अघोर पंथ, सनातन संस्कृति का रहस्यमयी आयाम

*अघोर पंथ, सनातन संस्कृति का रहस्यमयी आयाम*

अघोर शब्द का अर्थ होता है जो घोर ना हो या असहज ना हो. जो व्यक्ति प्रत्येक स्थान पर सहज हो.

इसीलिए अघोर दृष्टि में स्थान भेद भी नहीं होता अर्थात महल या श्मशान घाट एक समान होते हैं.

अघोर पंथ के प्रणेता भगवान शिव माने जाते हैं, भगवान शिव ने स्वयं अघोर पंथ को प्रतिपादित किया था.

अघोरी श्‍मशान घाट में तीन तरह से साधना करते हैं - श्‍मशान साधना, शिव साधना, शव साधना.

ऐसी साधनाएं तारापीठ के श्‍मशान, 
कामाख्या पीठ के श्‍मशान, 
त्र्यम्‍बकेश्वर, उज्जैन के चक्रतीर्थ के श्‍मशान और वाराणसी के मणिकर्णिका घाट में होती है.

अघोर पंथियों के 10 तांत्रिक पीठ माने गए हैं.

*मेरी संस्कृति ..मेरा देश ..मेरा अभिमान 🚩*

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