बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया, सब की आँखों का तारा

 Krishna – jailaxmimata

 

 बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
सब की आँखों का तारा
मन ही मन क्यों जले राधिका
मोहन तो है सब का प्यारा
॥ बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया..॥
जमना तट पर नन्द का लाला
जब जब रास रचाये रे
तन मन डोले कान्हा ऐसी
बंसी मधुर बजाये रे
सुध-बुध भूली खड़ी गोपियाँ
जाने कैसा जादू डारा
॥ बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया..॥

रंग सलोना ऐसा जैसे
छाई हो घट सावन की
ऐ री मैं तो हुई दीवानी
मनमोहन मन भावन की
तेरे कारण देख बाँवरे
छोड़ दिया मैं ने जग सारा

बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
सब की आँखों का तारा
मन ही मन क्यों जले राधिका
मोहन तो है सब का प्यारा


टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

भारत नें सालों तक याद रखने वाला सबक पाकिस्तान को सिखाया है - प्रधानमंत्री मोदी PM Modi

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

योगिराज श्यामा चरण लाहिरी महाशय Yogiraj Shyama Charan Lahiri Mahasaya

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

जीवन मे कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो

कांग्रेस का पाकिस्तान को बचाने का ये षड्यंत्र देशवासी समझ चुके है - अमित शाह Amit Shah Lok Sabha

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग