हिंदुओं ने ही अद्भुत भवन निर्माण का पुरूषार्थ किया
ताजमहल की आज जो ख्याति है, उसका कारण है उस इमारत की अत्यधिक मार्केटिंग। जो कांग्रेस ने 60 साल से बखूबी की है। नहीं तो भारत में एक से बढ़कर एक हिन्दू कलाकृति, है जिसका कांग्रेस ने कभी प्रचार प्रसार नही किया।
जैसे अद्भुत ,अद्वितीय और अप्रतिम हम्पी मंदिर, जो विजयनगर साम्राज्य की सिर्फ एक बानगी है । ताज-ताज करने का मतलब ही हिंदुस्तान के गौरव को हीन साबित करना है। यही कई दशको से किया जा रहा है।
हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर अब हम्पी (पम्पा से निकला हुआ) नाम से जाना जाता है और अब केवल खंडहरों के रूप में ही अवशेष है। इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में यहाँ एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती होगी। भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को के विश्व के विरासत स्थलों में शामिल किया गया है।
हर साल यहाँ हज़ारों की संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष.... आदि असंख्य इमारतें हैं।
हम्पी में विठाला मंदिर परिसर निःसंदेह सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। इसके मुख्य हॉल में लगे ५६ स्तंभों को थपथपाने पर उनमें से संगीत लहरियाँ निकलती हैं। हॉल के पूर्वी हिस्से में प्रसिद्ध शिला-रथ है जो वास्तव में पत्थर के पहियों से चलता था। हम्पी में ऐसे अनेक आश्चर्य हैं, जैसे यहाँ के राजाओं को अनाज, सोने और रुपयों से तौला जाता था और उसे गरीब लोगों में बाँट दिया जाता था। रानियों के लिए बने स्नानागार मेहराबदार गलियारों, झरोखेदार छज्जों और कमल के आकार के फव्वारों से सुसज्जित होते थे। इसके अलावा कमल महल और जनानखाना भी ऐसे आश्चयों में शामिल हैं। एक सुंदर दो-मंजिला स्थान जिसके मार्ग ज्यामितीय ढँग से बने हैं और धूप और हवा लेने के लिए किसी फूल की पत्तियों की तरह बने हैं। यहाँ हाथी-खाने के प्रवेश-द्वार और गुंबद मेहराबदार बने हुए हैं और शहर के शाही प्रवेश-द्वार पर हजारा राम मंदिर बना है।
हर साल यहाँ हज़ारों की संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष.... आदि असंख्य इमारतें हैं।
हम्पी में विठाला मंदिर परिसर निःसंदेह सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। इसके मुख्य हॉल में लगे ५६ स्तंभों को थपथपाने पर उनमें से संगीत लहरियाँ निकलती हैं। हॉल के पूर्वी हिस्से में प्रसिद्ध शिला-रथ है जो वास्तव में पत्थर के पहियों से चलता था। हम्पी में ऐसे अनेक आश्चर्य हैं, जैसे यहाँ के राजाओं को अनाज, सोने और रुपयों से तौला जाता था और उसे गरीब लोगों में बाँट दिया जाता था। रानियों के लिए बने स्नानागार मेहराबदार गलियारों, झरोखेदार छज्जों और कमल के आकार के फव्वारों से सुसज्जित होते थे। इसके अलावा कमल महल और जनानखाना भी ऐसे आश्चयों में शामिल हैं। एक सुंदर दो-मंजिला स्थान जिसके मार्ग ज्यामितीय ढँग से बने हैं और धूप और हवा लेने के लिए किसी फूल की पत्तियों की तरह बने हैं। यहाँ हाथी-खाने के प्रवेश-द्वार और गुंबद मेहराबदार बने हुए हैं और शहर के शाही प्रवेश-द्वार पर हजारा राम मंदिर बना है।
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नीचे दिए गए चित्र का वर्णन भी किसी से कम नहीं है :
1400 साल पहले ... 200 साल तक 10 पीढ़ियों ने पहाड़ को उपर से नीचे की तरफ तराश कर बनाया था, ताजमहल से लाख गुना सुंदर और आकर्षक यह " कैलाशनाथ मंदिर " ..
यह भारतीय शिल्प कला का अद्भुत नमूना है ..
विष्णु अवतार , महादेव से लेकर रामायण महाभारत भी ...
सबको मूर्तियों के रूप में दर्शाया है ...
वो भी 1400 साल पहले ........
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा की गुफाएं हैं। इनमें 16 नम्बर की गुफा में शिव मन्दिर है, जिसे कैलाश मन्दिर के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि सम्पूर्ण विश्व में एक पत्थर को काटकर बनाया गया यह सबसे बड़ा मन्दिर है। दो तल में बना यह मंदिर लगभग 276 फीट लम्बा, 154 फीट चौड़ा तथा 90 फीट ऊँचा है।
यह मन्दिर राष्ट्रकूट राजाओं के वंशजों ने बनाया। मन्दिर को बनाये जाने में लगभग 200 वर्ष का समय लगा। जिस तरह से पर्वत को काटकर चौक, परकोटे, खम्भे, मूर्तियां व बहुमंजिला गर्भगृह बनाया गया है, वह आश्चर्यजनक है। इसकी निर्माण कला देख कर कोई भी व्यक्ति शिल्पियों के ज्ञान का मुरीद हो सकता है।
यह मन्दिर द्रविड़ शैली में बनाया गया है। यहां भगवान शिव नंदी सहित विरजमान हैं, तथा भगवान शिव की लगभग सभी मुद्राओं को मन्दिर में दर्शाया गया है ।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर में दर्शन सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक किए जा सकते हैं।
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