अभी से हो पेरिस ओलंम्पिक की तैयारियां और खेलों का संख्यात्मक दायरा बढ़ायें - अरविन्द सिसौदिया

 JAI JAI BHARAT - ARVIND SISODIA

 

 टोकियो ओलम्पिक में भारत ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। यह तब हुआ जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व्यक्तिगत रूचि ले रहे थे। लगातार उत्साहवर्द्धन कर रहे थे। यदि वे लगातार जुडे नहीं होते तो शायद स्थिती और खराब हो सकती थी। जो भी संतोष जनक इसलिये है कि हमने अभी तक का सर्व श्रैष्ठ पाया है। किन्तु हमारा लक्ष्य अब इतना छोटा नहीं होना चाहिये । हमें अपनी हर क्षमता को चीन के बराबर रख कर या उसके बराबर प्राप्त करने के लक्ष्यों की ओर बढ़ना होगा। पिछले 75 वर्षों का सबसे बडा दुर्भाग्य यही रहा कि हम मात्र पाकिस्तान में उलझे रहे । जार्ज फर्नान्डीज ने कहा था हमारा सबसे बडा शत्रु चीन है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने चीन को आंख नहीं दिखाई। हम मोदी जी से ही यह आशा कर सकते हैं कि वे चीन की तरह भारत को भी पदक तालिकाओं में प्रथम पांच में पहुंचाये । किन्तु यह बहुत ही असंभव है। मगर संभव भी है। जब चीन हमारे बहुत बाद में ओलम्पिक मे प्रवेश कर अपना प्रथम पांच में स्थान बना सकता है तो हम क्यों नहीं । उसकी जनता और जज्वे के मुकाबले हम तो 20 ही है। इसलिये यह संभव भी है।
 1- शिक्षा के प्राथमिक स्तर से ही विश्वस्तर के सैकडों खेलों को अपने वि़द्यालयों में जगह दी जाये।
2- उनके प्रति समर्पण भाव से शिक्षण किया जाये, औपचारिकतावाद समाप्त हो।
3- ओलम्पिक मे खेले जानें वाले तमाम खेलों को समझा जाये, अपने खिलाडियों को उन्ही देशों में रख कर खेल में प्रवीण किये जाये, जहां के खिलाडी 
नमें प्रवीण है।
4- अधिकतम प्रतियोगी ही अधिकतम पदक दिला पायेंगे। भारत का अगला दल 500 के लगभग होगा तो हमारे पास पदक भी दोगुण होंगे।
5- भारत के बडे सार्वजनिक क्षैत्रों को चिकित्सा, खेल एवं शिक्षा में योगदान के लिये अनिवार्यतः सहयोगी बनाया जाये। इस हेतु कानूनी अनिवार्यतः की जाये। इन्हे अच्छे स्टेडियम, कोचिंग और व्यवस्थापक्ष में भागेदारी निभाने के लिये जोडा जाये।
6- खेल बजट को अतिरिक्तरूप से रखा जाये व इस हेतु कुछ केन्द्रीय क्रीडा महाविद्यालयों की श्रृंखला केन्द्रीय विद्यालय या नवोदय विद्यालयों के साथ या जैसी बनाई जाये।
7- खेल प्रतियोगिताओं को बढ़ावा दिया जाये। हर तीन माह में टुर्नामेंट जिला स्तर पर तथा प्रत्येक 6 माह में प्रदेशस्तर की प्रतियोगितायें अनिवार्य की जायें।
8- खेल महाविद्यालयों में कद काठी और शारिरिक क्षमता के आधार पर प्रवेश व्यवस्था की जाये । उन्हे शिक्षा प्रमाणपत्र से छूट दी जाये।
9- कुछ खेल सेना को भी दिये जायें।
10- विदेशों में भी कोचिंग और शिक्षण हेतु अनुबंधन के आधार पर खिलाडियों को शिक्षित करवाया जाये।
11- आवश्यकता अविस्कार की जननी होती हे। हमारी आवश्यकता पदक है। पदक पानें की भूख हो। इसी दिशा में मिशन मान कर काम करने वाले को जिम्मेवारीयां दी जायें। 
भारतीय खिलाडियों को टोकियो ओलम्पिक में प्रदर्शन की समीक्षा
टाकियो ओलम्पिक 2021 में भारत ने अपना सबसे बडा दल भेजा
टाकियो ओलम्पिक 2021 की व्यकितगत रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी  ने चिन्ता की
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टाकियो ओलम्पिक 2021 में जीत पर खिलाडियों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी व्यक्तिगत बातचीत की ढाढस बंधाया
भारत का टोक्यो ओलंपिक में 7 मेडल के साथ ऐतिहासिक प्रदर्शन रहा। भारत के खाते में एक गोल्ड , 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल आए। अब अगले ओलंपिक का आयोजन 2024 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में किया जाएगा । भारत ने टोक्यो ओलंपिक में वेटलिफ्टर मीराबाई चानू के सिल्वर मेडल के साथ शानदार शुरुआत की थी और समापन नीरज चोपड़ा ने इतिहास रचते हुए देश को पहला गोल्ड मेडल दिलाया । हमारे खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाया। सात मेडल के साथ यह पदकों के लिहाज से हिंदुस्तान का बेस्ट परफॉर्मेंस भी था।

भारत 48वें पायदान पर रहा। पदक तालिका में 113 मेडल के साथ अमेरिका टॉप तो दूसरे पोजिशन पर खड़े चीन ने 88 पदक हासिल किए।

भारत ने पहली बार साल 1900 में पेरिस में हुए ओलंपिक मुक़ाबलों में भाग लिया था और दो पदक हासिल किए थे.
टोक्यो ओलंपिक खेलों से पहले भारत ने अपने 121 साल के ओलंपिक इतिहास में केवल 28 पदक जीते थे जिनमें से नौ स्वर्ण पदक रहे हैं, और इनमें से आठ अकेले हॉकी में जीते गए थे.


निराशा और फिर सब नॉर्मल
टोक्यो में ओलंपिक खेल पिछली प्रतियोगिताओं की तरह इस बार भी भारत के जिन खिलाड़ियों से पदक की उम्मीद थी वो ख़ाली हाथ देश लौट हैं.

सिस्टम बनाना होगा
   खिलाड़ियों और अधिकारियों का कहना था कि देश में स्पोर्ट्स को हर सतह पर मुहिम की तरह आगे बढ़ने की ज़रुरत है और समाज के सभी वर्गों को इसे प्राथमिकता देनी होगी. उनका कहना है कि चीन की तरह एक सिस्टम स्थापित करना ज़रूरी है और ये काम नीचे के स्तर से शुरू हो.ं हालात बेहतर हो रहे हैं. निजी क्षेत्र सामने आए और स्पोर्ट्स के प्रति अपनी भूमिका निभाए.तोक्यो में निराशाजनक प्रदर्शन वाले खेल क्षैत्रों में ‘पूर्ण बदलाव’ होना चाहिये।

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