तालिबानी सरकार बनने से आतंकवादियों के हौंसले बढ़े,विश्व भर में चिन्ता

तालिबानी सरकार बनने से आतंकवादियों के हौंसले बढ़े,विश्व भर में चिन्ता
- अरविन्द सिसौदिया
   9414180151

अमरीका ने जिस गैर जिम्मेवाराना तरीके से आफगानिस्तान से पलायन किया और आतंकी संगठनों को शस्त्र और शासन सौंप दिया। उसके खतरे अब सामने आने लगे है। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में आतंकवाद फिर सिर उठाने लगा है। चीन में भी चिन्ता बढ़ी है, रूस नें खुल कर सभी को सावधान किया है। वहीं ब्रिटेन में एक सांसद की चर्च में घुस कर आतंकवादी ने हत्या कर दी है।

आंकड़े बांग्लादेश के सरकारी मंत्रालय से लिए गए हैं। 

 

 तालिवान शासन के बाद आतंकी घटनाओं में वृद्धि

आठ अलग अलग रिपोर्टें पढ़ कर इसका अनुमान लगाया जा सकता है। 


1- 18 Sep 2021, 9:25 AM
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चीन इस बात को लेकर चिंतित है कि क्या अफगान तालिबान ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) पर नकेल कसने के अपने वादे को पूरा करेगा। अफगान तालिबान के प्रवक्ता ने ग्लोबल टाइम्स के साथ साक्षात्कार में कहा कि कई ईटीआईएम सदस्यों को अफगानिस्तान छोड़ने के लिए कहा गया था, उसके बाद सवाल बने रहे।

चीनी सरकार ने आतंकवादी समूह पर अपनी चिंताओं को दोहराया है, क्योंकि यह चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा पैदा कर रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि सबसे खतरनाक और चरमपंथी आतंकवादी समूहों में से एक के रूप में, जिसका उद्देश्य चीन से शिनजियांग क्षेत्र को विभाजित करना है। ईटीआईएम चीन में सैकड़ों आतंकी हमलों खासकर उत्तर पश्चिमी चीन के झिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र के लिए जिम्मेदार है।

इसके सदस्य अल कायदा सहित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित कर रहे हैं और वे वैश्विक जिहाद में शामिल होने के लिए शिनजियांग के उइगर लोगों या अन्य जातीय समूहों के लोगों को बुलाने के लिए काम कर रहे हैं।

पिछले कुछ दशकों में, एÝकट आतंकवादी अफगानिस्तान, इराक और सीरिया और मध्य पूर्व, मध्य एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देशों में फैले हुए हैं। उनकी उपस्थिति ने वैश्विक आतंकवाद विरोधी कार्य के लिए खतरा पैदा कर दिया है।


ग्लोबल टाइम्स द्वारा पहुंचे सुरक्षा पर विशेषज्ञों ने कहा कि ईटीआईएम के कई सैकड़ों सदस्य अभी अफगानिस्तान में रह सकते हैं और क्या अफगान तालिबान ईटीआईएम पर नकेल कसने के अपने वादे को निभाएगा या नहीं यह अनिश्चित बना हुआ है।

मई 2020 में जारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट के अनुसार, एÝकट मुख्य रूप से बदख्शां, कुंदुज और तखर के अफगान प्रांतों में स्थित है। रिपोर्ट में कहा गया है, "संगठन के लगभग 500 लड़ाके अफगानिस्तान के उत्तर और उत्तर-पूर्व में मुख्य रूप से रघिस्तान और वर्दुज जिलों में काम करते हैं, जो रघिस्तान में स्थित हैं।"

पाकिस्तान के आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल अफगानिस्तान में करीब 200 से 300 ईटीआईएम सदस्य हो सकते हैं। चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशंस में राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ ली वेई ने ग्लोबल टाइम्स को बताया, "हालांकि वे अर्धसैनिक बल हैं, जब तक वे मौजूद हैं, आतंकवादी गतिविधियों के लिए अस्थिर कारक मौजूद हैं।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई विशेषज्ञों ने अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि क्या अफगान तालिबान ईटीआईएम के साथ अपने संबंधों को तोड़ देगा, यह देखा जाना बाकी है।

