सावधान, पूर्वजों के बलिदान से बचे भारत को अक्क्षुण्य रखना है
पोस्ट बडी जरुर है
पूरी पढ़ें आपकी ऑखे खुल जाएंगी
622 ई से लेकर 634 ई तक मात्र 12 साल में अरब के सभी मूर्तिपूजकों को मूहम्मद साहब ने इस्लाम की तलवार से पानी पिलाकर मुसलमान बना दिया ।।
634 ईस्वी से लेकर 651 तक , यानी मात्र 16 साल में सभी पारसियों को तलवार की नोक पर इस्लाम की दीक्षा दी गयी ।।
640 में मिस्र में पहली बार इस्लाम ने पांव रखे, ओर देखते ही देखते मात्र 15 सालों में , 655 तक इजिप्ट के लगभग सभी लोग मुसलमान बना दिये गए ।।
नार्थ अफ्रीकन देश जैसे - अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को आदि देशों को 640 से 711 ई तक पूर्ण रूप से इस्लाम धर्म मे बदल दिया गया, 3 देशों का सम्पूर्ण सुख चैन लेने में मुसलमानो ने मात्र 71 साल लगाए ।
711 ईस्वी में स्पेन पर आक्रमण हुआ, 730 ईस्वी तक स्पेन की 70% आबादी मुसलमान थी । मात्र 19 सालों में तुर्क थोड़े से वीर निकले, तुर्को के विरुद्ध जिहाद 651 ईस्वी में शुरू हुआ, ओर 751 ईस्वी तक सारे तुर्क मुसलमान बना दिये गए ।।
इंडोनेशिया के विरुद्ध जिहाद मात्र 40 साल में पूरा हुआ । 1260 में मुसलमानो ने इंडोनेशिया में मार काट मचाई, ओर 1300 ईस्वी तक सारे इंडोनेशियाई मुसलमान बन चुके थे ।
फिलिस्तीन, सीरिया, लेबनान, जॉर्डन आदि देशों को 634 से 650 के बीच मुसलमान बना दिया गया ।।
उसके बाद 700 ईस्वी में भारत के विरुद्ध जिहाद शुरू हुआ वह अब तक चल रहा है ।।
इस्लामिक आक्रमणकारियों की क्रूरता का अंदाजा इस बात से लगाएं की मुसलमानो का ईरान पर आक्रमण हुआ, मुसलमानी सेना ईरानी राजा के महल तक पहुंच गई । महल में लगभग 3 साल की पारसी राजकुमारी थी । ईरान पर आक्रमण अली ने किया था, जिसे शिया मुसलमान मानते है, पारसी राजकुमारी को बंदी बना लिया गया, अब वह कन्या थी, तो लूट के माल पर पहला हक़ खलीफा मुगीरा इब्न सूबा का था । खलीफा को वह मासूम बच्ची भोग के लिए भेंट की गई ।लेकिन खलीफा ईरान में अली की लूट से इतना खुश हुआ कि अली को कह दिया, इसका भोग तुम करो । मुसलमानी क्रूरता , पशु संस्कृति का एक सबसे गलीच नमूना देखिये, की तीन साल की बच्ची में भी उन्हें औरत दिख रही थी । वह उनके लिए बेटी नही, भोग की वस्तु थी । बेटी के प्रेम में पिता को भी बंदी बनना पड़ा, इस्लाम या मौत में से एक चुनने का बिकल्प पारसी राजा को दिया गया । पारसी राजा ने मृत्यु चुनी । अली ने उस तीन साल की मासूम राजकुमारी को अपनी पत्नी बना लिया ।। अली की पत्नी Al Sahba' bint Rabi'ah मात्र 3 साल की थी, ओर उस समय अली 30 साल का था ।
मात्र ईरान का उदाहरण दिया है, इजिप्ट हो या अफ्रीकन देश सब जगह यही हाल है । जिस समय सीरिया आदि को जीता गया था, उसकी कहानी तो ओर दर्दनाक है । मुसलमानो ने ईसाई सैनिकों के आगे अपनी औरतों को कर दिया । मुसलमान औरते गयी ईसाइयों के पास की मुसलमानो से हमारी रक्षा करो, बेचारे मूर्ख ईसाइयों ने इन धूर्तो की बातों में आकर उन्हें शरण दे दी, फिर क्या था, सारी सुपर्णखाओ ने मिलकर रातों रात सभी सैनिकों को हलाल करवा दिया ।।
