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कालजयी संस्कृति को समाप्त करनें का षडयंत्र अब रोकना होगा - अरविन्द सिसौदिया

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कालजयी संस्कृति को समाप्त करनें का षडयंत्र अब रोकना होगा - अरविन्द सिसौदिया सनातन सभ्यता और हिन्दू संस्कृति अनादिकाल से जीवन्त है और उसे समाप्त करनें के लिये , उसके ज्ञान को समाप्त करनें के लिये, उसकी आदर्ष जीवन पद्यती को समाप्त करनें के लिये एक बडा षडयंत्र फिर से सिर उठा रहा है। इसे रोकना और विफल करना प्रत्येक भारत वासी का कर्त्तव्य है , प्रत्येक हिन्दू का सनातन का कर्त्तव्य है। देश की स्वतंत्रता में भारत के हिन्दूंओं से छल किया गया, स्वतंत्रता के बाद लगातार इसे छला गया और यह सब अब भी बडी बेशर्मी से हो रहा है। इस तस्वीर को बदलना होगा , इसके लिये मतशक्ति से सरकारों पर भी दबाव बना होगा । हिन्दुत्व को अक्क्षुण्य रखनें के लिये सब कुछ छोंक देना होगा, पूरी ताकत लगाना होगी, जो धारणा आज हमारे सामनें है, उसे बदलना होगा । इसका नीचे वर्णन है जो कि सोसल मीडिया पर फैली हुई है। इस धारणा को स्विकारना स्वयं आत्म हत्या करना होगा ।फ इसलिये आज से ही हिन्दुत्व को अजर अमर करने में जुट जायें। --------------- *शेर दहाड़ते रह गये, भेड़िए जंगल पर कब्जा बनाकर बैठ चुके हैं!* *हिन्दू एक मरती हुई नस्ल...

श्री गणेश जी का संदेशा message from shri ganesh ji

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श्री गणेश जी का संदेशा message from shri ganesh ji श्री गणेश वन्दना गजाननं भूत गणधि सेवितं, कपीत्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् । उमासुतं शोक विनाश कारकंम्, नमामी विध्नेश्वर पाद पंकजम् । वर्णानामर्थ संघानाम् रसानाम छन्द सामपी । मंगलनाम् च कर्तारो वन्दे वाणी विनायको: ॥ - अरविन्द सीसोदिया    श्री गणेश जी सनातन संस्कृति में सर्वाधिक  प्रभावशाली देवता हैं , उनकी मान्यता और प्रभाव का यह सबूत है कि वे हिन्दुओं के प्रत्येक शुभ कार्य में , मांगलिक कार्य में प्रथम पूजे जाते हैं , उनकी पूजा के बिना कोई भी धार्मिक और मांगलिक कार्य प्रारंभ नही होता है ..! मूलतः उनका जन्म , शौर्य  और अग्रपूजा इस बात के द्योतक  हैं कि  शक्ती ही सर्वोपरी है..!  यही कारण है कि उनकी मान्यता और पूजा भारत में तांत्रिक से लेकर आमजन तक और नास्तिक तक करते हैं .., कभी यह देव विश्व  व्यापी थे , इस तरह का भी अनुसन्धान  हमें मिलता है.., शिव और शिवी  तत्व बहुत ही गूढ़  और व्यापक विषय है.., यूं कहा जाये कि ये अनंत महाशक्ति हैं तो उतम होगा..,  आज सिर्फ चर्चा गणेश ज...

अक्षुण्य भारत का संकल्प ले और उसे सिद्ध करें - अरविन्द सिसोदिया intact India

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अक्षुण्य भारत का संकल्प ले और उसे सिद्ध करें - अरविन्द सिसोदिया  कोई भी जयंती कोई भी पुण्यतिथि कोई भी विशेष दिवस जब हमारे सामने मौजूद होता है तो वह हमें आत्म निरीक्षण का अवसर देता है, आत्म - अवलोकन का अवसर देता है वह अवसर हमें लाभ हानि गुणा भाग का अवसर देता है। उसके चिंतन मंथन से हमें यह तय करना चाहिए कि हमारी कमजोरी क्या थी और उन्हें दूर कैसे किया जाए और उसके लिए क्या-क्या करना है। यही तथ्य हमारे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के लिए भी आवश्यक है। स्वतंत्रता दिवस पर हमें अपनी आजादी को निरंतर गतिमान रखने का विमर्श करना चाहिए और जब यह विमर्श हम प्रारंभ करेंगे तो हमारे सामने बरसों पुरानी गुलामी और स्वतंत्र बने रहने का संघर्ष और इस संदर्भ की लंबी-लंबी दास्तांऐं सामने हैँ ।  भारत भूमि पर अपनी स्वतंत्रता को अक्षुण्य रखने का जो 3000 साल का लगातार संघर्ष हमारा रहा है वह हमें यह संदेश देता है कि हमारी  चार बड़ी कमजोरियां है। 1- अर्थहीन अनावश्यक अहिंसा को स्वीकृती , 2- सामाजिक फूट और इर्ष्या से अपने आपको विभाजित किये रहना 3- शस्त्र और पुरषार्थ छोड़ कर दुष्टता का ...

