसद के अन्दर की कार्यवाही में अपराध होत है तो वह अभियोजन से मुक्त होगा, इस तरह का निर्णय लगभग 27 साल पहले सर्वोच्च न्यायालय से ही आया था। प्रधानमंत्री नरसिंहाराव की सरकार बचानें के लिए वोट के बदले झामुमो के लोकसभा सांसदों नें धन लिया था। यह निर्णय इसलिये गलत था कि संविधान की भावना अपराध के संरक्षण की नहीं है। अब सर्वोच्च न्यायालय नें इसमें सुधार करते हुये निर्णय लिया है कि सदनों के अन्दर भी यदि रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार हुआ है तो उसके खिलाफ अभियोजन चलाया जा सकता है।  ये निर्णय न्याय के पक्...

महर्षि कश्यप का कश्मीर, युगों - युगों से भारत का अभिन्न अंग है - अरविन्द सिसोदिया

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 Article 370 Decision :-  सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा Article 370 Decision: अनुच्छेद 370 पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रपति को आर्टिकल 370 हटाने का हक है। 370 हटाने का फैसला संवैधानिक तौर पर सही था। संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर पर लागू होते हैं। महर्षि कश्यप का कश्मीर, युगों - युगों से भारत का अभिन्न अंग है - अरविन्द सिसोदिया सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ का 370 समाप्ति पर सहमति निर्णय स्वागत योग्य, राष्ट्रीय एकता और अखंडता मज़बूत होगी - अरविन्द सिसोदिया  कोटा 11 दिसंबर। भारत तिब्बत सहयोग मंच के चित्तोड़ प्रान्त के प्रचार प्रमुख अरविन्द सिसोदिया नें सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के द्वारा, मोदी सरकार के संविधान की अस्थाई धारा 370 को समाप्त कर, उससे जम्मू और कश्मीर को मुक्त करने के निर्णय को सही ठहराने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ नें विस्तारपूर्वक सभी प्रश्नों का उत्तर दे दिया है। इसके वाद भी कश्मीर के कुछ राजनैतिक दलों के द्वारा असहमति ख़डी करना अश्विकार...

जातिगत जनगणना समाज को कुंठा ग्रस्त करनें का महापाप - अरविन्द सिसोदिया jatigat janganna

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जातिगत जनगणना समाज को कुंठा ग्रस्त करनें का महापाप - अरविन्द सिसोदिया  सवाल यह है कि बिहार में लगभग 18 साल से की - पोस्टों पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कभी जातिगत जनगणना की जरूरत महसूस नहीं हुई, अब जब जनता उन्हें बंदरकूद का सबक सिखानें जा रही है, तो उन्होंने बिहार के ही लोगों को एक दूसरे की निगाह में छोटा - बड़ा दिखाने का महापाप किया है। बिहार में कम जनसंख्या वाली जातियाँ बिना किसी अपराध के भी अपने आपको अपमानित महसूस कर रहीं हैं। इसके परिणाम  उन्हें तो भुगतना ही पड़ेगा, यह उनका आख़री दाव है जो चलने वाला नहीं है। किन्तु बुरा यह है कि आमजन को उनके षड्यंत्र के कारण दुःखी होना पड़ेगा, कष्ट भुगतना पड़ेगा। नितीश कुमार के वकील से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि इतनी जल्दी क्यों हैं ? वे वहाँ तो अपना पाप बता नहीं सकते थे, किन्तु जनता तो जानती है। यूँ तो बिहार में ही इस जातिगत जनसंख्या के सर्वे पर ऊँगली उठ रही है, आंकड़ों को कोई सही मानने तैयार नहीं है और इसे गलत बताया जा रहा है। बिहार में सबसे बड़ी जाती यादव को बताया गया, इसका मतलब अन्य जातियाँ डर कर रहें, भयग्र...

उदघाटन विरोधी विपक्ष औंधे मुंह गिरा : सर्वोच्च न्यायालय नें याचिका खारिज की

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  उदघाटन विरोधी विपक्ष औंधे मुंह गिरा :  सर्वोच्च न्यायालय नें याचिका खारिज की     जहां तक मुझे जानकारी है कि संसद और विधानसभाओं के अध्यक्ष यथा लोकसभा अध्यक्ष एवं विधानसभा अध्यक्षों को संवैधानिक व्यवस्था ने ही कई प्रकार के विशेषाधिकार प्रदान किये है। न्यायपालिका भी उनके निर्णयों पर सामान्यतः हस्तक्षेप नहीं करती है। जहां तक नई संसद भवन निर्माण का निर्देश भी लोकसभा अध्यक्ष जी की ओर से केन्द्र सरकार को हुआ था। इसलिये भूमिपूजन, शिलान्यास और लोकार्पण के निर्णय का अधिकार लोकसभा सचिवालय को ही है। आमंत्रण भी सही है और उसका उन्हे अधिकार भी है।  कांग्रेस को तो मोदीजी का विरोध करनें की मानसिक बीमारी है, कई वर्षों से दिख रही है। जनता में सर्वे करवा लें। दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा। एक सर्वे इसी बात पर सही । सब जानते हैं कि कांग्रेस का विरोध 2024 के आम चुनाव में किस्मत अजमानें के लिये है। पग चम्पी दलों को उनकी हां में हां भरनें के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं है। अर्थात विरोध नीती सम्मत नहीं है, स्वार्थ सम्मत है।  खिसयानी बिल्ली .....वाली कहावत.... कांग्रेस को दे...

सर्वोच्च न्यायालय में सीधी सुनवाई के मामलों में, जस्टिस एल.नरसिम्हा की टिप्पणी की सख्ती से पालना हो

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सर्वोच्च न्यायालय में सीधी सुनवाई के मामलों में जस्टिस एल.नरसिम्हा की  टिप्पणी का सख्ती से पाला हो आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री पद पर रहते हुये शराब कारोवारीयों से मिल कर लाभ कमानें वाली नीति बनानें और शराब कारोवारियों को लाभ पहुंचानें की नियत से नीति परिर्वन के भ्रष्टाचार के आरोपी मनीष सीसौदिया की जमानत के लिये कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का दाव फैल हो गया है। उन्हे जमानत नहीं मिली न ही उनके प्रकरण को सुनने योग्य माना गया।चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल.नरसिम्हा की बेंच ने सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आपको यहां आने से पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए। बेंच के एक और जज एल.नरसिम्हा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी मामले में केवल इसलिए दखल नहीं दिया जा सकता कि वह दिल्ली में हुआ है। अगर हम इस तरह सीधे तौर पर किसी मामले में सुनवाई करते हैं तो यह स्वस्थ परंपरा नहीं है।   मेरा तो बहुत ही स्पष्ट मानना है कि सुप्रिम कोर्ट में कोई भी मामला सीधे आना ही नहीं चाहिये, पहले उस पर निचली क्षैत्रअधिकार...

स्वभाषा में न्याय दान,न्यायपालिका का कर्तव्य - अरविन्द सिसोदिया Duty of The Judiciary

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  स्वभाषा में न्याय दान,न्यायपालिका का कर्तव्य - अरविन्द सिसोदिया Giving justice in one's own language is the duty of the judiciary - Arvind Sisodia    न्याय को स्वभाषा में दिया जाना, न्यायपालिका का कर्तव्य है - अरविन्द सिसोदिया It is the duty of the judiciary to give justice in its own language - Arvind Sisodia भारत के  सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नें हाल ही में एक महत्वपूर्ण एवं सराहनीय निर्णय लिया है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का अधिकृत अनुवाद हिन्दी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करवाये जायेंगे। इससे आमजन को निर्णयों को जानने और समझने में आसानी होगी। The Chief Justice of the Supreme Court of India has recently taken an important and commendable decision that the official translation of the judgment of the Supreme Court will be made available in Hindi and other Indian languages. This will make it easier for the common man to know and understand the decisions. न्यायपालिका अभी तक भारतीय नागरिकों को स्वभाषा में न्याय देनें विफल रही है। वहीं वह स्वभा...

