कृषि सुधार कानूनों से मोदी जी गांव गांव में स्थापित न हो जायें, इसी कुंठा से विरोध का षडयंत्र
कृषि सुधार कानूनों से मोदी जी गांव गांव में स्थापित न हो जायें, इसी कुंठा से विरोध का षडयंत्र - अरविन्द सिसौदिया
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 9 अगस्त को,प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 9 वीं किस्त का वितरण किया गया , 2000 रूपये प्रति खाते में जमा करवाये गये हे। जिसमें देश के लगभग 10 करोड़ किसानों के खाते में 20 हजार करोड़ के लगभग रूपये जमा कराये गये । यह राशी किसानों को छोटी ही सही मगर राहत देती है। छोटे मोटे खर्चों को चलाने में मदद करती है। किसानों ने देश की आजादी से लेकर आज तक के शासन को देखा है। मगर लगभग 40 साल के कांग्रेस शासन में किसान नाम की कोई चीज कभी विचारणीय नहीं रही । जबकि हम खाद्धान्न की कमी के कारण ही 1965 में अमरीका के सामने झुके थे। हलांकी शास्त्री जी ने उत्पादन के लिये उन्नत बीजों को उपनाने पर जोर दिया था। जिसका लाभ भी किसानों को मिला मगर यह सब ऊंट के मुंह में जीरा जैसा था। क्यों कि देश की 80 फीसदी आवादी तक गांव और किसानी पर निर्भर थी।
1977 से पहले तक गांव औश्र किसानों को कभी कुछ नहीं मिला । पहली बार जनता पार्टी की सरकार ने गांवो के उद्धार के लिये अनुदान / सब्सिडी योजना के आधार पर ऋण दिये । जिसमें गाय,,बैल, बकरी,गाडी, पानी का इन्जन जैसी आयवृद्धि में सहायक पशुओं एवं उपकरणों को मदद दी गई। किन्तु तब किसानों की उपज को सही मूल्य नहीं मिला । किसानों की उपज कोडियों के दाम बिकी और ढाई साल में ही जब अर्न्तविरोध से यह जनता पार्टी की सरकार गिरी तो , सरकार की चुनाव के माध्यम से वापस नहीं हो सकी । बहुत मामूली सीटों पर जीती थी।
भाजपा की अटलबिहारी वाजपेयी सरकार ने ही किसानों की समस्याओं का आकलन सही तरीके से किया और उत्थान,विकास एवं राहत योजनायें बनाईं थी । किसानों की मुख्य समस्या बाजारों से / शहरों से / मण्डियों के कनेक्टीविटी की थी। सडकों के नाम पर गडवारे थीं, निउ नालों पर पुल पुलिये नहीं थी। आवागमन पूरी तरह बाधित जैसा रहता था। इसका निदान अटलजी की सरकार में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से हुआ जिसमें पक्की सडके बनीं पुल पुलियें बने,आवागमन बहुत ही सुगम हो गया। किसानों की दूसरी बहुत बडी समस्या थी ब्याज दर की, उन्हे साहूकारी से 24 प्रतिशत ब्याज पर धन उधार मिलता था। सवान से बीज मिलता था, बैंक किसानों को पैसा देता ही नहीं था। केसान बैंक की चौखट किसान के नाते नहीं चढ़ पाता था। कुछ सहकारी बैक होते थे तो उनके संसाधन भी सीमित और राजनीति के अड्डे हुआ करते थे। अटलजी की सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाया और राष्ट्रीकृत बैंको को किसान क्रेडिट कार्ड योजना, से जोडा, लाभ यह हुआ कि किसान को बहुत कम ब्याज पर उधार मिलने लगा और वह वास्तव में आत्म निर्भर होने की दिशा में बढ़ा। अटलजी सरकार ने ही प्राकृतिक आपदा से फसल खराबे पर किसानों को भरपाई के लिये फसल बीमा योजना चालू की, किसानों को पर्याप्त समर्थन मूल्य मिले इस हेतु प्रतिवर्ष आकलन की व्यवस्था करवाई । किसानों को सबसे अधिक राहत के और महत्वपूर्ण कदम अटलजी की सरकार में ही उठाये गये जो किसानों को वरदान बनें।
