Teesta Javed Setalvad arrested तीस्ता जावेद सीतलवाड़ हुई गिरफ्तार

 - अरविन्द सिसौदिया
हमारे देश का सबसे बडा दुर्भाग्य यह है कि कुछ कानून के जानकार बडी आसानी से सच को धोका दे लेते है। झूठ का स्थापित कर देते है। जिस कोर्ट तक गरीब भारतीय को पहुंचनें में दो जन्म लेनें पडते हैं, वहां ये लोग जब चाहें तब पहुंच जाते है। सजायाफता आतंकवादी के लिये आधीरात को सर्वोच्च न्यायालय खुलवा लेते हैं। उसी तरह के लोगों में तीस्ता जावेद सीतलवाड भी है। नरेन्द्र मोदी प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी आरोपों का निरस्त करते हुये । तीस्ता सीतलवाड की जांच होना चाहिये, इस तरह की मंशा व्यक्त की है। इसी क्रम में उन्हे गिरफतार किया गया है। इस तरह के लोगों की कई गेंगस् है। वकील भी तय सुदा रहते है। इस हेतु भारी रकम की व्यवस्था भी होती है। कागज भी तैयार रहते है। इनके षडयंत्रों के विरूद्ध ठोस निर्णय सर्वोच्च न्यायालय को ही लेना होगा कि न्याय प्रक्रिया को बाईपास न कर, कानून के रास्ते का ही इस्तेमाल हो और जो छल का उपयोग करता है। उस अधिवक्ता को भी मुजरिम माना जाना चाहिये । ताकि सर्वाच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों का समय कोई बर्वाव न कर सके, कोई भी मानसिक यंत्रणा न दे सके। लगभग दो दसक नरेन्द्र मोदी जी पर झूठे आरोप तलवार बन कर लटके रहे । कितनी बडी मानसिक यंत्रणा थी यह ।

तीस्ता जावेद सीतलवाड को समझनें के लिये कुछ मीडिया रिपोर्टस संलग्न है। जिसने उनके आचार विचार एवं व्यवहार का पता चलता है।

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 एक्टिविस्ट तीस्ता जावेद सीतलवाड़ को गुजरात ATS ने किया गिरफ्तार, अमित शाह ने उठाए थे सवाल
June 25, 2022
अहमदाबाद. गुजरात एटीएस (Gujarat Riots) की टीम शनिवार को एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) के घर पहुंची। टीम ने उन्हें हिरासत में ले लिया है और गुजरात एटीएस टीम के साथ स्थानीय पुलिस की टीम सांताक्रूज थाने लेकर आई है। टीम ने जब तीस्ता को जीप में बिठाने की कोशिश की, तो उनके कार्यालय के कर्मचारियों और समर्थकों की जांच टीम से बहस हो गई।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ कार्रवाई आईपीसी की धारा 468 के तहत की गई है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणीयिों के बाद कार्यकर्ता को हिरासत में लिया गया है। गुजरात एटीएस ने शनिवार को तीस्ता सीतलवाड़ को उनके एनजीओ से जुड़े एक विदेशी फंड मामले में उनके घर से हिरासत में लिया।

तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ने पुलिस को 2002 के दंगों के बारे में जानकारी दी थी और उसके नाम का उल्लेख सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले में किया गया है। जिसने नरेंद्र मोदी को एसआईटी की क्लीन चिट को बरकरार रखा। गुजरात एटीएस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा शनिवार को गुजरात दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से याचिका खारिज के फैसले पर समाचार एजेंसी एएनआई को इंटरव्यू के दौरान तीस्ता सीतलवाड़ की आलोचना करने के कुछ घंटों कार्रवाई की। शाह ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि उनके एनजीओ ने गुजरात दंगों के बारे में आधारहीन जानकारी दी थी।

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सीतलवाड़ पर आगे की जांच का आह्वान किया और कहा था कि किसके इशारे पर सीतलवाड़ ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ 16 साल तक अभियान चलाया। अब पुलिस इस मामले में पूछताछ करेगी। 2002 के दंगों (gujarat riots 2002) के मामले में तत्कालीन राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
 