2-अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से दक्षिण पूर्व एशिया में बढ़ सकता है आतंकवाद : सिंगापुर के मंत्री
(गुरदीप सिंह)
सिंगापुर, 10 सितंबर (भाषा) सिंगापुर के कानून और गृह मंत्री के षणमुगम ने कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से दक्षिण पूर्व एशिया में आतंकवाद बढ़ सकता है। उन्होंने आगाह किया कि युद्ध से तबाह देश क्षेत्र के संभावित आतंकवादियों के कट्टरपंथी प्रशिक्षण के लिये एक सुरक्षित आश्रय स्थल बन सकता है जहां उनकी पहुंच हथियारों तक होगी।

मंत्री ने कहा कि यह आशंका इसलिये है क्योंकि पूर्ववर्ती तालिबान शासन के दौरान अफगानिस्तान ने सिंगापुर समेत दक्षिण पूर्व एशिया के संभावित आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराई थी।

चैनल न्यूज एशिया ने भारतीय मूल के मंत्री को उद्धृत करते हुए कहा, “यदि आप पूछते हैं कि आतंकवादियों को क्या चाहिए या क्या मदद मिलेगी कि आतंकवादी बाहर जाकर बुरे काम करें : एक सुरक्षित ठिकाना, एक जगह जहां वे प्रशिक्षण ले सकते हैं, एक ऐसी जगह जहां उनके दिमाग को और भी अधिक कठोर और कट्टरपंथी बनाया जा सकता है।”

मंत्री ने कहा, “और पहले, आईएसआईएस और अल-कायदा के साथ क्या हुआ था, उनके पास ऐसे सुरक्षित पनाहगाह थे। अफगानिस्तान ने सिंगापुर सहित दक्षिण पूर्व एशिया के व्यक्तियों को प्रशिक्षण के लिए एक सुरक्षित आश्रय प्रदान किया; और उसने प्रशिक्षण, हथियारों तक पहुंच के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराई, जंग पर उनके प्रशिक्षण ने लोगों को कट्टरपंथी बना दिया और यह बात उसे बहुत खतरनाक बनाती है।”

षणमुगम ने कहा, “क्या यह फिर से होगा? बहुत से लोगों का यह डर है। मुझे डर है कि यह फिर से हो सकता है। मुझे लगता है कि इस क्षेत्र में आतंकवाद बढ़ने की आशंका है, कई सुरक्षा एजेंसियां और गंभीर लोग इसके बारे में चिंतित हैं।”

सिंगापुर में सुरक्षा स्थिति पर, शणमुगम ने कहा, “दिन-प्रतिदिन के संदर्भ में, मैं यह नहीं कहूंगा कि अफगानिस्तान की घटनाओं से सुरक्षा खतरे में तत्काल वृद्धि हुई है - लेकिन यह एक रणनीतिक मुद्दा है; यह एक दीर्घकालिक मुद्दे का मध्य है और हमें उसके लिए तैयार रहने की आवश्यकता होगी।”

उन्होंने कहा, “लेकिन इस बीच, आंतरिक सुरक्षा विभाग परिदृश्य का जायजा ले रहा है कि क्षेत्र में तथा अफगानिस्तान समेत अन्य जगहों पर क्या हो रहा है। और स्वाभाविक रूप से इसके आधार पर सिंगापुर में हमें जो करने की आवश्यकता है हम वह करते हैं तथा यह एक सतत प्रक्रिया है।”

षणमुगम ने बताया कि कैसे अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हुए आतंकी हमलों के बाद "कुछ दिनों के अंदर" आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (आईएसए) लागू किया गया था, जब अधिकारियों ने सिंगापुर के 36 नागरिकों को गिरफ्तार किया था जो जेम्माह इस्लामिया आतंकवादी नेटवर्क का हिस्सा थे।
3- ब्रिटिश सांसद की हत्या
ब्रिटेन के सांसद की हत्या को आतंकवादी घटना करार दिया गया

IANS | Edited By : IANS | Updated on: 17 Oct 2021, 12:30:01 PM
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Murder of(source : IANS) (Photo Credit: (source : IANS))

लंदन: ब्रिटिश सांसद डेविड एम्स की हत्या को लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस द्वारा एक आतंकवादी घटना घोषित किया गया है, जिसकी जांच चल रही है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणपूर्वी इंग्लैंड के एक काउंटी एसेक्स में एक निर्वाचन क्षेत्र की बैठक में शुक्रवार को सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के सांसद डेविड एमेस की चाकू मारकर हत्या कर दी गई।