इसके बाद मनमोहन सिंह सरकार में नरेगा गांवों मजदूर वर्ग के लिये आया, इससे राहत तो मिली मगर यह किसानों के लिये नहीं था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आते ही पुनः किसानों के उत्थान की दिशा ने तीन महत्वपूर्ण काम अपरोक्ष रूप से हुये जनधन योजना के तहत बैकों में खाते खुलना, स्वच्छता अभियान के तहत शौचालयों का निर्माण होना और उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस कनेक्शन गरीवों को दिया जाना।
उन्होन किसानों की मुख्य समस्या कृषि को लाभप्रद बनाने के लिये लक्ष्य तय किया कि किसानों की आय दुगनी की जाये और इस हेतु जो भी सुधारों की जरूरत है वे किये जायें । जीनो कृषि कानून किसानों के उज्पादों की कीमत में वृकद्ध करने वाले हे। उसे अधिकार देने वाले हैं। उसका आत्म सम्मान बढाने वाले हैं। विपक्ष के कमोवेश सभी दलों औश्र लगभग सभी मित्तेवार नेजाओं के द्वारा कृषि क्षैत्र में सुधार हेतु इनकी मांग की हे। जब बिल पास हो रहा था तब शिरोमणी अकाली दल सरकार की केबिनेट में था। आम आदमी पार्टी ने इसका स्वागत किया था। इनमें कमी क्या है कोई नहीं बताता । मोदी जी इन सुधार कानूनों क बल पर गांव गांव में स्थापित न हो जायें इसी कुंठा से विरोध का पूरा षडयंत्र रचा गया ।
मोदी जी ने किसान क्रेडिट कार्ड से बैंक उधार को सरल बनाया, फसन बीमा योजना का सरलीकरण किया,समर्थन मूल्य को बढाया, समर्थन मूल्य पर खरीद में वृद्धि की तथा समर्थन मूल्य पर क्रय की जानें वाली फसलों का दायरा बढाया, उर्वरकों के दामों में सब्सिडी बडाई विशेष कर डी ए पी में ,ताकि किसान उन्हे खरीद सके, नीम कोटेड यूरिया से यूरिया किल्लत खत्म की और सबसे बडी बात किसान को किसान होने के नाते सम्मान निधि देना प्रारम्भ किया।
सुझाव :-
भारत की कृषि लाभदायक बनानें में सबसे बडी बाधा कृषि जोत का व्यक्तिगत क्षैत्रफल कम होना, ज्यादातर परिवारों में बंटवारे के कारण खेत बहुत छोटा हो गया है। जो लाभकारी नहीं रहा । इसलिये जनसंख्या नियंत्रण बहुत जरूरी हो गया है। दूसरे किसानों को उन उत्पादों से जोडना जिनकी मांग विदेशों में हो । तीसरा देश में विविध प्रकार के विनिर्माणों के क्षैत्र में चरन की तरह वृद्धि हो तो कृषि क्षैत्र के लोगों को रोजगार के लिये विनिर्माण क्षैत्र में काम मिल सके।
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PM किसान सम्मान निधि की 9वीं किस्त जारी, 9.75 करोड़ किसानों के खाते में भेजे गए 19,509 करोड़: प्रधानमंत्री ने किसानों से कही ये बात
9 August, 2021
पीएम मोदी ने बताया कि सरकार ने खरीफ हो या रबी सीजन, किसानों से MSP पर अब तक की सबसे अधिक खरीद की है। इससे धान किसानों के खातों में लगभग 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए और गेहूँ किसानों के खाते में लगभग 85 हजार करोड़ रुपए डायरेक्ट पहुँचे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (9 अगस्त 2021) को पीएम किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) की 9वीं किस्त जारी कर दी है। 9वीं किस्त में 9.5 करोड़ किसानों के खाते में 19, 509 करोड़ रुपए ट्रांस्फर किए गए।
पीएम ने इस मौके पर किसानों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए बुवाई के मौसम पर बात की। उन्होंने उम्मीद जताई कि पीएम-किसान की नौवीं किस्त के तहत किसानों को जो राशि मिलेगी उससे उनकी मदद हो पाएगी।
पीएम मोदी ने बताया कि सरकार ने खरीफ हो या रबी सीजन, किसानों से MSP पर अब तक की सबसे अधिक खरीद की है। इससे धान किसानों के खातों में लगभग 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए और गेहूँ किसानों के खाते में लगभग 85 हजार करोड़ रुपए डायरेक्ट पहुँचे हैं।
