Agneepathभारत और भारतीय संस्कृति की रक्षार्थ " अग्निपथ " योजना अमृत के समान - अरविन्द सिसौदिया

 

भारत और भारतीय संस्कृति की रक्षार्थ " अग्निपथ " योजना अमृत के समान - अरविन्द सिसौदिया
"Agneepath" scheme is like nectar to protect India and Indian culture - Arvind Sisodia

   भारत के सिंध प्रांत के राजा दाहिर पर, सैन्य प्रशिक्षण युक्त मात्र 17 वर्षीय सेनापती मोहम्मद बिन कासिम ने आक्रमण किया, तब सिंध के राजा दाहिर ने तत्काल युवा नागरिकों से सेना में भर्ती होनें का आव्हान किया और युवाओं ने राष्ट्ररक्षा की कमान संभाली, किन्तु शस्त्र चलानें की निपूर्णता नहीं होनें के कारण एवं युद्ध रणनीति की जानकारी के अभाव में सिंधुपति हार गये और यहीं से ईस्लाम का भारत में हिंसक प्रवेश प्रारम्भ हुआ जो आज तक नासूर की तरह भारत भूमि को लहूलुहान किये हुये है। 

 कुछ छोटी मोटी बातों को छोड दिया जाये तो ईस्लाम का भारत विजय का लक्ष्य एवं उद्देश्य अभी भी यथावत है। इस सत्य को स्विकार करना ही होगा। इसलिये राष्ट्ररक्षक नागरिकों की बडी फौज आज नहीं तो कल भारत को अपने नागरिकों की खडी करनी ही पडेगी। इजराईल में इसी तरह के उपद्रवों एवं पडौस के 4-4 देशों से लोहा लेने के लिये युवाओं को अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण आवश्यक किया हुआ है। इसके बल पर वह लगातार चार चार दुश्मन देशों से लोहा ले रहा है। 

 भारत में जिस तरह की आराजकता को विदेशी फंडिग के बल पर उकसाया जा रहा है। उसको देखते हुये सिर छुपा कर भागने वाले नागरिको की बजाये, गिरेवान पकड कर उन्हे पराजित करने वाले नागरिकों की जरूरत है। इसीलिये अग्निपथ योजना समय की समसामयिक आवश्यकता है। में तो भारत सरकार की अग्निवीर योजना का स्वागत करता हूं।

जिस समय देश स्वतंत्रता की चौखट पर खडा था और मुस्लिम लीग सीधी कार्यवाही रूपी हिंसा का कहर ढहा रही थी और अंग्रेज मूक दर्शक बने हुये थे। कांग्रेस में शौर्य होता तो वे सीधी कार्यवाही के जबाव में खडे होते किन्तु वे शौर्यहीन थे, उनमे राष्ट्ररक्षा की उत्कंट इच्छाशक्ति का अभाव था।  इसी के चलते देश बंट गया। उपद्रवियों ने देश का विभाजन करवा लिया। कांग्रेस की अहिंसा का दर्शन धरा रह गया।

    महाराणा प्रताप जंगलों में रहते थे और मुगलों से युद्ध करते थे क्यों कि उनकी सेना में लगभग प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति अवश्य होता था। वियतनाम ने महाराणा प्रताप की युद्ध नीति को अपना कर लगातार संर्घष किया और अमेरिका को अपरोक्ष पराजित कर दिया।

भारत  ही नहीं विश्व के अनेकानेक देशों में नागरिकों को सैन्य प्रशिक्षण  की व्यवस्था है। जिसमें अमेरिका और रूस भी सम्मिलित हैं।

कारगिल युद्ध के पश्चात विश्लेषण में यह आया था कि भारतीय फौज में कम उम्र युवा होते तो पर्वत की चोटियों पर चढना और युद्ध करना कही आसान होगा। संभवतः संसदीय कमेटी की किसी बैठक में भी फौज में इस तरह की अल्पकालीन भर्ती का विषय आया हुआ था।

भारत में एन सी सी NCC कई दशकों से है जिसमें बन्दूक चलाना तक सिखाया  जाता है। भारत का नागरिक आपराधिक वृति का कभी नहीं रहा । कभी यह नहीं सुना कि एन सी सी के केडिट ने कोई अपराध किया है। इसी तरह भारत में कोई भी अग्निवीर कभी अपराध नहीं करेगा । इतना तो 100 प्रतिशत तय है।

भारत में सेना के मामले में राजनैतिक हस्तक्षेप न्यूनतम है। सेना ने बहुत सोच समझ कर ही इस योजना को लागू किया है। यह योजना अनिर्वाय भी नहीं है। फिर भी जिस तरह का विरोध देखनें को मिला वह युवाओं का तो नहीं था । यह राजनैतिक टूलकिट मात्र है । जिसमें राजनैतिक दल ही पीछे से बेकअप कर रहे है। जैसा कि किसान आन्दोलन के दौरान पंजाब और दिल्ली सरकार के संसाधनों से हुआ था। अब इसमें बिहार सरकार की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध नजर आ रही है।

भारत सरकार और उसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को यह अग्निपथ योजना बिना किसी दवाब के लागू करना चाहिये। पहली भर्ती में ही सबके मुंह देश के नौजवान बंद कर देंगे। 




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