सभी ने 69 वर्षीय सांसद को श्रद्धांजलि दी। इस बीच मेट्रोपॉलिटन की आतंकवाद निरोधी इकाई द्वारा शनिवार को जारी एक बयान में घटना को आतंकवादी कार्य करार दिया गया।

आतंकवाद निरोधी इकाई द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि शुरूआती जांच में इस्लामी चरमपंथ से जुड़ी संभावित प्रेरणा का पता चला है।

25 वर्षीय एक संदिग्ध व्यक्ति को घटना स्थल से गिरफ्तार किया गया और उससे पूछताछ की जा रही है।

उसे एसेक्स के एक पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा गया है।

जांच के तहत पुलिस फिलहाल लंदन इलाके में दो पतों पर तलाशी ले रही है।

पुलिस का कहना है कि ऐसा माना जा रहा है कि संदिग्ध ने यह काम अकेले किया है।

इस बीच, 10 डाउनिंग स्ट्रीट और संसद के सदनों में झंडे आधे झुके हुए हैं, जहां एम्स ने एसेक्स में साउथेंड वेस्ट के लिए सांसद के रूप में कार्य किया था।

एमेस ब्रिटेन में पांच साल के भीतर यह दूसरे सांसद की हत्या हुई है। इससे पहले यॉर्कशायर के सांसद जो कॉक्स की 2016 में एक दक्षिणपंथी चरमपंथी ने हत्या कर दी थी।

नवीनतम हत्या ने राजनेताओं की सुरक्षा के बारे में एक बहस को फिर से छेड़ दिया है।

कई सांसद अपनी समस्याओं और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए घटकों के साथ आमने-सामने बैठकों पर जोर देते हैं, जिसे सर्जरी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रिटेन में राजनीतिक जीवन की पहचान है।

हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष लिंडसे हॉयल ने एक बयान में कहा कि आने वाले दिनों में हमें सांसदों की सुरक्षा और किए जाने वाले किसी भी उपाय पर चर्चा और जांच करने की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा कि वह इस हत्या से स्तब्ध और बेहद आहत हैं।

हॉयल ने कहा कि यह एक ऐसी घटना है जिसने पूरे संसदीय समुदाय और पूरे देश को झकझोर दिया है।

गृह सचिव प्रीति पटेल ने हमले के बाद ब्रिटेन के सभी पुलिस बलों से सांसदों की सुरक्षा व्यवस्था की तत्काल प्रभाव से समीक्षा करने को कहा है।

प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी एमेस को श्रद्धांजलि अर्पित की, उन्हें राजनीति में सबसे दयालु, सबसे अच्छे, सबसे सज्जन लोगों में से एक बताया।


4- मास्को : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को कहा कि इराक और सीरिया से युद्ध के लिए तैयार आतंकवादी अफगानिस्तान में 'सक्रिय रूप से' प्रवेश कर रहे हैं।


पूर्व सोवियत राज्यों के सुरक्षा सेवा प्रमुखों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान पुतिन ने कहा, "अफगानिस्तान में स्थिति आसान नहीं है।"

उन्होंने कहा, "सैन्य अभियानों में अनुभव के साथ इराक, सीरिया के आतंकवादी वहां सक्रिय रूप से खींचे जा रहे हैं।"

उन्होंने कहा, "यह संभव है कि आतंकवादी पड़ोसी राज्यों में स्थिति को अस्थिर करने की कोशिश कर सकते हैं," उन्होंने चेतावनी दी कि वे "प्रत्यक्ष विस्तार" की कोशिश भी कर सकते हैं।

पुतिन ने बार-बार चेतावनी दी है कि चरमपंथी समूहों के सदस्य अफगानिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल का फायदा उठाकर पड़ोसी पूर्व सोवियत देशों में शरणार्थियों के रूप में प्रवेश कर सकते हैं।

जबकि मास्को काबुल में नए तालिबान नेतृत्व के बारे में सतर्क रूप से आशावादी रहा है, क्रेमलिन मध्य एशिया में फैली अस्थिरता के बारे में चिंतित है जहां उसके सैन्य ठिकाने हैं।

