दीपावली के महत्वपूर्ण पहलू Deepawali festival

 


दीपावली के सबसे महत्वपूर्ण पहलू


दीपावली का पांच दिन का पर्व वर्षा ऋतु के बाद प्रारम्भ होता है, इसके पीछे अनेकानेक घटनाक्रम लोक कथायें एवं मान्यतायें स्थापित है। इसी कारण से यह भारत का सबसे बडा त्यौहार , धार्मिक कार्यक्रम एवं व्यावसायिक क्रय विक्रय का अवसर होता है। इस त्यौहार की तैयारी बहुआयामी व्यवसाय व्यापार के रूप में भी महत्वपूर्ण है।


मानव सभ्यता की दृष्टि से इस पर्व की प्रारम्भ मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही माना जाता है। इस त्यौहार का प्रारम्भ पृथ्वी की सृजना के ठीक पूर्व हुये समुद्र मंथन में प्रगट हुये वैद्य धनवंतरी भगवान जो कि चिकित्सा एवं स्वास्थय के देव के प्रगटी करण से होता है। जिसे धन तेरस कहते हैं। दूसरी महत्वपूर्ण पूजा  समुद्र मंथन में  ही प्रगट हुईं धन की देवी लक्ष्मी जी के पूजन से है। 


वर्षात के रोगाणुओं विषाणुओं का नष्टीकरणः-

इस पर्व के ठीक पूर्व वर्षात का समय होता है। वर्षात के कारण घरों में सीम , आद्रता और अनेकानेक प्रकार की गंदगी या गैर जरूरी चीजों का घरों में जमा हो जाना होता है। जिनकी साफ सफाई जरूरी होती है। दीपावली के ठीक पूर्व सबसे महत्वपूर्ण कार्य घरों की साफ सफाई, रंगाई पुताई के द्वारा घेरों को फिर से अच्छा किया जाता है। इससे घरों की सीलन आद्रता दूर होती है, फफूंद और अन्य बैक्टीरिया तथा रोगाणुओं को साफ किया जाता है। उन्हे नष्ट कर मानव जीवन का सुरक्षित किया जाता है। आतिशबाजी भी इसी का हिस्सा है। आतिशबाजी से सामान्यतौर पर सल्फरयुक्त धुंआ एवं तेज आवाज निकलती है। जो कि रोगाणुओं का नाश करती है। मेरी समझ से दीपावली पर यह सबसे बडा कार्य होता है।



आर्थिक आत्मनिरिक्षण :-

दीपावली पर दूसरा सबसे बडा कार्य आपनी आय के संसाधनों का आत्मनिरिक्षण या यूं कहें कि आर्थिक स्त्रोतों की वार्षिक समीक्षा होती है। धनतेरस को ही कुबेर की पूजा होती है। कुबेर मुख्यरूप से खजानें के अधिपति है। खजानें के देवता है। इस दिन व्यापारी लोग अपने बही खातों की भी पूजा करते हैं।


मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही मनाई जाती है दीपावली :-

अर्थात दीपावली के दो देव भगवान धनवंतरी एवं देवी लक्ष्मी का प्रगटीकरण समुद्र मंथन से जुडा है जो सतयुग के ठीक पूर्व होता है। अर्थात यह त्यौहार मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही है।


दीपावली मानव सभ्यता के लिये निरोगी काया को सबसे बडा धन मानते हुये इसे भगवान धनवन्तरी के पूजन से प्रारम्भ करती है। इसी प्रकार से परिवार की बजत रूपी दूसरा बडा खजाना माना गया है, जिसके देव कुबेर का पूजन होता है। इसी तरह रूप चौदस को तीसरे क्रम पर रख गया है। अर्थात मानव जीवन में अपने शरीर का स्वच्छ एवं सुसज्जित रखने के महत्व को तीसरा धन माना गया है। अपने आपको भली प्रकार से रखना सौंदर्यपूर्ण रखना ही इसका हेतु । रूप को गरिमामय रखनें के संदेश के साथ रूप चौदस मनाई जाती है। इसदिन सामान्यतः हनुमानजी महाराज का चोला चढाया जाता है। इसी दिन नरकासुर का वध भगवान श्रीकृष्ण नें किया था इसलिये इसे शक्ति की पूजा के रूप में नरक चौदस के रूप में भी मनाया जाता है। अर्थात शक्ति को भी धन माना गया है।