उन्होंने कहा कि कृषि नीतियों में छोटे किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी भावना के साथ छोटे किसानों को सुविधा और सुरक्षा देने का एक गंभीर प्रयास किया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अब तक 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए किसानों को दिए गए हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए पीएम ने जानकारी दी कि कोरोना काल में ही 2 करोड़ से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं, जिसमें से अधिकतर छोटे किसानों के लिए हैं। उन्होंने कहा, “कल्पना कीजिए कि ये मदद अगर किसानों को न मिलती, तो 100 वर्ष की इस सबसे बड़ी आपदा में उनकी क्या स्थिति होती।”
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम यानि NMEO-OP के माध्यम से खाने के तेल से जुड़े इकोसिस्टम पर 11,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जाएगा। आज भारत कृषि निर्यात के मामले में पहली बार दुनिया के टॉप-10 देशों में पहुँचा है।
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर का केसर विश्व प्रसिद्ध है। सरकार ने ये फैसला लिया है कि जम्मू-कश्मीर का केसर देशभर में नाफेड की दुकानों पर उपलब्ध होगा। इससे जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती को बहुत प्रोत्साहन मिलने वाला है।
देश की आजादी पर पीएम ने बात रखते हुए कहा, “इस बार देश अपना 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। ये महत्वपूर्ण पड़ाव हमारे लिए गौरव का तो है ही, ये नए संकल्पों, नए लक्ष्यों का भी अवसर है। इस अवसर पर हमें तय करना है कि आने वाले 25 वर्षों में हम भारत को कहाँ देखना चाहते हैं।”
वह बोले, “देश जब आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, 2047 में तब भारत की स्थिति क्या होगी, ये तय करने में हमारी खेती, हमारे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका है। ये समय भारत की कृषि को एक ऐसी दिशा देने का है, जो नई चुनौतियों का सामना कर सके और नए अवसरों का लाभ उठा सके।”
संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने याद दिलाया कि किस तरह कुछ समय पहले देश में दालों की कमी हो गई थी और उन्होंने इसके उत्पादन को बढ़ाने का आग्रह किया था। वह बताते हैं कि उस आग्रह का परिणाम आज 6 साल बाद ये है कि दाल उत्पादन में 50 फीसद वृद्धि हुई है।
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत वित्तीय लाभ की किस्त के संवितरण के अवसर पर प्रधानमंत्री का भाषण
09 Aug, 2021
नमस्कार जी,
पिछले कई दिनों से मैं सरकार की अलग-अलग योजनाओं के लाभार्थियों से चर्चा कर रहा हूं। सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, उनका लाभ लोगों तक कैसे पहुंच रहा है, ये और बेहतर तरीके से हमें पता चलता है। जनता जनार्दन से डायरेक्ट कनेक्शन का यही लाभ होता है। इस कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सभी सहयोगी गण, देशभर के अनेक राज्यों से उपस्थित आदरणीय मुख्यमंत्री गण, लेफ्टिनेंट गवर्नर, और उप-मुख्यमंत्रि गण, राज्य सरकारों के मंत्री, अन्य महानुभाव, देशभर से जुड़े किसान और भाइयों और बहनों,
आज देश के लगभग 10 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 19 हज़ार 500 करोड़ रुपए से भी अधिक ये रकम सीधी उनके खाते में ट्रांसफर हो गई है। और मैं देख रहा हूं कई अपने मोबाइल में चेक कर रहे हैं आया है क्या? और फिर एक दूसरे को ताली दे रहे हैं। आज जब बारिश का मौसम है और बुआई भी ज़ोरों पर है, तो ये राशि छोटे किसानों के बहुत काम आएगी। आज 1 लाख करोड़ रुपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को भी 1 साल पूरा हो गया है। इसके माध्यम से हज़ारों किसान संगठनों को मदद मिल रही है।
