राहुल गांधी का श्रीनगर में फिर झूठ - में कश्मीरी पण्डित हूं ।

 राहुल गांधी का केेंद्र सरकार पर बड़ा आरोप : मैं कश्मीरी पंडित हूं, वे संसद में बोलने नहीं देते, हमें दबा देते हैं

राहुल गांधी का श्रीनगर में फिर झूठ - में कश्मीरी पण्डित हूं ।
फिरोज जहांगीर खान के वंशज राहुल, खान तो हैं मगर कश्मीरी पंण्डित कैसे हो सकते है। फिरोज़ गांधी का जन्म मुम्बई में हुआ था, वे बम्बई के खेतवाड़ी मोहल्ले के नौरोजी नाटकवाला भवन में रहते थे । फ़िरोज़ का परिवार मूल रूप से दक्षिण गुजरात के भरूच का निवासी है, जहां उनका पैतृक गृह अभी भी कोटपारीवाड़ में उपस्थित है।

अर्थात वे मूल रूप से गुजराती फिर मुम्बई के फिर इलाहावाद के फिर दिल्ली के ...कश्मीर के कभी नहीं थे। 

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 राहुल गांधी का केेंद्र सरकार पर बड़ा आरोप : मैं कश्मीरी पंडित हूं, वे संसद में बोलने नहीं देते, हमें दबा देते हैं
Tue, Aug 10th, 2021
श्रीनगर. वे संसद में बोलने नहीं देते हैं, हमें दबा देते हैं. मैं संसद में पेगासस, राफेल, जम्मू-कश्मीर, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के बारे में नहीं बोल सकता. ये लोग हिंदुस्तान की सभी संस्थाओं पर हमला कर रहे हैं. केन्द्र सरकार पर इतना बड़ा आरोप कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लगाया है. जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने ये बातें कही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि, मैं कश्मीरी पंडित हूं.

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श्रीनगर दौरे पर गए राहुल गांधी ने कश्मीरियों से जोड़ा रिश्ता, कहा- मेरे परिवार के लोगों ने भी झेलम का पानी पिया होगा
श्रीनगर दौरे पर गए राहुल गांधी ने कश्मीरियों से अपना रिश्ता जोड़ा और कहा कि मेरे परिवार के सदस्यों ने भी झेलम का पानी पिया होगा. उन्होंने कहा कि थोड़ी कश्मीरियत मेरे अंदर भी है.

By: जैनेंद्र कुमार, एबीपी न्यूज़ | Updated : 10 Aug 2021

रीनगरः जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पहली बार कश्मीर के दौरे पर गए हैं. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. अपने संबोधन के दौरान राहुल गांधी ने जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश की धरती से नाता जोड़ते हुए कहा कि दिल्ली से पहले मेरा परिवार इलाहाबाद में रहता था और इलाहाबाद से पहले यहां (कश्मीर) रहता था.

कश्मीरियों से रिश्ता जोड़ते हुए और उन्हें साधने की कोशिश के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि मेरे परिवार के लोगों ने भी झेलम का पानी पिया होगा, थोड़ी कश्मीरियत मेरे अंदर भी है. यहां आकर लगता है घर आ रहा हूँ.

 फिरोज जहांगीर खान
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https://hindi.oneindia.com/news/india/has-indira-gandhi-embraced-islam-after-her-marriage-340529.html?story=3

शादी के बाद इंदिरा गांधी ने किया इस्लाम धर्म स्वीकार?
By Vivek | Published: Thursday, February 5, 2015


नई दिल्ली(विवेक शुक्ला)


Feroze Gandhi before 1950s.jpg

 

 

 क्या फिरोज गांधी मुसलमान थे और इंदिरा गांधी ने निकाह के समय मुस्लिम धर्म स्वीकार किया था ? हैदराबाद से प्रकाशित होने वाले प्रतिष्ठित उर्दू अखबार 'दैनिक मुंसिफ ने इस तरह का दावा किया है।
लेख में नेहरू डायनेस्टी के लेखक के एन.राव के हवाले से दावा किया गया कि इंदिरा और फिरोज ने लंदन में एक मस्जिद में जाकर निकाह कर लिया था और इंदिरा को मुसलमान धर्म स्वीकार करना पड़ा।

