Diwali is the festival of social awakening and consciousness
दीपावली सामाजिक जाग्रति और चेतना का पर्व
Diwali is the festival of social awakening and consciousness
अपने आर्थिक आत्मनिरीक्षण का अवसर भी है दीपावली
Diwali is also an opportunity for your financial introspection
दीपावली भगवान श्रीराम के वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटनें पर , अयोध्यावासियों के द्वारा किये गए उत्सवपूर्ण स्वागत के क्रम में आयोजित 5 दिन का महापर्व है । किंतु इस पर्व की दूसरी अन्य विषतायें हैं जो इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती हैं ।
Deepawali is a five-day festival organized in order to welcome the people of Ayodhya, after the return of Lord Shri Ram to Ayodhya after completing his exile. But there are other features of this festival which make it very important.
विजयादशमी यानें कि दशहरा से ठीक 20 दिन बाद दीपावली का त्यौहार आता है । इन 20 दिनों में घरों की साफ सफाई , टूटफूट की मरम्मत, जरूरी नवनिर्माण आदि के कार्य किये जाते हैं। उन्हें ठीक करके पुनः व्यवस्थित किया जाता है अर्थात आवास व्यवस्था का पुनर्निरीक्षण करना । आत्मावलोकन करना ।
Vijayadashami means that the festival of Deepawali comes exactly 20 days after Dussehra. In these 20 days, the work of cleaning the houses, repair of damages, necessary renovation etc. is done. They are corrected and rearranged, that is, to re-examine the housing system. To introspect
इस पर्व की दो सर्वाधिक लोकप्रिय विशेषताएं हैं, प्रथम तो दीपकों की श्रंखला जला कर प्रकाशित करना और दूसरा आतिशबाजी कर हर्ष को उत्साह को व्यक्त करना ।
The two most popular features of this festival are, firstly, lighting a series of lamps and secondly expressing the enthusiasm of joy with fireworks.
अंधकार से प्रकाश की ओर चलना है का संदेश दीपक हमें दे रहे हैं। यह अंधकार सभी तरह की दरिद्रताओं को परास्त कर सफलताओं की ओर चलनें की प्रेरणा दे रहा है । दीपक यह बताता है,
लाख सूरज उजियारे का समुद्र हो,
मगर आत्मविश्वास की लो तो जला,
दूर अंधकार को तो दीपक भी कर सकता है।
यह किसी भी संकल्प को पूरा करनें की क्षमताओं को प्रेरित करता है ।
Deepak is giving us the message that we have to move from darkness to light. This darkness is giving inspiration to overcome all kinds of poverty and walk towards success. Deepak tells this,
May a million suns be a sea of light,
But take confidence, then burn,
Even a lamp can light a distant darkness.
It inspires the abilities to fulfill any resolution.
वर्षात के कारण इस मौसम में विषाणुओं की भरमार होती है,सल्फर अर्थात गन्धक से बनने वाले फटाकों का धुआं इन बीमारी उत्पन्न करनें वाले विषाणुओं का नाश कर देता है ।
Due to rains, this season is full of viruses, the smoke of firecrackers made from sulfur i.e. sulfur destroys these disease-causing viruses.
बकरीद पर चुप रहनें वाले होली दिवाली पर बहुत हायतौबा मचाते हैं । इनकी एक मत सुनो ।
Those who keep quiet on Bakrid create a lot of hue and cry on Holi Diwali. Don't listen to them.
दीपावली का प्रथम पर्व धनतेरस होता है इसदिन धन्वन्तरि भगवान की पूजा अर्चना करना प्रमुख है । अर्थात अपने और अपने परिवार को स्वस्थ रखनें की व्यवस्था को ठीक करना, उसे समझना , उसके महत्व और आवश्यकता को जानना तथा उससे जुड़ना ।
Dhanteras is the first festival of Deepawali, on this day it is important to worship Lord Dhanvantari. That is, to fix the system to keep yourself and your family healthy, understand it, know its importance and need and connect with it.
चौदस को रूप चौदस भी कहा जाता है, यह अपने एवं अपने परिवार के शरीरिक सौन्दर्य , साफ सफाई, सज्जा, वेषभूषा की व्यवस्था का पुनरावलोकन है । उसमें नवीनताओं के समावेश का पर्व है। अर्थात स्वयं से लेकर भगवान के सौंदर्यीकरण को संवारने की व्यवस्थाओं का पुनरावलोकन है। हनुमानजी की प्रतिमा का सौन्दर्यकरण विशेष होता है। सोनें के वर्क से उनका श्रंगार किया जाता है। कुल मिलाकर अपने रूप का स्वरूप का ध्यान रखने का विषय है ।
Chaudas is also called Roop Chaudas, it is a review of the system of physical beauty, cleanliness, decoration, dress of oneself and one's family. It is a festival of incorporation of innovations. That is, there is a review of the arrangements to beautify God from self to beautification. The beautification of the statue of Hanumanji is special. They are adorned with gold work. Overall, it is a matter of taking care of your form.