भाइयों और बहनों,
सरकार किसानों को अतिरिक्त आय के साधन देने के लिए, नई-नई फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मिशन हनी बी ऐसा ही एक अभियान है। मिशन हनी बी के चलते बीते साल हमने लगभग 700 करोड़ रुपए के शहद का एक्सपोर्ट किया है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हुई है। जम्मू-कश्मीर का केसर तो वैसे भी विश्व प्रसिद्ध है। अब सरकार ने ये फैसला लिया है कि जम्मू कश्मीर का केसर देशभर में 'नाफेड' की दुकानों पर उपलब्ध होगा। इससे जम्मू कश्मीर में केसर की खेती को बहुत प्रोत्साहन मिलने वाला है।
भाइयों और बहनों,
आप सभी से ये संवाद ऐसे समय में हो रहा है, जब हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। अब से कुछ दिन बाद ही 15 अगस्त आने वाला है। इस बार देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। ये महत्वपूर्ण पड़ाव हमारे लिए गौरव का तो है ही, ये नए संकल्पों, नए लक्ष्यों का भी एक बहुत बड़ा अवसर है।
इस अवसर पर हमें ये तय करना है कि आने वाले 25 वर्षों में हम भारत को कहां देखना चाहते हैं। देश जब आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा 2047 में, तब भारत की स्थिति क्या होगी, ये तय करने में हमारी खेती, हमारे गांव, हमारे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका है। ये समय भारत की कृषि को एक ऐसी दिशा देने का है, जो नई चुनौतियों का सामना कर सके और नए अवसरों का भरपूर लाभ उठा सके।
भाइयों और बहनों,
इस दौर में बहुत तेज़ी से हो रहे बदलावों के हम सभी साक्षी हैं। चाहे मौसम और प्रकृति से जुड़े बदलाव हों, खान-पान से जुड़े बदलाव हों या फिर महामारी के कारण पूरी दुनिया में हो रहे बदलाव हों। हमने बीते डेढ़ वर्ष में कोरोना महामारी के दौरान इसको अनुभव भी किया है। इस कालखंड में, देश में ही खान-पान की आदतों को लेकर बहुत जागरूकता आई है। मोटे अनाज की, सब्जियों और फलों की, मसालों की, ऑर्गेनिक उत्पादों की डिमांड अब तेज़ी से बढ़ रही है। इसलिए भारतीय कृषि को भी अब इसी बदलती आवश्यकताओं और बदलती मांग के हिसाब से बदलना ही है। और मुझे हमेशा से विश्वास है कि हमारे देश के किसान इन बदलावों को जरूर आत्मसात करेंगे।
साथियों,
इस महामारी के दौरान भी हमने भारत के किसानों का सामर्थ्य देखा है। रिकॉर्ड उत्पादन के बीच सरकार ने भी प्रयास किया है कि किसानों की परेशानी कम से कम हो। सरकार ने खेती और इससे जुड़े हर सेक्टर को बीज, खाद से लेकर अपनी उपज को बाज़ार तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किए, उपाय किए। यूरिया की सप्लाई निर्बाध रखी। DAP,जिसके दाम अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इस कोरोना के चलते कई गुणा बढ़ गए, उसका बोझ भी हमारी सरकार ने किसानों पर पड़ने नहीं दिया। सरकार ने तुरंत इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपए का इंतजाम किया।
साथियों,
