गलती पटवारी करे - रिकॉर्ड में ग़लती यानी भू स्वामी के गले में फाँसी का फ़ंदा
खसरा रिकार्ड में त्रुटिपूर्ण सुधार का तुगलकी कानून: भू-राजस्व की रिश्वत संहिता
डॉ. संतोष पाटीदार 93400-81331 सबसे पहले खबर...इंदौर
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश की जनता के लिए भू-राजस्व कानून को सरल एवं सुगमता से क्रियान्वित करने के लिए साइबर कोर्ट का अत्यंत महत्वपूर्ण उपयोगी मॉडल लागू किया है। इसके बावजूद इसके सरकारी रिकार्ड में भूमिस्वामी का नाम, बालिक-नाबालिग, भूमि उपयोग के आदेश के रिकार्ड में पटवारी की गलती दर्ज नहीं की गई है, आदि त्रुटिपूर्ण भूलवश या फिर जान बकझक की है। अधिकांश मामलों में इसके लिए पूरी तरह से पटवारी या तहसील कार्यालय की जिम्मेदारी होती है।
इस तरह के दस्तावेजों में सुधार बहुत आसानी से और कम समय में बिना किसी रिश्वत के हो सकता है, लेकिन भू राजस्व संहिता में ऐसे गलत सुधार नहीं किए जा सकते, ऐसे नियम कानून बनाए गए हैं, जो बताए गए हैं कि पटवारी से लेकर कर्मचारी/डॉक्टर और डॉक्टर तक के लिए। मनमाने का टिकट खुल गया। ब्रिटिश के काले कानून से भी ज्यादा परेशान करने वाला मध्य प्रदेश सरकार का यह नियम कानून है। अपराधी ही न्यायाधीश की भूमिका में (ए)न्याय करता है। ऐसा होता है गलत के जड़ में पटवारी।
खसरा रिकार्ड में सुधार के लिए गलती हो जाने पर पटवारी के पास ही सारी प्रक्रिया फिर से घूमकर ध्यान केंद्रित हो जाती है। मूल रिकार्ड में दर्ज खसरा रिकार्ड सुधार के लिए खसरा रिकार्ड की नकल भी पटवारी के पास से ही रिकॉर्ड की गई है। फिर भी वह बैकपैक से बैकपैक के लिए रन धूप करवाकर रिश्वत देने के लिए मजबूर करती है। नई भू राजस्व संहिता में लॉटरी-एसडीओ के माध्यम से पात्र को और फिर पटवारी को त्रुटिपूर्ण सुधार का आवेदन भेजा जाता है।
ब्राइट रिफॉर्मेशन कर रिपोर्ट फिर से आईआईटी को, आईआईटी रीस्टार्ट-एसडीएम को पेश करती है वह फिर से उसे आईआईटी को भेजता है। रजिस्ट्रार से फिर वह पासपोर्ट के पास सुधार करने के लिए आता है। इस पर पूर्व सरकारी अधिकारी और राजस्व मामलों की जानकारी अशोक व्यास का कहना है कि सारा खेल पटवारी के रिकॉर्ड से ही संचालित होता है और सुधार की सारी प्रक्रिया भी अभी तक ही पहले की तरह होनी चाहिए। अगर-पटवारी गलत काम करते हैं तो उन्हें जेल की सजा भी होगी। ऐसा होने पर कोई पटवारी या गलत नाम पर गलत काम करने की इच्छा क्यों होती है। भू-राजस्व संहिता में 5 वर्ष पूर्व के त्रुटिपूर्ण सुधार मामले में आवेदकों की अनिवार्यता सुनिश्चित की गई है।
अधिकांश भूस्वामी इस नियम से अनभिज्ञ हैं, इसके लाभ पटवारी और तहसील कार्यालय में अच्छी-खासी हिस्सेदारी हैं और अधिभोगियों के स्वामित्व से छूट के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं। विस्थापित सरकारी तंत्र से संबंधित गांव का भूस्वामी जिला तक प्रतियोगी से मिलने का साहस नहीं कर पाता और वह रिश्वत के जाल में फंस जाता है। जनता, अपर कलेक्टर कार्यालय के बाबू राज का तांडव महान से जानते हैं। इसलिए वे नामांकित, नामांकित और पटवारी सही हैं और उनके माध्यम से ही त्रुटिपूर्ण सुधार योग्यताएं स्थापित की गई हैं।
खसरा में त्रुटि और उसके सुधार के संबंध में शास्त्रीय परंपरा से बातचीत की तो उन्होंने यह भी कहा कि त्रुटिपूर्ण सुधार में बेकसूर लैंड स्वामी को ही दोषी साबित करते हैं और तय सजा करत देते हैं, जबकि त्रुटि के लिए सरकारी मुलाजिम जिम्मेदार होता है। त्रुटिपूर्ण सुधार का दायित्व पुनः होना चाहिए। संपूर्ण प्रदेश में त्रुटिपूर्ण सुधार के नाम पर भूमि स्वामियों के साथ अन्याय और अत्याचार सरकारी तंत्र द्वारा करने की चर्चा की गई है।
खसरे में हुई संपत्तियों के निम्न प्रकार हैं...
