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राजनाथ सिंह नें चीन की कुटिल चाल और पाकिस्तान के छल को विफल किया

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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नें चीन में हुई SCO  देशों की बैठक में चीन की कुटिल चाल और पाकिस्तान के छल को विफल कर, भारत के आतंकवाद विरोधी दृष्टिकोंण को निडरता से उठा कर, पूरे बिश्व को चोंका दिया है। इसी के साथ भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत किसी भी महाशक्ति से नहीं डरता है। भारत नें बहुत स्पष्टता से कहा आतंकवाद को परोक्ष अपरोक्ष समर्थन कतई नहीं दिया जा सकता। भारत के साझा घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं करने से SCO की बैठक का साझा बयान पारित नहीं हुआ। अर्थात भारत नें चीन की धरती से न केबल पाकिस्तान को बेनक़ाब किया बल्कि, चीन को भी आतंकवाद समर्थक देश साबित कर दिया है। यह भारत की बड़ी कूटनीतिक कार्यवाही साबित हुई है। --------- सामने बैठे थे पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और राजनाथ सिंह सुनाते चले गए... चीन में 'आतंकिस्तान' को सुनाई खरी-खरी चीन के किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में, राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वालों को परि...

सावधान भारत : अमेरिका मोदी विरोधी प्लान में लिप्त है

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मोदीजी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी बिना किसी विशेष बात के अमेरिका नें वीजा बैन कर दिया था...जबकि गोधरा कांड कांग्रेस नें करवाया था और जब वे प्रधानमंत्री बन गये तब यह वैन खोला था.... इसलिए यह याद रहें कि आतंकवाद परस्त ताकतों के साथ अमेरिका के रिश्ते कितने मज़बूत हैँ। वे आतंकवाद विरोधी होनें का मात्र नाटक करती है। वास्तविकता यही है कि अमेरिका ब्रिटेन गठजोड़ ही आतंकवाद और बिभिन्न देशों में अस्थिरता के जनक हैँ। ये अपनी उत्पादन क्षमता को बनाये रखने के लिए दूसरे देशों की उत्पादन क्षमता प्रभावित करते हैँ। *मोदी और मुसद्दिक* *ईरान 1951 और भारत 2024, क्या इनमें कोई समानता है...?* क्या आपने कभी सोचा है कि ईरानी लोग अमेरिका को "शैतानों की भूमि" क्यों कहते हैं...? कभी ईरान के तेल पर ब्रिटेन का वर्चस्व था। ईरान के तेल उत्पादन का 84% हिस्सा इंग्लैंड को जाता था, और केवल 16% ही ईरान को मिलता था। 1951 में एक सच्चे देशभक्त मोहम्मद मुसद्दिक ईरान के प्रधानमंत्री बने। वे नहीं चाहते थे कि ईरान की तेल संपदा पर विदेशी कंपनियों का कब्जा रहे। 15 मार्च 1951 को मुसद्दिक ने ईरानी संसद में...