ये हिन्दुत्व ही है , जहाँ वनवासी की पुत्री राष्ट्रपति बनेंगी

 

  चित्र :– महामहिम राष्ट्रपति प्रत्याशी "द्रौपदी मुर्मू" जी  ने सुबह सुबह शिव मन्दिर में सेवा दी फिर पूजा करकें दिन का प्रारम्भ किया। ( आज दिनांक 22 जून 2022 प्रातः काल )


ये हिन्दुत्व ही है 
जहाँ डाकू ऋषि बने,
जहाँ सम्राट संन्यासी बने,
जहाँ वनवासी सम्राट बने,
जहाँ नारियाँ योद्धा बनीं,
जहाँ बालक तपस्वी बने,
जहाँ गर्भ में ब्रह्मज्ञान मिला,
जहाँ पृथ्वी दान में दे दी गयी,
महासागरों पर सड़कें बनी,
वृद्धों ने मृत्यु स्वयं चुनी,
पितृतर्पण को आकाश से नदियाँ उतरीं,
ऋषियों से सम्पूर्ण मानव वंश चले,
समुद्र को पी लिया गया गया,
अपने हाथ काटके पक्षी को खिला दिए गए,
जहाँ पक्षियों का श्राद्ध किया गया,
परोपकार के लिए स्वयं का बलिदान दिया गया,
परोपकार के लिए संसार का संहार किया गया,
पर्वत, नदी, पशु, वृक्ष पूजे गए,
जहाँ भगवान् मनुष्य रूप में जन्मे,
जहाँ के पत्थर विग्रह कहलाए,
वीरों के धड़ बिना मस्तक लड़े,
जहाँ की खड्ग ने पृथ्वी पर एकराट् शासन किया,
सूर्य की केसर आभा जिसका ध्वज बनी,

यही सनातनी परम्परा है
जहाँ वनवासी की पुत्री राष्ट्रपति बनेंगी

जय श्री राम ! 🙏🙏
 
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आदर्श  
    द्रौपदी मुर्मू जी; 

पति और दो बेटों के निधन के बाद पढ़ाई करना। वह भी अपने बच्चों के उम्र के साथ के लोगों के बीच में बैठकर परीक्षाएं पास करते-करते ग्रेजुएट होना। सरकारी नौकरी प्राप्त करना।

दो बेटों और पति का निधन के बाद खुद और बेटियों तथा परिवार को संभालना।
उसके बाद छोटी नौकरी से शुरुआत करते हुए परीक्षा देते देते क्लास टू की पोस्ट तक जाना।

फिर राजनीति में आना विधायक बनना। उड़ीसा में मंत्री बनना फिर केंद्र में मंत्री बनना,राज्यपाल बनना।

हम अनुगामी उन पावों के,
आदर्श लिए जो बड़े चले... 
बाधाएं जिन्हें डिगा न सकी, 
जो संघर्षों में डटे रहे !

द्रौपदी मुर्मू जी पंचायत सदस्य, पार्षद से विधायक फिर मंत्री और राज्यपाल रह चुकी हैं..राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव है..सामान्य परिवेश से संघर्ष कर आगे बढ़ी हैं उसका भी अनुभव है..कभी विवादों में नही रही..उनका जन्म उस संथाल वनवासी समुदाय में हुआ जिनका देश के आजादी में अहम योगदान रहा है..ऐसा समुदाय जिसे आज तक उचित प्रतिनिधित्व नही मिला..कर्ज उतारने का समय है ..ऐसे वनवासी संथाल की बेटी आज देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने जा रही है स्वागत करिये। 

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*1. वो बेटी, जो एक बड़ी उम्र तक घर के बाहर शौच जाने के लिए अभिशप्त थी.. अब वो भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही है।*

*2. वो लड़की, जो पढ़ना सिर्फ इसलिए चाहती थी कि परिवार के लिए रोटी कमा सके.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही है।*

*3. वो महिला, जो बिना वेतन के शिक्षक के तौर पर काम कर रही थी.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही है।*

*4. वो महिला, जिसे जब ये लगा कि पढ़ने-लिखने के बाद आदिवासी महिलाएं उससे थोड़ा दूर हो गई हैं तो वो खुद सबके घर जा कर 'खाने को दे' कह के बैठने लगीं.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही हैं।*

*5. वो महिला, जिसने अपने पति और दो बेटों की मौत के दर्द को झेला और आखिरी बेटे के मौत के बाद तो ऐसे डिप्रेशन में गईं कि लोग कहने लगे कि अब ये नहीं बच पाएंगी.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही हैं।*

*6. जिस गाँव में कहा जाता था राजनीति बहुत खराब चीज है और महिलाएं को तो इससे बहुत दूर रहना चाहिए, उसी गाँव की महिला अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही है।*

*7. वो महिला, जिन्होंने अपना पहला काउंसिल का चुनाव जीतने के बाद जीत का इतना ईमानदार कारण बताया कि 'वो क्लास में अपना सब्जेक्ट ऐसा पढ़ाती थीं कि बच्चों को उस सब्जेक्ट में किसी दूसरे से ट्यूशन लेने की जरूरत ही नहीं पडती थी और उनके 70 नम्बर तक आते थे इसीलिए क्षेत्र के सारे लोग और सभी अभिवावक उन्हें बहुत लगाव करते थे'.. वो महिला अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही है।*

*8. वो महिला, जो अपनी बातों में मासूमियत को जिन्दा रखते हुए अपनी सबसे बड़ी सफलता इस बात को माना कि 'राजनीति में आने के बाद मुझे वो औरतें भी पहचानने लगी जो पहले नहीं पहचानती थी'.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही हैं।*

*9. वो महिला, जो 2009 में चुनाव हारने के बाद अपनी असफलता की जड़ को तलाशने फिर से गाँव में जा कर रहने लगी और जब वापस लौटी तो अपनी आँखों को दान करने की घोषणा की.. वो अब भारत की 'राष्ट्रपति' बनने जा रही हैं।*

*10. वो महिला, जो ये मानती हैं कि 'Life is not bed of roses. जीवन कठिनाइयों के बीच ही रहेगा, हमें ही आगे बढ़ना होगा। कोई push करके कभी हमें आगे नहीं बढ़ा पायेगा'.. वो अब भारत की #राष्ट्रपति बनने जा रही हैं।*

*दशकों-दशक से ठीक कपड़ों और खाने तक से दूर रहने वाले समुदाय को देश के सबसे बड़े 'भवन' तक पहुँचा कर भारत ने विश्व को फिर से दिखा दिया है कि यहाँ रंग, जाति, भाषा, वेष, धर्म, संप्रदाय का कोई भेद नहीं चलता।*

*जिनके प्रयासों से उनके गाँव से जुड़े अधिकतर गाँवों में आज लड़कियों के स्कूल जाने का प्रतिशत लड़कों से ज्यादा हो गया है, ऐसी #द्रौपदी मुर्मू जी का हार्दिक स्वागत है*

*'राष्ट्रपति भवन' अब वास्तविकता में 'कनक भवन' बन रहा है*
 

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