वैदिक पद्धति से शादी जब इस बात की सूचना महात्मा गांधी को मिली तो उन्होंने इन दोनों को भारत बुला कर वैदिक पद्धति से उनकी शादी करवा दी। फिरोज जहांगीर खान का नाम बदलकर फिरोज गांधी कर दिया गया। 1942 में राजीव के जन्म के बाद दोनों पति-पत्नी अलग हो गए थे। मोहम्मद यूनुस ने अपनी पुस्तक में लिखा था कि संजय गांधी का मुसलमान ढंग से खतना किया गया था। फिरोज गांधी के पिता जहांगीर खान मुसलमान थे। जबकी उनकी मां रत्तीमाई जो कि पहले पारसी थी, बाद में मुसलमान बन गई थी। फिरोज गांधी की कब्र इलाहाबाद के कब्रिस्तान में मौजूद है जबकि पारसियों की कब्र नहीं बनाई जाती।

बाबा के नाम से परहेज

इस लेख में एक तरह से सवाल पूछा गया कि वरुण गांधी तक ने अपने नाम के साथ इंदिरा, नेहरू शब्द तो जोड़े पर कभी अपने बाबा के नाम से खुद को नहीं जोड़ा। वैसे कुछ कांग्रेस नेता उन्हें याद करते रहते थे और हर साल अपना पैसा खर्च करके किसी रेस्टोरेंट में उनके जन्मदिन पर छोटी सी पार्टी कर लेते थे। इनमें से एक दिवंगत ब्रजमोहनजी भी थे। फिरोज थे नापसंद मुंसिफ में छपे लेख में दावा किया गया है कि फिरोज गांधी के ससुर जवाहरलाल नेहरू उन्हें सख्त नापसंद करते थे। मूंधरा कांड, जीप घोटाले सरीखे नेहरू सरकार के भ्रष्टाचार के मामले उठाने के कारण, जवाहरलाल नेहरू उनसे काफी नाराज थे।

लेखक ने आगे यह भी दावा किया है कि 12 सितंबर 2012 को फिरोज गांधी की जन्म शताब्दी थी मगर उन्हें केंद्र में सत्तारुढ़ कांग्रेस सरकार ने याद करने की कोई जरुरत नहीं समझी। ऐसा प्रतीत होता है कि फिरोज गांधी के परिवारजनों ने उन्हें भुला दिया है या वह जानबूझकर उनका उल्लेख नहीं करना चाहते। फिरोज गांधी नदरअंदाज आखिर क्या कारण है कि राजीव गांधी और इंदिरा गांधी की वर्षगांठ पर समाचार पत्रों को 8-8 करोड़ के विज्ञापन देने वाली सरकार फिरोज गांधी को बिल्कुल नजरअंदाज क्यों करती रही। हालांकि उस समय सत्ता की बागडोर फिरोज गांधी की पुत्र वधु सोनिया के हाथों में थीं। लेखक ने इस बात पर हैरानी व्यक्त की है कि फिरोज गांधी को शुरु से ही उसका परिवार नजरअंदाज करता रहा है। उनके नाम पर न तो किसी मार्ग का नाम रखा गया है और न ही कोई योजना बनाई गई है। जबकि सैकड़ों जगहें राजीव और इंदिरा गांधी व जवाहरलाल नेहरू के नाम से जुड़ी हुई है। मगर फिरोज गांधी का कोई नाम लेने वाला नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व की बात है कि राहुल गांधी इलाहाबाद के दौरे पर गए थे तो रात के अंधेरे में वह फिरोज गांधी की कब्र भी देख आए। यह समाचार सिर्फ एक पारसी समाचारपत्र ने ही प्रकाशित किया था। फिरोज गांधी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और उनसे खुद जवाहरलाल नेहरू भयभीत रहते थे। फिरोज गांधी अनेक बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। फिरोज गांधी को भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाला पहला व्यक्ति माना जाता है। उन्होंने अपने युग के आर्थिक घोटाले का पर्दाफाश किया था और उसके कारण तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी को इस्तीफा देना पड़ा था। फिरोज के इस रवैये से नेहरू बहुत परेशान थे। 1960 में जब फिरोज गांधी का निधन हुआ तो दोनों ने चैन की सांस ली।






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