तीसरे दिन लक्ष्मीजी का पूजन गणेश जी के साथ होता है, कई जगह देवी काली और सरस्वती जी का भी पूजन होता है। इसके पीछे तात्पर्य यही है कि आर्थिक , शक्ति स्वरूप और ज्ञान स्वरूप धन को और अधिक विकास एवं सम्पन्नता की ओर  प्रगतीमान करो । 


इसी तरह चौथे दिन गोवर्द्धन पूजा पर्यावरण रक्षा एवं ग्रामीण परिवेष जिसमें समग्र जन जीवन की प्राकृतिक सुरक्षा व संरक्षण को धन के रूप में मान्यता दी गई है।


पांचवे दिन भाई दौज है माना जाता है कि यमुना के घर उनका भाई यम आया था, इसी कारण यह पर्व भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। किन्तु इसका मूल भाव रिस्तों नातों को  धन के रूप में आवश्यक माना गया है।

भगवान श्रीराम का अयोध्या आगमन :-

भगवान श्रीराम अपने पिता के वचन निभानें के लिये 14 वर्ष वन में गये थे, इस दौरान अयोध्यावासी उनकी भावविहल होकर प्रतिक्षा कर रहे थे। जब उन्हे पता चला कि भगवान श्रीराम अयोध्या आ गये है। तो उन्होनें अनके आगमन की खुशी में अमावश्या की गहन रात्रि को उजाले में बदल दिया । श्रीराम का समय 17.5 लाख वर्ष पूर्व का है। क्यों कि वे त्रेतायुग में अवतरित हुये थे। 


दीपावली तीन युगों का पर्व है इसमें इसमें सतुयग के प्रारम्भ का समुद्र मंथन से प्रगट देवी लक्ष्मी एवं भगवान धनवंतरी है, त्रेतायुग में श्रीराम के आगमन का दीपोत्सव है और द्वापर युग के श्रीकृष्ण जी का गोवर्धन पर्वत उठानें और नरकासुर नामक राक्षस का वध है। वहीं अब कलयुग भी इस पर्व से इसलिये जुड गया है कि, 500 साल तक अपनी जन्मभूमी में अमर्यादित अवस्था से मुक्त होकर भगवान श्रीराम गरिमामय स्वरूप में अब दीपावली फिर से मनायेंगे। 

Most important aspects of Deepawali


The five day festival of Deepawali starts after the rainy season, there are many events, folk tales and beliefs behind it. For this reason, it is the biggest festival of India, an occasion for religious programs and commercial purchase and sale. Preparations for this festival are also important in the form of multi-faceted business.


From the point of view of human civilization, the beginning of this festival is considered to be from the beginning of human civilization itself. This festival begins with the manifestation of Vaidya Dhanvantari Bhagwan, the god of medicine and health, who appeared in the Samudra Manthan just before the creation of the earth. Which is called Dhanteras. The second important Puja is the worship of Goddess Lakshmi, the goddess of wealth, who appeared in the Samudra Manthan itself.


Destruction of germs and viruses of rain:-

This festival is just before the rainy season. Due to rain, dampness, humidity and many types of dirt or unnecessary things get accumulated in the houses. Cleaning of which is necessary. The most important work just before Diwali is to clean the houses, paint and whitewash the walls and make the walls look good. This removes the dampness and moisture from the houses, removes fungus and other bacteria and germs. They are destroyed and human life is protected. Fireworks are also a part of this. Fireworks usually emit sulphurous smoke and loud sound. This destroys germs. In my opinion, this is the biggest work on Diwali.