भारतीय सँस्कृति को, समाप्त करने वालों के षड़यंत्र से बचाना होगा

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  कोई संस्कृति समाप्त करनी है तो उससे उनके त्योहार छीन लो और यदि कोई त्योहार समाप्त करना है तो उससे बच्चों का रोमांच गायब कर दो। कितना महीन षड्यंत्र है? कितना साफ और दीर्घकालिक जाल बुना जाता है? समझिए दीपावली पर पटाखे बैन के षड्यंत्र की कहानी- पंच मक्कार(मीडिया,मार्क्सवादी,मिचनरीज, मुलाना, मैकाले) किस तरह से सुनियोजित कार्य करते है आप इस लेख के माध्यम से जान पाएंगे।किस तरह इकोसिस्टम बड़ा लक्ष्य लेकर चलता है वो आप जान पाएंगे।वे किस तरह 10,20 साल की योजना बनाकर स्टेप बाई स्टेप नैरेटिव सेट कर शनैःशनैः वार कर किले को ढहा देते हैं ये आप जानेंगे। जिसमें वे आपको ही अपनी सेना बनाकर अपना कार्य करते हैं और आपको पता भी नहीं चलता। पटाखो पर बैन की कहानी 2001 से शुरू होती है। जब एक याचिका में SC ने सुझाव दिया कि पटाखे केवल शाम 6 से 10 बजे तक मात्र चार घण्टे के लिए फोड़े जाए। साथ ही इसको लेकर जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों में बच्चों को बताया जाए। ये केवल एक सुझाव वाला निर्णय था ना कि पटाखे फोड़ने पर आपराधिक निर्णय। ध्यान रहे सुझाव केवल दीपावली पर ही था क्रिसमस और हैप्पी न्यूएर पर फैसले से नदारद थे।...

सर्वोच्च न्यायालय SC को, आराजकता फैलानें वालों पर एक्सन लेना चाहिये - अरविन्द सिसौदिया

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  सड़क पर किसानों के प्रदर्शन पर SC में सुनवाई     - अरविन्द सिसौदिया    9414180151  किसानों के नाम पर चल रही राजनैतिक नौट़की को सब जान समझ रहे है। इस टूल किट में क्या क्या है, यह भी समझ में आ रहा है। फिर भी देश की आंखों में धूल झौंकी जा रही है। जो कि पूरी तरह गलत है। सर्वोच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है, तीनों कानून स्थगित किये जा चुके है। आज जो कुछ सर्वोच्च न्यायालय ने कहा वह उचित है किन्तु उसे कानून एवं संविधान की रक्षार्थ कठोर कदम उठाने चाहिये । स्पष्ट शब्दों में पूछा जाये कब हटा रहे हो ! यह एक प्रयोग है देश में आराजकता फैलानें का । पहले यह शाहीन बाग के नाम से किया गया था। अब तथाकथित किसान आन्दोलन के नाम से किया जा रहा है। 26 जनवरी को लाल किले की दुर्भाग्ग्यपूर्ण औैर शर्मनाक घटना के लिये यही आन्देलन जिम्मेवार है। लखीमपुर की घटना के लिये प्रत्यक्षरूप से यही आन्दोलन जिम्मेवार है। हाथ काट कर लटकाने वाली तालिवानी बहसीपन से संलिप्त हत्या, के लिये भी यही आन्दोलन जिम्मेवार है। विदेशों में इस आन्दोलन के जो समर्थ्रक औैर विज्ञापनकर्ता सामने आये हैं,क्या वे इस...