अगले महामहिम राष्ट्रपति महोदय का चुनाव
( राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ जी कोविन्द )
वर्तमान राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ जी कोविन्द का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को सम्पन्न हो रहा है। उनके स्थान को भरनें के लिये इससे पूर्व राष्ट्रपति चुनाव करवाये जानें आवश्यक है। जिसके चलते चुनाव आयोग ने चुनाव का संझिप्त कार्यक्रम घोषित कर दिया है।
चुनाव आयोग ने 9 जून 2022 को भारत के अगले महामहिम राष्ट्रपति महोदय के चुनाव हेतु कार्यक्रम की तारीखें घोषित कर दीं हैं ।
आयोग के मुताबिक, देश के सर्वोच्च पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए .....
1- चुनाव के लिए अधिसूचना 15 जून को जारी की जाएगी।
2- नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून तय की गई है।
3- नामांकन पत्रों की जांच 30 जून को निर्धारित की गई है।
4- उम्मीदवार अपना नामांकन दो जुलाई तक वापस ले सकेंगे।
5- राष्ट्रपति चयन हेतु मतदान 18 जुलाई को होगा।
6- मतगणना एवं परिणाम की घोषणा 21 जुलाई को आएंगे।
निर्वाचक मंडल
भारत में महामहिम राष्ट्रपति के निर्वचान में तय “निर्वाचन मंडल ” है। जिसमें वर्तमान लोक सभा तथा राज्य सभा एवं विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित मतदान के अधिकारी होते हैं। मोटे तौर पर सांसदों एवं विधान सभा सदस्यों की संख्या की दृष्ट्रि से भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) एवं तृतीय मोर्चा, जिसमें शिरोमणि अकाली दल (शिअद), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (तृमूकां), बीजू जनता दल (बीजद), तेलंगाना राष्ट्र समिति (तेरास), युवा श्रमिक रयुथु कांग्रेस पार्टी (यु.श्र.र. कांग्रेस) आदि क्षेत्रीय दल सम्मिलित हैं, में वर्गीकृत किया जा सकता है। हलांकी अभी चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा हुई है, प्रत्याशी सामनें आनें पर दलीय स्थिती स्पष्ट हो सकेगी कि कौन किस प्रत्याशी के पक्ष में रहता है। महामहिम राष्ट्रपति के निर्वाचन में दलगत व्हिप जारी नहीं होता है। इससे मतदान स्वइच्छा से भी किया जा सकता है , जो कि परिणामों पर असर डालता सकता है।
भारत में महामहिम राष्ट्रपति के निर्वचान में तय “निर्वाचन मंडल ” है। जिसमें वर्तमान लोक सभा तथा राज्य सभा एवं विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित मतदान के अधिकारी होते हैं। मोटे तौर पर सांसदों एवं विधान सभा सदस्यों की संख्या की दृष्ट्रि से भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) एवं तृतीय मोर्चा, जिसमें शिरोमणि अकाली दल (शिअद), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (तृमूकां), बीजू जनता दल (बीजद), तेलंगाना राष्ट्र समिति (तेरास), युवा श्रमिक रयुथु कांग्रेस पार्टी (यु.श्र.र. कांग्रेस) आदि क्षेत्रीय दल सम्मिलित हैं, में वर्गीकृत किया जा सकता है। हलांकी अभी चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा हुई है, प्रत्याशी सामनें आनें पर दलीय स्थिती स्पष्ट हो सकेगी कि कौन किस प्रत्याशी के पक्ष में रहता है। महामहिम राष्ट्रपति के निर्वाचन में दलगत व्हिप जारी नहीं होता है। इससे मतदान स्वइच्छा से भी किया जा सकता है , जो कि परिणामों पर असर डालता सकता है।
राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए अर्हताएँ
भारत के संविधान का अनुच्छेद 58 उन योग्यताओं को निर्धारित करता है जो राष्ट्रपति के पद के लिए पात्र होने के लिए पूरी होनी चाहिए।
अनुच्छेद 58 निम्न प्रकार से है -
58. राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए अर्हताएँ:-
(1) कोई व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह
(क) भारत का नागरिक है,
(ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, और
(ग) लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है।
(2) कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।
स्पष्टीकरण - इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति केवल इस कारण कोई लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ का राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल है अथवा संघ का या किसी राज्य का मंत्री है।
अनुच्छेद 58 निम्न प्रकार से है -
58. राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए अर्हताएँ:-
(1) कोई व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह
(क) भारत का नागरिक है,
(ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, और
(ग) लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है।
(2) कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।
स्पष्टीकरण - इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति केवल इस कारण कोई लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ का राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल है अथवा संघ का या किसी राज्य का मंत्री है।
निर्वाचकीय पद्धति : -
भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य, सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य और संघ राज्यक्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
निर्वाचन पद्धति के अनुसार निर्वाचक मंडल के सदस्यों को अलग-अलग संख्या में मत प्रदान किए जाते है, जैसे कि सांसदों और विधायकों का कुल वजन लगभग बराबर होता है और राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों की मतदान शक्ति उनकी जनसंख्या के समानुपाती होती है।
राष्ट्रपति पद के निर्वाचन के लिए उम्मीदवार के नामांकन में कम से कम 50 निर्वाचकों द्वारा प्रस्तावक के रूप में और 50 निर्वाचकों द्वारा अनुमोदक के रूप में सदस्यता ली जानी चाहिए। चुनाव तत्काल-अपवाह मतदान प्रणाली के तहत गुप्त मतदान के माध्यम से होता है। राष्ट्रपति के निर्वाचन का तरीका संविधान के अनुच्छेद 55 द्वारा प्रदान किया गया है जो कि इस प्रकार है -
55. राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति:-
(1) जहाँ तक साध्य हो, राष्ट्रपति के निर्वाचन में भिन्न-भिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व के मापमान में एकरूपता होगी।
(2) राज्यों में आपस में ऐसी एकरूपता तथा समस्त राज्यों और संघ में समतुल्यता प्राप्त कराने के लिए संसद और प्रत्येक राज्य की विधान सभा का प्रत्येक निर्वाचित सदस्य ऐसे निर्वाचन में जितने मत देने का हकदार है उनकी संख्या निम्नलिखित रीति से अवधारित की जाएगी, अर्थात् -
(क) किसी राज्य की विधान सभा के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के उतने मत होंगे जितने कि एक हजार के गुणित उस भागफल में हों जो राज्य की जनसंख्या को उस विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से भाग देने पर आए;
(ख) यदि एक हजार के उक्त गुणितों को लेने के बाद शेष पाँच सौ से कम नहीं है तो उपखंड (क) में निर्दिष्ट प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या में एक और जोड़ दिया जाएगा;
(ग) संसद के प्रत्येक सदन के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के मतों की संख्या वह होगी जो उपखंड (क) और उपखंड (ख) के अधीन राज्यों की विधान सभाओं के सदस्यों के लिए नियत कुल मतों की संख्या को, संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से भाग देने पर आए, जिसमें आधे से अधिक भिन्न को एक गिना जाएगा और अन्य भिन्नों की उपेक्षा की जाएगी।
(3) राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा।
स्पष्टीकरण - इस अनुच्छेद में, ”जनसंख्या” पद से ऐसी अंतिम पूर्ववर्ती जगणना में अभिनिश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत है जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं ।
परंतु इस स्पष्टीकरण में अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना के प्रति, जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं निर्देश का, जब तक सन् 2026 के पश्चात् की गई जनगणना के सुसंगत आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं, यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह 1971 की जनगणना के प्रति निर्देश है।
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