मुस्लिम बहनों को “तीन तलाक” से पूर्ण सुरक्षा का उपहार मोदीजी ने दिया है
भारत के महान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को कोटि - कोटि धन्यवाद ,इस महान परोपकार के लिये दिया जाना चाहिये , जो उन्होने मुस्लिम महिलाओं पर जुल्म की तरह होने वाले अन्याय स्वरूपी पाप तीन तलाक को अपराध घोषित करके किया है। हजारो महिलायें जहां तीन तलाक से पीडित होती रहतीं थीं | वहीं प्रत्येक मुस्लिम महिला पर तीन तलाक का भय निरंतर उसके जीवन को असुरक्षित बनाये रखता था। हलांकी इस कुप्रथा से विश्व में अनेक मुस्लिम देश बाहर निकल आये थे । भारत का संविधान जिस मानव मूल्यों की बात करता है। उसके चलते तो भारत में जीन तलाक की अनुमति होनी ही नहीं चाहिये थी । मगर वोट बैंक और साम्प्रदायिक तुष्टीकरण की नीति के चलते कांग्रेस ने यह अन्याय लगातार बनाये रखा । यह सहास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का ही था कि उन्होने मुस्लिम बहनों को एक भाई की तरह पूर्ण सुरक्षा का रक्षा सूत्र बांधा है। भारत का इतिहास इस महान प्रधानमंत्री को युगो युगों तक इस महान न्यायपूर्ण निर्णय के लिये याद करता रहेगा। में जहां तक मुस्लिम बहनों के मन को समझ पा रहा हूं, वे मन ही मन दुआ देती है। मोदी जी आप जियो हजारों साल और साल के दिन हों हजार और निरंतर देश का नेतृत्व करते रहें।
बता दें कि देश में इस कानून का अच्छा खासा असर देखने को मिला है। 1 अगस्त,
2019 को कानून लागू होने से पहले उत्तर प्रदेश में 63 हजार से ज्यादा
मामले दर्ज थे, जो कानून लागू होने के बाद 221 रह गए। वहीं, एक्ट लागू होने
के बाद बिहार में 49 मामले ही दर्ज हुए।
'मुस्लिम महिला अधिकार दिवस'
तीन तलाक के मामलों में 80 फीसद की कमी
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि अब तीन तलाक क्रिमिनल एक्ट बन गया है। ... कानून के तहत इस कुप्रथा को अपराध करार दिया गया है। नकवी ने एक कार्यक्रम में कहा कि यह कानून बनने के बाद से तत्काल तीन तलाक के मामलों में 80 फीसद की कमी आई है।
नकवी ने कहा कि अब तीन तलाक क्रिमिनल एक्ट बन गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा सुलझाया, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया और महरम कानून को खत्म किया। 3500 से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने बिना महरम के हज की यात्रा की है। दरअसल, नकवी, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी तथा श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव दिल्ली में मुस्लिम महिला अधिकार दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। यहां केंद्रीय मंत्रियों ने कई मुस्लिम महिलाओं से भी बातचीत की, जो तत्काल तीन तलाक की पीड़ित थीं। मुस्लिम महिलाओं ने एक अगस्त, 2019 को इस कुप्रथा के खिलाफ कानून लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। कानून के तहत इस कुप्रथा को अपराध करार दिया गया है।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ‘तीन तलाक’ (तलाक-ए-बिद्दत) विरोधी कानून बनने के बाद तीन तलाक के मामलों में कमी आई और मुस्लिम महिलाओं का संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक अधिकार सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून के अस्तित्व में आने वाले दिन एक अगस्त को मनाए जाने वाले ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ के मौके पर एक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा।
उल्लेखनीय है कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक जुलाई, 2019 में संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विधेयक को एक अगस्त्, 2019 को मंजूरी दी थी और इसी के साथ यह कानून अस्तित्व में आ गया था।