अमावश्या को लक्ष्मी पूजन होता है, यह अपने आय के स्रोत का आत्मबोध है। धन संपत्ती और आय के संसाधनों का देखना समझना उनकी पूजा करना । अर्थात आर्थिक आत्मनिर्भरता का अवलोकन ।
Lakshmi Puja is performed on Amavashya, it is self-realization of one's source of income. To see and understand the resources of wealth and income, worship them. That is, the observation of economic self-reliance.
पड़वा को गोवर्द्धन पूजा मुख्य है जो कि पर्यावरण की सुरक्षा का चिंतन है ।
Govardhan Puja is the main thing on Padwa, which is the contemplation of protection of the environment.
दोज को भाई दौज मनाई जाती है , सनातन संस्कृति बहन को भाई के घर से जोड़ कर रखती है । साल में चार बार बहन को भाई बुलाता है या उसके घर जाता है । रक्षा बंधन पर राखी बंधवाने , मकर संक्रांति पर, होली - दीपावली की दूज पर बहन को घर बुलानें, सम्मान देनें का विधान है । यदि ये त्योहार न हों तो भाई बहन को बुलायेगा ही नहीं । अर्थात रिश्ते नातों को प्रगाढ़ करनें की प्रेरणा यह अवसर देता है ।
Dooj is celebrated as Bhai Douj, Sanatan culture keeps sister connected with brother's house. Four times a year the brother calls the sister or goes to her house. There is a law of tying Rakhi on Raksha Bandhan, on Makar Sankranti, on Holi-Deepawali's Dooj, to call sister home, to give respect. If these festivals are not there, then the brother will not call the sister. That is, the motivation to deepen the relationship gives this opportunity.
कुल मिला कर हमारे आध्यात्मिक और धार्मिक, शारीरिक, सामाजिक एवं आर्थिक विषयों के आत्मनिरीक्षण करनें , उनमें आई कमियों को दूर करने उन्हें दुरस्त करनें का पर्व भी दीपावली है । इसे सामाजिक जाग्रति और चेतना का पर्व कहना अधिक सार्थक होगा ।
Overall, Diwali is also a festival of introspection of our spiritual and religious, physical, social and economic subjects, to remove the shortcomings in them and to correct them. It would be more meaningful to call it a festival of social awakening and consciousness.
Diwali is the festival of social awakening and consciousness
अपने आर्थिक आत्मनिरीक्षण का अवसर भी है दीपावली
Diwali is also an opportunity for your financial introspection
दीपावली भगवान श्रीराम के वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटनें पर , अयोध्यावासियों के द्वारा किये गए उत्सवपूर्ण स्वागत के क्रम में आयोजित 5 दिन का महापर्व है । किंतु इस पर्व की दूसरी अन्य विषतायें हैं जो इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती हैं ।
Deepawali is a five-day festival organized in order to welcome the people of Ayodhya, after the return of Lord Shri Ram to Ayodhya after completing his exile. But there are other features of this festival which make it very important.
विजयादशमी यानें कि दशहरा से ठीक 20 दिन बाद दीपावली का त्यौहार आता है । इन 20 दिनों में घरों की साफ सफाई , टूटफूट की मरम्मत, जरूरी नवनिर्माण आदि के कार्य किये जाते हैं। उन्हें ठीक करके पुनः व्यवस्थित किया जाता है अर्थात आवास व्यवस्था का पुनर्निरीक्षण करना । आत्मावलोकन करना ।
Vijayadashami means that the festival of Deepawali comes exactly 20 days after Dussehra. In these 20 days, the work of cleaning the houses, repair of damages, necessary renovation etc. is done. They are corrected and rearranged, that is, to re-examine the housing system. To introspect
इस पर्व की दो सर्वाधिक लोकप्रिय विशेषताएं हैं, प्रथम तो दीपकों की श्रंखला जला कर प्रकाशित करना और दूसरा आतिशबाजी कर हर्ष को उत्साह को व्यक्त करना ।
The two most popular features of this festival are, firstly, lighting a series of lamps and secondly expressing the enthusiasm of joy with fireworks.
अंधकार से प्रकाश की ओर चलना है का संदेश दीपक हमें दे रहे हैं। यह अंधकार सभी तरह की दरिद्रताओं को परास्त कर सफलताओं की ओर चलनें की प्रेरणा दे रहा है । दीपक यह बताता है,
लाख सूरज उजियारे का समुद्र हो,
मगर आत्मविश्वास की लो तो जला,
दूर अंधकार को तो दीपक भी कर सकता है।
यह किसी भी संकल्प को पूरा करनें की क्षमताओं को प्रेरित करता है ।
Deepak is giving us the message that we have to move from darkness to light. This darkness is giving inspiration to overcome all kinds of poverty and walk towards success. Deepak tells this,
May a million suns be a sea of light,
But take confidence, then burn,
Even a lamp can light a distant darkness.
