सर्वोच्च न्यायालय SC को, आराजकता फैलानें वालों पर एक्सन लेना चाहिये - अरविन्द सिसौदिया
सड़क पर किसानों के प्रदर्शन पर SC में सुनवाई
- अरविन्द सिसौदिया
9414180151
किसानों के नाम पर चल रही राजनैतिक नौट़की को सब जान समझ रहे है। इस टूल किट में क्या क्या है, यह भी समझ में आ रहा है। फिर भी देश की आंखों में धूल झौंकी जा रही है। जो कि पूरी तरह गलत है। सर्वोच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है, तीनों कानून स्थगित किये जा चुके है। आज जो कुछ सर्वोच्च न्यायालय ने कहा वह उचित है किन्तु उसे कानून एवं संविधान की रक्षार्थ कठोर कदम उठाने चाहिये । स्पष्ट शब्दों में पूछा जाये कब हटा रहे हो !
यह एक प्रयोग है देश में आराजकता फैलानें का । पहले यह शाहीन बाग के नाम से किया गया था। अब तथाकथित किसान आन्दोलन के नाम से किया जा रहा है। 26 जनवरी को लाल किले की दुर्भाग्ग्यपूर्ण औैर शर्मनाक घटना के लिये यही आन्देलन जिम्मेवार है। लखीमपुर की घटना के लिये प्रत्यक्षरूप से यही आन्दोलन जिम्मेवार है। हाथ काट कर लटकाने वाली तालिवानी बहसीपन से संलिप्त हत्या, के लिये भी यही आन्दोलन जिम्मेवार है। विदेशों में इस आन्दोलन के जो समर्थ्रक औैर विज्ञापनकर्ता सामने आये हैं,क्या वे इस बात के अपरोक्ष प्रमाण नहीं हैं कि विदेशी ताकतें देश में अस्थिरता फेला रहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय को जिम्मेवार तरीके से संविधान की धज्जियां उठानें वालों पर एक्सन लेना चाहिये। केन्द्र एवं राज्य सरकारों को निर्देश देने चाहिये।
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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई
किसान महापंचायत ने SC से मांगी है जंतर मंतर पर सत्याग्रह की इजाजत
अदालत ने पूछा- जब कानून पर रोक लगा दी तो प्रदर्शन किस बात के लिए?
कानून की वैधता को चुनौती और सड़क पर प्रदर्शन साथ नहीं कर सकते: SC
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि उसने तीन कृषि कानूनों पर रोक लगा रखी है, फिर सड़कों पर प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं।
किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि उन्होंने किसी सड़क को ब्लॉक नहीं कर रखा है।
इसपर बेंच ने कहा कि कोई एक पक्ष अदालत पहुंच गया तो प्रदर्शन का क्या मतलब है?
जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि कानून पर रोक लगी है,
सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे फिर प्रदर्शन किस बात का है?
कानून को चुनौती और प्रदर्शन भी? नहीं चलेगा !
किसान महापंचायत की याचिका में जंतर मंतर पर सत्याग्रह की मांग की गई है। अदालत ने कहा कि आपने कानून की वैधता को चुनौती है। हम पहले वैधता पर फैसला करेगा, प्रदर्शन का सवाल ही कहां है? जब अदालत ने पूछा कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन का क्या तुक है तो वकील ने कहा कि केंद्र ने एक कानून लागू किया है। इस पर बेंच ने तल्ख लहजे में कहा कि 'तो आप कानून के पास आइए। आप दोनों नहीं कर सकते कि कानून को चुनौती भी दे दें और फिर प्रदर्शन भी करें। या तो अदालत आइए या संसद जाइए या फिर सड़क पर जाइए।
लखीमपुर खीरी में हिंसा का भी जिक्र
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लखीमपुर खीरी में हुई घटना का भी जिक्र किया। अदालत ने कहा कि कानून अपना काम करेगा। कोर्ट ने कहा कि वैसे तो प्रदर्शनकारी दावा कर रहे हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण हैं, वे वहां हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लेंगे।
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