शहीद मंदिर हुआ था, ढांचा तो अतिक्रमण था - अरविन्द सिसौदिया

 


 शहीद  मंदिर हुआ था, ढांचा तो अतिक्रमण था

 - अरविन्द सिसौदिया 

  9414180151
हिन्दू हदय सम्राट, हिन्दूओं को न्याय दिलानें वाले, बाबरी ढांचा अतिक्रमण को ध्वस्त करवाने में हनुमान जी जैसी भूमिका निभाने वाले माननीय पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व राज्यपाल स्व0 कल्याण सिंह जी के निधन पर कुछ आसामाजिक तत्वों ने उनकी निंदा करने का दुस्साहस किया है। उन्हे सच समझ लेना चाहिये कि श्रीराम जन्म भूमि पर ढांचा मात्र जबरिया अतिक्रमण था। जो हिंसा के बल पर किया गया था। जिसे सरकार को हटाना चाहिये था, सरकार कर उदासीनता के चलते जनमत ने हटा दिया। यह प्रत्येक स्वाभिमानी देश का कर्त्तव्य भी होता हे। इस तरह के ढांचों को गुजरात में महात्मा गांधी की सहमती से तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और कन्हैयालाल माणकलाल मुंशी की अगुवाई हटा कर वहां सोमनाथ का भव्य वैभव लौटाया गया । महामहिम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने शुभारम्भ करवाया । यही अयोध्या, काशी , मथुरा में क्यों नहीं किया गया , क्या वे भारत के अंग नहीं थे ! सोमनाथ की तर्ज पर यह सब 1947 के तुरंत बाद उत्तरप्रदेश में भी होना चाहिये था । किन्तु जवाहरलाल नेहरू जी के अपरोक्ष दबाव में यह नहीं हुआ । यह भी याद रखना चाहिये कि शत्रु सम्पत्ती को कोई अधिकार नहीं होता है।

  शहीद ढांचा नहीं मंदिर हुआ था, ढांचा तो अतिक्रमण था, जिसे जनमत ने हटा दिया।
इस तरह का कुत्य पूरी दुनिया में इस्लामी आक्रमण कर्ताओं ने किये, भारत में सोमनाथ मंदिर पर , काशी विश्वनाथ मंदिर पर, अयोध्या के श्रीराम जन्म भूमि मंदिर पर, मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर पर ही नहीं अपितु लाखों मंदिरों और करोडा मूर्तियों सहित अनेको किलों और भव्य इमारतों का इस्लामी करण रूपी अतिक्रमण हुआ था। देश आजाद होते ही इन्हे पुनः अपने भव्य और मूल स्परूप में आनें का अधिकार है और किसी को भी, इसमें बाधा बनने का अधिकर नहीं हे।  जो गंगा जमुनी संस्कृति की बात करते है। उन्हे पहले मक्का -मदीना और वेटीगन सिटी धार्मिक कानूनों का अध्ययन करना चाहिये।




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अलीगढ़ : विश्वविद्यालय परिसर में जगह-जगह चिपकाए पर्चे

Aligarh Bureau अलीगढ़ ब्यूरो
Updated Wed, 25 Aug 2021

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त किए जाने की अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने निंदा की है। इस संबंध में विश्वविद्यालय परिसर में कई जगह पर्चे चिपकाए गए।

मंगलवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस तरह के पर्चे हटवाए हैं। परिसर में चिपकाए गए पर्चे में कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इस तरह शोक संवेदना व्यक्त करना भावनाओं को आहत करने वाला है। क्योंकि पूर्व में जो हुआ है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। यह अलीग बिरादरी की भावनाओं पर चोट करने जैसा है। यह पर्चे हिंदी उर्दू और अंग्रेजी भाषा में हैं। कुछ लोगों ने इन पर्चों का फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर भी डाल दिया है।

इस संबंध में विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अली कहते हैं कि विश्वविद्यालय परिसर में इस समय छात्र नहीं हैं। कैंपस खाली है। कुछ शरारती तत्वों द्वारा इस तरह के पर्चे दो-तीन जगह चिपकाए गए थे, जिसके विषय में जानकारी होने पर उनको तत्काल हटवा दिया गया। जहां तक सोशल मीडिया का संबंध है उस पर कोई भी व्यक्ति टिप्पणी कर सकता है। अगर वह कानून उल्लंघन के दायरे में आता है तो कानून अपना काम करेगा।

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 Kalyan Singh Death: कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए अखिलेश-मुलायम, बीजेपी ने निशाना साधते हुए कही ये बात