It inspires the abilities to fulfill any resolution.
वर्षात के कारण इस मौसम में विषाणुओं की भरमार होती है,सल्फर अर्थात गन्धक से बनने वाले फटाकों का धुआं इन बीमारी उत्पन्न करनें वाले विषाणुओं का नाश कर देता है ।
Due to rains, this season is full of viruses, the smoke of firecrackers made from sulfur i.e. sulfur destroys these disease-causing viruses.
बकरीद पर चुप रहनें वाले होली दिवाली पर बहुत हायतौबा मचाते हैं । इनकी एक मत सुनो ।
Those who keep quiet on Bakrid create a lot of hue and cry on Holi Diwali. Don't listen to them.
दीपावली का प्रथम पर्व धनतेरस होता है इसदिन धन्वन्तरि भगवान की पूजा अर्चना करना प्रमुख है । अर्थात अपने और अपने परिवार को स्वस्थ रखनें की व्यवस्था को ठीक करना, उसे समझना , उसके महत्व और आवश्यकता को जानना तथा उससे जुड़ना ।
Dhanteras is the first festival of Deepawali, on this day it is important to worship Lord Dhanvantari. That is, to fix the system to keep yourself and your family healthy, understand it, know its importance and need and connect with it.
चौदस को रूप चौदस भी कहा जाता है, यह अपने एवं अपने परिवार के शरीरिक सौन्दर्य , साफ सफाई, सज्जा, वेषभूषा की व्यवस्था का पुनरावलोकन है । उसमें नवीनताओं के समावेश का पर्व है। अर्थात स्वयं से लेकर भगवान के सौंदर्यीकरण को संवारने की व्यवस्थाओं का पुनरावलोकन है। हनुमानजी की प्रतिमा का सौन्दर्यकरण विशेष होता है। सोनें के वर्क से उनका श्रंगार किया जाता है। कुल मिलाकर अपने रूप का स्वरूप का ध्यान रखने का विषय है ।
Chaudas is also called Roop Chaudas, it is a review of the system of physical beauty, cleanliness, decoration, dress of oneself and one's family. It is a festival of incorporation of innovations. That is, there is a review of the arrangements to beautify God from self to beautification. The beautification of the statue of Hanumanji is special. They are adorned with gold work. Overall, it is a matter of taking care of your form.
अमावश्या को लक्ष्मी पूजन होता है, यह अपने आय के स्रोत का आत्मबोध है। धन संपत्ती और आय के संसाधनों का देखना समझना उनकी पूजा करना । अर्थात आर्थिक आत्मनिर्भरता का अवलोकन ।
Lakshmi Puja is performed on Amavashya, it is self-realization of one's source of income. To see and understand the resources of wealth and income, worship them. That is, the observation of economic self-reliance.
पड़वा को गोवर्द्धन पूजा मुख्य है जो कि पर्यावरण की सुरक्षा का चिंतन है ।
Govardhan Puja is the main thing on Padwa, which is the contemplation of protection of the environment.
दोज को भाई दौज मनाई जाती है , सनातन संस्कृति बहन को भाई के घर से जोड़ कर रखती है । साल में चार बार बहन को भाई बुलाता है या उसके घर जाता है । रक्षा बंधन पर राखी बंधवाने , मकर संक्रांति पर, होली - दीपावली की दूज पर बहन को घर बुलानें, सम्मान देनें का विधान है । यदि ये त्योहार न हों तो भाई बहन को बुलायेगा ही नहीं । अर्थात रिश्ते नातों को प्रगाढ़ करनें की प्रेरणा यह अवसर देता है ।
Dooj is celebrated as Bhai Douj, Sanatan culture keeps sister connected with brother's house. Four times a year the brother calls the sister or goes to her house. There is a law of tying Rakhi on Raksha Bandhan, on Makar Sankranti, on Holi-Deepawali's Dooj, to call sister home, to give respect. If these festivals are not there, then the brother will not call the sister. That is, the motivation to deepen the relationship gives this opportunity.
कुल मिला कर हमारे आध्यात्मिक और धार्मिक, शारीरिक, सामाजिक एवं आर्थिक विषयों के आत्मनिरीक्षण करनें , उनमें आई कमियों को दूर करने उन्हें दुरस्त करनें का पर्व भी दीपावली है । इसे सामाजिक जाग्रति और चेतना का पर्व कहना अधिक सार्थक होगा ।
Overall, Diwali is also a festival of introspection of our spiritual and religious, physical, social and economic subjects, to remove the shortcomings in them and to correct them. It would be more meaningful to call it a festival of social awakening and consciousness.
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