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भगवान कृष्ण कहते है Lord Krishna says

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- अरविन्द सीसोदिया कृष्ण कहता आज है, गीता मेरी आवाज है, इस राह पर चलो तुम, विजय तुम्हारे  साथ है !! - Arvind Sisodia Krishna says today, Geeta is my voice, Follow this path, victory is with you!!     यह एक निर्विवाद सत्य है कि ईश्वर के अवतार धर्म की स्थापना के लिए; उद्धार  के लिए या पुर्न उत्थान   के लिए होता है ...! ५२ सौ  वर्ष पूर्व जिस तरह अधर्म , अनैतिकता और आलस्य व्याप्त था और त्राही  - त्राही  जगत में हो रही थी ! वही स्थिति वर्तमान में है..! तब  जो क्षत्रिय  के गुण-धर्म भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सिखाये थे ,वे हम भूल चुके हैं , ईश्वर कहता है कर्म करो ; कर्तव्य का पालन करो , ईश्वर कहता है , हर पल युध्य है संघर्ष करो , विजय प्राप्त करो , अन्याय करना अधर्म है ; उससे बड़ा अधर्म अन्याय सहना भी है; अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करो....!  हम कृष्ण निति  भूल गए...., हम भूल गए कि अन्याय, अत्याचार और अधर्म का प्रवल विरोध करना  धर्म है , इसे  सहना अधर्म है..!! हमारे हर अवत...

भगवान् श्रीकृष्ण का शौर्यपूर्ण जीवन bhagvan shree krishan

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  भगवान् श्रीकृष्ण का शौर्यपूर्ण जीवन  Heroic Life of Lord Krishna Brave life of Lord Krishna bhagavaan shreekrshn ka shauryapoorn jeevan भगवान् श्रीकृष्ण के जीवन सी जुड़ी 24 अनसुनी बातें 1. भगवान् श्री कृष्ण के खड्ग का नाम 'नंदक', गदा का नाम 'कौमौदकी' और शंख का नाम 'पांचजन्य' था जो गुलाबी रंग का था। 2. भगवान् श्री कॄष्ण के परमधामगमन के समय ना तो उनका एक भी केश श्वेत था और ना ही उनके शरीर पर कोई झुर्री थीं। 3. भगवान् श्री कॄष्ण के धनुष का नाम शारंग व मुख्य आयुध चक्र का नाम 'सुदर्शन' था। वह लौकिक, दिव्यास्त्र व देवास्त्र तीनों रूपों में कार्य कर सकता था उसकी बराबरी के विध्वंसक केवल दो अस्त्र और थे पाशुपतास्त्र (शिव, कॄष्ण और अर्जुन के पास थे) और प्रस्वपास्त्र (शिव, वसुगण, भीष्म और कृष्ण के पास थे)। 4. भगवान् श्री कॄष्ण की परदादी 'मारिषा' व सौतेली मां रोहिणी( बलराम की मां) 'नाग' जनजाति की थीं। 5. भगवान श्री कॄष्ण से जेल में बदली गई यशोदापुत्री का नाम एकानंशा था, जो आज विंध्यवासिनी देवी के नाम से पूजी जातीं हैं। 6. भगवान् श्री कॄष्ण की प्रेम...

भगवान श्रीकृष्ण जैसा पुरूषार्थ पूर्ण जीवन का प्रण लें - अरविन्द सिसौदिया

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      भगवान श्रीकृष्ण जैसा पुरूषार्थ पूर्ण जीवन का संकल्प लें - अरविन्द सिसौदिया   भगवान श्रीकृष्ण की ही तरह पुरूषार्थ पूर्ण जीवन का संकल्प लें - अरविन्द सिसौदिया आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हम सभी को एक प्रण लेना चाहिये कि “ हम अपने धर्म, संस्कृति, सभ्यता की रक्षा के लिये भगवान श्रीकृष्ण जी की ही तरह पूर्ण पुरूषार्थ करेगें। हमारे लिये देशधर्म की रक्षा ही सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय होगा। हम सभी को अपने जीवन से भी ज्यादा,महत्वपूर्ण हमारी मातृभूमि का अनन्त - अनन्त काल तक चलने वाला जीवन हे। हम अपने कर्म, व्यवहार एवं जीवन शैली से भारत माता को  अक्क्षुण्य बनाये रखने के लिये , मातृभूमि की एक वीर संतान की भांती समस्त कर्त्तव्यों को पूरा करेंगे । हम भगवत गीता को सिर्फ पढ़ेंगे नहीं अपितु अपने जीवन में उतारेंगे। भगवान श्रीकृष्ण के शौर्यपूर्ण जीवन की ही तरह अपना जीवन भी शौर्य से परिपूर्ण बनायेंगे। बिना किसी से डरे, भय मुक्त हो कर मातृभूमि के लिये अपने आप को समर्पित रखेंगे । भक्ति भी करेगे शक्ति के साथ, शास्त्र भी पढ़ंगे शौर्य के साथ । आत्मा अजर अमर अविनाशी है जो सम्भ...

