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दीपावली के महत्वपूर्ण पहलू Deepawali festival

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  दीपावली के सबसे महत्वपूर्ण पहलू दीपावली का पांच दिन का पर्व वर्षा ऋतु के बाद प्रारम्भ होता है, इसके पीछे अनेकानेक घटनाक्रम लोक कथायें एवं मान्यतायें स्थापित है। इसी कारण से यह भारत का सबसे बडा त्यौहार , धार्मिक कार्यक्रम एवं व्यावसायिक क्रय विक्रय का अवसर होता है। इस त्यौहार की तैयारी बहुआयामी व्यवसाय व्यापार के रूप में भी महत्वपूर्ण है। मानव सभ्यता की दृष्टि से इस पर्व की प्रारम्भ मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही माना जाता है। इस त्यौहार का प्रारम्भ पृथ्वी की सृजना के ठीक पूर्व हुये समुद्र मंथन में प्रगट हुये वैद्य धनवंतरी भगवान जो कि चिकित्सा एवं स्वास्थय के देव के प्रगटी करण से होता है। जिसे धन तेरस कहते हैं। दूसरी महत्वपूर्ण पूजा  समुद्र मंथन में  ही प्रगट हुईं धन की देवी लक्ष्मी जी के पूजन से है।  वर्षात के रोगाणुओं विषाणुओं का नष्टीकरणः- इस पर्व के ठीक पूर्व वर्षात का समय होता है। वर्षात के कारण घरों में सीम , आद्रता और अनेकानेक प्रकार की गंदगी या गैर जरूरी चीजों का घरों में जमा हो जाना होता है। जिनकी साफ सफाई जरूरी होती है। दीपावली के ठीक पूर्व सबसे महत्वपूर्ण ...

दीपावली पर्व का समाज व्यवस्था सम्बर्द्धन का वैज्ञानिक दृष्टिकोंण

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Scientific view of Deepawali festival for social system development दीपावली पर्व का समाज व्यवस्था सम्बर्द्धन का वैज्ञानिक दृष्टिकोंण भारत में सभी व्रत तिथि और त्यौहारों के पीछे कोई न कोई सामाजिक सरोकार का हेतु होता है। यही दीपावली के पर्व पर भी है। मानव के जीवन में जिन जिन व्यवस्थाओं से उन्नती प्रगति विकास एवं सम्पन्नता आती है। सुखमय व्यवस्था आती है। उन सभी के आत्म निरिक्षण व संवर्द्धन का अवसर यह उत्सव प्रदान करता है।  दीपावली भारत का सबसे प्राचीन त्यौहार है, सृष्टि सृजन के समय जब प्रलय के पश्चात समुद्र मंथन हुआ और उसमें से देवी लक्ष्मीजी के प्रगट होनें आगमन होनें के अवसर से ही यह ज्यौहार मनाया जाता है। अर्थात सनातन सभ्यता की दृष्टि से यह त्यौहार सतयुग से ही मनाया जा रहा है। इसे करोडों और अरबों वर्ष पूर्व का माना जा सकता है। इसीलिये इसमें मुख्यपूजा लक्ष्मीजी की है। हो सकता है कि इसका नया नामकरण भगवान श्रीराम के त्रेतायुग में वनवास से अयोध्या लौटते समय उनके आगमन पर जलाये गये दीपों के कारण दीपावली हो गया हो और इससे पूर्व कोई ओर नाम हो । इस वर्प में सतयुग से लक्ष्मी एवं गणेश पूजन, त्र...