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भगवान कृष्ण कहते है Lord Krishna says

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- अरविन्द सीसोदिया कृष्ण कहता आज है, गीता मेरी आवाज है, इस राह पर चलो तुम, विजय तुम्हारे  साथ है !! - Arvind Sisodia Krishna says today, Geeta is my voice, Follow this path, victory is with you!!     यह एक निर्विवाद सत्य है कि ईश्वर के अवतार धर्म की स्थापना के लिए; उद्धार  के लिए या पुर्न उत्थान   के लिए होता है ...! ५२ सौ  वर्ष पूर्व जिस तरह अधर्म , अनैतिकता और आलस्य व्याप्त था और त्राही  - त्राही  जगत में हो रही थी ! वही स्थिति वर्तमान में है..! तब  जो क्षत्रिय  के गुण-धर्म भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सिखाये थे ,वे हम भूल चुके हैं , ईश्वर कहता है कर्म करो ; कर्तव्य का पालन करो , ईश्वर कहता है , हर पल युध्य है संघर्ष करो , विजय प्राप्त करो , अन्याय करना अधर्म है ; उससे बड़ा अधर्म अन्याय सहना भी है; अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करो....!  हम कृष्ण निति  भूल गए...., हम भूल गए कि अन्याय, अत्याचार और अधर्म का प्रवल विरोध करना  धर्म है , इसे  सहना अधर्म है..!! हमारे हर अवत...

भगवान श्रीकृष्ण जैसा पुरूषार्थ पूर्ण जीवन का प्रण लें - अरविन्द सिसौदिया

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      भगवान श्रीकृष्ण जैसा पुरूषार्थ पूर्ण जीवन का संकल्प लें - अरविन्द सिसौदिया   भगवान श्रीकृष्ण की ही तरह पुरूषार्थ पूर्ण जीवन का संकल्प लें - अरविन्द सिसौदिया आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हम सभी को एक प्रण लेना चाहिये कि “ हम अपने धर्म, संस्कृति, सभ्यता की रक्षा के लिये भगवान श्रीकृष्ण जी की ही तरह पूर्ण पुरूषार्थ करेगें। हमारे लिये देशधर्म की रक्षा ही सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय होगा। हम सभी को अपने जीवन से भी ज्यादा,महत्वपूर्ण हमारी मातृभूमि का अनन्त - अनन्त काल तक चलने वाला जीवन हे। हम अपने कर्म, व्यवहार एवं जीवन शैली से भारत माता को  अक्क्षुण्य बनाये रखने के लिये , मातृभूमि की एक वीर संतान की भांती समस्त कर्त्तव्यों को पूरा करेंगे । हम भगवत गीता को सिर्फ पढ़ेंगे नहीं अपितु अपने जीवन में उतारेंगे। भगवान श्रीकृष्ण के शौर्यपूर्ण जीवन की ही तरह अपना जीवन भी शौर्य से परिपूर्ण बनायेंगे। बिना किसी से डरे, भय मुक्त हो कर मातृभूमि के लिये अपने आप को समर्पित रखेंगे । भक्ति भी करेगे शक्ति के साथ, शास्त्र भी पढ़ंगे शौर्य के साथ । आत्मा अजर अमर अविनाशी है जो सम्भ...

गीता ज्ञान: भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सर्वोत्तम ज्ञान का प्रगटीकरण

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  गीता का मर्म एक बार महात्मा गाँधी के पास एक व्यक्ति गीता का रहस्य जानने के लिए आया। उसने महात्मा गाँधी से गीता के रहस्य के बारे में पुछा। गाँधी जी उस समय फावड़े से आश्रम की भूमि खोद रहे थे। उन्होंने उस व्यक्ति को पास बिठाया और फिर से आश्रम की भूमि खोदने में लग गए। इसी तरह काफी समय हो गया लेकिन महात्मा गाँधी उस व्यक्ति से कुछ नहीं बोले। आखिर में अकेले बैठे-बैठे परेशान होकर वह व्यक्ति महात्मा गाँधी से बोला – “में इतनी दूर से आपकी ख्याति सुनकर गीता का मर्म जानने के लिए आपके पास आया था लेकिन आप तो केवल फावड़ा चलाने में लगे हुए हैं। गाँधी जी ने उत्तर दिया – “भाई! में आपको गीता का रहस्य ही समझा रहा था।” महात्मा गाँधी की बात सुनकर वह व्यक्ति बोला – आप कहाँ समझा रहे था आप तो अभी तक एक शब्द भी नहीं बोले। गाँधी जी बोले – “बोलने की आवश्यकता नहीं है। गीता का मर्म यही है कि व्यक्ति को कर्मयोगी होना चाहिए। बस फल की आशा किए बगेर निरंतर कर्म करते चलो। यही गीता का मर्म है।” गाँधी जी के इस उत्तर को सुनकर व्यक्ति को गीता का रहस्य समझ में आ गया। ----- कब है गीता का अध्ययन सार्थक ? गीता अलौकिक ग्रन्थ...

हिन्दूओं को भगवान श्रीकृष्ण Shree Krishana के संदेश को मानना चाहिये - अरविन्द सिसौदिया

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       हमारा हिन्दू संदेश भगवान श्री कृष्ण ने दिया है सुनो हिन्दूओं को विविध ज्ञान देनें वाले गैर हिन्दूओं, हमारे भगवान श्री कृष्ण ने हमें जो संदेश दिया है वह गीता है। उसमें दिया यह श्नोक भी पढ़लो ‘श्रीमद्भगवद् गीता’ में एक प्रेरणा है, एक मार्गदर्शन हैः- यदा यदा ही धर्मस्य, ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्त्थानमधर्मस्य  तदात्मानं सृजाम्यहम्। प्रत्येक हिन्दू को भगवान श्रीकृष्ण का अवतार बन कर धर्म की रक्षा करनी चाहिये। कृष्ण कहता आज है कृष्ण कहता आज है, गीता मेरी आवाज है, इस राह पर चलो तुम, विजय तुम्हारे  साथ है !!    यह एक निर्विवाद सत्य है कि ईश्वर के अवतार धर्म की रक्षा के लिये, उसकी पुर्नस्थापना के लिए ; उद्धार  के लिए, पुर्न उत्थान के लिए होता है ...!  52 सौ  वर्ष पूर्व जिस तरह अधर्म अनैतिकता और आलस्य व्याप्त था और त्राही  त्राही  जगत में हो रही थी वही स्थिति वर्तमान में है..! तब जो क्षत्रिय  के गुण-धर्म भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सिखाये थे वे हम भूल चुके हैं । ईश्वर कहता है स्वयं की रक्षा करो, धर्म औश्र समाज की रक्षा करो, ...