श्री कृष्ण संपूर्ण ...

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 नंद घर आनंद भयों, जय कन्हैया लाल की  आपको व पूरे परिवार को *श्रीकृष्ण जनमाष्टमी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।* *🙏कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम्🙏* *🕉️🛕भगवान श्रीकृष्ण का ऐसा जीवन परिचय जिसे जानकर हो जायेंगे आप हैरान* *🛕भगवान श्रीकृष्ण का ऐसा परिचय जिसे शायद आपने पहले कभी सूना या पढ़ा होगा । 3228 ई.पू., श्रीकृष्ण संवत् में श्रीमुख संवत्सर, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, 21 जुलाई, बुधवार के दिन मथुरा में कंस के कारागार में माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया, पिता- श्री वसुदेव जी थे । उसी दिन वासुदेव ने नन्द-यशोदा जी के घर गोकुल में छोड़ा ।* *1- 🛕मात्र 6 दिन की उम्र में भाद्रपद कृष्ण की चतुर्दशी, 27 जुलाई, मंगलवार, षष्ठी-स्नान के दिन कंस की राक्षसी पूतना का वध कर दिया ।* *2- 🛕 1 साल, 5 माह, 20 दिन की उम्र में माघ शुक्ल चतुर्दशी के दिन अन्नप्राशन- संस्कार हुआ ।* *3- 🛕 1 साल की आयु त्रिणिवर्त का वध किया ।* *4- 🛕 2 वर्ष की आयु में महर्षि गर्गाचार्य ने नामकरण-संस्कार किया ।* *5- 🛕 2 वर्ष 6 माह की उम्र में यमलार्जुन (नलकूबर और मणिग्रीव) का उद्धार किया ।* *6- 🛕 2 वर्ष, 10 माह की उम्र मे...

भाई बहन का अनूठा मंदिर : जगन्नाथपुरी धाम

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Unique temple of brother and sister: Jagannathpuri Dham भाई बहन का अनूठा मंदिर : जगन्नाथपुरी धाम   पुरी में जगन्नाथ मंदिर के 8 अजूबे इस प्रकार है। 1.मन्दिर के ऊपर झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराते हुए। 2.पुरी में किसी भी जगह से आप मन्दिर के ऊपर लगे सुदर्शन चक्र को देखेगे तो वह आपको सामने ही लगा दिखेगा। 3.सामान्य दिन के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है, और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पूरी में इसका उल्टा होता है. 4.पक्षी या विमानों मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पायेगें। 5.मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य है. 6.मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी यह व्यर्थ नहीं जाएगी, चाहे कुछ हजार लोगों से 20 लाख लोगों को खिला सकते हैं. 7. मंदिर में रसोई (प्रसाद)पकाने के लिए 7 बर्तन एक दूसरे पर रखा जाता है और लकड़ी पर पकाया जाता है. इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकते जाती है। 8.मन्दिर के सिंहद्वार में पहला कदम ...

