अखंड भारत का सपना बल से नहीं धर्म से होगा संभव : संघ प्रमुख परमपूज्य मोहन भागवत जी

 अखंड भारत का सपना बल से नहीं धर्म से होगा संभव : संघ प्रमुख परमपूज्य मोहन भागवत जी
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यह कथन लगभग 6 माह पूर्व का है किन्तु इसकी प्राशंगिकता स्वतंत्रता दिवस पर अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिये इसका पुर्न प्रकाशन किया जा रहा है। - अरविन्द सिसौदिया 9414180151

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के परमपूल्य सरसंघचालक माननीय  श्री मोहन भागवत जी ने 25 फरवरी 2021 को हैदरावाद में एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में कहा “अखंड भारत का सपना बल से नहीं धर्म से होगा संभव है ” समाचार जो समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ वह संलग्न है।

 

अखंड भारत का सपना बल से नहीं धर्म से होगा संभव, 

मानवता और पूरी दुनिया का धर्म है सनातन

 

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Publish Date:Thu, 25 Feb 2021  Author: Dhyanendra Singh Chauhan


मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया के कल्याण के लिए गौरवशाली अखंड भारत की आवश्यकता है। इसके लिए लोगों में देशभक्ति जगाने की जरूरत है। आकार में छोटे किए गए भारत को (फिर से) संगठित किए जाने की आवश्यकता है।


          हैदराबाद, एजेंसियां। एक संगोष्ठी में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जब हम अखंड भारत की बात करते हैं, तो हमारा इरादा ताकत के बल पर यह (हासिल) करना नहीं है, बल्कि सनातन धर्म के जरिए उन्हें जोड़ना है। सनातन धर्म मानवता और पूरी दुनिया का धर्म है और इसे आज हिंदू धर्म कहा जाता है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया के कल्याण के लिए गौरवशाली अखंड भारत की आवश्यकता है। इसके लिए लोगों में देशभक्ति जगाने की जरूरत है। आकार में छोटे किए गए भारत को (फिर से) संगठित किए जाने की आवश्यकता है। भारत से अलग हुए सभी हिस्सों, जो स्वयं को अब भारत का हिस्सा नहीं बताते है, उन्हें इसकी अधिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने देश के विभाजन से पहले इस बात को लेकर गंभीर संदेह जताया था कि इसे बांटा भी जा सकता है या नहीं, लेकिन ऐसा हो गया। संघ प्रमुख ने कहा, यदि आप इस देश के बंटवारे से छह महीने पहले किसी से पूछते, तो कोई भी इसका अंदाजा नहीं लगा सकता था।

भारत को भगवान ने बनाया और इसे कौन कर सकता है विभाजित

उन्होंने कहा कि लॉर्ड वावेल (ब्रितानी शासन काल में) ने भी ब्रिटेन की संसद में कहा था कि भारत को भगवान ने बनाया है और इसे कौन विभाजित कर सकता है। लेकिन अंतत: ऐसा (बंटवारा) हो गया। जो असंभव प्रतीत होता था, वह हुआ, इसलिए अभी असंभव लगने वाले अखंड भारत की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसकी आवश्यकता है।

भागवत ने कहा कि स्वयं को अब भारत का हिस्सा नहीं कहने वाले इससे अलग हुए क्षेत्रों के लिए भारत के साथ फिर से जुड़ना अधिक जरूरी है।

उन्होंने कहा कि इन देशों ने वह सब कुछ किया, जो वह कर सकते थे, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। इसका एक मात्र समाधान (भारत के साथ) फिर से जुड़ना है और इससे उनकी सभी समस्याएं सुलझ जाएंगी।

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आयोजन:पुस्तक विमोचन के दौरान बोले संघ प्रमुख 

 

अखंड भारत का सपना बल से नहीं धर्म से होगा संभव
हैदराबाद

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अखंड भारत की आवश्यकता पर जोर देते हुए गुरुवार को कहा कि भारत से अलग हुए पाकिस्तान जैसे देश अब संकट में हैं। अखंड भारत ताकत नहीं, बल्कि हिंदू धर्म के जरिए संभव है।

एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर भागवत ने कहा, दुनिया के कल्याण के लिए गौरवशाली अखंड भारत की आवश्यकता है। इसलिए देशभक्ति को जगाए जाने की जरूरत है। छोटे किए गए भारत को फिर से एकजुट किए जाने की आवश्यकता है। भारत से अलग हुए सभी हिस्सों, जो स्वयं को अब भारत का हिस्सा नहीं बताते है, उन्हें इसकी अधिक आवश्यकता है।

नेहरू ने कहा था यह बंटवारा मूर्खों का सपना
भागवत ने आगे कहा, कुछ लोगों ने देश के विभाजन से पहले इस बात को लेकर गंभीर संदेह जताया था कि इसे बांटा भी जा सकता है या नहीं, लेकिन ऐसा हो गया। यदि आप इस देश के बंटवारे से 6 महीने पहले किसी से पूछते, तो कोई भी इसका अंदाजा नहीं लगा सकता था। लोगों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से पूछा था कि पाकिस्तान बनाने संबंधी नई बात सामने आ रही है। इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि यह क्या है? यह बंटवारा मूर्खों का सपना है।

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