उर्वरक बैंक श्रंखलाओं से खाद संकट को स्थायीरूप से समाप्त किया जा सकता हैं - अरविन्द सिसोदिया


उर्वरक बैंक श्रंखलाओं से खाद संकट को स्थायीरूप से समाप्त किया जा सकता हैं - अरविन्द सिसोदिया



उर्वरक बैंक श्रंखलाओं से खाद संकट को स्थायीरूप से समाप्त किया जा सकता हैं - अरविन्द सिसोदिया 

23 अक्टूबर , कोटा । राजस्थान सहित पूरे देश में फसल बौनी के समय अचानक उर्वरक कमी और उर्वरकों के साथ अटेचमेंट दिये जानें की समस्या के निदान हेतु , भाजपा मीडिया विभाग के कोटा संभाग संयोजक अरविंद सिसोदिया नें , केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह , केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान , मुख्यमंत्री राजस्थान भजनलाल शर्मा एवं मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश मोहन यादव को ईमेल से उर्वरक बैंक श्रंखलाओं की स्थापना हेतु विस्तृत डिटेल सुझावों सहित मांगपत्र भेजा है । जिसके द्वारा उन्होंने ब्लाक और तहसील स्तर पर उर्वरक बैंकों की श्रंखलाओं की स्थापना पर जोर देते हुए कहा है कि फसल की बौनी से पूर्व कृषकों को उर्वरक खरीद कर भंडारित रखनें व जरूरत के समय उसका उपयोग कर लेनें की सुविधायुक्त व्यवस्था निर्माण होना चाहिए । जिससे वक्त जरूरत किसानों को भटकना न पड़े ।

सिसोदिया ने कहा है कि उर्वरकों की कमी होना प्रतिवर्ष स्थाई समस्या के रूपमें सामने आ रहा है , फिर उसमें व्यापारियों के द्वारा साथ में अन्य सामान खरीदने की गैरकानूनी शर्तें, अटेचमेंट भी सामने आती हैं , जबकि उर्वरकों की पूर्व व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों को काफी समय मिलता है , किन्तु कई वर्षों से लगातार उर्वरकों की कमी की समस्या बनी हुई है । जिसका स्थाई हल आवश्यक है ।

सिसोदिया नें कहा है कि उर्वरक बैंक का प्रयोग  सरकारी क्षेत्र , सहकारी क्षेत्र  , निजी क्षेत्र और पीपीपी मोड़ पर प्रारंभ किया जा सकता हैं ।  इनका प्रबंधन किसानों के हाथों में ही दिया जाना चाहिए, उनके फाइनेंस की अतिरिक्त व्यवस्था होनी चाहिए और सहयोग के लिए एक सरकारी अधिकारी प्रत्येक ब्लाक अथवा तहसील में तय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी रोक टोक से मुक्त, किसान स्वयं अपने लिए कुछ समय पूर्व उर्वरक खुले मार्केट से खरीद कर भंडारित रख सके और वक्त जरूरत उसका सही समय पर उपयोग कर सके की सुविधा को विकसित करना हो  ।

सिसोदिया ने कहा कि उर्वरक बैंक स्थापित किये जाने हेतु  बैंकों से ऋण दिया जा सकता है, बैंकों पर  काफी धन उपलब्धता है , इसका फायदा कृषि क्षेत्र को मिलना चाहिए ।

भवदीय 

अरविन्द सिसोदिया
भाजपा कोटा संभाग मीडिया संयोजक 
9414180151
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दिनांक 21 - 10- 2024
स्थान  -कोटा, राजस्थान ।

माननीय प्रधानमंत्री महोदय 
भारत सरकार , नई दिल्ली ।

विषय - उर्वरक संकट को पूरी तरह समाप्त करने हेतु उर्वरक बैंक स्थापित करें - अरविन्द सिसोदिया 

मान्यवर,
भारत में उर्वरक कमी एक महत्वपूर्ण समस्या है, जो कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करती है। उर्वरक बैंक की आवश्यकता इस समस्या का समाधान करने में बड़ी मदद कर सकती है।

उर्वरक कमी के कारण:-
1. बढ़ती जनसंख्या और खाद्य उत्पादों की बढ़ती  मांग 
2. उर्वरक उत्पादन में कमी और उससे जरूरी आपूर्ति में कमी 
3. आयात पर निर्भरता का लगातार बना रहना 
4. उर्वरक की उच्च कीमतें और उसके कारण सब्सिडी पर भारी व्यय 
5. कृषि भूमि में उर्वरकों के निरंतर उपयोग से भूमि की उपजाऊ शक्ति की गुणवत्ता में कमी होते जानें से उर्वरक मांग का बढ़ते जाना 