पूर्वजों के बलिदान से भारत बचा है
अब आप भारत की स्थिति देखिये । जिस समय आक्रमणकारी ईरान तक पहुंचकर अपना बड़ा साम्राज्य स्थापित कर चुके थे , उस समय उनकी हिम्मत नही थी की भारत के राजपूत साम्राज्य की ओर आंख उठाकर भी देख सकें ।। 36 ईस्वी में खलीफा ने भारत पर पहला हमला बोला । एक भी आक्रांता जिंदा वापस नही जा पाया ।।
कुछ वर्ष तक तो मुस्लिम अक्रान्ताओ की हिम्मत तक नही हुई की भारत की ओर मुंह करके सोया भी जाएं, लेकिन कुछ ही वर्षो में गिद्धों ने अपनी जात दिखा ही दी ।। दुबारा आक्रमण हुआ, इस समय खलीफा की गद्दी पर उस्मान आ चुका था । उसने हाकिम नाम के सेनापति के साथ विशाल इस्लामी टिड्डिडल भारत भेजा ।। सेना का पूर्णतः सफाया हो गया, ओर सेनापति हाकिम बंदी बना लिया गया । हाकिम को भारतीय राजपूतो ने बहुत मारा, ओर बड़े बुरे हाल करके वापस अरब भेजा, जिससे उनकी सेना की दुर्गति का हाल, उस्मान तक पहुंच जाएं । सिलसिला लगभग 700 ईस्वी तक चलता रहा ।। जितने भी मुसलमानो ने भारत की तरफ मुँह किया, राजपूतो ने उनका सिर कंधे से नीचे उतार दिया ।।
उसके बाद भी भारत के वीर जवानों ने हार नही मानी ।। जब 7 वी सदी इस्लाम की शुरू हुई , जिस समय अरब से लेकर अफ्रीका, ईरान यूरोप, सीरिया , मोरक्को, ट्यूनीशिया, तुर्की यह बड़े बड़े देश जब मुसलमान बन गए,
भारत मे " बप्पा रावल " महाराणा प्रताप के पितामह का जन्म हो चुका था, वे पूर्णतः योद्धा बन चुके थे, इस्लाम के पंजे में जकड़ गए अफगानिस्तान तक से मुसलमानो को उस वीर ने मार भगाया, केवल यही नही, वह लड़ते लड़ते खलीफा की गद्दी तक जा पहुंचा, जहां खुद खलीफा को अपनी जान की भीख मांगनी पड़ी ।
उसके बाद भी यह सिलसिला रुका नही । नागभट्ट प्रतिहार द्वितीय जैसे योद्धा भारत को मिले । जिन्होंने अपने पूरे जीवन राजपूती धर्म का पालन करते हुए पूरे भारत की न केवल रक्षा की, बल्कि हमारी शक्ति का डंका विश्व मे बजाए रखा ।।
पहले बप्पा रावल में साबित किया था कि अरब अपराजित नही है, लेकिन 836 ई के समय भारत मे वह हुआ, की जिससे विश्वविजेता मुसलमान थर्रा गए । मुसलमानो ने अपने इतिहास में उन्हें अपना सबसे बड़ा दुश्मन कहा है, वह सरदार भी राजपूत ही थे । सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार ।। मिहिरभोज के बारे में कहा जाता है, की उनका प्रताप ऋषि अगस्त्य से भी ज़्यादा चमका । ऋषि अगस्त्य वहीं है, जिन्होंने श्रीराम को वह अस्त्र दिया था, जिससे रावण का वध सम्भव था ।। राम के विजय अभियान के हिडन योद्धाओं में एक । उन्होंने मुसलमानो को केवल 5 गुफाओं तक सीमित कर दिया ।। यह वही समय था, जिस समय मुसलमान किसी युद्ध मे केवल जीत हासिल करते थे, ओर वहां की प्रजा को मुसलमान बना देते, भारत वीर राजपूत मिहिरभोज ने इन अक्रान्ताओ को अरब तक थर्रा दिया ।।