1. भूस्वामी के नाम में मात्राओं की त्रुटि का सुधार।
2. पूर्व में हुए किसी ऑर्डर के अमल दरामद के समय में हुई बटेशन या सर्वे नंबर की त्रुटि।
3. नाबालिग को बालिग करने से संबंधित ऑर्डर। (यह त्रुटि नहीं
है मगर बहुत से राजस्व अधिकारी इसे भी त्रुटिपूर्ण मानते हैं)
5. पूर्व में किसी आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो उसे भी त्रुटिपूर्ण मान लिया गया।
पूर्व सरकारी अधिकारी डॉक्टर के सलाहकार हैं कि पुरानी भू राजस्व संहिता खसरे में हुई किसी भी त्रुटि के कारण सुधार के लिए अधिकार प्राप्त किए जा सकते हैं और ऐसी स्थिति में दस्तावेज स्वप्रेरणा से या भूस्वामी के आवेदन पत्र पर भी राजस्व अभिलेखों में सुधार किया जा सकता है। नई भूराजस्व संहिता के लागू होने के बाद यह अधिकार अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को दिए गए हैं। और यदि यह त्रुटिपूर्ण है तो 5 वर्ष से अधिक पूर्व की तिथि तक ही अंकित मूल्य प्राप्त किया जा सकता है। नहीं तो नहीं लिया गया पुजारी से मठाधीश, मठ और रत्न से लेकर ऊपरी पुजारी और फिर से कलेक्टर तक कागज में जाने के लिए कितनी जगह नाकाबंदी होती है और कितने समय की होती है यह सब जानते हैं और इस पर महीनो तक संबंधित एसोसिएशन ही बैठक में कभी भी जाते हैं हैं। इन सारी मुसीबतों से बचने के लिए भूमि स्वामी मुख को छूट दी गई है, अपना पिंड छुड़ाना चाहता है।
डॉक्टर का कहना है कि त्रुटिपूर्ण सुधार की बेहद आसान प्रक्रिया को बेहद जटिल और असंगत बनाकर भूमि स्वामियों के लिए सजा का पर्याय बनाया गया है। ऐसा इसलिए है कि जब पूर्व में पिछले वर्ष के खसरे में त्रुटि की समस्या उत्पन्न हुई थी, तो पटवारी से रिपोर्ट लेकर आदेश जारी कर खसरे में संशोधन की प्राथमिकता दी गई थी।
तुगलकी नियम कानून
अब अनुविभागीय अधिकारी के यहाँ से प्राप्त आवेदन अनुविभागीय अधिकारी से प्रतिवेदन प्राप्त करने के लिए प्रकरण दर्ज करें और अनुरोध करें, पटवारी रिपोर्ट लेकर पुनः अनुविभागीय अधिकारी राजस्व की ओर से जारी करते हैं। राजस्व आदेश को अमल में लाने के लिए यानी खसरा में संशोधन के लिए प्रकरण पुनः आरंभ करने की प्रक्रिया जारी की जाती है। इसके बाद अंतिम पटवारियों को ऑर्डर देकर खसरे में अमल करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय का इंटरेस्ट होता है। पूर्व में यही प्रक्रिया बहुत आसानी से धन्यवाद द्वारा कर दी गई थी।