तालिबान के अधिग्रहण के मद्देनजर, रूस ने पूर्व सोवियत ताजिकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास किया - जहां यह एक सैन्य अड्डा संचालित करता है - और उज्बेकिस्तान में। दोनों देश अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करते हैं।

ताजिकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुख, साइमुमिन यतिमोव ने अपने हिस्से के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस को बताया कि उन्होंने अफगानिस्तान से अपने देश में "ड्रग्स, हथियार, गोला-बारूद की तस्करी" के प्रयासों की "तीव्रता" दर्ज की थी।

अफ़ग़ानिस्तान लंबे समय से अफीम और हेरोइन का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक रहा है, तालिबान को फंड की मदद से अवैध व्यापार से होने वाले मुनाफे के साथ।

इससे पहले बुधवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने पेरिस में ताजिकिस्तान के नेता इमोमाली रहमोन की मेजबानी की, मध्य एशियाई राज्य को स्थिरता बनाए रखने में मदद करने का संकल्प लिया।

जबकि तालिबान ने कहा है कि यह मध्य एशियाई देशों के लिए खतरा नहीं है, इस क्षेत्र में पूर्व सोवियत गणराज्यों को पहले अफगान इस्लामवादियों के सहयोगियों के लिए जिम्मेदार हमलों द्वारा लक्षित किया गया है।

पिछले हफ्ते अफगानिस्तान में क्रेमलिन के दूत ज़मीर काबुलोव ने कहा था कि रूस 20 अक्टूबर को होने वाली अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता के लिए तालिबान को मास्को में आमंत्रित करेगा।


5- हिंसा के बाद बांग्लादेश से ग्राउंड रिपोर्ट: 37 साल में 13% से 8% हो गई हिंदुओं की आबादी, क्यों लगातार उन पर हो रहे हमले?
शौबिक दास Published by:
हिमांशु मिश्रा Updated Sat, 16 Oct 2021 05:11 PM IST
सार
दुर्गापूजा के दौरान बांग्लादेश के 22 से ज्यादा जिलों से हिंसा की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं के 150 से ज्यादा दुर्गा पूजा पंडाल और इस्कॉन मंदिर को आग के हवाले कर दिया गया। देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ दीं। हिंदुओं को मारा-पीटा गया। अमर उजाला के लिए किए गए सॉफ्टवेयर इंजीनियर शौबिक दास ने ग्राउंड रिपोर्ट की है। पढ़िए पूरी खबर...

आंकड़े बांग्लादेश के सरकारी मंत्रालय से लिए गए हैं।

आंकड़े बांग्लादेश के सरकारी मंत्रालय से लिए गए हैं। - फोटो : अमर उजाला
विस्तार

बांग्लादेश से आ रही खबरें बताती हैं कि दुर्गापूजा के दौरान वहां 20 से ज्यादा हिंदुओं की हत्या कर दी गई। अभी भी अलग-अलग जगहों से लाशें मिल रहीं हैं। पढ़िए अखिर क्यों बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हमले नहीं रूक रहे हैं? बांग्लादेश के कट्टरपंथी हिंदुओं से क्या चाहते हैं? कैसे उन पर अत्याचार करते हैं?


Hindi News » India » Attack on pandals during durga puja festival is pre planned says bangladesh home minister asaduzzaman khan
‘दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान पंडालों पर हुए हमले पूर्व नियोजित’, बोले बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान
 
कोमिला में हुई घटना के पीछे के कारण के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, "सभी सबूत मिलने के बाद हम इसे सार्वजनिक करेंगे और इसमें शामिल लोगों को कड़ी सजा दी जाएगी."
TV9 Hindi
Publish Date - 8:34 am, Mon, 18 October 21 Edited By: अलका कुमारी


'दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान पंडालों पर हुए हमले पूर्व नियोजित', बोले बांग्लादेश के गृह मंत्री  असदुज्जमां खान
दुर्गा पूजा पंडालों पर हुए हमलों को 'पूर्व नियोजित' करार दिया
बांग्लादेश से दुर्गा पूजा के मोके पर देश में लगे पंडालों और मूर्तियों पर हमलों की कई घटनाएं सामने आई हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में दुर्गा प्रतिमाओं के साथ तोड़फोड़ की कम से कम तीन घटनाएं सामने आई हैं. वहीं बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने कहा है कि कुरान की कथित अपमान और उसके बाद कोमिला में हिंदुओं पर हमले पूर्व नियोजित थे. हमें ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक निहित समूह द्वारा उकसाया गया एक प्रेरित कार्य था.