सरकार ने खरीफ हो या रबी सीज़न, किसानों से MSP पर अब तक की सबसे बड़ी खरीद की है। इससे, धान किसानों के खाते में लगभग 1 लाख 70 हज़ार करोड़ रुपए और गेहूं किसानों के खाते में लगभग 85 हज़ार करोड़ रुपए डायरेक्ट पहुंचे हैं। किसान और सरकार की इसी साझेदारी के कारण आज भारत के अन्न भंडार भरे हुए हैं। लेकिन साथियों, हमने देखा है कि सिर्फ गेहूं, चावल, चीनी में ही आत्मनिर्भरता काफी नहीं है, बल्कि दाल और तेल में भी आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है। और भारत के किसान ये करके दिखा सकते हैं। मुझे याद है कि कुछ साल पहले जब देश में दालों की बहुत कमी हो गई थी, तो मैंने देश के किसानों से दाल उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था। मेरे उस आग्रह को देश के किसानों ने स्वीकार किया। परिणाम ये हुआ कि बीते 6 साल में देश में दाल के उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जो काम हमने दलहन में किया, या अतीत में गेहूं-धान को लेकर किया, अब हमें वही संकल्प खाने के तेल के उत्पादन के लिए भी लेना है। ये खाद्य तेल में हमारा देश आत्मनिर्भर हो, इसके लिए हमें तेजी से काम करना है।
भाइयों और बहनों,
खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के लिए अब राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम का संकल्प लिया गया है। आज देश भारत छोड़ो आंदोलन को याद कर रहा है, तो इस ऐतिहासिक दिन ये संकल्प हमें नई ऊर्जा से भर देता है। इस मिशन के माध्यम से खाने के तेल से जुड़े इकोसिस्टम पर 11 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जाएगा। सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि किसानों को उत्तम बीज से लेकर टेक्नॉलॉजी, उसकी हर सुविधा मिले। इस मिशन के तहत ऑयल-पाम की खेती को प्रोत्साहन देने के साथ ही हमारी जो अन्य पारंपरिक तिलहन फसलें हैं, उनकी खेती को भी विस्तार दिया जाएगा।
साथियों,
आज भारत कृषि निर्यात के मामले में पहली बार दुनिया के टॉप-10 देशों में पहुंचा है। कोरोना काल में ही देश ने कृषि निर्यात के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। आज जब भारत की पहचान एक बड़े कृषि निर्यातक देश की बन रही है, तब हम खाद्य तेल की अपनी ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहें, ये बिल्कुल उचित नहीं है। इसमें भी आयातित ऑयल-पाम, का हिस्सा 55 प्रतिशत से अधिक है। इस स्थिति को हमें बदलना है। खाने का तेल खरीदने के लिए हमें जो हज़ारों करोड़ रुपए विदेश में दूसरों को देना पड़ता है, वो देश के किसानों को ही मिलना चाहिए। भारत में पाम – ऑयल की खेती के लिए हर ज़रूरी संभावनाएं हैं। नॉर्थ ईस्ट और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में, विशेष रूप से इसे बहुत बढ़ाया जा सकता है। ये वो क्षेत्र हैं जहां आसानी से पॉम की खेती हो सकती है। पाम-ऑयल का उत्पादन हो सकता है।
साथियों,
खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के इस मिशन के अऩेक लाभ हैं। इससे किसानों को तो सीधा लाभ होगा ही, गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को सस्ता और अच्छी क्वालिटी का तेल भी मिलेगा। यही नहीं, ये मिशन बड़े स्तर पर रोजगार का निर्माण करेगा, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बल देगा। विशेष रूप से Fresh Fruit Bunch Processing से जुड़े उद्योगों का विस्तार होगा। जिन राज्यों में पाम-ऑयल की खेती होगी, वहां ट्रांसपोर्ट से लेकर फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स में युवाओं को अनेक रोज़गार मिलेंगे।
भाइयों और बहनों,
ऑयल-पाम की खेती का बहुत बड़ा लाभ देश के छोटे किसानों को मिलेगा। ऑयल-पाम का प्रति हेक्टेयर उत्पादन बाकी तिलहन फसलों की तुलना में बहुत ज्यादा होता है। यानि ऑयल-पाम मिशन से बहुत छोटे से हिस्से में ज्यादा फसल लेकर छोटे किसान बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।