उर्वरक बैंक की आवश्यकता:-

1. उर्वरक की समसामयिक उपलब्धता बढ़ाना
2. किसानों को सस्ती दर पर उर्वरक प्रदान करना
3. उर्वरक की गुणवत्ता में सुधार
4. कृषि उत्पादन में वृद्धि
5. खाद्य सुरक्षा में सुधार

उर्वरक बैंक के लाभ:- 
1. किसानों को एक ही स्थान पर उर्वरक प्राप्त करने की सुविधा
2. उर्वरक की कीमतों में कमी
3. उर्वरक की गुणवत्ता में सुधार
4. कृषि उत्पादन में वृद्धि
5. खाद्य सुरक्षा में सुधार

भारत में उर्वरक बैंक स्थापित करने के लिए सरकार द्वारा कई पहल की जा रही हैं:-
1. राष्ट्रीय उर्वरक सब्सिडी योजना
2. किसानों को विदेश से सीधे उर्वरक खरीद कर उर्वरक बैंक  योजना में संरक्षित रखने और सही समय पर उसे काम में लेने की सुविधा का विकास किया जाना ।
3. कृषि उर्वरक अनुदान योजना का प्रथम लाभ लघु और मध्यम किसानों को उपलब्ध करवाना ।
4. उर्वरक की ऑनलाइन खरीदारी की सुविधा देना 

इन पहलों से भारत में उर्वरक कमी की समस्या का समाधान करने में मदद मिल सकती है और कृषि उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।

उर्वरक बैंक किस स्वरूप में स्थापित हों

उर्वरक बैंक की स्थापना के लिए निम्नलिखित स्वरूपों पर विचार किया जा सकता है:

1. सरकारी उर्वरक बैंक: सरकार द्वारा स्थापित और संचालित उर्वरक बैंक।

2. निजी उर्वरक बैंक: निजी कंपनियों द्वारा स्थापित और संचालित उर्वरक बैंक।

3. सहकारी उर्वरक बैंक: किसान सहकारी समितियों द्वारा स्थापित और संचालित उर्वरक बैंक।

4. सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी) उर्वरक बैंक: सरकार और निजी कंपनियों के बीच साझेदारी में स्थापित और संचालित उर्वरक बैंक।

उर्वरक बैंक की स्थापना के लिए आवश्यक तत्व:

1. उर्वरक की उपलब्धता
2. उर्वरक की गुणवत्ता
3. उर्वरक की कीमतें
4. किसानों की पहुंच
5. वित्तीय संसाधन
6. प्रशिक्षण और जागरूकता
7. ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच

उर्वरक बैंक के कार्य:

1. उर्वरक की खरीदारी और भंडारण
2. उर्वरक की बिक्री
3. उर्वरक की गुणवत्ता नियंत्रण
4. किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता
5. उर्वरक की उपलब्धता की निगरानी
6. किसानों की शिकायतों का समाधान

उर्वरक बैंक की स्थापना से किसानों को सस्ती दर पर उर्वरक प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और कृषि उत्पादन में सुधार होगा।

अतः आपसे आग्रह है कि प्रत्येक ब्लाक / तहसील में उर्वरक बैंक स्थापना की दिशा में केंद्रीय  सहकारिता मंत्रालय एवं केंद्रीय कृषि मंत्रालय के साथ राज्यस्तरीय सहकारिता तथा कृषि मंत्रालयों की देख - रेख में " किसानों को अपनी आवश्यकता का उर्वरक खरीद कर भंडारित रखते हुए सही समय पर उपयोग हेतु उपलब्धता सुनिश्चित करने  हेतु " व्यापक व बहुआयामी कदम उठाए जाना निर्देशित करवाएं । सादर।


भवदीय 

अरविन्द सिसोदिया
भाजपा मीडिया कोटा संभाग संयोजक 
बेकरी के सामने , राधाकृष्ण मन्दिर रोड, डडवाडा, कोटा जंक्शन।
पिन - 324002

प्रति , कार्यवाही हेतु ,

1- केंद्रीय सहकारिता मंत्री महोदय,
भारत सरकार , नई दिल्ली ।
2- केंद्रीय कृषि मंत्री महोदय,
भारत सरकार , नई दिल्ली।
3- मुख्यमंत्री महोदय ,
राजस्थान सरकार , जयपुर ।
4- मुख्यमंत्री महोदय ,
मध्यप्रदेश सरकार , भोपाल ।

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