शिवसेना,संविधान छोड,सड़क पर ! यही तो लोकतंत्र का अपमान है - अरविन्द सिसौदिया shivsena

 

शिवसेना,संविधान छोड,सड़क पर ! यही तो लोकतंत्र का अपमान है - अरविन्द सिसौदिया 

शिवसेना पर बहूमत है तो फलोर टेस्ट की बात क्यों नहीं करते ?
शरद पंवार तो चाहते ही यही है कि शिवसेना समाप्त हो, उनका विकास हो।
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अन्ततः वही हुआ जिसका इंतजार था। शिवसेना के विधायक एवं सांसद तो पार्टी से नाराज होकर कोप भवन में बैठें है। उन्हे मनाने और पार्टी को संभालनें के बजाये। अपने ही विधायकों एवं सांसदों के खिलाफ शिवसेना नेतृत्व सडकों पर निबंट लेने की धमकी पर आ गया है। तोड फोड प्रारम्भ होनें वाली है। घरों पर आक्रमण होंगे । शिवसेना का यह स्वरूप पत्थरबाजों से ही मिलता माना जायेगा।

लोकतंत्र में नम्बर गेम चलता है। आज तक की स्थिती में शिवसेना के हाथ से विधानसभा निकल चुकी है। उनके अधिकांश विधायक उन्हे छोड गये हैं। जिस तरह एन टी रामाराव को छोड चन्द्रबाबू नायडू को नेता चुना गया था, लगभग वही महाराष्ट्र में होनें जा रहा है।

वहीं असली शिवसैनिक भी हिन्दुत्व छोड कर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस की गुलामी कर ही नहीं सकता। आधी शताब्दी की संर्घष यात्रा , विचारधारा के विपरीत कैसे परिवर्तित हो सकती है।

हनुमान चालीसा का प्रकरण हिन्दुत्व पर गहरी चोट है। यह बहुत दूर तक असर करेगी, इसका प्रभाव तो अगला चुनाव भी देखेगा।

सच तो यह है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस में भी शरद पंवार के विरूद्ध अन्दरूनी विद्रोह इंतजार कर रहा है।

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