संदेश

हिन्दुत्व लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दुष्टता का दमन और धर्म की सुरक्षा ही हिन्दुत्व का प्रथम कर्त्तव्य - अरविन्द सिसौदिया

चित्र
      दुष्टता का दमन और धर्म की सुरक्षा ही हिन्दुत्व का प्रथम कर्त्तव्य - अरविन्द सिसौदिया Suppression of wickedness and protection of Dharma / religion is the first duty of Hindutva - Arvind Sisodia भारत यानि कि हिन्दुस्तान अर्थात हिन्दुओं का स्थान। यहां हिन्दू संस्कृति जन्मी,पुष्पित - पल्लवित हुई जो कि अनादिकाल से यात्रारत सभ्यता सनातन संस्कृित भी कहलाती है। Bharat means Hindustan means the place of Hindus. Here Hindu culture was born, flourished and flourished, which is also called Sanatan Sanskriti, a civilization traveling since time immemorial. भारतीय संस्कृति का प्रथम कर्त्तव्य ही दुष्टता का दमन है। भारतीय संस्कृति स्पष्टता से पापियों के संहार की आज्ञा देती है। भारतीय संस्कृति मानवता के शुत्रुओं के विनाश का लक्ष्य निर्धारत करती है। The first duty of Indian culture is the suppression of evil. Indian culture clearly commands the extermination of sinners. Indian culture sets the goal of destroying the enemies of humanity. भारतीय संस्कृति के लगभग प्रत्येक देव ने अपने ज...

शिवसेना,संविधान छोड,सड़क पर ! यही तो लोकतंत्र का अपमान है - अरविन्द सिसौदिया shivsena

चित्र
  शिवसेना,संविधान छोड,सड़क पर ! यही तो लोकतंत्र का अपमान है - अरविन्द सिसौदिया  शिवसेना पर बहूमत है तो फलोर टेस्ट की बात क्यों नहीं करते ? शरद पंवार तो चाहते ही यही है कि शिवसेना समाप्त हो, उनका विकास हो। ---- अन्ततः वही हुआ जिसका इंतजार था। शिवसेना के विधायक एवं सांसद तो पार्टी से नाराज होकर कोप भवन में बैठें है। उन्हे मनाने और पार्टी को संभालनें के बजाये। अपने ही विधायकों एवं सांसदों के खिलाफ शिवसेना नेतृत्व सडकों पर निबंट लेने की धमकी पर आ गया है। तोड फोड प्रारम्भ होनें वाली है। घरों पर आक्रमण होंगे । शिवसेना का यह स्वरूप पत्थरबाजों से ही मिलता माना जायेगा। लोकतंत्र में नम्बर गेम चलता है। आज तक की स्थिती में शिवसेना के हाथ से विधानसभा निकल चुकी है। उनके अधिकांश विधायक उन्हे छोड गये हैं। जिस तरह एन टी रामाराव को छोड चन्द्रबाबू नायडू को नेता चुना गया था, लगभग वही महाराष्ट्र में होनें जा रहा है। वहीं असली शिवसैनिक भी हिन्दुत्व छोड कर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस की गुलामी कर ही नहीं सकता। आधी शताब्दी की संर्घष यात्रा , विचारधारा के विपरीत कैसे परिवर्तित हो सकती है। हनुमान च...

ये हिन्दुत्व ही है , जहाँ वनवासी की पुत्री राष्ट्रपति बनेंगी

चित्र
    चित्र :– महामहिम राष्ट्रपति प्रत्याशी "द्रौपदी मुर्मू" जी  ने सुबह सुबह शिव मन्दिर में सेवा दी फिर पूजा करकें दिन का प्रारम्भ किया। ( आज दिनांक 22 जून 2022 प्रातः काल ) ये हिन्दुत्व ही है  जहाँ डाकू ऋषि बने, जहाँ सम्राट संन्यासी बने, जहाँ वनवासी सम्राट बने, जहाँ नारियाँ योद्धा बनीं, जहाँ बालक तपस्वी बने, जहाँ गर्भ में ब्रह्मज्ञान मिला, जहाँ पृथ्वी दान में दे दी गयी, महासागरों पर सड़कें बनी, वृद्धों ने मृत्यु स्वयं चुनी, पितृतर्पण को आकाश से नदियाँ उतरीं, ऋषियों से सम्पूर्ण मानव वंश चले, समुद्र को पी लिया गया गया, अपने हाथ काटके पक्षी को खिला दिए गए, जहाँ पक्षियों का श्राद्ध किया गया, परोपकार के लिए स्वयं का बलिदान दिया गया, परोपकार के लिए संसार का संहार किया गया, पर्वत, नदी, पशु, वृक्ष पूजे गए, जहाँ भगवान् मनुष्य रूप में जन्मे, जहाँ के पत्थर विग्रह कहलाए, वीरों के धड़ बिना मस्तक लड़े, जहाँ की खड्ग ने पृथ्वी पर एकराट् शासन किया, सूर्य की केसर आभा जिसका ध्वज बनी, यही सनातनी परम्परा है जहाँ वनवासी की पुत्री राष्ट्रपति बनेंगी जय श्री राम ! 🙏🙏   ---- आदर्श...