प्रथ्वीराज चौहान तक इस्लाम के उत्कर्ष के 400 सालों बाद तक भारत के राजपूतो ने इस्लाम नाम की बीमारी भारत को नही लगने दी, उस युद्ध काल मे भी भारत की अर्थव्यवस्था को गिरने नही दिया ।। उसके बाद मुसलमान विजयी भी हुए, लेकिन राजपूतो ने सत्ता गंवाकर भी हार नही मानी , एक दिन वह चैन से नही बैठे, अंतिम वीर दुर्गादास जी राठौड़ ने दिल्ली को झुकाकर, जोधपुर का किला मुगलो के हलक ने निकाल कर हिन्दू धर्म की गरिमा, वीरता शौर्य को चार चांद लगा दिए ।।
किसी भी देश को मुसलमान बनाने में मुसलमानो में 20 साल नही लिए, ओर भारत मे 500 साल राज करने के बाद भी मेवाड़ के शेर महाराणा राजसिंहः ने अपने घोड़े पर भी इस्लाम की मुहर नही लगवाई ।।
महाराणा प्रताप, दुर्गादास राठौड़, मिहिरभोज, दुर्गावती, चौहान, परमार लगभग सारे राजपूत अपनी मातृभूमि के लिए जान पर खेल गए ।। एक समय ऐसा आ गया था, लड़ते लड़ते राजपूत केवल 2% पर आकर ठहर गए ।।
एक बार पूरी दुनिया देखे, ओर आज अपना वर्तमान देखे । जिन मुसलमानो ने 20 साल में आधी विश्व आबादी को मुसलमान बना दिया, वह भारत मे केवल पाकिस्तान बांग्लादेश तक सिमट कर ही क्यो रह गए ?
मान लिया कि उस समय लड़ना राजपूत राजाओं का धर्म था, लेकिन जब राजाओं ने अपना धर्म निभा दिया, तो आज उनकी बेटियों, पोतियों पर काल्पनिक कहानियां गढ़कर उन योद्धाओं के वंशजो का हिंदुओ द्वारा ही अपमान , कुछ हिन्दू द्वारा ही उनका इतिहास चोरी करना, क्या यह बलिदानियों को भेंट करता है हिन्दू समाज ?
राजा भोज, विक्रमादित्य, नागभट्ट प्रथम और नागभट्ट द्वितीय, चंद्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार, समुद्रगुप्त, स्कंद गुप्त, छत्रसाल बुंदेला, आल्हा उदल, राजा भाटी, भूपत भाटी, चाचादेव भाटी, सिद्ध श्री देवराज भाटी, कानड़ देव चौहान वीरमदेव चौहान, हठी हम्मीर देव चौहान, विग्रहराज चौहान, मालदेव सिंह राठौड़, विजय राव लांझा भाटी, भोजदेव भाटी, चूहड़ विजयराव भाटी, बलराज भाटी, घड़सी, रतनसिं, राणा हमीर सिंह और अमर सिंह, अमर सिंह राठौड़ दुर्गादास राठौड़ जसवंत सिंह राठौड़ मिर्जा राजा जयसिंह राजा जयचंद, भीमदेव सोलंकी, सिद्ध श्री राजा जय सिंह सोलंकी, पुलकेशिन द्वितीय सोलंकी,
*रानी दुर्गावती, रानी कर्णावती, राजकुमारी रत्नाबाई, रानी रुद्रा देवी, हाड़ी रानी, रानी पद्मावती, जैसी अनेको रानियों ने लड़ते लड़ते अपने राज्य की रक्षा हेतु अपने प्राण न्योछावर कर दिए*