Economic introspection:-

The second biggest work on Diwali is introspection of your sources of income or in other words, annual review of financial sources. Kubera is worshipped on Dhanteras. Kubera is mainly the lord of the treasury. He is the god of the treasury. On this day, businessmen also worship their account books.


Deepawali is celebrated from the beginning of human civilization:-


That is, the manifestation of the two gods of Deepawali, Lord Dhanvantari and Goddess Lakshmi, is associated with the Samudra Manthan, which takes place just before the Satyuga. That is, this festival is from the beginning of human civilization.


Deepawali considers a healthy body to be the biggest wealth for human civilization and begins with the worship of Lord Dhanvantari. Similarly, the budget of the family is considered to be the second biggest treasure, whose god Kuber is worshipped. Similarly, Roop Chaudas is placed on the third position. That is, the importance of keeping one's body clean and well-groomed in human life is considered the third wealth. Its purpose is to keep oneself well and beautiful. Roop Chaudas is celebrated with the message of keeping the beauty dignified. On this day, generally Hanumanji Maharaj's chola is offered. On this day, Lord Krishna killed Narakasur, so it is also celebrated as Narak Chaudas as a worship of power. That is, power is also considered wealth.


On the third day, Lakshmi is worshipped along with Ganesha. At many places, Goddess Kali and Saraswati are also worshipped. The meaning behind this is to make the economic, power and knowledge form wealth progress towards more development and prosperity.


Similarly, on the fourth day, Govardhan Puja is celebrated for environmental protection and rural environment in which natural protection and conservation of the entire public life is recognized as wealth.


On the fifth day, Bhai Dooj is celebrated. It is believed that Yamuna's brother Yam had come to her house. That is why this festival is celebrated as Bhai Dooj. But its basic meaning is that relationships are considered as important as wealth.


Lord Shri Ram's arrival in Ayodhya: - Lord Shri Ram went to the forest for 14 years to fulfill his father's promise. During this time, the people of Ayodhya were waiting for him with great emotion. When they came to know that Lord Shri Ram has come to Ayodhya, then in the joy of his arrival, they turned the dark night of Amavasya into light. The time of Shri Ram is 17.5 lakh years ago. Because he was born in Treta Yug.


Diwali is the festival of three eras. It marks the beginning of Satya Yug with Goddess Lakshmi and Lord Dhanvantari emerging from the churning of the ocean. Deepotsav is the festival of Shri Ram's arrival in Treta Yug and Dwapar Yug marks Shri Krishna lifting the Govardhan mountain and killing the demon Narakasura. Now Kali Yug has also joined this festival because, after being freed from the unruly state of 500 years in his birthplace, Lord Shri Ram will now celebrate Deepawali again in a dignified form.

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1. प्रकाश पर्वः दीपावली को प्रकाश का त्योहार कहा जाता है, जिसमें लोग अपने घरों में दीये जलाकर अंधकार पर प्रकाश की विजय का जश्न मनाते हैं।


2. राम की वापसीः दीपावली का त्योहार भगवान राम की 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या में वापसी का प्रतीक है।


3. लक्ष्मी पूजाः दीपावली के दिन लोग लक्ष्मी जी, गणेश जी और कुबेर जी की पूजा करते हैं ताकि उनके घर में सुख, समृद्धि और धन की बरकत हो।


4. परिवार और मित्रों के साथ मिलनः दीपावली का त्योहार परिवार और मित्रों के साथ मिलने का अवसर प्रदान करता है।


5. आत्मशुद्धि और नई शुरुआतः दीपावली का त्योहार आत्मशुद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें लोग अपने पापों को जलाकर नई शुरुआत करते हैं।


6. सामाजिक एकताः दीपावली का त्योहार सामाजिक एकता और सद्भावना को बढ़ावा देता है।


7. बच्चों के लिए आनंदः दीपावली का त्योहार बच्चों के लिए आतिशबाजी, मिठाइयों और नए कपड़ों का आनंद लेने का अवसर प्रदान करता है।

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