अब बात आती है 5 वर्ष से अधिक पुरानी त्रुटि के सुधार के संबंध में। तो प्रथम अनुविभागीय अधिकारी पद से प्रतिवेदन प्राप्त करते हैं और प्रथम अनुविभागीय अधिकारी से प्रतिवेदन प्राप्त कर अपना प्रतिवेदन न्यायालय को स्वीकार करते हैं। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रकरण में अनुविभागीय अधिकारी के पास प्राप्त होता है और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रकरण में अंतिम प्रकरण पुनः प्रारंभ करते हैं। फिर यह आदेश अनुरोध को अमल के लिए भेजा जाता है और अन्य पटवारी के माध्यम से अमलदराम का निर्माण किया जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया में पहले जो काम 15 दिन के अंदर हो सकता था, उसके लिए लगभग एक साल तक का समय लगता है और उसे आर्थिक रूप से बहुत नुकसान होता है और मानसिक तनाव भी होता है। ऐसी स्थिति में सुधार करने की इस प्रक्रिया में हुई त्रुटि के बारे में बताया जाना चाहिए।
इस संबंध में एक रोचक घटना
डॉ. फोटोग्राफर ने बताया कि यहां एक प्रकरण चल रहा था जो कि नई राजस्व संहिता के अंतर्गत खसरा सुधार संबंधी अधिकार अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को प्राप्त हो रहा है। मैंने उस एपिसोड को देखने के समय जब देखा तो मेरे आश्चर्य का सुझाव नहीं आ रहा था। वकील ने अपना एक आवेदन पत्र कोर्ट कोर्ट में पेश कर यह अनुरोध किया था कि वर्ष 1997 में एक नाम का अनुवाद हुआ था, लेकिन उसका अमलदारम नहीं हुआ था।
आवेदन के साथ उसने 1997 के आवेदन पत्र के आधार पर आधिकारिक आदेश की नकल और एक अन्य आदेश दिया था, जिस आदेश में उसने 1997 के आवेदन पत्र के आधार पर अपनी नकल प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे, सहायक ने पटवारी ने उस आदेश का भी पालन नहीं किया। इस पुनः आरंभ में उसने एक नवीन आवेदन पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें वर्ष 1997 और उसके बाद के नवीन आवेदन और ऑर्डर की प्रति प्रस्तुति की थी, पाठक सिद्धांतों का अमल नहीं होने के बाद तीसरा आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था, जिसमें वर्ष 1997 का मूल शामिल था। आदेश उनके अंतिम आदेश के अमल दरामद के आदेश की नकल प्रस्तुत की गई थी, जो कि नागालैंड अधिकार अनुविभागीय अधिकारी को प्राप्त होने के कारण न्यायालय में प्राप्त हुआ।
वैल्यूएशन के अभिभाषक ने यह बताया कि 5 साल पहले हुई त्रुटि के कारण डेमोक्रेट्स की आय में सुधार संभव नहीं है, इसलिए वैल्यूएशन कोर्ट में सुधार संभव नहीं है। इस प्रकरण में मेरे द्वारा यह निर्णय दिया गया कि वर्ष 1997 में अमल दरामद के आदेश का पालन नहीं किया गया है इसलिए इस प्रकरण के खसरे में त्रुटि नहीं है। ऐसी स्थिति में साल 1997 के लगभग ऑर्डर का ऑर्डर चालू हो गया और एपिसोड में लगभग 20 साल बाद अमल दरामद का ऑर्डर हो गया..
