अमरीका का आत्मसमर्पण जैसा रूख अनुचित - अरविन्द सिसौदिया
अमरीका का आत्मसमर्पण जैसा रूख अनुचित - अरविन्द सिसौदिया
क्यों कि अमरीका ने सम्पूर्ण विश्व को खतरे में डाल दिया है। अमरीकी सेना के घातक हथियार अब आतंकवादियों के पास हे। तालिबान के विश्व भर के आतंकी संगठनों का समर्थन मिल रहा हे। जिसके बदले वे अपनी अपनी लडाईयों के लिये इन अमरीकी हथियारों का उपयोग करेंगें। वहीं अफगानिस्तान में भविष्य में लोकतंत्र बहाली के लिये अन्य कोई लडाई होती है तो यह अमरीकी हथियार आतंकवादियों की सुरक्षा करेंगे।
जो बाईडन ने एक बर्चस्ववान अमरीकी शक्ति की दृष्टि नहीं रखी । विश्व में राजनीति बर्चस्व के लिये,अन्य सामरिक अभियानों पर आगे भी अमरीकी सेना को दुनिया के अन्यान्य हिस्सों में जाना जो होगा ही। इसलिये यह निर्णय इतिहास में अपरिपक्व और आत्मघाती ही माना जायेगा। जिन तालिवानों ने आत अमरीकी सेना को आंख दिखाई है धमकी दी हे। कल वे अमरीका पर आतंकी हमला पुनः कर सकते हे। क्यों कि अमरीकी धमक तो समाप्त हो गई ।
यूं तो अमरीकी राष्ट्रपति जो बाईडेन राजनीति के लम्बे खिलाडी ही नहीं बल्कि अमरीका के उपराष्ट्रपति पद पर कार्य करने का अनुभव भी रखते हे। माना जाता है कि वे कुशल अर्थशास्त्री भी है और अफगानिस्तान में अमरीकी सेना के बनें रहने के प़क्ष में नहीं थे , पहले भी सेना कम करने के विषय पर उनके विचार आते रहे हे। सबसे महत्वपूर्ण यह कि एक अमरीकी नागरिक के दृष्टिकोंण से सेना वापसी कर निर्णय बिलकुल सही है आज भी उन्हे अमरीकी सर्वे सही बता रहे हे। किन्तु अब विरोध के स्वर इस आधार पर उठ रहे हैं कि अमरीकी बर्चस्व का क्या होगा ? उसकी अर्न्तराष्ट्रीय साख का क्या होगा। साथ देनें वालों का मौत के मुंह में छोड देना क्या उचित है? पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और अन्य लोगों के साथ - साथ विश्व भर के मीडिया में अमरीका की फजीहत हो रही है।
इस समय अमरीका में आतंकी हमले के सर्वेसर्वा रहे अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन द्वारा 2010 के दौरान लिखी गई एक चिट्ठी का खुलासा चर्चा का विषय बन गया है कि “ बाइडन के राष्ट्रपति बनने का जिक्र के साथ कहा था कि “ “ बाइडन खुद ही अमेरिका के सामने दिक्कतों का अंबार खड़ा कर देंगे। ओसामा का मानना था कि बाइडन अयोग्य राष्ट्रपति साबित होंगे।“ ”
अभी तक अफगानिस्तान में जो भी घटनाक्रम रहा उससे जो बाईडन अमरीका के स्तर के राष्ट्रपति साबित नहीं हो पा रहे हे। इससे अमरीका का पतन हो सकता है। उसकी धाक समाप्त हो सकती है।
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अमेरिका को तालिबान की धमकी, कहा- 31 अगस्त तक नहीं हटी सेना तो...
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडाने ने कहा था कि नागरिकों को निकालने में मदद के लिए अमेरिकी सेना 31 अगस्त तक काबुल में रह सकते हैं.
काबुल: तालिबान का कब्जा काबुल पर हो चुका है. ऐसे में सभी देशों द्वारा अफगानिस्तान से अपने नागिरका को रेस्क्यू किया जा रहा है. इस बीच तालिबान अब अमेरिका को आंख दिखाने लगा है. तालिबान का कहना है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी में देरी होने पर अमेरिका को इसेक परिणाम भुगतने पर सकते हैं. आतंकी संगठन द्वारा अमेरिका इसके लिए 31 अगस्त तक का डेड लाइन दिया गया है.
अमेरिका को तालिबान की धमकी, कहा- 31 अगस्त तक नहीं हटी सेना तो...
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडाने ने कहा था कि नागरिकों को निकालने में मदद के लिए अमेरिकी सेना 31 अगस्त तक काबुल में रह सकते हैं.