अन्य योद्धा तोगा जी वीरवर कल्लाजी जयमल जी जेता कुपा, गोरा बादल राणा रतन सिंह, पजबन राय जी कच्छावा, मोहन सिंह मंढाड़ , राजा पोरस, हर्षवर्धन बेस, सुहेलदेव बेस , राव शेखाजी, राव चंद्रसेन जी दोड़ , राव चंद्र सिंह जी राठौड़, कृष्ण कुमार सोलंकी, ललितादित्य मुक्तापीड़, जनरल जोरावर सिंह कालुवारिया, धीर सिंह पुंडीर ,बल्लू जी चंपावत, भीष्म रावत चुण्डा जी, रामसाह सिंहतोमर और उनका वंश, झाला राजा मान, महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर, स्वतंत्रता सेनानी राव बख्तावर सिंह अमझेरा वजीर सिंह पठानिया, राव राजा राम बक्स सिंह, व्हाट ठाकुर कुशाल सिंह, ठाकुर रोशन सिंह,ठाकुर महावीर सिंह, राव बेनी माधव सिंह, डूंगजी, भुरजी , बलजी, जवाहर जी, छत्रपति शिवाजी और हमारे न जाने अनगिनत लोक देवता, और गुजरात में एक से बढ़कर एक योद्धा लोक देवताओं, संत, सती जुझार, भांजी जडेजा, अजय पाल देव जी।
सिख गुरुओं ने जबरिया इस्लामीकरण का प्रबल विरोध किया , खालसा पंथ की स्थापना ही इस्लाम रोकने के लिए ही हुई थी । गुरु गोविंद सिंह जी जैसा बलिदान विश्व में कहीं नहीं मिलेगा ।
*यह तो सिर्फ कुछ ही नाम है जिन्हें हमने गलती से किसी इतिहास की अत्यंत पुरानी पुस्तको से हासिल किया वरना ये आपको सोशल मीडिया या फिर किसी स्कूल पाठ्यक्रम में नहीं मिलेगा। एक से बढ़कर एक योद्धा पैदा हुए हैं जिन्होंने 18 साल की उम्र से पहले ही अपना योगदान दे दिया और लड़ते लड़ते शहिद हो गए घर के घर गांव के गांव ढाणी की ढाणी खाली हो गई जब कोई भी पुरुष नहीं बचा* किसी गांव या ढाणी में पूरा का पूरा परिवार पूरे पूरे गांव कुर्बान हो गये रणभेरी पर चल गया धर्म के लिए।
ऐसे हिन्दू योद्धाओ का जिक्र हमे हमारे इतिहास में तत्कालीन नेहरू-गांधी सरकार के शासन काल मे कभी नही पढ़ाया गया। पढ़ाया ये गया कि अकबर महान सम्राट था। फिर हुमायु,बाबर,औरंगजेब । ताजमहल कुतुबमीनार, चारमीनार आदि के बारे में ही पढ़ाया गया।
अगर हिन्दू संगठित नही रहते तो आज ये देश भी पूरी तरह सीरिया और अन्य देशों की तरह पूर्णतया मुस्लिम देश बन चुका होता।
🙏
हमारा गुमनाम गौरवशाली इतिहास
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दोस्तों, भारत के इतिहास को तोडा मरोड़ा गया और कोई सवाल उठाने वाला नहीं था। इतना बड़ा झूठ बोला, सुनाया और पढ़ाया गया। ऐसी मक्कारी, बेईमानी क्यों और कैसे हुई...? किसके इशारों पर हुई...? जिस देश को अपने इतिहास में भी भ्रष्टता स्वीकार हो वह कभी वास्तविक तरक्की नहीं कर सकता और ना ही ऊँची या मौलिक सोच रख सकता है, ऐसा मेरा मानना हैं। मगर फिर भी दिल तो यही कहता हैं.... अपना भारत वो भारत हैं, जिसके पीछे संसार चला, संसार चला और आगे बढ़ा। भगवान करें भारत बढ़े और आगे बढ़े, बढ़ता ही रहे और फूले-फले।
हिंदुस्तान के हजारों नहीं लाखों वर्षों के स्वर्णिम इतिहास को अँधेरे में रखकर पिछले कुछ अध्याय ही पढ़ाना, वह भी केवल आक्रमण कर्ताओं और हिन्दुओं, सिखों आदि अन्य सभी भारतवासियों पर अत्याचार करने व जबरदस्ती उनका धर्म परिवर्तन कराने वाले उन जालिमों को महान सिद्ध करना बहुत ही दुःख और शर्म का कारण है। कृपया अपने पुराने कांग्रेसी शिक्षा बोर्ड और मंत्रिओं को पूछें की ऐसा क्यों हैं..?
