श्रीराम वनवास से लौटनें पर , 17.5 लाख वर्ष पूर्व आयोजित हुई थी दीपावली
भगवान श्रीराम 17.5 लाख वर्ष पूर्व जन्मे थे
सर्वप्रथम रामसेतु के संदर्भ में 1993 में नासा ने 14 दिसम्बर 1966 को अमरीकी उपग्रह से खींचे चित्रों को विभिन्न विशलेषणों के आधार पर जारी किये। जिसमें माना गया था कि रामसेतु लगभग 17.5 लाख वर्ष पूर्व का है। बाद में इस पर साम्प्रदायिक तत्वों एवं अर्न्तराष्ट्रीय हितनिहित के कथित धर्म संस्थानों ने करवाये।
सर्वप्रथम रामसेतु के संदर्भ में 1993 में नासा ने 14 दिसम्बर 1966 को अमरीकी उपग्रह से खींचे चित्रों को विभिन्न विशलेषणों के आधार पर जारी किये। जिसमें माना गया था कि रामसेतु लगभग 17.5 लाख वर्ष पूर्व का है। बाद में इस पर साम्प्रदायिक तत्वों एवं अर्न्तराष्ट्रीय हितनिहित के कथित धर्म संस्थानों ने करवाये।
रामसेतु का चित्र नासा ने 14 दिसम्बर 1966 को जेमिनी-11 से अंतरिक्ष से प्राप्त किया था। इसके 22 साल बाद आई.एस.एस 1 ए ने तमिलनाडु तट पर स्थित रामेश्वरम और जाफना द्वीपों के बीच समुद्र के भीतर भूमि-भाग का पता लगाया और उसका चित्र लिया। इससे अमेरिकी उपग्रह के चित्र की पुष्टि हुई।
संभवतः सांसद रघुवीरसिंह कौशल नें लोकसभा में एक प्रश्न तब लगाया था , नासा के द्वारा रामसेतु अर्थाम एडम ब्रिज की आयु के संदर्भ में , लोकसभा में बहुत छोटे से जबाव में 17.5 लाख वर्ष पूर्व का अनुमान नासा के द्वारा लगाया गया माना गया था। इसी आधार पर श्रीराम का जन्म भी 17.5 लाख वर्ष पूर्व का ही माना जायेगा और दीपावली जो कि श्रीराम के वनवास समाप्त होनें पर अयोध्या वापसी पर स्वागत अभिनंदन मनाई गई थी। यही जन श्रुति है। इसी को माना जायेगा।
संभवतः सांसद रघुवीरसिंह कौशल नें लोकसभा में एक प्रश्न तब लगाया था , नासा के द्वारा रामसेतु अर्थाम एडम ब्रिज की आयु के संदर्भ में , लोकसभा में बहुत छोटे से जबाव में 17.5 लाख वर्ष पूर्व का अनुमान नासा के द्वारा लगाया गया माना गया था। इसी आधार पर श्रीराम का जन्म भी 17.5 लाख वर्ष पूर्व का ही माना जायेगा और दीपावली जो कि श्रीराम के वनवास समाप्त होनें पर अयोध्या वापसी पर स्वागत अभिनंदन मनाई गई थी। यही जन श्रुति है। इसी को माना जायेगा।
भारत का सनातन बहुत पुराना है। करोडों वर्ष पूर्व की सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय पंचांग पृथ्वी की आयु लगभग 2 अरब वर्ष की काल गणना के रूप में कहता है। विज्ञान भी इसी अवधी को मानता है। इसलिये भारत के लोकमत में लोक विश्वास में जो व्याप्त है। वही सत्य है। भ्रम फैलानें वाले भारत विरोधी, धर्म विरोधी लोग हैं इनकी अपनी बेईमानियां हैं जिनके लिये ये तर्क वितर्क कुतर्क गढते रहते है। इसलिये इनमें से किसी की कोई भी बात नहीं मानना है।
हिन्दुकुश पर्वत माला जिसमें हिमालय भी है , इसके और हिन्द महासागर के मध्य इरान से लेकर भारत होते हुये बृहमदेश अर्थात मयमार, कम्वोडिया,इन्डोनेशिया, बाली सुमात्रा तक की भू पट्टी हिन्दू कहलाती रही है। जबकि पूरा एसिया महादीप जो सनातन संस्कृति का केन्द्र था जिसे जम्बू दीप यानिकी जामुन के आकार का दिखनें वाला यह महादीप रहा है। सनातन संस्कृतिमय तो सातों महादीप रहे है। इतने लम्बे कालखण्ड और प्राकृतिक आपदा विपदा परिस्थितियों के मध्य आपस में दूरी बड गई होंगी। किन्तु सनातन और हिन्दू एक ही रही है। जिस तरह हजार साल पहले क्या था । 100 साल पहले पाकिस्तान , बांगला देश नहीं था। इसी तरह तमाम बातें बनती बिगडती रहीं हैं । आगे भी यह होता रहेगा। जन श्रुतियां ही वास्तविक इतिहास होता है जो जनमानस में है।
वर्तमान में अधिकतम 2 हजार वर्ष पूर्व के पंथ हैं या केलेण्डर है। भारत के बाद दूसरे म्बर पर मात्र चीन का केलेण्डर आता है। इसलिये पाश्चात्य लोगों के द्वारा इसाई मिशनरियों मतान्तरण अभियान के क्रम में जो भ्रम फैलाये जा रहे है। उन्हे पूरी तरह नकारते हुये , अपने तीज त्यौहार पर्व पूरे उत्साह से मनाने चाहिये।
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9 सबसे महत्वपूर्ण स्थान भगवान राम की कहानी में..!
