धर्म पथ Dhram Path
"महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन और कर्ण का युद्ध
हो रहा था, तो एक समय ऐसा आया जब कर्ण
के रथ का पहिया कीचड़ में धँस गया..!"
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"वह शस्त्र रथ में ही रखकर नीचे उतरा और उसे
निकालने लगा। यह देखकर भगवान कृष्ण ने अर्जुन
को संकेत किया और उसने कर्ण पर
बाणों की बौछार कर दी..!"
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"इससे कर्ण बौखला गया। वह अर्जुन
की निन्दा करने लगा- इस समय मैं नि:शस्त्र हूँ।
ऐसे में मेरे ऊपर बाण चलाना अधर्म है..!"
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"पर श्रीकृष्ण ने उसे मुँहतोड़ उत्तर देते हुए कहा-
महाबली कर्ण, आज तुम्हें धर्म याद आ रहा है। पर
उस दिन तुम्हारा धर्म कहाँ गया था, जब
द्रौपदी की साड़ी को भरी सभा में
खींचा जा रहा था। जब अनेक महारथियों ने
निहत्थे अभिमन्यु को घेरकर मारा था, तब तुम्हें
धर्म की याद क्यों नहीं आयी..?"
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"श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपनी बाण-वर्षा और
तेज करने को कहा। परिणाम यह हुआ कि कर्ण ने
थोड़ी देर में ही प्राण छोड़ दिये..!"
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"यह इतिहास कथा यह बताती है कि धर्म
का व्यवहार केवल धर्म पर चलने वालों के लिए
ही होना चाहिए । गलत व्यक्तियों का साथ
देने वालों, असत्य का पक्ष लेने
वालों तथा दुष्टों को उनके जैसी दुष्टता से दंड
देना बिल्कुल गलत नहीं है..!"
-साभार
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