शिवसेना की महाभारत : सब कुछ तहस नहस कर दिया

शिवसेना की महाभारत :  सब कुछ तहस नहस कर दिया

शिवसेना की महाभारत :  सब कुछ तहस नहस कर दिया


दुर्योधन , धृतराष्ट्र और शकुनि ने मिलकर के सब कुछ तहस नहस कर दिया। जो कृत्य शिवसेना सरकार नें किये और जो भाषा संजय राऊत नें बोली उसकी तो कल्पना भी कभी नहीं की जा सकती थी । अब सवाल यह नहीं है कि शिवसेना सरकार रहेगी या जायेगी। सवाल यह है कि जो प्रतिष्ठा बाला साहेब ठाकरे के कारण शिव सेना की थी। वह मिट्टी में मिल गई।

 महाराष्ट्र के जनमत ने तो कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस को ठुकराया था, जिन्हें विपक्ष में बैठना था , उनकी  बल्ले बल्ले हो गई, सत्ता की मलाई लूट रहे थे। जो जीता के लाये वे सामान्य से सम्मान को भी तरस गए।

कट्टर हिंदू , सो टक्का हिन्दू, अपने आपको कहने वाले बाला साहब ठाकरे ने जब शिवसेना को बनाया था । तब वह हिंदुओं की रक्षक संगठन था । उन दिनों बम्बई पर मुस्लिम तस्करों की गुंडागर्दी थी, जिसका रुतबा फ़िल्म और विज्ञापन इंड्रस्ट्रीज पर भी भारी था। तब उनसे टक्कर लेने और उनसे से हिंदुओं की रक्षा शिव सेना करती थी।

    किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि शिवसेना हिंदुत्व से किनारा कर के हिंदू विरोधी मानसिकता को संरक्षण दे देगी । हिंदुत्व से जुड़े अनेकों लोगों को अपमानित करने और जेल में डालने का काम करेगी। कंगना और नवनीत राणा पर शुद्ध अत्याचार किये गए।

हिंदुत्व के आधार पर शिवसेना से चुन कर आये सांसद, विधायक अपने आपको असहज महसूस कर रहे थे। शिवसैनिक कार्यकर्ताओं में भी आक्रोश बढ़ता ही जा रहा था ।

कुल मिला कर उन सभी के सामने अगला चुनाव जितनें की चिंता खड़ी हो गई थी , भविष्य अंधकार मय हो गया था।

उद्धव सरकार कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस की स्तुति में अपने ही सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधियों और कर्तकर्ताओं की भयंकर उपेक्षा कर रहे थे। 

इन परस्थिति में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस तो मजबूत हो रही थी पर शिवसेना खोखली हो रही थी । इसी के चलते ये विद्रोह हुआ ।

उसका संवर्धन करें महाराष्ट्र में शिवसेना के अधिकांश विधायक एवं सांसद अचानक इसी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के विरुद्ध विद्रोह का झंडा उठा कर के बागी होकर इस बगावत का मुख्य कारण विचारधारा से हटना और विरोधी विचारधारा के आगे शरणागत हो ना कि मुख्य कारण रहा ।

जब से उद्धव ठाकरे ने उनके पुत्र जी जिद और निर्णयों के आगे झुक कर चलना प्रारंभ किया तब से ही लग रहा था कि, शिव सेना समाप्ति की ओर चलदी है। महाराष्ट्र में गठबंधन तोड़ कर सरकार तो बन गई मगर विचारधारा की बलि चढ़ गई।

 सरकार के मुखिया बन कर जो मद आया, उसनें उनका स्वभाव , उनका व्यवहार के साथ-साथ भयानक अहंकार और अत्यंत ही गैर जिम्मेवार उपेक्षा का वातावरण उतपन्न कर दिया। 

 नेतृत्व कर्ता उद्धव एंड कंपनी महाभारत के धृतराष्ट्र, दुर्योधन और शकुनि की भूमिका में  सामने आई , और इसी का नतीजा इस भयानक विद्रोह के रूप में सामनें आया ।

 उसके लिए नाम लिखने की जरूरत नहीं है सब जानते हैं कि महाभारत का असली खलनायक कौन था । शिवसेना का पथ भ्रष्ट होना ही वह कारण है जिसने असली शिव सैनिकों को अलग से दल बनाने के लिए मजबूर कर दिया।

शिवसैनिकों की पीड़ा इस पत्र से उजागर होती है ...