नकवी ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 1 अगस्त 2019 के दिन "तीन तलाक" को कानूनी अपराध घोषित किया था। “तीन तलाक” के कानूनी अपराध बनाये जाने के बाद बड़े पैमाने पर तीन तलाक की घटनाओं में कमी आई है। देश भर की मुस्लिम महिलाओं ने इसका स्वागत किया है।’’
नकवी ने कहा कि “तीन तलाक” को कानूनन अपराध बना कर मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के "आत्म निर्भरता, आत्म सम्मान, आत्म विश्वास" को पुख्ता कर उनके संवैधानिक-मौलिक-लोकतांत्रिक एवं समानता के अधिकारों को सुनिश्चित किया है।
वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ईरानी ने कहा कि मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मुस्लिम महिलाओं की भावना और संघर्ष को सलाम करने के लिए है। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के लाभ के लिए काम करने के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की सराहना भी की।
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मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017
28 दिसंबर 2017 को, लोकसभा ने मुस्लिम महिलाओं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2017 पारित किया। यह बिल किसी भी रूप में - लिखित, इलेक्ट्रॉनिक या ईमेल, एसएमएस और इंस्टेंट मैसेंजर जैसे अवैध माध्यमों से तत्काल ट्रिपल तालक (तालक-ए-बिद्दत) बनाता है, जिसमें पति के लिए तीन साल तक की जेल है।
अगस्त 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से देश में ट्रिपल तलाक़ के कम से कम 100 मामलों सामने आने के बाद भाजपा सरकार ने बिल तैयार किए 28 दिसंबर 2017 को, लोकसभा में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को पारित कर दिया।
आरजेडी, एआईएमआईएम, बीजेडी, एआईएडीएमके और एआईएमएम के सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया, इसे प्रकृति में मनमानी और दोषपूर्ण प्रस्ताव दिया, जबकि कांग्रेस ने लोकसभा में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पेश किया विधेयक का समर्थन किया। विधेयक पर विपक्षी सदस्य 19 संशोधन प्रस्ताव लेकर आए थे, लेकिन सदन ने सभी को ख़ारिज कर दिया। तीन संशोधनों पर वोटिंग की मांग की गई और वोटिंग होने के बाद स्पीकर सुमित्रा महाजन ने परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि ये ख़ारिज हो गए हैं।
इस्लाम खतरे में नहीं
विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने तीन तलाक़ पर बिल लाने को ऐतिहासिक मौका बताया. उन्होंने कहा, "यह ऐतिहासिक इसलिए है क्योंकि देश की 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं की तकदीर से जुड़ा है."
उन्होंने एक किस्सा सुनाया.
एक पत्रकार थीं ताया जिनकिन. अंग्रेज़ी अख़बार द गार्डियन की रिपोर्टर. यह बात 1960-61 की है. उन्होंने जवाहर लाल नेहरू से प्रश्न किया कि आपकी सबसे बड़ी कामयाबी क्या है.
जवाहर लाल ने कहा, "हिंदू कोड बिल."
ताया जिनकिन ने फिर पूछा, "क्या मुसलमान औरतों का हक नहीं था बदलाव का."
जवाहर लाल ने जवाब दिया, "वक्त सही नहीं था."
"मेरे मन में पिछले 40 सालों से यह सवाल है कि वक्त कब सही आयेगा."
"लोगों को यह बताया जाता है कि इस्लाम ख़तरे में है. शरीया को बर्बाद किया जा रहा है. मैं मुसलमान के नाते बोलना चाहता हूं कि जो कलमा पढ़ा है तो वो किस हैसियत से यह कह सकता है कि इस्लाम खतरे में है. लेकिन आपने आज़ादी से पहले देश तोड़ने के लिए इस्तेमाल किया और आज समाज तोड़ने के लिए, ज़हर ये फ़ैलाया जा रहा है. केवल कुछ मुसलमान मर्दों की जबरदस्ती खतरे में है."