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मध्य प्रदेश में, पटवारी की गलती से खसरे में हुई त्रुटि सुधार के लिए, तहसील कार्यालय में आवेदन करना होता है. तहसीलदार, पटवारी को त्रुटि सुधार के लिए प्रतिवेदन तैयार करने का निर्देश देते हैं. इस प्रक्रिया के लिए, मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 के किसी उपबंध के तहत न्यायालयीन आदेश की ज़रूरत नहीं होती. तहसीलदार, कार्यकारी निर्देश के तहत संक्षिप्त जांच करके त्रुटि सुधार कर सकते हैं.
भू-अभिलेख में हुई गलती या अशुद्ध प्रविष्टि के सुधार के लिए, मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 115 का प्रावधान है. भू-अभिलेख में नक्शा भी शामिल होता है.
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जगदलपुर
पटवारी रिकार्ड में त्रुटि सुधार कराने एसडीएम कार्यालय के नहीं लगाने पड़ेगे चक्कर, तहसीलदारों को मिली 5 बड़ी शक्तियां…जानिए
Tahsildar Power: तहसीलदार, पटवारी को प्रतिवेदन तैयार करने के निर्देश देते थे। यह प्रतिवेदन पुन: एसडीएम कार्यालय भेजा जाता था। अब सीधे तहसील कार्यालय में आवेदन करना होगा, यहीं से त्रुटि सुधार किया जाएगा।
जगदलपुर
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Jul 24, 2024 / 01:26 pm
CG Tahsildar Power: पटवारी रिकार्ड की त्रुटियों में सुधार के लिए अब भू-स्वामियों को एसडीएम कार्यालय भटकना नहीं पड़ेगा। राजस्व रिकार्ड में त्रुटि सुधार के आवेदनों पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए अब राज्य सरकार ने तहसीलदारों को जिम्मेदारी सौंप दिया है। लोगों को राजस्व मामले में राहत पहुंचाने यह अहम फैसला लिया गया है। अब पटवारी रिकार्ड में दर्ज त्रुटियों का निराकरण करने के लिए तहसीलदारों के द्वारा ही किया जाएगा।
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अभी ये होती थी परेशानी
अभी तक नाम, पता सहित पटवारी रिकार्ड में गलतियों को सुधारने के लिए पहले एसडीएम कार्यालय में आवेदन देना पड़ता था। वहां से यह आवेदन तहसीलदार को भेजा जाता था। तहसीलदार, पटवारी को प्रतिवेदन तैयार करने के निर्देश देते थे। यह प्रतिवेदन पुन: एसडीएम कार्यालय भेजा जाता था। अब सीधे तहसील कार्यालय में आवेदन करना होगा, यहीं से त्रुटि सुधार किया जाएगा। राजस्व रिकॉर्ड में नाम सुधारना, खसरा सही नहीं होना, पटवारी रिकॉर्ड में गलती आदि राजस्व त्रुटियों के लिए अब एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।
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तहसीलदार क़ो पांच नए अधिकार मिलने क़े बाद राजस्व रिकार्ड में त्रुटि सुधार प्रकिया होगी सरल
● भूमि स्वामी, उसके पिता, पति के नाम, उपनाम, जाति, पते में त्रुटि सुधार।
● कैफियत कालम में की गई त्रुटिपूर्ण प्रविष्टि में सुधार करना।
● त्रुटिवश जोड़े खसरों को अलग करना।
● भूमि के सिंचित अथवा असिंचित होने संबंधी प्रविष्टि में सुधार करना।
● भूमि के एक फसली अथवा बहु फसली की प्रविष्टि में त्रुटि सुधार करना।
राजस्व मामलों में तेजी के निर्देश
खेती-किसानी का सीजन शुरु हो चुका है। राज्य सरकार ने राजस्व के लंबित मामलों के निराकरण में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। तहसीलदारों के अधिकारों में की गई बढ़ोतरी को भी इसी दिशा में किया गया प्रयास माना जा रहा है। वहीं अब सरकार के इस निर्णय के बाद लोगों को राहत मिलेगी।
पटवारी रिकार्ड में त्रुटि सुधार कराने की प्रक्रिया को सरल करने का प्रयास सरकार के द्वारा किया गया। शासन के द्वारा तहसील को अधिकार प्रदत्त होने से लोगों को राहत मिलेगी और बेवजह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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