श्रीराम के 14 साल के वनवास की अवधि के समय वे अयोध्या से लेकर आज की श्रीलंका तक गए थे।
(1). अयोध्या..🚩यहाँ श्री राम का जन्म हुआ और यहीं से वो अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल के वनवास के लिए निकले थे। ये नगर आज के उत्तर प्रदेश में है और रामजन्मभूमि के नाम से भी जाना जाता है।
(2). प्रयाग.....🚩अयोध्या से निकल श्रीराम ने गंगा नदी पार की और सबसे पहले प्रयाग अर्थात् आज के प्रयागराज को पहला विश्राम स्थल बनाया। यहाँ वो कुछ दिन रुके और फिर यहाँ से चित्रकूट के लिए रवाना हुए। प्रयागराज भी आज के उत्तर प्रदेश में स्थित है।
(3). चित्रकूट..🚩ये वो जगह है जहाँ उनके छोटे भाई भरत ने उन्हें अयोध्या वापस लौटने का आग्रह किया था और यही वो जगह है जहाँ श्री राम की वनवास वापसी के बाद वो भरत से फिर से मिले थे और भरत-मिलाप हुआ था। इसका साक्षी एक मंदिर भी है यहाँ। यह शहर आज के मध्य प्रदेश में है।
(4). पंचवटी...🚩ये आज के नाशिक शहर में स्थित है और वो जगह है जहाँ श्री राम ने लक्ष्मण और सीता मैया के साथ अपना बसेरा बसाया था। यहीं से रावण सीता को हर ले गया था जिस कारण से अंत में राम ने रावण का वध किया।
(5).दण्डकारण्य🚩ये वो जगह है जहाँ रावण की बहन सूर्पनखा ने लक्ष्मण पर डोरे डाले और बदले में लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी थी। इसी से नाराज़ हो सूर्पनखा ने अपने भाई रावण से इसकी शिकायत की और रावण ने सीता का अपहरण किया। ये आज के छत्तीसगढ़ में स्थित है।
(6). लेपाक्षी.....🚩लेपाक्षी वो जगह है जहाँ अर्ध-भगवन जटायु ने रावण को रोकने की कोशिश की जब वो सीता का अपहरण करके वहाँसे ले जा रहा था। रावण ने लड़ाई के दौरान जटायु के पंख काट दिए थे और जहाँ जटायु गिरे, उसी जगह को लेपाक्षी कहते हैं।भगवान राम ने उन्हें ये नाम दिया था जिस से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।
(7). किष्किन्धा..🚩सीता के अपहरण के बाद राम और लक्ष्मण उन्हें ढूँढते हुए किष्किन्धा नगरी पहुँचे जहाँ पर उनका मिलन वानर भाई सुग्रीव और बाली से हुआ। यहीं पर श्री राम ने सुग्रीव को उनका राज्य वापस दिलवाया और बदले में सुग्रीव ने उन्हें सीता मैया को ढूँढने में सहायता की। ये स्थान आज के हम्पी, कर्नाटक में है।
(8). रामेश्वरम....🚩भारत की सीमा का आख़री छोर जहाँ से श्री राम ने वानरों की सहायता से श्री लंका तक रामसेतु बनवाया और रावण को परास्त कर सीता को उसके चुंगल से छुड़वाया था। रामेश्वरम आज के तमिलनाडु में है और उसकी मान्यता आज भी कम नहीं हुई है।
( 9). श्रीलंका .....यह अब यह दूसरा देश है , यहां राम- रावण युद्ध हुआ । श्रीराम नें युद्ध जीता , श्रीलंका का विभीषण को राजा बनाया ।
( 10). पुष्पक विमान ....रावण के पास पुष्पक विमान था, उससे श्रीराम अपनें सहयोगियों के साथ अयोध्या पहुचे ।
(11) . दीपावली ... अयोध्या में श्रीराम के स्वागत में दीपोत्सव आयोजित किया गया । जो तब से निरन्तर मनाया जा रहा है । नासा के एक अनुसन्धान में एडम ब्रिज ( राम सेतु ) लगभग 17.5 लाख वर्ष पूर्व निर्मित है । अर्थात दीपावली 17.5 लाख वर्ष पूर्व से आयोजित हो रही है।
जय श्री राम! भारत भ्रमण पर निकलें तो अयोध्या से रामेश्वरम की यात्रा अवश्य कीजियेगा! धर्म के लिए नहीं तो पौराणिक कथाओं का आनंद उठाने के लिए ही सही। अपने आने वाली पीढ़ी के लिए!🙏
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