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शिवसेना के बागी विधायक की चिट्ठी, लिखा- हमारा फोन तक नहीं उठाते सीएम के एजेंट, आदित्य अयोध्या गए पर हमें रोका गया

बुधवार को उद्धव ठाकरे द्वारा की गई भावनात्मक अपील पर उन्होंने कहा कि मैं इसपर कुछ नहीं कहना चाहता। विधायकों के साथ चर्चा करने के बाद ही कुछ बोल सकूंगा।


शिवसेना के बागी विधायकों ने उद्धव ठाकरे को लेकर पत्र में कई अहम बातें कही हैं 

महाराष्ट्र में जारी सियासी संग्राम के बीच शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने एक चिट्ठी के जरिए उद्धव ठाकरे के सामने बागी विधायकों की कई अहम बातें रखी हैं। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के एक बागी विधायक का पत्र शेयर भी किया है। जिसमें लिखा है, "राज्य में शिवसेना का मुख्यमंत्री होने के बावजूद पार्टी के विधायकों को मुख्यमंत्री आवास(वर्षा बंगला) जाने का मौका नहीं मिलता। सीएम के आसपास मौजूद लोग तय करते थे कि शिवसेना विधायक उनसे मिल सकते हैं या नहीं। हमें अपमानित किया गया।"

पत्र में लिखा है कि सीएम कभी सचिवालय में नहीं होते थे, बल्कि मातोश्री (ठाकरे पारिवारिक निवास) में रहते थे। हम सीएम के आस-पास के लोगों को फोन करते लेकिन वे कभी हमारे कॉल्स नहीं उठाते थे। हम इन सब बातों से तंग आ चुके थे। इसके बाद ही एकनाथ शिंदे को यह कदम उठाने के लिए राजी किया।

आगे लिखा है, "जब हम सीएम से नहीं मिल पाए, लेकिन 'असली विपक्ष' कांग्रेस और एनसीपी के लोगों को उनसे मिलने का मौका मिलता था और यहां तक कि उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्रों में काम के लिए फंड भी दिया जाता था।" शिव सेना के विधायक द्वारा लिखे गये पत्र में कहा गया है कि जब हिंदुत्व और राम मंदिर पार्टी के लिए अहम मुद्दे हैं तो पार्टी ने हमें अयोध्या जाने से क्यों रोका। आदित्य ठाकरे की अयोध्या यात्रा के दौरान विधायकों को बुलाया गया और अयोध्या जाने से रोक दिया गया।

वहीं एकनाथ शिंदे ने एक एक निजी न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे की अपील पर विधायकों से बात करेंगे। शिंदे ने हिंदी न्यूज चैनल न्यूज24 से फोन पर बात करते हुए कहा, "अभी हमारे पास शिवसेना और निर्दलीय विधायकों को मिलाकर 50 से अधिक MLA का सपोर्ट है। इसमें शिवसेना के 40 से अधिक विधायक हैं।" अगले कदम के सवाल पर शिंदे ने कहा, "विधायकों के साथ हमारी एक बैठक होगी, उसके बाद आगे की रणनीति तय होगी।"भाजपा में शामिल होने के बाद महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने की शर्त पर एकनाथ शिंदे ने कहा कि इस तरह की हमारी किसी से भी कोई बात नहीं हुई है। हमारे विधायकों के साथ मीटिंग के बाद ही हम कोई फैसला लेंगे। हमारे सामने किसी ने कोई शर्त भी नहीं रखी है।बुधवार को उद्धव ठाकरे द्वारा की गई भावनात्मक अपील पर उन्होंने कहा कि मैं इसपर कुछ नहीं कहना चाहता। विधायकों के साथ चर्चा करने के बाद ही कुछ बोल सकूंगा। वहीं एकनाथ शिंदे को विधायकों के अलावा शिवसेना के सांसदों का भी समर्थन मिल रहा है। इसपर शिंदे ने कहा कि मैं 16-17 साल की उम्र से ही शिव सैनिक हूं। मैं कैसे काम करता हूं ये पूरा महाराष्ट्र जानता है। जिसको लग रहा है कि शिंदे ने अच्छा फैसला लिया है वो हमसे जुड़ रहा है।शिंदे ने कहा कि मुझे कई फोन आ रहे हैं कि आपने जो फैसला लिया है वो शिवसैनिकों के हित का है। हमारे जो विधायक, कार्यकर्ता हैं, जो पिछले ढाई साल से तकलीफ में है, उन्हें लगता है कि शिंदे ने ठीक फैसला लिया है, तो उनका स्वागत है। लेकिन मैं किसी के बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगा।संजय राउत द्वारा संघर्ष जारी रहने की बात पर एकनाथ शिंदे ने कहा कि संजय राउत जी हमारे नेता हैं, उनका जो फैसला है, वहीं ले सकते हैं, इस पर मैं क्या बोल सकता हूं। शिंदे ने कहा कि हम बाला साहेब के सैनिक हैं, उनके विचारों से हमने कभी समझौता नहीं किया। हमारी मांग भी यही है कि बाला साहेब की हिंदुत्व वाली शिवसेना से कभी समझौता नहीं होना चाहिए

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