न्यूट्रल नहीं, राष्ट्रहित के सक्रीय योद्धा बन खड़े हों - अरविन्द सिसोदिया

न्यूट्रल नहीं, राष्ट्रहित के सक्रीय योद्धा बन खड़े हों - अरविन्द सिसोदिया
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न्यूट्रल नहीं, राष्ट्रहित के सक्रीय योद्धा बन खड़े हों - अरविन्द सिसोदिया

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श्रीकृष्ण ने कहा है कि, धर्म-अधर्म के बीच में यदि आप NEUTRAL रहते हैं, अथवा NO POLITICS का ज्ञान देते हैं, तो आप अधर्म का साथ देते हैं

भीम ने गदा युद्ध के नियम तोड़ते हुए दुर्योधन को कमर के नीचे मारा
ये देख बलराम बीच में आए और भीम की हत्या करने की ठान ली।

तब श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम से कहा.

आपको कोई अधिकार नहीं है इस युद्ध में बोलने का क्योंकि आप न्यूट्रल रहना चाहते थे ताकि आपको न कौरवों का, न पांडवों का साथ देना पड़े। इसलिए आप चुपचाप तीर्थ यात्रा का बहाना करके निकल लिए।

(१) भीम को दुर्योधन ने विष दिया तब आप न्यूट्रल रहे,
(२) पांडवो को लाक्षागृह में जलाने का प्रयास किया गया, तब आप न्यूट्रल रहे,
(३) द्यूत क्रीड़ा में छल किया गया तब आप न्यूट्रल रहे,
(४) द्रौपदी का वस्त्रहरण किया आप न्यूट्रल रहे,
(५) अभिमन्यु की सारे युद्ध नियम तोड़ कर हत्या की गयी, तब भी आप न्यूट्रल रहे!

आपने न्यूट्रल रह कर, मौन रह कर, दुर्योधन के हर अधर्म का साथ ही दिया ! अब आपको कोई अधिकार नहीं है कि आप कुछ बोलें।

क्योंकि धर्म-अधर्म के युद्ध में अगर आप न्यूट्रल रहते हैं तो आप भी अधर्म का साथ दे रहे हैं...

आज तक हमारा ये देश 712 ई. से धर्म युद्ध लड़ रहा है और हर नागरिक इसमें एक सैनिक है!

यदि मैं न्यूट्रल रह कर अधर्म का साथ देता हूँ तो मुझे भी अधिकार नहीं है शिकायत करने का कि देश में ऐसा वैसा बुरा क्यों हो रहा है, अगर मैं उस बुरे का विरोध नहीं करता।

भाजपा धर्म के साथ है या नहीं ये मैं नहीं जानता पर दूसरी पार्टियाँ और संग़ठन अधर्म के साथ हैं, ये मैं पक्का जानता हूँ।

ये हर नागरिक का कर्तव्य है कि वो राष्ट्रहित में जो है उसका साथ दे !
आज भाजपा , मोदी जी और योगी जी देशहितके साथ हैं यही सत्य है  !
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