भारत के विश्वास की हत्या था , चीन का आक्रमण - अरविन्द सिसोदिया chin aakrman 1962

भारत के विश्वास की हत्या था , चीन का आक्रमण - अरविन्द सिसोदिया

चीन का भारत पर आक्रमण 1962 का पूरा ब्योरा क्या है

चीन का भारत पर आक्रमण 1962 में हुआ था, जिसे भारत-चीन युद्ध के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध 20 अक्टूबर 1962 को शुरू हुआ था, जब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार भारत पर तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरूजी के विश्वास की हत्या करते हुये आक्रमण किया था ।

*युद्ध के कारण:*

- _कथित विवादित_: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद था, कभी नहीं था और चीन की सीमा चीन की दीवार तक ही है । चीन की दीवार और भारत की सीमा के मध्य का संपूर्ण भूभाग तिब्बत का है ।  जो कि हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित था। चीन नें बदनीयती से  तिब्बत को हड़पनें के बाद , भारत को भी हड़पनें की योजना पर काम किया , यह आक्रमण इसी का नतीजा था ।

- _दलाई लामा को भारत द्वारा शरण_: तिब्बत को हड़पनें के बाद , तिब्बत सरकार के मुखिया और धर्मगुरु दलाई लामा का अस्तित्व साम्यवादी चीन समाप्त करना चाहता था । तब चीन से जीवन बचा कर भारत आये दलाई लामा को , 1959 में भारत सरकार ने शरण दी थी।  जिसे चीन ने अपनी संप्रभुता के लिए खतरा मानाता है।

- _भारत की अग्रगामी नीति_: भारत ने सीमा पर पहुंच सड़कें और चौकियाँ स्थापित की थीं, जिसमें मैकमोहन रेखा के उत्तर में स्थित कई क्षेत्र शामिल थे । इससे भारत सपनी प्रतिरक्षा में मजबूत हुआ है ।

*युद्ध की घटनाएं:*

- 20 अक्टूबर 1962 को चीन ने भारत पर आक्रमण किया।

- युद्ध कठोर पहाड़ी परिस्थितियों में लड़ा गया। भारत की सेना युद्ध के लिए तैयार ही नहीं थी। क्योंकि हिंदी चीनी भाई भाई के नारे के विश्वास में तत्कालीन भारत सरकार निचिंत थी ।उसे कल्पना भी नहीं थी कि युद्ध हो सकता है ।

- 21 नवंबर 1962 को चीन द्वारा युद्ध विराम की घोषणा के बाद युद्ध समाप्त हुआ ।

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चीन के आक्रमण से भारत को कितना नुकसान हुआ

चीन के आक्रमण से भारत को काफी नुकसान हुआ था। इस युद्ध में भारत के 1,383 सैनिक शहीद हुए, 1,047 घायल हुए, और 1,696 लापता हो गए । इसके अलावा, 3,968 भारतीय सैनिक चीन के हाथों में बंदी बना लिए गए ।

इस युद्ध के दौरान भारत को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन इसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, यह युद्ध भारत के लिए एक बड़ा सबक था, जिसने देश की रक्षा नीतियों और सैन्य तैयारियों में बदलाव लाया ।

*युद्ध के परिणाम:*

- _क्षेत्रीय नुकसान:_ अरुणाचल प्रदेश के आधे से ज्यादा हिस्से पर चीनी सेना ने कब्जा कर लिया था ।

- _राजनीतिक प्रभाव:_ इस युद्ध ने भारत और चीन के बीच संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाला और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया ।

- _सैन्य सबक:_ इस युद्ध से भारत ने अपनी सैन्य तैयारियों में सुधार करने का सबक लिया और अपनी रक्षा नीतियों में बदलाव किया ।

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चीन के विरुद्ध भारत की वर्तमान तैयारियां

भारत ने चीन के विरुद्ध अपनी सैन्य तैयारियों में वृद्धि की है, जिसमें सीमा पर सैनिकों की तैनाती और सैन्य उपकरणों की खरीद शामिल है ¹। भारत ने अपनी सेना को आधुनिक बनाने और अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

*भारत की सैन्य तैयारियों के मुख्य बिंदु:*

- *सीमा पर सैनिकों की तैनाती*: भारत ने अपनी सीमाओं पर सैनिकों की तैनाती बढ़ाई है ताकि चीन के किसी भी संभावित हमले का सामना किया जा सके ।

- *सैन्य उपकरणों की खरीद*: भारत ने अपनी सेना को आधुनिक बनाने के लिए कई सैन्य उपकरणों की खरीद की है, जिनमें लड़ाकू विमान, टैंक और आर्टिलरी गन शामिल हैं ।

- *रक्षा सहयोग*: भारत ने अपने पड़ोसी देशों और अन्य देशों के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाया है ताकि चीन के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाया जा सके ।

- *साइबर सुरक्षा*: भारत ने अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं ताकि चीन के साइबर हमलों का सामना किया जा सके ¹।

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