लौकी जूस पर यह आक्रमण

अब लौकी निशाने  पर ...!
बहु-राष्ट्रिय  कंम्पनियों का खेल  .....!!
- अरविन्द सीसोदिया
मेरा निश्चय यह है की वैज्ञानिक की मृत्यु की सही- सही जाँच होनी चाहिए , यह सिर्फ एक दुर्घटना है या कोई षड्यंत्र ..? यदि  किसी मौषम के  कारण  से बदलाव  हुआ तो उसका कारण भी सामने आना चाहिए ..!!
पहली खबर  -
राजधानी देहली  के नानकुपरा में रहने वाले सीएसआईआर के वैज्ञानिक सुशील सक्सेना की कथित तोर  पर लौकी और करेला का मिक्स विषैले जूस पीने से मौत हो गई। सुशील सक्सेना (59) को डायबीटीज थी इसलिए वे रोजाना करेला व लौकी का जूस पीते थे। टीवी पर योग गुरू द्वारा जूस पीने की सलाह पर उन्होंने लौकी का जूस पीना शुरू किया था। उस दिन लौकी का जूस पीते ही उन्हें उलटियां होने लगी थी तब  अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। यहाँ यह तथ्य  ध्यान में रखना चाहिए कि वे काफी समय से यह जूस ले रहे थे ,जो हुआ अचानक हुआ,चार साल से लौकी व करेला का जूस पी रहे थे।
फिर दूसरी  खबर -
लौकी का जूस पीने से दिल्ली में एक वैज्ञानिक की मृत्यु   से पहले जहां पहले लौकी 40 रुपए प्रतिकिलो बिक रही थी, अब शहर की अलग-अलग सब्जी मंडियों में यह 25 से 30 रुपए प्रति किलो बिक रही है। इसके पीछे लौकी के जूस को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। इसके जूस की मांग बढ़ने के कारण ही इसके भाव इस बार रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गए थे। सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि सीजन में आमतौर पर लौकी के खुदरा भाव 8 से 10 रुपए प्रति किलो रहते हैं, लेकिन इस बार इसके भाव 40 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए थे। मौत क्या हुई, लौकी के भाव औंधे मुंह गिर गए। इसके खुदरा भावों में 10 से 15 रुपए प्रति किलो तक की कमी आ गई।
सोचने की बात -
यह खबर इस तरह से टी वी चैनलों और समाचार माध्यमों में फैलाई गई कि मानों पहाड़  टूट पड़ा हो. कारण है कि यह खबर बहू - राष्ट्रिय  दवा कंपनियों के हितों के  लिए बहुत उपयोगी थी , एलोपैथी से रोज हजारों  मृत्यु  होने के बाद भी कभी कभार ही कोई खबर छपती  है . एलोपैथी से रोज लाखों - करोड़ों लोगों को लूटा जा रहा है मगर वह खबर  नहीं है, क्योंकि वे बहु - राष्ट्रिय कंपनी उत्पाद हैं . लौकी विचारी से विज्ञापन नहीं मिल  सकते,  उस पर टूट पड़ने में कोई हर्ज नहीं है. इसलिए यह तथ्य सामने आने चाहिए कि यह मृत्यु वास्तव में किस कारण हुई , कहीं उक्त वैज्ञानिक को किसी ने निशाना  बना कर अपना उल्लू सीधा तो नही किया . 
यह है बाज़ार और उससे प्रायोजित प्रचार माध्यमों को खेल कि लौकी भी अब विषैले पदार्थों में शामिल हो सकती है।  इसी तरह योग साधना को लेकर भी तमाम तरह के दुष्प्रचार होते रहते हैं जिसके बारे में हमारा अनुभव है कि खुश रहने के लिये इससे बेहतर कोई उपाय नहीं है। योग साधना से अमरत्व नहीं मिलता पर इंसानों की तरह जिंदा रहने की ताकत मिलती है। योग का मतलव कुछ जुड़ जाना होता है. जो वा - खूबी योग ने करके दिखाया है.
 पिछले दिनों मैंने बाबा रामदेव  का एक टी वी इंटरव्यू देखा था , उसमें भी यह बात आई थी कि एलोपेथिक दवा कंपनियों का एक बहुत ही बड़ा बाजार भारत है और वह  योग और आयुर्वेद  की लोकप्रियता से प्रभावित हुआ है. उनकी हजारों करोड़ डालर की आमदनीं पर भी फर्क पड़ा है . उनका शिकार कभी बाबा हो सकते हैं .
मा. के. सी. सुदर्शन   जी और लौकी 
मुझे जहाँ तक ज्ञात है कि राष्ट्रिय  स्वंयसेवक संघ  के पूर्व सरसंघ चालक माननीय के. सी. सुदर्शन जी लम्बे समय से ह्रदय रोग के मरीज हैं और निरंतर लौकी का जूस सेवन  करते हैं . उनके लिए  इस ओषध ने रामबाण  कि तरह  काम  किया है. उनके आलावा भी लाखों लोग रोज  लौकी का जूस पी रहे हैं, उन्हें कभी कोई नुकसान नही हुआ, फिर यह मृत्यु लौकी के माथे क्यों डाली गई.लौकी पर यह आक्रमण कई सावधानियों को जाग्रत करता है.याद रहे कि लौकी सिर्फ निरोगी  ह्रदय को रखनें में ही सहायक नहीं है साथ ही वह बहुत बड़ी रकम विदेश जाने से भी बचाती है.  
 मेरा निश्चय  यह है की वैज्ञानिक की मृत्यु की सही सही जाँच होनी चाहिए , यह सिर्फ एक दुर्घटना है या कोई षड्यंत्र ..?
- राधा कृष्ण मन्दिर रोड डडवाडा , कोटा , राजस्थान.

टिप्पणियाँ

  1. क्या पता क्या है लेकिन है चर्चा में और लोग डर भी गये हैं अब लौकी का जूस पीने से.

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  2. yah bhay bahut din nhin rahne vala , ham bhart-vasi bahut gnbhir or sahanshil haen .
    - Arvind Sisodia

    जवाब देंहटाएं

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