ढाका ट्रिब्यून ने खान के हवाले से कहा, “दुर्गापूजा के दौरान न केवल कोमिला में, बल्कि रामू और नसीरनगर में सांप्रदायिक हिंसा के जरिए देश को अस्थिर करने का प्रयास किया गया था.” कोमिला में हुई घटना के पीछे के कारण के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, “सभी सबूत मिलने के बाद हम इसे सार्वजनिक करेंगे और इसमें शामिल लोगों को कड़ी सजा दी जाएगी.” हालांकि शनिवार रात के बाद से किसी घटना की सूचना नहीं मिली है.


इस्कॉन मंदिर सहित कई पंडालों और मंदिरों पर हमला

दरअसल बांग्लादेश में दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान एक पंडाल में कुरान को रखने को लेकर शुक्रवार को हिंसा भड़क गई. इस्कॉन मंदिर सहित कई पंडालों और मंदिरों पर हमला किया गया. हिंदुओं की दुकानों और घरों में भी कथित तौर पर तोड़फोड़ की गई. ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, चांदपुर, चटगांव, गाजीपुर, बंदरबन, चपैनवाबगंज और मौलवीबाजार में झड़पें हुईं और कई लोग हताहत भी हुए थे. पुलिस के अनुसार बेगमगंज थाने के प्रभारी अधिकारी सहित एक व्यक्ति की मौत हो गई और 17 अन्य घायल हो गए हैं.

6- ›   Jammu And Kashmir News Target Killing Started In Kashmir Due To These Three Reasons TRF Organization Of Terrorists Responsible


Jammu and Kashmir News:

  इन तीन वजहों से शुरू हुई कश्मीर में 'टारगेट किलिंग', आतंकियों का यह संगठन कर रहा हत्याएं
Ashish Tiwari आशीष तिवारी
Updated Mon, 18 Oct 2021 08:29 AM IST
सार
लश्कर-ए-तैयबा के टीआरएफ ने नब्बे जैसा माहौल करने के लिए बनाया ये मंसूबा।
श्रीनगर में मारे गए अरविंद साह के घर में मातम
श्रीनगर में मारे गए अरविंद साह के घर में मातम - फोटो : ANI
विस्तार

कश्मीर में एक बार फिर से 90 के दशक में शुरू हुई टारगेट किलिंग जैसा माहौल बनाकर डर पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इस बार यह माहौल आतंकियों और चरमपंथियों की ओर से कुछ विशेष वजह से बनाया जा रहा है। दरअसल केंद्र सरकार की ओर से कश्मीर में अमन बहाली और फिर से कश्मीरी पंडितों और अल्पसंख्यकों को दोबारा घाटी में बसाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों को कमजोर करने के लिए आतंकी संगठन ऐसा कर रहे हैं।


दहशत फैलाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा का दि रजिस्टेंस फ्रंट जिम्मेदार
इसमें तीन प्रमुख ऐसी वजह है जो घाटी के चरमपंथियों और आतंकवादियों को हजम नहीं हो रही है। दहशत फैलाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के दि रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के आतंकवादियों ने कश्मीर में 90 के दशक जैसा माहौल और दहशत फैलाने के लिए टारगेट किलिंग शुरू की है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक बहुत जल्द ही न सिर्फ टीआरएफ के आतंकवादी बल्कि जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन से वास्ता रखने वाले आतंकवादियों का खात्मा कर दिया जाएगा।


आतंकी संगठनों को नहीं हजम हो रही अमन बहाली की प्रक्रिया
दरअसल केंद्र सरकार ने घाटी में कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने, स्थानीय लोगों को रोजगार देने और अमन बहाली के लिए जो फैसले लिए और जो तैयारियां कि वह आतंकी संगठनों को हजम नहीं हो रही है। सूत्रों के मुताबिक आतंकी संगठन और चरमपंथियों को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही है कि केंद्र सरकार कश्मीर में हिंदुओं को बसाने से पहले 90 के दशक में उनकी जमीन जायजात और प्रॉपर्टी को जिस तरीके से हथियाया गया था उसको वापस दिलाने के लिए रेवेन्यू कोर्ट तैयार किए जाएं।