"शरीया क्या है? शरीया का असल मायने क़ानून नहीं है. इसका मतलब जरिया या रास्ता है. रास्ता फलसफा था लेकिन कानून बनाने वाले इंसान थे. सुन्नियों में कम से कम शरीया के चार स्कूल हैं. चारों के अपने अपने लोग अलग अलग हैं. एक हैं इमाम अबू हनीफ़ा, दूसरे इमाम मालिकी, तीसरे इमाम शाफ़ई और चौथे इमाम हंबल हैं. चार किस्म के क़ानून हैं. ये कहना कि क़ानून नहीं बदले जा सकते, ग़लत है. कानून को इज्तेहाद की बुनियाद पर तब्दील किया जाना चाहिए."
"कानून लोगों के भले के लिए बनता है. ये क़ानून तलाक़ के ख़िलाफ़ नहीं है, ये केवल तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ है."
तीन तलाक से मुक्त मुस्लिम देश
कई मुस्लिम बहुल देश अपने यहां तीन तलाक को कर चुके अवैध
इसके बाद 1929 में सूडान, 1956 में पाकिस्तान, 1972 में बांग्लादेश, 1959 में इराक, 1953 में सीरिया, 1969 में मलेशिया ने तीन तलाक की प्रथा को समाप्त कर दिया | "22 देशों में वर्षों से ये बदलाव हो चुका है लेकिन भारत में नहीं हुआ. यहां महिलाओं के अधिकारों के साथ सियासत खेली जाती है."
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तीन तलाक की लड़ाई लड़नेवाली सायरा बानो बोलीं
- भाजपा के प्रगतिशील दृष्टिकोण ने पार्टी में आने को किया प्रेरित
By Agency Date Sun, Oct 11, 2020
देहरादून : तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़नेवाली सायरा बानो ने रविवार को कहा कि मुस्लिम महिलाओं के लिए भाजपा के प्रगतिशील दृष्टिकोण ने उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत की मौजूदगी में शनिवार को पार्टी में शामिल हुई थीं.
सायरा बानो ने कहा, ''मूलरूप से मुस्लिम महिलाओं के लिए भाजपा के प्रगतिशील दृष्टिकोण और तीन तलाक के खिलाफ उसके काम करने की प्रतिबद्धता तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समावेशी विकास के सपने ने मुझे पार्टी में आने के लिए प्रेरित किया.''
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा से वंचित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए वह भाजपा में शामिल हुईं हैं और उन्हें अन्याय से छुटकारा दिलाना चाहती हैं. बानो ने कहा कि वह भाजपा के बारे में गलत धारणाओं को तोड़ने की कोशिश करेंगी कि वह अल्पसंख्यक विरोधी है.
बानो ने कहा, ''मैं अल्पसंख्यकों के प्रति पार्टी के निष्पक्ष इरादों में यकीन करती हूं. पार्टी के अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने की गलत धारणा को टूटना चाहिए.'' उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर की निवासी बानो ने शनिवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगत समेत वरिष्ठ पार्टी नेताओं की उपस्थिति में भाजपा में स्वागत किया गया.
मालूम हो कि सायरा बानो 2016 में सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक की प्रथा की संवैधानिकता को चुनौती देनेवाली पहली महिला थीं, जिन्हें उनके पति ने स्पीड पोस्ट के माध्यम से तलाक दिया था. यह पूछे जाने पर कि क्या वह चुनाव लड़ेंगी, उन्होंने कहा कि पार्टी के टिकट का कोई लालच नहीं है. लेकिन, नेतृत्व अगर जिम्मेदारी सौंपेगी, तो वह स्वीकार करने को तैयार हैं.
बानो ने कहा, ''मैं टिकट के लिए भाजपा में नहीं आयी हूं, लेकिन मैं पार्टी द्वारा सौंपी जानेवाली किसी भी जिम्मेदारी को स्वीकार करने के लिए तैयार हूं. मेरा एकमात्र लक्ष्य मुस्लिम महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए लड़ना है, जो उच्च शिक्षा से दूर रखे जाने जैसे अन्याय को झेल रही हैं.
इस संबंध में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भगत ने उम्मीद जतायी कि बानो उसी संकल्प के साथ पार्टी की विचारधारा के लिए भी लड़ेंगी, जिसके साथ उन्होंने तीन तलाक के खिलाफ अपनी कानूनी लड़ाई लड़ी और जीती.
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