बाबर ने मुश्किल से कोई 4 वर्ष तक राज किया। हुमायूं को कभी टिक कर राज नहीं करने दिया गया। मुग़ल साम्राज्य की नींव तो अकबर ने डाली और जहाँगीर, शाहजहाँ से होते हुए औरंगजेब के आते-आते वो नीव उखड़ने लग गई थी। कुल 100 वर्ष (अकबर 1556ई. से औरंगजेब 1658ई. तक) के समय के स्थिर शासन को मुग़ल काल नाम से इतिहास में एक पूरे पार्ट की तरह पढ़ाया जाता है....मानो सृष्टि आरम्भ से आजतक के कालखण्ड में तीन भाग कर बीच के मध्यकाल तक इन्हीं का राज रहा....!
अब इस किताबी स्थिर (?) शासन की तीन चार पीढ़ी के लिए कई किताबें, पाठ्यक्रम, सामान्य ज्ञान, प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रश्न, फिल्मों, विज्ञापनों में गीत, ....इतना हल्ला मचा रखा है, मानो पूरा मध्ययुग इन्हीं 100 वर्षों के इर्द गिर्द ही है।
जबकि उक्त समय में मेवाड़ इनके पास नहीं था। दक्षिण और पूर्व भी एक सपना ही था। अब जरा विचार करें..... क्यों भारत में अन्य तीन चार पीढ़ी और शताधिक वर्षों तक राज्य करने वाले वंशों को इतना महत्त्व या स्थान मिला है ?
अकेला विजयनगर साम्राज्य ही 300 वर्षों तक टिका रहा।
हम्पी नगर में हीरे माणिक्य की मण्डियां लगती थीं।
महाभारत युद्ध के बाद 1006 वर्ष तक जरासन्ध वंश के 22 राजाओं ने,
5 प्रद्योत वंश के राजाओं ने 138 वर्ष ,
10 शैशुनागों ने 360 वर्षों तक ,
9 नन्दों ने 100 वर्षों तक ,
12 मौर्यों ने 316 वर्षों तक ,
10 शुंगों ने 300 वर्षों तक ,
4 कण्वों ने 85 वर्षों तक ,
33 आंध्रों ने 506 वर्षों तक ,
7 गुप्तों ने 245 वर्षों तक राज्य किया ।
फिर विक्रमादित्य ने 100 वर्षों तक राज्य किया था । इतने महान सम्राट होने पर भी भारत के इतिहास में ये सब गुमनाम कर दिए गए, क्यों ..?
उनका वर्णन करते समय इतिहासकारों को मुँह का कैंसर क्यों हो जाता है और किसके इशारों पर ..? सामान्य ज्ञान की किताबों में पन्ने कम पड़ जाते है। पाठ्यक्रम के पृष्ठ सिकुड़ जाते है। प्रतियोगी परीक्षकों के हृदय पर हल चल जाते हैं। वामपंथी इतिहासकारों ने नेहरूवाद का कहा मान कर, जो कुछ भी उल्टा-सीधा लिखा की उसे ज्ञान समझ कर पढ़ाने वाले ये चाटुकारों को क्या कहें...!
