सुनिश्चित विजय की ओर अग्रसर हैं भाजपा प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मु Dropadi Murmu

                        सुनिश्चित विजय की ओर अग्रसर हैं भाजपा प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मु

        देश के सर्वाेच्च पद यानी राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई 2022 को वोटिंग है। विपक्ष की तरफ से कई बडे नामों ने बली का बकरा बनने से इंकार के बाद, पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं भाजपा की अगुआई वाली एनडीए ने देश की प्रथम आदिवासी राज्यपाल रहीं श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है।

       भाजपा ने एक बहुत ही साधारण परिवार से महामहिम राष्ट्रपति के पद द्रोपदी मुर्मू का चयन कर भारत के आम जनमानस के दिल को जीत लिया है। वहीं पहलीबार आदिवासी समूह को यह प्रतिष्ठा मिलने जा रही है, जो कि सम्पूर्ण आदिवासी समाज में भाजपा का जनाआधार को बढायेगा एवं उनके प्रति सदभावना को संप्रेषित करेगा। इसी के साथ देश की आधी आबादी महिला वर्ग जो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति कृतज्ञ है में एक बार पुनः मोदीजी की लोकप्रियता को बढानें वाला है। इसी के साथ इस निर्णय के साथ उडीसा प्रांत की सरकार चला रहे बीजू जनता दल के साथ आजानें से श्रीमती द्रोपदी मुर्मू की विजय भी सुनिश्चित हो गई है। 

 

द्रौपदी के पक्ष में मतो का अनुमान 

     एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है, इसके बाद किन्तु परन्तु की कोई बात भी नहीं आई है। वर्तमान में एनडीए के पास अभी कुल 5,26,420 मत हैं। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए मुर्मू को 5,39,420 मतों की जरूरत है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का सीधे तौर पर मुर्मू को बीजू जनता दल (बीजद) का समर्थन मिल रहा है। यानी बीजद के 31,000 मत भी उनके पक्ष में पड़ेंगे। इसी के साथ वे विजयी बहूमत प्राप्त कर लेती हैं।

    इसके अलावा अगर वाईएसआर कांग्रेस भी साथ आती है तो उसके भी 43,000 मत उनके साथ होंगे। इसके अलावा आदिवासी के नाम पर राजनीति करने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए मुर्मू का विरोध करना मुश्किल है। झामुमो दबाव में आई तो मुर्मू  को करीब 20,000 वोट और मिल जाएंगे। शिव सेना की टूट का फायदा भी भाजपा को मिलता दिख रहा है। कई दलों नें अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं वे संयुक्त विपक्ष के साथ भी नजर नहीं आये है। इस प्रकार मुर्मु की जीत पक्की दिख रही है।



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