सावरकर जी की महानता ही सत्य, बांकी सब झूठ - अरविन्द सिसौदिया
सावरकर जी की महानता ही सत्य, बांकी सब झूठ
- अरविन्द सिसौदिया
9414180151
जो लोग भारत को भविष्य में इस्लाम का गुलाम बनाना चाहते है। जिन्हे मात्र मुस्लिम वोट बैंक की चिंता है। जिनका मूल लक्ष्य ही भारत को हिन्दू विहीन करना है वे सावरकर जैसे हिन्दुत्ववादी प्रेरणा पुरुष के पक्ष में क्यों खड़े होंगे। उनकी दृष्टि में तो सावरकर बच ही क्यों गये, उन्होंने हिंदुत्व में नये प्राण क्यों फूंक दिये। इस तरह के लोगों की गैर वाजिब बातों का महत्व न देकर , स्वयं हिन्दू समाज को एक जुटता से सावरकर जी के पक्ष में खड़ा होना चाहिए और वोट की चोट से इन दलों को सबक सिखाना चाहिये।
देश की स्वतंत्रता एवं आजादी की लड़ाई में जो कष्ट सावरकर परिवार ने सहे वह अपने आप में इतिहास है। उनके समर्पण और सत्यनिष्ठा पर कोई प्रश्न स्वीकार नहीं है। सावरकर की पैर की धूल के बराबर भी जिनका राष्ट्रहित में योगदान नहीं उन्हे कोई टिप्पणी का अधिकार नहीं ।
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बुधवार 13 Oct 2021 को विमोचन के वक़्त रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ इस पुस्तक के एक लेखक और सूचना आयुक्त उदय माहूरकर
पिछले दिनों सावरकर जी पर एक पुस्तक का विमोचन हुआ और उस पुस्तक को लेकर महानुभावों का जो संबोधन हुआ उसमें कुछ और तथ्य भी सामने आए और कुल मिलाकर सावरकर जी के इस देश की स्वतंत्रता के प्रति किए गए महान कार्य की चर्चा एक बार पुनः देश के जनमत के सामने आई । किंतु वर्तमान इटालियन कांग्रेस के लोग या वर्तमान खान कांग्रेस की गुलामी कर रहे लोगों ने सावरकर जी में मीन मेख निकालने से नहीं चुके । जबकि इन मीन मेख निकालने वाले लोगों की औकात सावरकर जी के पैर की धूल के बराबर भी नहीं है ।
मैं वर्तमान में सावरकर जी के पक्ष में बोल रहे संघ , भारतीय जनता पार्टी, निष्पक्ष मीडिया और सत्य निष्ठ वक्ताओं से आग्रह करता हूं कि वर्तमान कांग्रेस को इसका जवाब देने की जरूरत नहीं है और ना ही उन्हें यह बताने की जरूरत है कि सावरकर जी कौन थे और सावरकर जी को भी किसी कांग्रेसी से कोई सर्टिफिकेट लेने की जरूरत ही नहीं है ।
इसका कारण यह है कि वर्तमान में जो कांग्रेस है वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है ही नहीं, वर्तमान में जो गांधी हैं वह वास्तविक गांधी है ही नहीं , बल्कि अब फर्जी कांग्रेस और फर्जी गांधीयों के बीच में यह देश फंसा हुआ है । इसलिए फर्जी लोगों को जवाब देना या उन्हें समझाना , स्वयं अपने सिर को फोड़ने जैसा है। क्यों कि उन्हें सच सुनना ही नहीं है, उन्हें सिर्फ भारत में अराजकता मात्र फैलानी है ।
कांग्रेस पर इटली का कब्जा हो चुका है इटली की क्रिश्चियन लेडी का कब्जा हो चुका है और इसी तरह महात्मा गांधी पर खान बंधुओं का कब्जा है , जिन्हें असली फिरोज खान नाम लेने में तो दर्द होता है । मगर फिरोज खान को दान में मिला गांधी शब्द वोट बटोरने के लिए अच्छा लगता है ।
यह लोग जब असली कांग्रेस और असली गांधी के सगे नहीं है तो यह फिर भारत के सगे कैसे हो सकते है । जो भारत का सगा नहीं है , वह फिर सावरकर जी का सगा या भारत की स्वतंत्रता का सजा या भारतीय क्रांतिकारियों का सगा कैसे हो सकता है ।
जिस तरह जेल में बंद बंदी जेल से बाहर निकलने के लिए अनेकों प्रकार से यत्न करते रहते हैं, वैसे ही सावरकर जी ने यह किया था, उसमें गलत कुछ नहीं था । सावरकर जी 1911 में सेल्यूलर जेल जाते ही पहले ही साल दया याचिका दायर की, उसके बाद उन्होंने साल 1913, 1914, 1918, 1920 में दया याचिकाएं दायर कीं। "दया याचिका दायर करना कोई गुनाह नहीं है । ये क़ैदियों का अपनी शिकायत दर्ज कराने का एक अधिकार है, मेरा ही नहीं भगवान श्री कृष्ण का और अनेकों वीर योद्धाओं की यह रणनीति रही है कि मुत्यु को धोखा देकर, जीवित रहते हुए शत्रु को पराजित करनें का प्रयत्न करना । भगवान श्री कृष्ण रणछोड़ दास भी कहलाये, महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी ने भी अनेक अवसरों पर बैक कर हमले किये, युद्ध रणनीति में जीवित व्यक्ति का ही महत्व है। सावरकर जी ने जो भी किया जैसे भी किया, जिसकी भी सलाह पर किया, उचित किया, इस पर आज प्रश्न अनुचित और अव्यवहारिक और अपमान जनक माना जाएगा। इसलिए मूर्खतापूर्ण व्यवहार करने वाले , मूर्खतापूर्ण कुतर्क करने वाले , मूर्खतापूर्ण सवाल जवाब करने वालों को जो वे हैं वही मानना चाहिये। मूर्खों को मूर्ख मान लेना झूठों को झूठ मान लेना ब्राह्मणों को भ्रामक मान लेना ही उचित होता है ।
"शठे शाठ्यं समाचरेत् ।"अर्थः----शठ अर्थात् ढीढ या दुष्ट या क्रूर व्यक्ति के साथ शठता (दुष्टता) का ही व्यवहार करना उचित है ।
दुष्ट के साथ दुष्टता का और साधु के साथ साधुता का व्यवहार करना उचित है । यदि आप दुष्ट के साथ साथ साधुता और साधु के साथ दुष्टता का व्यवहार करेंगे तो वह अनुचित होगा सीधा-सा सूत्र है--जैसा व्यक्ति वैसा व्यवहार ।यदि आप इसके विपरीत करेंगे तो पछताने के सिवा और कुछ नहीं मिलेगा ।
हमारा इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पडा है । उनसे प्रेरणा लीजिए और अपना जीवन सुखमय बनाइए ।
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