कब्जा की गई जमीनों को वापस दिलाने के लिए रिवेन्यू कोर्ट की विशेष अदालतें तैयार
दरअसल केंद्र सरकार ने जबरदस्ती हड़पी गई जमीनों को वापस दिलाने के लिए कश्मीर में रिवेन्यू कोर्ट की विशेष अदालतें तैयार की है। इन कोर्ट में कश्मीरी पंडित और दूसरे अल्पसंख्यक लोग अपने दस्तावेजों को सबमिट कर अपनी जमीनों को वापस पाने का दावा पेश कर रहे हैं। क्योंकि उस दौरान ज्यादातर आतंकी संगठन और उससे वास्ता रखने वाले लोगों ने उस पर कब्जा कर लिया था या उनसे बहुत कम कीमत पर खरीद लिया था। जिससे अब इन कोर्ट के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया के तहत उनको वापस मिलने की उम्मीद जाग गई है। आतंकी संगठन और चरमपंथियों को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही है कि 90 के दशक में कब्जा की गई जमीनों को वापस हिंदुओं को या अल्पसंख्यकों को दिया जाए ताकि वह यहां आकर अपनी गुजर-बसर करें। 

इसके अलावा अभी तक कश्मीर में डोमिसाइल का मामला राज्य सरकार के अधीन था। लेकिन धारा 370 हटने के साथ डोमिसाइल प्रक्रिया अब केंद्र के दिशानर्देशों के मुताबिक शुरू हुई है। पूरे देश भर में रह रहे कश्मीरियों के डोमिसाइल प्रमाण पत्र उनको ना सिर्फ ऑनलाइन बल्कि जिस राज्य में जो भी कश्मीरी रह रहा है उसको विशेष कैंप लगाकर ऑफलाइन भी डोमिसाइल प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। कश्मीरी मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि पहले कश्मीरी लड़कियों की शादी अगर राज्य से बाहर होती थी तो उनको कश्मीर में कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने का हक नहीं बनता था। लेकिन नई व्यवस्था के मुताबिक अब कश्मीर की अगर किसी लड़की की शादी देश के किसी दूसरे प्रांत के किसी भी व्यक्ति से हुई है तो न सिर्फ लड़की बल्कि जिसके साथ शादी हुई है उसके परिवार को भी कश्मीर में प्रॉपर्टी खरीदने का हक होगा और वह वहां का निवासी माना जाएगा।

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर एसके डार कहते हैं अलगाववादी नेता और आतंकियों के साथ-साथ चरमपंथियों को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही है क्योंकि इससे कश्मीर में सारे देश के लोग आकर अपना आशियाना भी बना सकते हैं और वहां बस भी सकते हैं। धारा 370 के हटने के बाद वैसे भी कश्मीर में रोजगार से लेकर वहां बसने और उद्योगों को लगाने से लेकर तमाम तरह से जीवन स्तर को ऊपर उठाने के रास्ते आसान हो गए हैं। यह बात भी चरमपंथियों और आतंकवादियों को हजम नहीं हो रही है।  

केंद्र सरकार की नई योजनाओं को लागू नहीं करने देना चाहते हैं स्थानीय चरमपंथी
तीसरी और सबसे अहम बात यह है जिस तरीके से कश्मीर में बीते कुछ दिनों में आतंकी संगठन से संबंध रखने वाले लोगों को सरकार ना सिर्फ नौकरियों से बर्खास्त कर रही है बल्कि उनके साथ कड़ाई से पेश भी आ रही है जो स्थानीय चरमपंथियों को नागवार गुजर रही है। प्रोफेसर डार कहते हैं दरअसल घाटी में मौजूद आतंकी संगठन और चरमपंथी यह बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि केंद्र सरकार की नई योजनाओं को आसानी से लागू करने दिया जाए। क्योंकि कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की जो योजनाएं हैं वह न सिर्फ शांति बहाली के लिए हैं बल्कि जो लोग कश्मीर से वापस चले गए हैं उनको वापस राज्य में बसाने के लिए भी हैं। इसके अलावा स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार दिलाने की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। कश्मीर में सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि घाटी में जिस तरीके से आईएसआई आतंकवाद फैला कर बेरोजगार लोगों को निशाना बनाता है और उनको अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करता है, अब घाटी में केंद्र सरकार की योजनाओं से रोजगार पाने वाले युवाओं की वजह से सारा खतरनाक खेल खत्म हो रहा है। इसलिए वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को गुमराह कर कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए फिर से प्रयास कर रहा है।

