शर्मनाक प्रदर्शन, देश की प्रतिष्ठा से खिलवाड़- अरविन्द सिसोदिया


अरविंद सिसोदिया
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भारत पाकिस्तान से T20 क्रिकेट मैच 24  अक्टूबर 2021 को दुबई में शर्मनाक तरीके से हार गया है । जिस तरीके से भारतीय टीम खेली उसने कप्तान विराट कोहली को छोड़ दिया जाए तो , बाकी 10 खिलाड़ी क्या कर रहे थे यह देश का एक -  एक व्यक्ति सोच रहा है ।

     क्योंकि सवाल यह है कि जब देश की प्रतिष्ठा के साथ किसी मैदान में हम उतरते हैं तो हमें अपना उच्चतम सिद्ध करना चाहिए , लेकिन पाकिस्तान के विरुद्ध टीम इंडिया के ओपनर इस तरह खेलें जैसे वह क्रिकेट खेलना ही नहीं जानते हैं और यही सब बोलेरो ने भी किया जैसे वह बॉलिंग ही नहीं जानते हों । 

     ऐसा नहीं होना चाहिए था , कहीं ना कहीं जब टीम या खिलाड़ी इस तरह के प्रदर्शन करते हैं तो उन पर एक भारी जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए, ताकि वह इस सावधानी में रहे कि,  वे सही नहीं खेले तो उन पर कोई जुर्माना या दंडात्मक कार्यवाही सकती है ।

     क्योंकि जिस गैर जिम्मेवार तरीके से भारतीय क्रिकेट टीम ने T - 20 मैच खेला उसकी तो कल्पना ही नहीं की जा सकती । एक ऐसी टीम जो लगभग विजेता रही है वह इस तरह की शर्मनाक तरीके से हारे , यह जांच का विषय भी है और क्षमता का विशेष भी ।

    खेल में निश्चित रूप से हार जीत कोई मायने नहीं रखती और खेल भावना ही सर्वोपरि होती है। भारत की हार को खेल भावना से तो लिया जा सकता है,  लेकिन पाकिस्तान से जिस तरीके से हम हारे वह तमाम प्रश्नों के साथ क्षमता पर भी सवाल खड़ा करती है और चयन पर भी प्रश्न उठाता है । इसके अलावा वह इस कारण पर भी प्रकाश डालता है क्या टीम को मैदान की समझ नहीं थी ।   
     कुल मिलाकर के भारतीय टीम की हार की जिम्मेवारी और जवाबदेही, दोनों ही किसी न किसी नेतृत्वकर्ता को लेना पड़ेगी । क्योंकि इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद इतनी शर्मनाक तरीके से हारना,  भारत के लिए कम से कम आज की परिस्थिति में कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता । 
     वह दौर  निकल चुका है, जब हम फास्ट बॉलरों  के सामने टिक नहीं पाते थे और फास्ट बॉलिंग भी नहीं कर पाते थे । उस जमाने में हम सिर्फ स्पिन पर आधारित रहते थे । किंतु आज का भारत , आज की भारतीय टीम क्रिकेट के सभी क्षेत्रों में अपनी महारत और अपनी क्षमता रखती है । इसके बावजूद एक ऐसी टीम से हारते हैं जिससे जीतना हमारे लिए सामाजिक परिवेश , राष्ट्रीय परिवेश और जन सामान्य  की भावना की दृष्टि से अनिवार्य होता है । 
     हम पाकिस्तान से भले ही हार जाते, मगर कम से कम मुकाबले में जुझारूपन  तो होता । यह तो लगता कि हमने संघर्ष किया है । यह तो लगना चाहिए था कि हमने खेल खेला है । 

गंभीर गफलत पूर्ण खेल की वजह से हमारी टीम की निंदा भी हुई है , फजीहत भी हुई है , पराजय भी हुई है और जवाब देने के लिए हमारे पास कोई शब्द नहीं है ।

निश्चित रूप से देश का क्रिकेट बोर्ड को इस तरह की हारों को गंभीरता से लेगा चाहिये और इस तरह के गफलत पूर्ण खेल और इस तरह की बेबजह पराजय पर सामूहिक अर्थ दंड लगानें की प्रथा प्रारंभ की जानी चाहिए , खेल के प्रति देश के सम्मान, स्वाभिमान , सामाजिक भावना के प्रति खिलाड़ी जवाब दे रहे । 


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