धर्म पथ Dhram Path

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  "महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन और कर्ण का युद्ध हो रहा था, तो एक समय ऐसा आया जब कर्ण के रथ का पहिया कीचड़ में धँस गया..!" . "वह शस्त्र रथ में ही रखकर नीचे उतरा और उसे निकालने लगा। यह देखकर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को संकेत किया और उसने कर्ण पर बाणों की बौछार कर दी..!" . "इससे कर्ण बौखला गया। वह अर्जुन की निन्दा करने लगा- इस समय मैं नि:शस्त्र हूँ। ऐसे में मेरे ऊपर बाण चलाना अधर्म है..!" . "पर श्रीकृष्ण ने उसे मुँहतोड़ उत्तर देते हुए कहा- महाबली कर्ण, आज तुम्हें धर्म याद आ रहा है। पर उस दिन तुम्हारा धर्म कहाँ गया था, जब द्रौपदी की साड़ी को भरी सभा में खींचा जा रहा था। जब अनेक महारथियों ने निहत्थे अभिमन्यु को घेरकर मारा था, तब तुम्हें धर्म की याद क्यों नहीं आयी..?" . "श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपनी बाण-वर्षा और तेज करने को कहा। परिणाम यह हुआ कि कर्ण ने थोड़ी देर में ही प्राण छोड़ दिये..!" . "यह इतिहास कथा यह बताती है कि धर्म का व्यवहार केवल धर्म पर चलने वालों के लिए ही होना चाहिए । गलत व्यक्तियों का साथ देने वालों, असत्य का पक्ष लेने वालों तथ...

Peacock is the national bird of India, dear to the gods देवताओं को प्रिय है,भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर

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  देवताओं को प्रिय है,भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर  Peacock is the national bird of India, dear to the gods मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही भारत सरकार ने 26 जनवरी,1963 को इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया । सन् 1963 में मोर को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया गया था। इस सम्मान का कारण मोर की सुंदर आकृति तो थी ही, मगर उससे भी ज्यादा अनर्घ्य था उसका ऐतिहासिक और धार्मिक मूल्य। एक और कारण यह भी था कि मोर सम्पूर्ण भारतीय प्रायद्वीप पर पाया जाता है और इसके विभिन्न प्रकार की वजह से हर कोई उसे पहचान सकता है। हमारे पड़ोसी देश म्यांमार का राष्ट्रीय पक्षी भी मोर ही है। ’फैसियानिडाई’ परिवार के सदस्य मोर का वैज्ञानिक नाम ’पावो क्रिस्टेटस’ है। भगवान विष्णु जी को मोर पंख अत्यत प्रिय है। भगवान् श्रीकृष्ण के मुकुट में लगा मोर का पंख इस पक्षी के अदभुत सौंदर्य के महत्त्व को दर्शाता है।कई धर्मों में मोर का अधिक महत्व है। प्राचीन समय में ईसाई धर्म में मोर अमरता का प्रतिनिधित्व करता था। संस्कृत में मयूर नाम से जाना जाने वाला यह पक्षी, हिंदू भगवान कार्तिकेय, जो कि युद्ध के देवता माने जाते हैं, का वाहन है। ...

न्यूट्रल नहीं, राष्ट्रहित के सक्रीय योद्धा बन खड़े हों - अरविन्द सिसोदिया

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न्यूट्रल नहीं, राष्ट्रहित के सक्रीय योद्धा बन खड़े हों - अरविन्द सिसोदिया 9414180151 श्रीकृष्ण ने कहा है कि, धर्म-अधर्म के बीच में यदि आप NEUTRAL रहते हैं, अथवा NO POLITICS का ज्ञान देते हैं, तो आप अधर्म का साथ देते हैं भीम ने गदा युद्ध के नियम तोड़ते हुए दुर्योधन को कमर के नीचे मारा ये देख बलराम बीच में आए और भीम की हत्या करने की ठान ली। तब श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम से कहा. आपको कोई अधिकार नहीं है इस युद्ध में बोलने का क्योंकि आप न्यूट्रल रहना चाहते थे ताकि आपको न कौरवों का, न पांडवों का साथ देना पड़े। इसलिए आप चुपचाप तीर्थ यात्रा का बहाना करके निकल लिए। (१) भीम को दुर्योधन ने विष दिया तब आप न्यूट्रल रहे, (२) पांडवो को लाक्षागृह में जलाने का प्रयास किया गया, तब आप न्यूट्रल रहे, (३) द्यूत क्रीड़ा में छल किया गया तब आप न्यूट्रल रहे, (४) द्रौपदी का वस्त्रहरण किया आप न्यूट्रल रहे, (५) अभिमन्यु की सारे युद्ध नियम तोड़ कर हत्या की गयी, तब भी आप न्यूट्रल रहे! आपने न्यूट्रल रह कर, मौन रह कर, दुर्योधन के हर अधर्म का साथ ही दिया ! अब आपको कोई अधिकार नहीं है कि आप कुछ बोलें। क्योंकि धर्म-अधर्म के...