हत्याएं कर दहशत फैलाने की कोशिश
कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए एक बार फिर से लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के स्लीपर सेल के चरमपंथी आतंकवादी जानबूझकर स्थानीय हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को न सिर्फ मार रहे हैं बल्कि दूर-दराज के राज्यों से अपना पेट भरने के लिए आए लोगों और व्यापारियों को भी सॉफ्ट टारगेट करके हत्याएं कर दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। बीते कुछ दिनों में जो हत्याएं हुई हैं वह लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन दि रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के आतंकवादी मिलकर कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक टीआरएफ के साथ जैश ए मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन की स्लीपर सेल सक्रिय हो गई है किस फसल के टॉप कमांडर सुरक्षा बलों के निशाने पर हैं। इनमें से कुछ टॉप कमांडर को मार गिराया गया है। बहुत जल्द ही कुछ अन्य आतंकवादियों को भी मार गिराया जाएगा।

7- काबुल के गुरुद्वारे में घुसे तालिबानी:आतंकियों ने सिखों से बदसलूकी की, CCTV कैमरे तोड़े; कुछ लोगों को हिरासत में लिए जाने की भी खबर
 Oct 5, 2021
 दो महीने पहले अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान अब दूसरे मजहब के धर्मस्थलों को भी निशाना बनाने लगे हैं। मंगलवार को तालिबानियों का एक दल काबुल के पवित्र कर्ते परवान गुरुद्वारे में घुसा। यहां मौजूद सिखों से काफी देर तक सवाल-जवाब किए। इस दौरान वहां मौजूद लोगों से बदसलूकी भी की गई। बाद में वहां मौजूद CCTV कैमरों को तोड़ दिया गया। कर्ते परवान गुरुद्वारे के प्रमुख भाई गुरनाम सिंह ने खुद इसकी जानकारी दी।

इंडिया वर्ल्ड फोरम के चेयरमैन पुनीत सिंह चंडोक ने भी कर्ते परवान गुरुद्वारे में तालिबानियों के घुसने की पुष्टि की है।

हथियारबंद थे तालिबानी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना मंगलवार शाम करीब 4 बजे की है। गुरुद्वारे में कई सिख मौजूद थे। इनमें से कुछ यहां स्थायी रूप से रहते हैं और कुछ हाल ही में यहां हिंसा से बचने के लिए शरणार्थी के तौर पर आए हैं। दोपहर तक यहां हालात सामान्य थे। करीब चार बजे कुछ तालिबानी यहां घुसे। कुछ हथियारबंद थे, जबकि कुछ खाली हाथ थे। इन लोगों ने पूरे परिसर की गहन तलाशी ली।

कुछ हिरासत में
तालिबानियों ने गुरुद्वारे के मुख्य हाल में मौजूद लोगों से काफी देर तक सवाल-जवाब किए। इस दौरान गुरुद्वारे के स्टाफ ने तालिबान के हर सवाल का विस्तार से जवाब दिया। हालांकि, तालिबानियों का लहजा बेहद खराब था।

सोशल मीडिया पर जारी कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि तालिबानी दस्ते ने गुरुद्वारे के कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। बताया जाता है कि तालिबान की इंटेलिजेंस एजेंसी के लोगों ने इस पवित्र स्थल की तलाशी भी ली।

CCTV क्यों तोड़े?
गुरुद्वारे के प्रमुख गुरनाम सिंह ने बताया कि तालिबानियों ने वहां लगे करीब-करीब हर CCTV कैमरे को तोड़ दिया। माना जा रहा है कि इसका मकसद यह था कि आतंकियों की हरकत कैमरों में रिकॉर्ड न होने पाए। सोशल मीडिया पर जारी कुछ वीडियोज में टूटे हुए CCTV और उखड़े हुए तार देखे जा सकते हैं।