सावधान : हिन्दुत्व के विरूद्ध अन्तर्राष्ट्रीय षडयंत्रों को गंभीरता से लेना होगा - अरविन्द सिसौदिया

चित्र
     हाल ही में हिन्दुत्व को समाप्त करने की योजना पर काम करने वाली मानसिकता के लोगों ने अमेरिका में ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ के नाम से वर्चअल सम्मेलन किया है। यह सम्मेलन प्रतिष्ठित हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, प्रिंसटन, कोलंबिया, बर्कले, शिकागो, पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी  समेत 50 से ज्यादा विश्वविद्यालयों ने मिलकर प्रायोजित की है। सम्मेलन के शीर्ष्रक से प्रगट  हो रहा है कि सम्मेलन डिसमेंटल्रिग जैसे घ्रणित एवं कुत्सित शब्द के विचारों की मानसिकता से ग्रसित था । आयोजकों का कहना तो यह है कि उनका उद्देश्य “लिंग, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, जाति, धर्म, स्वास्थ्य और मीडिया में विशेषज्ञता रखने वाले दक्षिण एशिया के विद्वानों को एक मंच मुहैया कराना है और उनके नजरिए से हिंदुवादी विचारधार को समझना है। इससे आगे उनका यह भी कहना है कि वे आगे भी इस तरह के कार्यक्रम जारी रखेंगें।         मूलतः जो समझ में आ रहा है वह यह तथ्य है कि यह आयोजक किसी बडे अर्न्तराष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत काम कर रहे है। इनके पीछे बडी ताकतें है। विश्विद्यालय सामान्यतौ...

हिन्दुत्व : धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो !

चित्र
हिन्दुत्व धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों मे सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो ! प्रस्तुतकर्ता सूबेदार जी पटना http://dirghatama.blogspot.in/2015/03/blog-post_29.html             भारतीय संस्कृति के प्रखर उपासक महान विद्वान स्वामी करपात्री  जी महराज को कौन नहीं जनता, उनकी लौकिक पढ़ाई बहुत कम थी उन्होने गंगा जी की परिक्रमा की और वे वेद, वेदांग, उपनिषद और पुराणों के महान ज्ञाता बनकर आ गए वे भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं धर्म संघ स्थापना कर धर्म प्रचार मे लग गए, एक बार मध्य प्रदेश के एक गाँव मे प्रवास पर थे प्रवचन के पश्चात वे जो जय घोष लगाते वह संस्कृत मे होता था एक छोटी सी बालिका आई और करपात्री जी से कहा स्वामी जी यदि आप इस जय घोष को हिन्दी मे कहते तो हमारी भी समझ मे आता, करपात्री जी को यह बात ध्यान मे आ गयी और उन्होने उसी उद्घोष को हिन्दी मे कहा ''धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों मे सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो'' आज यह जय घोष भारतीय संस्कृति का उद्घोष बन गया । धर्म की जय हो -----------------!       भार...

डॉ. राधाकृष्णन : ”जिओ और जीने दो“ ही हिन्दुत्व

चित्र
भारत के पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन, भारतीय संस्कृति के मुखर प्रवक्ता रहे है। उन्होन हिन्दुत्व की आलोचना करने वालों को सप्रमाण प्रखरता से जबाव दिये है। वे अत्यंत विद्वान एवं गहन अध्ययनशील व्यक्तित्व के धनी थे। उनके विचारों को अवश्य पढ़ना चाहिये। डॉ.राधाकृष्णन: संविधान सभा     संविधान सभा की एक महान शख्सियत डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने हिन्दुत्व के व्यवहार को स्पष्ट करते हुए कुछ इस प्रकार से कहा “भारत एक स्वर लहरी के समान है, एक आस्चेस्ट्रा के समान है, जिसमें भिन्न- भिन्न वाद्य यंत्र, भिन्न- भिन्न स्वर, अपनी-अपनी मधुर ध्वनी और मिठास के साथ, एक ही चीज अदा कर रहे हैं। इसी तरह के सामंज्स्य या ऐक्य देश अरसे से चाहता है। दूसरे क्या करते हैं क्या नहीं, इसे किसी तरह जानने की उसने कभी कोशिश नहीं की।        पारसी,यहूदी,ईसाई, मुसलमान जो यहां शरण लेने आए,उनसे इसने यह कभी नहीं कहा कि वे इसका धर्म मानलें या हिन्दुओं में मिल जायें। ”जिओ और जीने दो“ यही हमेशा इस देश की भावना रही है। यदि हम सच्चाई से इस भावना पर स्थिर हैं,यदि हम उस आदर्श...