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नरेंद्र मोदी को ‘निपटाने’ की सुपारी लेने वाली तीस्ता जावेद सीतलवाड़ हुई गिरफ्तार
 आज तीस्ता सीतलवाड़ को मुम्बई स्थित उनके घर से गुजरात एटीएस ने गिरफ्तार कर लिया है। तीस्ता पर आरोप है कि उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों के बारे में बेबुनियाद आरोप गढ़कर तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी

 WEB DESK  Jun 25, 2022, in भारत, महाराष्ट्र 

 - साभार  Panchjanya

 
Panchjanya 

 

 कल ही सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात दंगों के संबंध में मनगढ़ंत कहानियां गढ़ने में तीस्ता सीतलवाड़ की भूमिका को लेकर गहन छानबीन करने की बात कही थी और आज उसका असर भी दिख गया। गुजरात एटीएस ने उन्हें मुम्बई में गिरफ्तार कर लिया है। ऐसे तो कई बार तीस्ता की गिरफ्तारी की संभावना बनी थी, लेकिन आज पहली बार उन्हें गिरफ्तार किया गया है। तीस्ता के विरुद्ध अनेक आरोप हैं।

गुजरात सरकार ने जाकिया जाफरी की याचिका पर बहस के दौरान उच्चतम न्यायालय में दावा किया था कि दो दशक से राज्य को बदनाम करने के लिए तीस्ता सीतलवाड़ ने एक बड़ी साजिश ‘‘रची’’ है। वहीं गुजरात दंगों की जांच करने वाली एसआईटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत में तर्क दिया था कि सीतलवाड़ पर दंगों के दौरान एक बड़ी साजिश के आरोप सामने आ रहे हैं। बता दें कि जाकिया द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में सीतलवाड़ याचिकाकर्ता नंबर दो थीं। सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता नंबर दो (तीस्ता सीतलवाड़) द्वारा लगभग 20 वर्ष से एक पूरे राज्य को बदनाम करने के लिए एक बड़ी साजिश रची गई है।

मोदी विरोधी गैंग की आंखों का तारा रही तीस्ता कभी सर्वोच्च न्यायालय से नीचे बात नहीं करती थीं। प्रधानमंत्री कार्यालय की फोन लाइन उनके लिए हमेशा खुली रहती थी। कांग्रेस के कार्यकाल में देश के गृहमंत्री से यूं बात करती थीं, मानो पड़ोसन से बात कर रही हों। अब वह अपना बोया काट रही हैं। शाहीन बाग धरने में मैडम नजर आईं, हमेशा की तरह विवादास्पद बयान भी दिया। गुजरात दंगों की आंच पर रोटी सेंककर तीस्ता ने खूब पैसा बटोरा। वह जिस कोने से चाहती थीं, पैसा आता था। इसलिए कि वह तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ठिकाने लगा देने का दावा करती थीं। कांग्रेस, जिहादियों, माओवादियों ने गुजरात दंगे पर मोदी की कानूनी घेराबंदी की सुपारी तीस्ता को ही दे रखी थी। लेकिन तीस्ता अपने बुने जाल में उलझती चली गईं। नवंबर 2010 में बेस्ट बेकरी केस की अहम गवाह जाहिरा शेख पर झूठा बयान देने का दबाव बनाने का आरोप लगा। तीस्ता के खास लेफ्टिनेंट रहे रईस पठान ने ही सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल करके पोल खोल दी। रईस खान पठान ने आरोप लगाया कि गुजरात दंगे के पांच संवेदनशील मामलों में तीस्ता ने सुबूतों के साथ छेड़खानी की और गवाहों के फर्जी बयान तैयार किए। अप्रैल, 2009 में गुजरात दंगे की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराया कि तीस्ता ने हिंसा की घटनाओं को फर्जी तरीके से ज्यादा से ज्यादा संगीन बनाने की कोशिश की है। पूर्व सीबीआई निदेशक राघवन की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने कहा कि तीस्ता और अन्य एनजीओ ने हिंसा की मनगढंत घटनाएं रचने के लिए फर्जी और पढ़ाए गए गवाह तैयार किए। तीस्ता की दीदा-दिलेरी देखिए। उन्होंने 22 फर्जी गवाहों की फौज तैयार की। इनसे लगभग एक जैसे हलफनामे अलग-अलग अदालतों में दाखिल कराए। एसआईटी ने पूछताछ की, तो पता चला कि इन गवाहों ने कोई भी ऐसी घटना नहीं देखी। उन्हें तोते की तरह रटाया गया था। पहले से तैयार किए गए हलफनामों पर तीस्ता ने ही उनके हस्ताक्षर कराए थे। तीस्ता और ‘एक्टिविस्ट गैंग’ ने दुनिया भर में गुजरात सरकार की दानवों जैसी छवि बनाने के लिए कौसर बानो मामले को बहुत उछाला था। कांग्रेस, वामपंथी, जिहादी इस मामले को सिर पर उठाए घूमे। तीस्ता का दावा था कि कौसर जहां गर्भवती थी, उसका सामूहिक बलात्कार किया गया। उसका पेट चीरकर भ्रूण निकाल लिया। मामले की निगरानी कर रही सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने माना कि ऐसा कोई मामला हुआ ही नहीं था।