साथियों,
ये आप भली-भांति जानते हैं कि देश के 80 प्रतिशत से अधिक किसानों के पास 2 हेक्टेयर तक ही ज़मीन है। आने वाले 25 साल में देश की कृषि को समृद्ध करने में इन छोटे किसानों की बहुत बड़ी भूमिका रहने वाली है। इसलिए अब देश की कृषि नीतियों में इन छोटे किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी भावना के साथ बीते सालों में छोटे किसानों को सुविधा और सुरक्षा देने का एक गंभीर प्रयास किया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अब तक 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए किसानों को दिए गए हैं। इसमें लगभग 1 लाख करोड़ रुपए तो कोरोना के मुश्किल समय में ही छोटे किसानों तक पहुंचे हैं। यही नहीं, कोरोना काल में ही 2 करोड़ से ज्यादा किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से अधिकतर छोटे किसान हैं। इनके माध्यम से किसानों ने हजारों करोड़ रुपए का ऋण भी लिया है। कल्पना कीजिए, अगर ये मदद छोटे किसानों को ना मिलती तो, 100 वर्ष की इस सबसे बड़ी आपदा में उनकी क्या स्थिति होती? उन्हें छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए कहां-कहां नहीं भटकना पड़ता?
भाइयों और बहनों,
आज जो कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है, जो कनेक्टिविटी का इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है या फिर जो बड़े-बड़े फूड पार्क लग रहे हैं, इनका बहुत बड़ा लाभ छोटे किसानों को ही हो रहा है। आज देश में विशेष किसान रेल चल रही हैं। इन ट्रेनों से हजारों किसानों ने अपना उत्पादन कम कीमत में ट्रांसपोर्ट का खर्चा बहुत कम देश की बड़ी-बड़ी मंडियों तक पहुंचाकर अधिक कीमत से माल बेचा है। इसी प्रकार, जो विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड है, इसके तहत भी छोटे किसानों के लिए आधुनिक भंडारण की सुविधाएं तैयार हो रही हैं। बीते साल में साढ़े 6 हज़ार से अधिक प्रोजेक्ट स्वीकृत हो चुके हैं। ये प्रोजेक्ट्स जिनको मिले हैं, उनमें किसान भी हैं, किसानों की सोसायटी और किसान उत्पादक संघ भी हैं, सेल्फ हेल्प ग्रुप भी हैं और स्टार्ट अप्स भी हैं। हाल में एक और बड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने तय किया है कि जो राज्यों में हमारी सरकारी मंडियां हैं, उनको भी इस फंड से मदद मिल सके। इस फंड का उपयोग करके हमारी सरकारी मंडियां बेहतर होंगी, ज्यादा मजबूत होंगी, आधुनिक होंगी।
भाइयों और बहनों,
इंफ्रास्ट्रक्चर फंड हो या फिर 10 हज़ार किसान उत्पादक संघों का निर्माण, कोशिश यही है कि छोटे किसानों की ताकत को बढ़ाया जाए। छोटे किसानों की बाज़ार तक पहुंच भी अधिक हो और बाजार में मोलभाव करने की उनकी क्षमता में भी वृद्धि हो। जब FPOs के माध्यम से, सहकारी तंत्र से, सैकड़ों छोटे किसान एकजुट होंगे, तो उनकी ताकत सैकड़ों गुना बढ़ जायेगी। इससे फूड प्रोसेसिंग हो या फिर निर्यात, इसमें किसानों की दूसरों पर निर्भरता कम होगी। वो स्वयं भी सीधे विदेशी बाज़ार में अपना उत्पाद बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंधनों से मुक्त होकर ही देश के किसान और तेजी से आगे बढ़ सकेंगे। इसी भावना के साथ हमें आने वाले 25 साल के एक संकल्पों को सिद्ध करना है। तिलहन में आत्मनिर्भरता के मिशन में हमें अभी से जुट जाना है। एक बार फिर पीएम किसान सम्मान निधि के सभी लाभार्थियों को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद!
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