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हेली का गंभीर आरोप
हेली ने हाल ही में दिए अपने एक साक्षात्कार में कहा, ''वे तालिबान से वार्ता नहीं कर रहे. उन्होंने तालिबान के समक्ष पूरी तरह आत्मसमर्पण कर दिया. उन्होंने बगराम वायुसेना अड्डे को सौंप दिया, जो नाटो का बड़ा केंद्र था
जो बाइडेन पर भड़कीं निकी हेली, बोलीं- अमेरिका ने किया तालिबान के समक्ष आत्मसमर्पण
नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां पैदा हुए संकट के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने युद्धग्रस्त देश से अपने बलों की वापसी के कदम को सही ठहराते हुए कहा कि इतिहास में यह कदम ‘‘तार्किक और उचित निर्णय’’ के रूप के दर्ज किया जाएगा. अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के फैसले के कारण बाइडेन प्रशासन की आलोचना हो रही है, क्योंकि बलों के लौटने के कारण तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है, जिसके कारण देश में अराजकता फैल गई है.
इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा फैसला- बाइडेन
बाइडेन ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इतिहास के पन्नों में इस फैसले को तार्किक और उचित निर्णय के रूप में दर्ज किया जाएगा.’’
इससे पहले, भारतीय मूल की अमेरिकी नेता निकी हेली ने अमेरिका सरकार की निंदा करते हुए कहा कि अमेरिका ने तालिबान के सामने ‘‘पूरी तरह आत्मसमर्पण’’ कर दिया और अफगानिस्तान में अपने सहयोगियों को छोड़ दिया.
हेली का गंभीर आरोप
हेली ने हाल ही में दिए अपने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘वे तालिबान से वार्ता नहीं कर रहे. उन्होंने तालिबान के समक्ष पूरी तरह आत्मसमर्पण कर दिया. उन्होंने बगराम वायुसेना अड्डे को सौंप दिया, जो नाटो का बड़ा केंद्र था. उन्होंने 85 अरब डॉलर के उपकरण और हथियार भी सौंप दिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने अमेरिकी लोगों का समर्पण कर दिया और उन्होंने अमेरिकी लोगों की वापसी से पहले अमेरिकी बलों को वापस बुला लिया."
तालिबान को लेना होगा मूलभूत फैसला- बाइडेन
हेली का कहना है, "उन्होंने विदेशों में तैनात मेरे पति जैसे लोगों को सुरक्षित रखने वाले अफगान साथियों को छोड़ दिया. कोई बातचीत नहीं हुई. यह पूरी तरह आत्मसमर्पण था और शर्मनाक नाकामी है.’’ इस बीच, बाइडेन ने कहा कि तालिबान को एक मूलभूत फैसला करना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘क्या तालिबान एकजुट होने की कोशिश और अफगान लोगों का कल्याण करेगा, जो किसी समूह ने अभी तक नहीं किया है?’’
बाइडेन बताई प्राथमिकता
बाइडेन ने कहा, ‘‘अगर वह ऐसा करता है, तो उसे आर्थिक सहायता, व्यापार समेत अतिरिक्त मदद चाहिए होगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान ने ऐसा कहा है. हम देखेंगे कि वह वास्तव में ऐसा करता है या नहीं. वे अन्य देशों की मान्यता चाहते हैं. उन्होंने हमें और अन्य देशों से कहा है कि वे नहीं चाहते कि हम अपनी राजनयिक मौजूदगी पूरी तरह समाप्त करें. फिलहाल ये केवल बातें हैं.’’ बाइडेन ने कहा कि उनकी प्राथमिकता अफगानिस्तान से जल्द से जल्द और सुरक्षित तरीके से अमेरिकी नागरिकों को बाहर निकालना है.
