शिवसेना, समाजवादी पार्टी : अहंकारी व्यवहार सफलता को आधा कर देता है - अरविन्द सिसौदिया
शिवसेना, समाजवादी पार्टी : अहंकारी व्यवहार सफलता का जीवन आधा कर देता है - अरविन्द सिसौदिया
इतिहास बताता है कि अहंकार के चलते रावण का विनाश हुआ, कंस मारा गया, कौरवों का समूल नाश हो गया । मगर फिर भी कुछ वंशवादी राजकुमार अहंकारी स्वभाव का उपयोग करनें से बाज नहीं आते।
भारत की राजनीति में जो भाषा अखिलेश यादव की है, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और संजय राउत की है, उसका लोकतंत्र में कतई स्थान नहीं है। न ही उस भाषा का कहीं भी स्वागत हो सकता है। जिस बदतमीजी को वे कर रहे हो, वही उनके साथ हो तो क्या अच्छा लगता, नहीं ना ! जो हमें अपने साथ होनें पर बुरा लगे उसे दूसरों के साथ कैसे किया जा सकता है।
भारत का जनमत मानवतावादी है, शिष्टतावादी है। वह कभी भी बदतमीजों का सम्मान नहीं करता है। बल्कि वोट के समय वह इस तरह के नेताओं को सबक सिखाता है। यही हो रहा है। आगे भी होगा ।
सच यह है कि पायजामें का नाडा उलझ जाये तो सुलझा नहीं सकते। मगर अहंकार में भाषा येशी बोलेंगे जैसे सौ भेंसों का मस्तक एक बार में उडा देंगे । यह भाषा गलत है ! जमीन पर रहो, जमीन पर चलो।
इन राजकुमारों से लाख गुणा अधिक सफल राजनेता नवीन पटनायक हैं। वे भी राजपुत्र हैं। उन्हे भी राजनीति एवं सफलता विरासत में मिली है। मगर कभी अहंकार का , बडबोलेपन का एक भी शब्द उनक मुंह से सुना ! यही है राजनीति का बडप्पन ! इसी की अपेक्षा सभी से की जाती है।
यूं भी इतिहास बताता है कि अहंकारी की सफलता आधी आयु की ही होती है, समय से पहले उसे परास्त करनें की व्यवस्था ईश्वर करता है। यह भी भारत की राजनीति में देखा जा रहा है, हो रहा है। फिर भी न संभलों तो ईश्वर की व्यवस्था अपना काम समय आनें पर करेगी।
शिवसेना का अहंकार देखिये, हिन्दुत्व में नारी सम्मान को अत्यंत ऊंचा दर्जा है। मगर इन्होनें कंगना और नवनीत राणा के साथ जो दुर्व्यवहार किया वो अत्यंत ही निकृष्ट कोटि का था। उसका किसी ने स्वागत नहीं किया है। इस हरकत ने ठाकरे एण्ड कंपनी के साथ साथ सम्पूर्ण शिवसेना को लज्जित किया ।
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