आप के कमजोर होनें से दिल्ली में कांग्रेस की ताकत बढ़ सकती है - अरविन्द सिसोदिया AAP Congress Delhi


आप के कमजोर होनें से दिल्ली में कांग्रेस की ताकत बढ़ सकती है  - अरविन्द सिसोदिया

लोकसभा चुनाव में दिल्ली और हरियाणा में जीरो रहने वाली आप पार्टी पंजाब में भी बहुत अच्छा नहीं कर पाई थी। जबकि सहानुभूति के वोट बटोर ने का चान्स उसके पास था । यही सहानुभूति बटोर नें  का खेल उसने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी किया किन्तु मात्र 1.8 प्रतिशत वोट उसे मिला 88 सीटों पर चुनाव लड़ी 87 सीटों पर जमानत जप्त हुई । नोटा से बुरी दुर्गति आप पार्टी की वहां हुई जहां से अरविन्द केजरीवाल हैं । दिल्ली नगरनिगम चुनाव में भी आप पार्टी से बराबरी की टक्कर भाजपा ने ली थी । अर्थात अब आप पार्टी ढलान पर है । यह बात स्वंय अरविन्द केजरीवाल भी जान चुके हैं , संभावित हार का ठीकरा उनके माथे न आये इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से भी त्यागपत्र दिया है ।

रामजन्मभूमि आंदोलन और बाबरी ढांचा ढह जाने के बाद मुस्लिम वोट कांग्रेस से छिटक गया था और कांग्रेस उस वोट बैंक को वापस पाने के लगातार प्रयत्न कर रही थी , जिसमें अब वह कुछ हद तक सफल होती दिख रही है ।

कांग्रेस का मुस्लिम वोट दिल्ली , यूपी , बिहार , बंगाल, महाराष्ट , आंध्र आदि में कांग्रेस से छिटक गया है सो वहां गैर कांग्रेसी दलों का बर्चस्व है । 

आप पार्टी की सफलता के पीछे भी मुस्लिम वोट था । जो अब कांग्रेस से पुनः जुड़ना चाहता है , दिल्ली में कांग्रेस अलग लड़ी तो उसकी सीटें भी बढ़ेंगी और वह टक्कर में भी आएगी । किन्तु संभावना यही है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप और कांग्रेस मिल कर चुनाव लड़ेंगे । हालांकि अभी लोकसभा चुनाव भी मिल कर लड़े थे , दोनों के ही कार्यकर्ताओं में ताल मेल नहीं बैठा और सभी सीटें हार गए ।

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