जो बाईडन
जोसेफ रॉबिनेट बाइडेन जूनियर ( अंग्रेजी: Joseph Robinette Biden Jr. ; जन्म 20 नवंबर, 1942) एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ और संयुक्त राज्य अमेरिका केे 46 वे राष्ट्रपति हैं। बाइडेन ने 2020 के संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (डोनाल्ड ट्रम्प) को पराजित कर विजय श्री प्राप्त की और 20 जनवरी, 2021 को इन्होंने अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली । डेमोक्रेटिक पार्टी के एक सदस्य, बाइडेन ने, 2009 से 2017 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें उपराष्ट्रपति, और 1973 से 2009 तक डेलावेयर के सीनेटर के रूप में कार्य किया है।
ओसामा का मानना था कि बाइडन अयोग्य राष्ट्रपति साबित होंगे
एक रिपोर्ट में अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन द्वारा 2010 के दौरान लिखी गई एक चिट्ठी का खुलासा किया गया। दावा किया गया है कि इस खत में लादेन ने बाइडन के राष्ट्रपति बनने का जिक्र किया था। साथ ही, कहा था कि बाइडन खुद ही अमेरिका के सामने दिक्कतों का अंबार खड़ा कर देंगे। ओसामा का मानना था कि बाइडन अयोग्य राष्ट्रपति साबित होंगे।
अलकायदा को दी थी यह चेतावनी
दरअसल, 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने लादेन और अलकायदा से बदला लेने के लिए अफगानिस्तान पर हमला कर दिया था। जंग के दौरान लादेन कभी अमेरिका के हाथ नहीं आया। 10 साल बाद यानी 2 मई 2011 को अमेरिका ने उसे पाकिस्तान के एबटाबाद में ढूंढ निकाला और सीक्रेट मिलिट्री ऑपरेशन में मार गिराया। इससे पहले 2010 में लादेन ने 48 पन्नों की लंबी चिट्ठी शेख महमूद नाम के शख्स को लिखी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस चिट्ठी में ओसामा ने अपने संगठन अलकायदा को चेतावनी दी थी कि वह जो बाइडन को अपने निशाने पर न ले। ओसामा का मानना था कि अगर तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को कुछ होता है तो उनका उत्तराधिकारी (जो बाइडन) अमेरिका को बड़ी मुश्किल में फंसा देगा।
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शुरुआती चेतावनी
इससे पहले, इस माह एक लीक हुई अमेरिकी ख़ुफ़िया रिपोर्ट में चेताया गया था कि अमेरिकी सैनिकों के जाने के 90 दिनों के भीतर पश्चिमी देशों की समर्थक अफ़ग़ान सरकार गिर सकती है.
बाइडन के पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप ने उन पर 'कमज़ोरी, अक्षमता और रणनीतिक तौर पर पूर्ण विफलता' दिखाने का आरोप लगाया है. हालांकि, कई लोगों ने ट्रंप पर भी निशाना साधा और कहा कि सैनिक वापसी के उनके समझौते भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं.
वहीं सेना वापसी की बाइडन की योजना पर कई लोगों ने सालों पहले चेतावनी दी थी.
काबुल में तत्कालीन अमेरिकी कमांडर जनरल स्टेनली मैकक्रिस्टल ने 2009 में ये पूछने पर कि क्या अफ़ग़ानिस्तान से सैनिकों की संख्या कम करने का बाइडन का प्रस्ताव सफल हो सकता है, उन्होंने कहा था, "मेरा संक्षिप्त जवाब 'नहीं' है."
पिछले कुछ हफ़्तों में, तालिबान के वहां तेजी से फैल जाने के बाद वो भविष्यवाणी सही साबित हुई है.
मैकक्रिस्टल के बाद वहां के कमांडर बने जनरल डेविड पेट्रियस ने बीबीसी को बताया, "अब के हालात साफ तौर पर विनाशकारी हैं." उन्होंने कहा, ''हमें सेना वापसी के फ़ैसले को सच में उलट देना चाहिए." वे कहते हैं, "मुझे डर था कि हमें इस निर्णय पर पछतावा होगा और अब हम पछता रहे हैं. सही स्थिति तब तक नहीं होगी, जब तक अमेरिका और उसके सहयोगी यह नहीं मान लेते कि उन्होंने वापसी का फ़ैसला लेकर एक भयंकर भूल की."
वहीं 2009 में अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक़्क़ानी ने बीबीसी को बताया, "बाइडन ने हमेशा कहा कि उनकी लड़ाई अल-क़ायदा को लेकर थी, तालिबान से नहीं. मैंने हमेशा से इसे बचकाना माना है."
2003 में अमेरिकी सैनिकों के लिए अनुवादक का काम करते हुए अपना एक हाथ खोने वाले शेर हुसैन जाघोरी अब अफ़ग़ान मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. उन्होंने बीबीसी फ़ारसी को अमेरिकी सेना की वापसी पर गुस्से में कहा कि बाइडन ने "अफ़ग़ानियों को तालिबान के हाथों में छोड़ दिया."
वे कहते हैं, "मुझे अब अमेरिका की सरकार पर भरोसा नहीं है." उनके अनुसार, "मेरी पत्नी और मेरे बेटे ने बाइडन को वोट दिया था, लेकिन मैंने उन्हें ऐसा करने से मना किया था. अब वे मुझसे कह रहे हैं कि तब मैं सही था. वे फिर से उन्हें वोट नहीं देने जा रहे हैं."
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