अब इन पापों के कारण ही तीस्ता को जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

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गुजरात पुलिस ने कहा- तीस्‍ता सीतलवाड़ और उनके पति ने 9.75 करोड़ में से 3.85 करोड़ रुपये निजी काम के लिए खर्च किए

गुलबर्ग सोसाइटी में रहने वाले गुजरात दंगा पीडि़तों ने ही तीस्ता व उनके पति जावेद आनंद के खिलाफ शिकायत की थी।

Written by जनसत्ता ऑनलाइन
Updated: December 2, 2016
गुजरात पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दावा किया है कि उसे सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति के खिलाफ सबूत इकट्ठे किए हैं। गुजरात पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उनके पास ऐसे सबूत हैं जिनसे पता लगता है है कि तीस्ता और उनके पति ने गुजरात दंगे के पीड़ित लोगों की मदद के लिए एकत्र किए 9.75 करोड़ रुपए में से 3.85 करोड़ रुपए अपने निजी काम के लिए इस्तेमाल कर लिए थे। गौरतलब है कि गुलबर्ग सोसाइटी में रहने वाले गुजरात दंगा पीडि़तों ने ही तीस्ता व उनके पति जावेद आनंद के खिलाफ शिकायत की थी। कहा गया था कि दोनों लोगों ने जैसी मदद करने का वादा किया था वह नहीं की।

अपने 83 पन्ने के एफिडेविट में एसीपी राहुल बी पटेल ने तीस्ता सीतलवाड़ व उनके पति जावेद आनंद और उनके ट्रस्‍ट सेंटर फॉर जस्टिस एंड पीस( सीजेपी) व सबरंग से जुड़ी डिटेल दी हैं। गौरतलब है कि गुजरात हाई कोर्ट ने दोनों की अग्रिम जमानत को ठुकरा दिया था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी लेकिन उनसे जांच में जरूरी दस्‍तावेजों को जमा कराने को कहा था।

तीस्‍ता और उनके पति ने सुप्रीम कोर्ट के साथ ही राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी अर्जी लगाई थी। इसमें शिकायत की गई कि गुजरात पुलिस ने उन्‍हें परेशान करने और उनकी छवि को खराब करने के लिए जांच शुरू की। गुजरात पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उसने सीजेपी, सबरंग, तीस्‍ता सीतलवाड़ा और जावेद आनंद के 2007 से 2014 तक के बैंक खातों की जांच की है। इस अवधि में दोनों एनजीओ को 9.75 करोड़ रुपये मिले। आरोप लगाया है कि इस रकम में से 3.85 करोड़ रुपये व्‍यक्तिगत खर्च के इस्‍तेमाल किए गए। पुलिस के अनुसार यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया मुंबई के दो खाते जो एक जनवरी 2001 को खोले गए थे उनमें 31 दिसंबर 2002 तक एक भी रुपया नहीं था। जनवरी 2003 से दिसंबर 2013 में इसमें आनंद ने 96.43 और सीतलवाड़ ने 1.53 करोड़ रुपये डाले।

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