एक्जिट पोल को लेकर ज्यादा गंभीरता ठीक नहीं - अरविन्द सिसौदिया exit polls

 


एक्जिट पोल को लेकर ज्यादा गंभीरता ठीक नहीं - अरविन्द सिसौदिया

सरकारों का बदलना, जनता के बर्चस्व की पहचान होता है - अरविन्द सिसौदिया 


यूं तो लोकतंत्र में सरकारें बदलती रहना जनता के बचर्स्व का प्रमाण होता है। एक ही एक सरकार रहना कई प्रकार की समस्याओं को जन्म देता है। इसलिये जिस तरह रोटी को अच्छी सेकनें के लिये अलट पलट ठीक रहती है। उसी तरह सरकारों का और नेतृत्वों का बदलते रहना ठीक ही रहता है। इसे अच्छे लोकतंत्र की निसानी भी माना जाता है।


किन्तु मेरा मानना है कि एक्जिक्ट पोल को लेकर भी ज्यादा गंभीर नहीं होना चाहिये क्यों कि जितने संसाधन वास्तविक एक्जिट पोल को करवानें में लगते हैं उतने कोई नहीं लगाता ! बल्कि अंदाजे के आधार पर कमाई की नौटंकी ज्यादा लगती है। पिछले विधानसभा चुनावों में छतीशगढ़ में कांग्रेस को जीता दिखा रहे थे। वहां कांग्रेस बहुत बुरी तरह हारी। लोकसभा चुनावों में एकाध चैनल को छोड कर सभी भाजपा को 300 पार दिखा रहे थे जबकि परिणाम 240 पर आकर ठहर गये।


एक्जिट पोल मनोरंजन का अच्छा साधन मात्र है। किस प्रदेश में कौन आने वाला है इसका पूर्वानुमान तो चुनाव प्रारम्भ से पहले ही लगभग हो जाता है। इसलिये इन्हे गंभीरता से नहीं लेना चाहिये। जो होना है फाईनल रिज्लट में हो जायेगा। जनता का निर्णय है स्विकार करना ही चाहिये। इसी में लोकतंत्र का हित है। 


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It is not right to be too serious about exit polls - Arvind Sisodia


Changing of governments is a sign of people's dominance - Arvind Sisodia


In a democracy, changing of governments is a proof of people's dominance. Having the same government gives rise to many kinds of problems. Therefore, just as it is good to turn around to bake roti well, similarly it is also good for governments and leadership to keep changing. This is also considered a sign of a good democracy.


But I believe that one should not be too serious about exit polls because no one spends as many resources as are spent in conducting actual exit polls! Rather, it seems more like a drama of earning on the basis of estimation. In the last assembly elections, Congress was shown winning in Chhattisgarh. Congress lost very badly there. In the Lok Sabha elections, except for one or two channels, all were showing BJP crossing 300, whereas the result stopped at 240.


Exit polls are just a good means of entertainment. The prediction of who will win in which state is almost done before the elections start. Therefore, they should not be taken seriously. Whatever has to happen will happen in the final result. It is the decision of the people and it must be accepted. This is in the interest of democracy.

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