यहां लोगों की जान बची थी
तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा किया था। इसके बाद सिख और हिंदू अल्पसंख्यकों ने इस गुरुद्वारे में पनाह लेकर जान बचाई थी। बाद में कुछ को भारत आने दिया गया।
तालिबान ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया को यह भरोसा दिलाया था कि वो हर कीमत पर दूसरे मजहबों के धर्मस्थलों की रक्षा करेंगे और गैर मुस्लिमों को परेशान नहीं किया जाएगा।

8 - आतंकियों को पालने की ‘सजा’ भुगत रहा पाकिस्तान! अफगान सीमा के पास हुए आतंकी हमले में मारे गए पांच सैनिक


अफगानिस्तान सीमा (Afghanistan border) के पास पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) के जवानों पर हमला हुआ है. इस हमले में पांच सैनिकों की मौत हो गई है.

TV 9
Publish Date - 7:23 am, Sun, 3 October 21 Edited By: अनवर


आतंकियों को पालने की 'सजा' भुगत रहा पाकिस्तान! अफगान सीमा के पास हुए आतंकी हमले में मारे गए पांच सैनिक
अफगानिस्तान सीमा के पास तैनात पाकिस्तानी सेना के जवान (File Photo)
पाकिस्तान (Pakistan) में एक बार फिर पाकिस्तानी सैनिकों (Pakistani Soldiers) को आतंकियों ने निशाना बनाया है. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि शनिवार को अफगानिस्तान सीमा (Afghanistan border) के पास उत्तरी वजीरिस्तान जिले (North Waziristan) में आतंकवादियों ने सैनिकों के वाहनों (Terrrorist attack on Pakistan Army) पर हमला किया. इस हमले में कम से कम पांच पाकिस्तानी सैनिक मारे गए. इससे पहले भी उत्तरी वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों पर हमले हुए हैं. अधिकतर हमले पाकिस्तान तालिबान (Pakistan Taliban) द्वारा किए जाते रहे हैं.

समा टीवी के अनुसार, पाकिस्तान की मीडिया मामलों की शाखा इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने एक बयान में कहा कि आतंकी हमले में फ्रंटियर कॉर्प्स (Frontier Corps) के चार जवान और लेविस बल (Levies force) के एक निरीक्षक की मौत हुई है. इसने बताया कि घटना उत्तरी वजीरिस्तान के स्पिन वाम इलाके (Spin Wam area) में हुई. अधिकारियों ने तलाशी अभियान शुरू कर दिया है और इलाके की घेराबंदी कर दी गई है. इससे पहले 30 सितंबर को, खैबर पख्तूनख्वा (KP) टैंक जिले में एक खुफिया-आधारित ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) का एक कप्तान मारा गया था.

अगस्त में भी आतंकियों का शिकार बने पाकिस्तानी सैनिक

वहीं, एक अगस्त को पाकिस्तान के दक्षिण और उत्तरी वजीरिस्तान में सुरक्षा जांच चौकियों पर अज्ञात आतंकियों की गोलीबारी में कम से कम दो सैनिकों की मौत हो गयी और नौ अन्य घायल हो गए. पहली घटना में, आतंकवादियों ने अफगानिस्तान सीमा के पास उत्तरी वजीरिस्तान जिले के शावाल इलाके में सुरक्षा बलों पर हमला किया. इसमें एक सैनिक की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए. सूत्रों ने कहा कि जब सुरक्षा बल तलाशी अभियान चला रहे थे तो इलाके में एक आईईडी में विस्फोट हो गया. दक्षिण वजीरिस्तान जिले के दो इलाकों में सुरक्षा बलों पर भी हमला हुआ, जिसमें एक जवान शहीद हो गया और सात अन्य घायल हो गए.

खबरों के मुताबिक लाढा सब-डिवीजन के ओस्से पास इलाके में एक वाहन के पास आईईडी फट गया, जिसमें दो जवान घायल हो गए. आतंकवादियों ने लाढा में एक जांच चौकी पर गोलियां चलाईं. अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादियों ने दक्षिण वजीरिस्तान के मुख्यालय वाना से करीब 30 किलोमीटर उत्तर में तिआर्जा में एक जांच चौकी पर हमला किया. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने जांच चौकी पर रॉकेट दागे. जिला पुलिस अधिकारी शौकत अली ने तिआर्जा में हमले की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि हमले में एक सैनिक की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए.




 

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