कम्युनिष्ट होती कांग्रेस - अरविन्द सिसौदिया

Kerala News G Rethikumar joins CPIM hours after resigning from Congress 
 
        भारत की राजनीति में एक लम्बा दौर पक्ष और विपक्ष का रहा है। मगर जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का दूसरा कार्यकाल प्रारम्भ हुआ है तब से ही एक विशेष योजना से काम हो रहा है जिसमें विपक्ष और बेकअप की रातनीति चल रही है।  संसद में जो भी देशहित के काम हों उनका विरोध आगे किसी ओर को खडा करके पीछे से कर वाना और फिर समर्थन के नाम पर स्वयं आगे आ जाना । 

    यह सीएए के दौरान हुआ जब शाहीन बाग लगे। उन पर अरबों रूपये कौन खर्च कर रहा था ? यह सब अपरोक्ष मालूम है। तब उन्हे भडकानें सोनियां गांधी जी के बयान / भाषण आ रहे थे। कोरोना के कारण वह आन्दोलन फैल हो गया तो किसानों के नाम से आन्दोलन खडा किया गया, जिसका उद्ेश्य किसान का हित है ही नहीं, लक्ष्य मोदी जी को किसान विरोधी साबित कर कांग्रेस के लिये वोट छटकनें की रणनीति है।

      भारत की राजनीति में यह भ्रम , छल, कपट और झूठ का प्रयोग चल रहा है, उसे समझना होगा । इसी तरह कें झूठ से रूस में साम्यवादी क्रांती आई गई थी और बाद में वहां की आम जनता साम्यवादियों की बंधक बन गई आज भी अर्द्ध गुलामी की जिन्दगी जी रही है। यही चीन में हुआ वहां भी आजादी नहीं गुलामी थोपी हुई है। यही योजना भारत के विरूद्ध कांग्रेस की चल रही है। कांग्रेस के मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू साम्यवादी उत्सवों में सम्मिलित होने रूस जाते रहे है। कांग्रेस की कम्युनिस्ट मानसिकता का परिचय इस बात से भी मिलता है कि इन्होने लगभग 10/15 वर्ष पूर्व चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से MoU किया हुआ है। वर्तमान में भी इनके चीन से अच्छे सम्बंधों के ही संकेत मिलते है। वर्तमान में तो ये एक दूसरे को साथ देते हुये भी नजर आये है। 
    
देश को अब समझ लेना चाहिये कि कांग्रेस किन षढयंत्रों की तरफ बड़ रही है। उसे पुराने और दिग्गज कांग्रेसियों की जरूरत ही नहीं है। उसे साम्यवादी कन्हैया कुमार जैसे वामपंथियों की जरूरत है। 
 
  किसान आन्दोलन में भी पूरे देश की कम्युनिस्ट इकाईयां सक्रीय है। हलांकी ज्यादतर जगह अब कम्युनिस्ट न के बराबर है। इसी कारण अब वे कांग्रेस का नकाब ओड कर शक्तिशली बनना चाहते है। येशा स्वतंत्रता आन्दोलन में भी हुआ था। 
 
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प्रासंगिक:- दुर्दशा कौन है जिम्मेदार-?
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कन्हया कुमार- जैसे, टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्य अब पर्दे के पीछे से बाहर निकल रहे हैं,
क्या अब भी पता नहीं चला कि :-
(1) CAA और NRC के विरोध के पीछे कौन हैं जो भीड़ को स्पॉन्सर करते रहे हैं-? 
(2) क्यों देश व हिंदू संस्कृति विरोधी वामपंथी झण्डा ऐतिहासिक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी कांग्रेस के समर्थन में खुलकर सामने आ गया है-? 
(3) केरल और पंजाब के कृषि के कानूनों पर क्यों कोई नहीं बोलता, जहाँ किसानों को सज़ा देने तक का प्रावधान है-?
(4) यह कैसे किसान हैं - जो पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से सस्ती श्रम शक्ति लाकर पंजाब के बड़े बड़े इलाकों में बंटाई पर खेती करते हैं और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को उपज बेचकर भारी मुनाफ़ा कमा रहे हैं
 - खेत मालिकों को बिना खेत में जाये एक निश्चित रकम मिल जाती है जिससे खेत में काम करने की आदत खत्म हो रही है और नशे की आदतें बढ़ रही है-
(5) सोशल मीडिया पर सारे दिन देश व समाज में आग लगाने के षड्यंत्र चल रहे हैं, यह कैसा किसान आंदोलन है जो 12 महीने से चल रहा है-? 
जिसके कारण एम्बुलेंस रोकी जा रही हैं, 
15 किलोमीटर लंबे जाम लग रहे हैं-? 
किससे अनुमति लेकर सार्वजनिक रास्ते रोके गये हैं-?
किसान आन्दोलन के तरीके को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने भी सख्त टिप्पण्डी की है। जिसका कोई असर नहीं है।
 
क्या आम आदमी के लिये कोई मानवाधिकार नहीं है-? 
ये लोग जानबूझ कर देश को गृह युद्ध की ओर ले जाना चाहते है।
और इन सारे उपद्रवों की जड में कांग्रेस की सत्ता लिप्सा ही है!
बडी चिन्ताजनक व दुःखद स्थिति है !

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