यह सब कैसे और किस उद्देश्य से किया गया ये अभी तक हम ठीक से समझ नहीं पाए हैं और ना हम समझने का प्रयास कर रहे हैं।
एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हिन्दू योद्धाओं को इतिहास से बाहर कर सिर्फ मुगलों को महान बतलाने वाला नकली इतिहास पढ़ाया जाता रहा है। महाराणा प्रताप के स्थान पर उन जैसे महान भारतीय राजाओं पर अत्याचार करने वाले अकबर को महान होना लिख दिया गया है। अब यदि इतिहास में हिन्दू योद्धाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाता है तो विपक्ष शिक्षा के भगवा करण करने का आरोप लगाता है ! विपक्ष में कौन कौन हैं, ये तो आप समझ ही गये होंगे।
और अब जरूरी हो गया हैं सम्राट विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त मौर्य, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप, सम्राट अशोक, महाराजा सूरजमल, शिवाजी राजे, गुरू गोविंद सिंह, महारानी लक्ष्मीबाई, राव तुलाराम, शहीद भगतसिंह, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, आदि-आदि भारत के महान शासक, योद्धाओं, वीरो, वीरांगनाओं, शहीदों व आज़ादी की लड़ाई के दीवानों आदि-आदि के बारे में अपनी भावी पीढ़ी को बताने, सुनाने और पढ़ाने की ......
ब्राम्हण हिन्दुत्व का प्राण
क्षत्रिय हिन्दुत्व का बल
वैश्य हिन्दुत्व का वैभव
शूद्र हिन्दुत्व का अभिमान
जो हैं भारतीयता की पहचान
इन गुमनाम महान राजाओं, सम्राटों, योद्धाओं, वीरो, वीरांगनाओ, अत्याचारों के ख़िलाफ़ आवाज बुलंद करने वालो, शहीदों आदि के बारे में पढ़ो और सुनो और गर्व से कहो कि हम भारतीय हैं।
शत-शत नमन करूँ मैं आप सभी महानुभवों को.... 💐💐💐💐
🙏 🙏
* जय माँ भवानी *
★ जय हिन्द ★
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दोस्तों, भारत के इतिहास को तोडा मरोड़ा गया और कोई सवाल उठाने वाला नहीं था। इतना बड़ा झूठ बोला, सुनाया और पढ़ाया गया। ऐसी मक्कारी, बेईमानी क्यों और कैसे हुई...? किसके इशारों पर हुई...? जिस देश को अपने इतिहास में भी भ्रष्टता स्वीकार हो वह कभी वास्तविक तरक्की नहीं कर सकता और ना ही ऊँची या मौलिक सोच रख सकता है, ऐसा मेरा मानना हैं। मगर फिर भी दिल तो यही कहता हैं.... अपना भारत वो भारत हैं, जिसके पीछे संसार चला, संसार चला और आगे बढ़ा। भगवान करें भारत बढ़े और आगे बढ़े, बढ़ता ही रहे और फूले-फले।
हिंदुस्तान के हजारों नहीं लाखों वर्षों के स्वर्णिम इतिहास को अँधेरे में रखकर पिछले कुछ अध्याय ही पढ़ाना, वह भी केवल आक्रमण कर्ताओं और हिन्दुओं, सिखों आदि अन्य सभी भारतवासियों पर अत्याचार करने व जबरदस्ती उनका धर्म परिवर्तन कराने वाले उन जालिमों को महान सिद्ध करना बहुत ही दुःख और शर्म का कारण है। कृपया अपने पुराने कांग्रेसी शिक्षा बोर्ड और मंत्रिओं को पूछें की ऐसा क्यों हैं..?
बाबर ने मुश्किल से कोई 4 वर्ष तक राज किया। हुमायूं को कभी टिक कर राज नहीं करने दिया गया। मुग़ल साम्राज्य की नींव तो अकबर ने डाली और जहाँगीर, शाहजहाँ से होते हुए औरंगजेब के आते-आते वो नीव उखड़ने लग गई थी। कुल 100 वर्ष (अकबर 1556ई. से औरंगजेब 1658ई. तक) के समय के स्थिर शासन को मुग़ल काल नाम से इतिहास में एक पूरे पार्ट की तरह पढ़ाया जाता है....मानो सृष्टि आरम्भ से आजतक के कालखण्ड में तीन भाग कर बीच के मध्यकाल तक इन्हीं का राज रहा....!