घमंडिया गठबंधन में सनातन संस्कृति के विरुद्ध अपशब्द बोलनें की होड़ लगी है - पुष्कर सिंह धामी sanatan hindu snskrti

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पत्रकार वार्ता पुष्कर सिंह धामी घमंडिया गठबंधन में सनातन संस्कृति के विरुद्ध अपशब्द बोलनें की होड़ लगी है - पुष्कर सिंह धामी कोटा 21 सितंबर। भारतीय जनता पार्टी की परिवर्तन संकल्प यात्रा को संबोधित करने कोटा पहुंचे, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि " घमंडीया गठबंधन में होड लगी हुई है, कि  कौन सनातन संस्कृति को, सनातन हिंदू संस्कृति को अधिक से अधिक अपशब्द बोले, कौन ज्यादा नीचता पर जा सकता है।"  उन्होंने " उदयनिधि स्टालीन, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे के पुत्र प्रियांक खरगे को कोड करते हुए कहा कि इन्होंने सनातन संस्कृति के विरुद्ध अभद्र टिप्पणीयां की, उसे समाप्त करने तक की बात की और गठबंधन के अन्य दल शांत रहते हैं, कांग्रेस नेतृत्व सोनिया गाँधी, कुछ नहीं बोलती, लालूजी कुछ नहीं बोलते, अन्य गठबंधन के साथी सारे के सारे चुप बैठे रहते हैं। यह सनातन विरोधी है। " उन्होंने अशोक गहलोत सरकार पर हिन्दू सनातन विरोधी होनें का आरोप लगाते हुए कहा कि "  राजस्थान तो सनातन हिन्दू संस्कृ...

सन्तश्री स्वामी रामसुखदास जी महाराज swami ramsukhdas ji

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3 जुलाई/पुण्य-तिथि विरक्त सन्त स्वामी रामसुखदास जी धर्मप्राण भारत में एक से बढ़कर एक विरक्त सन्त एवं महात्माओं ने जन्म लिया है। ऐसे ही सन्तों में शिरोमणि थे परम वीतरागी स्वामी रामसुखदेव जी महाराज। स्वामी जी के जन्म आदि की ठीक तिथि एवं स्थान का प्रायः पता नहीं लगता; क्योंकि इस बारे में उन्होंने पूछने पर भी कभी चर्चा नहीं की। फिर भी जिला बीकानेर (राजस्थान) के किसी गाँव में उनका जन्म 1902 ई. में हुआ था, ऐसा कहा जाता है। उनका बचपन का नाम क्या था, यह भी लोगों को नहीं पता; पर इतना सत्य है कि बाल्यवस्था से ही साधु सन्तों के साथ बैठने में उन्हें बहुत सुख मिलता था। जिस अवस्था में अन्य बच्चे खेलकूद और खाने-पीने में लगे रहते थे, उस समय वे एकान्त में बैठकर साधना करना पसन्द करते थे। बीकानेर में ही उनका सम्पर्क श्री गम्भीरचन्द दुजारी से हुआ। दुजारी जी भाई हनुमानप्रसाद पोद्दार एवं सेठ जयदयाल गोयन्दका के आध्यात्मिक विचारों से बहुत प्रभावित थे। इस प्रकार रामसुखदास जी भी इन महानुभावों के सम्पर्क में आ गये। जब इन महानुभावों ने गोरखपुर में ‘गीता प्रेस’ की स्थापना की, तो रामसुखदास जी भी उनके सा...

संवत और सनातन सृष्टि के शुभारम्भ से ही है - अरविन्द सिसोदिया snvat or sanatan

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संवत और सनातन धर्म सृष्टि के शुभारम्भ से ही है - अरविन्द सिसोदिया  सृष्टि के शुभारंभ से ही सनातन धर्म है। पृथ्वी पर प्रकृति सृजन की संज्ञा ही सनातन नाम से जानी जाती है। तभी से संवत व्यवस्था है, जो कि ईश्वरीय काल गणना की व्यवस्था से अभिप्रेत है। भगवान विष्णु जी की प्रेरणा से ब्रह्मा जी ने सृजन किया और सृष्टि शुभारंभ में सृष्टि संचालन हेतु ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु से अंशदान का आग्रह किया और इस प्रकार से भगवान विष्णु का प्रथम अवतार 4 सनत कुमारों के रूप में हुआ, यह चारों सनत कुमारों में से एक का नाम " सनातन " था, उन्ही के नाम से यह सृजन सनातन कहलाया । सनातन का अर्थ है कि जो सदैव नूतनता को ग्रहण करते हुए गमन करता रहे, वह सनातन है अर्थात जो निरंतर अनुसंधानकर्ता रहे, जो नवीनता का निरंतर सृजन करता रहे। नवाचार द्वारा समाज को उन्नति एवं विकास प्रदान करता हो। धर्म का मूल अर्थ धारण किये हुए अपने अपने कर्तव्य है। अर्थात अपने अपने कर्तव्यों को पूरा करते हुए यह प्रकृति संरचना निरंतर आगे बढ़ रही है, यही सनातन धर्म है। अर्थात धारण किये हुये कर्तव्यों का महासागर धर्म कहलाता है...