By: संजय त्रिपाठी, एबीपी न्यूज़ | Updated : 24 Aug 2021

Kalyan Singh Death: पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन के मौक़े पर सपा-कांग्रेस नेताओं की ग़ैर मौजूदगी के चलते समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भाजपा के निशाने पर आ गए हैं. सभी ने एक सुर में सपा और कांग्रेस की निंदा की और कल्याण सिंह को पिछड़ों का सबसे बड़ा नेता बताते हुए अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने पर सवाल खड़े किए. यह भी दावा किया कि अखिलेश और कांग्रेस के इस कृत्य से प्रदेश भर के पिछड़ों में गुस्सा है. यह भी कहा कि कल्याण के अंतिम संस्कार से किनारा करने को पिछड़ी जातियों का अपमान माना जा रहा है.


लम्बी बीमारी के चलते पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का बीती शनिवार की रात निधन हो गया था. बीते क़रीब दो महीने से लखनऊ के एसजीपीजीआई में उनका उपचार चल रहा था. कल्याण सिंह के निधन के बाद तीन दिनों के अंतिम संस्कार कार्यक्रमों में जहां पूरा प्रदेश और देश उमड़ पड़ा वहीं मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी जैसे नेताओं के शामिल न होने से भाजपा और ख़ासकर भाजपा के पिछड़ी जाति के मंत्रियों ने सपा और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है.


इनका कहना है कि विपक्षी दलों के इस रवैए से पिछड़े समाज को आघात पहुंचा है. ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन दिनों तक एक-एक पल पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर और उनके परिवार के साथ रहे. श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा है कि सपा और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सामान्य शिष्टाचार भी भूल गया है. उन्होंने केवल पिछड़ों, दलितों के वोट लिए हैं लेकिन कभी भी दलितों और पिछड़ों को सम्मान देने का काम नहीं किया है.


उन्होंने कहा है कि समय आने पर सपा और कांग्रेस को दलित समाज इसका जवाब जरूर देगा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के निधन पर जहां पूरा प्रदेश और देश श्रद्धा समुन अर्पित करने के लिए उमड़ रहा था. लखनऊ से लेकर अलीगंढ, अतरौली, नरौरा घाट पर अंतिम संस्कार में जिस तरह से जनसैलाब उमड़ा. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहीं मायावती समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री पहुंचे. वहीं पर उत्तर प्रदेश की सरजमी से जुड़े हुए मुलायम सिंह जिन्हें कल्याण सिंह अपना अभिन्न मित्र मानते थे, वो अंतिम दर्शन तक को नहीं आए.


2003 में कल्याण सिंह जी के सहयोग से मुलायम मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने के लिये मुलायम सिंह, अखिलेश यादव और कांग्रेस के नेतृत्व का कोई नेता नहीं पहुंचा. यह कहीं न कहीं इस बात को दर्शाता है कि पिछड़ों के नेता का सम्मान अखिलेश यादव बर्दाशत नहीं कर पाए.
 
उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने कहा है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व राजनीति में नैतिक मूल्यों को भूल चुका है. उन्होंने कहा है कि उनसे अच्छी तो बहन मायावती निकल गईं, जिन्होंने आकर श्रद्धा सुमन अर्पित किये और अंतिम यात्रा में न पहुंचकर अखिलेश यादव ने कल्याण सिंह के लिये बहुत ही निंदनीय और घृणित व्यवहार किया है. ये ओबीसी और दलितों का बहुत बड़ा अपमान है. उन्होंने कहा कि सदियों में कभी-कभी कल्याण सिंह जैसे नेता पैदा होते हैं और हम अतीत के झरोखे में झांक कर देखें. तो कल्याण सिंह का स्थान कहां था और मुलायम सिंह का स्थान कहां था, लेकिन इस दो दिन में जो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने किया है वो गलत है. उन्होंने विपक्षी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से कहा है कि अगर उनके अंदर नैतिकता है तो वो राष्ट्र से क्षमा मांगें नहीं तो उनको आने वाले चुनाव में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा.
 
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा है कि अखिलेश यादव अपने आवास से मात्र एक किमी दूर माल एवेन्यू में कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने नहीं आ सके. कहीं मुस्लिम वोट बैंक के मोह ने उन्हें पिछड़ों के सबसे बड़े नेता को श्रद्धांजलि देने से तो नहीं रोक लिया? उन्होंने सपा और कांग्रेस के शीष नेतृत्व के इस कृत्य को घिनौना बताया है.

 

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