अब इस किताबी स्थिर (?) शासन की तीन चार पीढ़ी के लिए कई किताबें, पाठ्यक्रम, सामान्य ज्ञान, प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रश्न, फिल्मों, विज्ञापनों में गीत, ....इतना हल्ला मचा रखा है, मानो पूरा मध्ययुग इन्हीं 100 वर्षों के इर्द गिर्द ही है।
जबकि उक्त समय में मेवाड़ इनके पास नहीं था। दक्षिण और पूर्व भी एक सपना ही था। अब जरा विचार करें..... क्यों भारत में अन्य तीन चार पीढ़ी और शताधिक वर्षों तक राज्य करने वाले वंशों को इतना महत्त्व या स्थान मिला है ?
अकेला विजयनगर साम्राज्य ही 300 वर्षों तक टिका रहा।
हम्पी नगर में हीरे माणिक्य की मण्डियां लगती थीं।
महाभारत युद्ध के बाद 1006 वर्ष तक जरासन्ध वंश के 22 राजाओं ने,
5 प्रद्योत वंश के राजाओं ने 138 वर्ष ,
10 शैशुनागों ने 360 वर्षों तक ,
9 नन्दों ने 100 वर्षों तक ,
12 मौर्यों ने 316 वर्षों तक ,
10 शुंगों ने 300 वर्षों तक ,
4 कण्वों ने 85 वर्षों तक ,
33 आंध्रों ने 506 वर्षों तक ,
7 गुप्तों ने 245 वर्षों तक राज्य किया ।
फिर विक्रमादित्य ने 100 वर्षों तक राज्य किया था । इतने महान सम्राट होने पर भी भारत के इतिहास में ये सब गुमनाम कर दिए गए, क्यों ..?
उनका वर्णन करते समय इतिहासकारों को मुँह का कैंसर क्यों हो जाता है और किसके इशारों पर ..? सामान्य ज्ञान की किताबों में पन्ने कम पड़ जाते है। पाठ्यक्रम के पृष्ठ सिकुड़ जाते है। प्रतियोगी परीक्षकों के हृदय पर हल चल जाते हैं। वामपंथी इतिहासकारों ने नेहरूवाद का कहा मान कर, जो कुछ भी उल्टा-सीधा लिखा की उसे ज्ञान समझ कर पढ़ाने वाले ये चाटुकारों को क्या कहें...!
यह सब कैसे और किस उद्देश्य से किया गया ये अभी तक हम ठीक से समझ नहीं पाए हैं और ना हम समझने का प्रयास कर रहे हैं।
एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हिन्दू योद्धाओं को इतिहास से बाहर कर सिर्फ मुगलों को महान बतलाने वाला नकली इतिहास पढ़ाया जाता रहा है। महाराणा प्रताप के स्थान पर उन जैसे महान भारतीय राजाओं पर अत्याचार करने वाले अकबर को महान होना लिख दिया गया है। अब यदि इतिहास में हिन्दू योद्धाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाता है तो विपक्ष शिक्षा के भगवा करण करने का आरोप लगाता है ! विपक्ष में कौन कौन हैं, ये तो आप समझ ही गये होंगे।
और अब जरूरी हो गया हैं सम्राट विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त मौर्य, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप, सम्राट अशोक, महाराजा सूरजमल, शिवाजी राजे, गुरू गोविंद सिंह, महारानी लक्ष्मीबाई, राव तुलाराम, शहीद भगतसिंह, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, आदि-आदि भारत के महान शासक, योद्धाओं, वीरो, वीरांगनाओं, शहीदों व आज़ादी की लड़ाई के दीवानों आदि-आदि के बारे में अपनी भावी पीढ़ी को बताने, सुनाने और पढ़ाने की ......
ब्राम्हण हिन्दुत्व का प्राण
क्षत्रिय हिन्दुत्व का बल
वैश्य हिन्दुत्व का वैभव
शूद्र हिन्दुत्व का अभिमान
जो हैं भारतीयता की पहचान
इन गुमनाम महान राजाओं, सम्राटों, योद्धाओं, वीरो, वीरांगनाओ, अत्याचारों के ख़िलाफ़ आवाज बुलंद करने वालो, शहीदों आदि के बारे में पढ़ो और सुनो और गर्व से कहो कि हम भारतीय हैं।
शत-शत नमन करूँ मैं आप सभी महानुभवों को.... 💐💐💐💐
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