संघ - देश की सबसे बड़ी देशभक्त संस्था
कांग्रेस की ,विकृत मानसिकता ही
संघ पर मिथ्यारोप करती रहती है .
भारत को निंगल जाने वाली
ताकतें भीं संघ विरोधी हैं .
षड्यंत्र के आगे झुकें नहीं..!
- अरविन्द सीसोदिया
संघ राष्ट्रभक्ति की पाठशाला और देश की सबसे बड़ी देशभक्त संस्था है। संघ के घोर विरोधी भी इसकी राष्ट्रभक्ति पर शक नहीं करते,सीबीआई के निदेशक अश्विनी कुमार ने आन रिकार्ड कहा है कि संघ या उसके किसी पदाधिकारी से हिन्दु आतंकवादी मामले में कोई पूछताछ नहीं की गई है। कांग्रेसी नेताओं के इस तरह के गलत आरोप ध्यान बांटने की रणनीति है जिसका उद्देश्य महंगाई जैसी जनता से जुड़ी समस्याओं को पीछे करना है। संघ पर आतंकवादी होनें का आरोप,आतंकवादियों के पक्ष में खड़ी कांग्रेस और उनके नेता दिग्विजय सिंह नें लगाये हैं.आतंकवादियों से साहनुभूति रखने के आरोप से घिरी कांगेस और सिंह पहले भी अनेकों बार संघ के विरुद्ध बे-बुनियाद जहर उगलते रहे हैं .
सच यह है कि दया के पात्र तो दिग्विजय सिंह हैं,वे बहुत ही गंभीर किस्म कि उपेक्षा भुगत रहे हैं , केन्द्रीय मंत्री मंडल में आना चाहते थे,वहां आगये वीरभद्र सिंह. मंत्री मंडल विस्तार या बदलाव कि भी जब बात चलती है तो उनका नाम कहीं भी चलता ही नही है .उन्हों ने गृह मंत्री चिदम्वरम को भी निशाना बनाया,लोगों ने समझाया यह आग से क्या खेल रहे हो, तो फिर विचार किया सोनिया मेडम किस चीज से खुश होंगी, तो सामने आया रटा - रटाया फार्मूला ...! संघ को गाली दो और कांग्रेस में आगे बढो ...!! संघ पर हिन्दू आतंकवाद का आरोप उस जैसे श्रेष्ट संगठन को गाली से कम नही है. संघ का एक - एक व्यक्ती तिल - तिल करके अपनी आहूति देते हुए राष्ट्र के लिए जीवन देता है,सुबह ४ बजे से जागते हुए रात को १० बजे तक, राष्ट्र की चिंता में क्या कोई जीता है ? वह राष्ट्र ऋषि हैं , इस संगठन का रोम - रोम राष्ट्रचेतना का परमहंस है. इनकी जितनी पूजा हो उतना ही समाज को लाभ मिलता है. आज भारत को निंगल जाने बाले ड्रैगन, डायनासोर से लेकर ड्रेकुला तक कि नथ किसी ने थाम रखी है थो वह संघ है.
एक और बात जो में कांग्रेस तथा उनके हमनवां बन्धुओं से कहना चाहूँगा कि मुलायम,मायावती,लालू आदि अनेक लोगों को आपने फांस क़र अपना बंधुआ बना रखा होगा, मगर ऐसा संघ के साथ संभव नही है,झूठ का कारवां आगे बड़ा तो इस चुनोती का मुकावला पूरी - पूरी ताकत से होगा.संघ कभी गलत काम करता नहीं है और गलत आरोप के आगे सर झुकाता नहीं है .
इसाई मिसनिरियों के भारत को इसाई राष्ट्र बनाने के रास्ते में संघ ही से बड़ा अडंगा है.कांगेस तो अब पूरी तरह से इसाई एजंडे पर चल रही पार्टी मात्र बन कर रह गई है,उनका नेतृत्व भी तो अब इसाई है. वे यह सफलता,भारत के मुसलमान को,संघ के विरूद्ध खडा करके ही हांसिल होना जानते हैं.अंग्रेज राज में भी हिन्दू-मुस्लिम लड़ाओ और राज करो का फार्मूला,फूट डालो राज करो के रूप में काम में लिया था . वही फार्मूला कांग्रेस ने फिट कार रखा है, हिदू कस होव्वा खड़ा करो और मुसलमान वोट कांगेस पार्टी में डलवाओ.यही एक मात्र उद्देश्य बन कर रह गया है.इस हेतु किसी भी सीमा तक जाना पड़े,वहाँ तक ये जायेंगे.कितनी भी फूट समाज में डालनी पड़े डाली जाये, कितनी भी साम्प्रदायिकता करनी पड़े की जाये .
वैसे कांग्रेस पार्टी का कोई धर्म - ईमान नहीं है , एक वह दिन था जब डी एम् के पर राजीव गांधी कि हत्या में संदिग्ध मान कर राज्य सरकार भंग कर दी गई थी और बाद में केंद्र में उसके सहयोग से बनी गुजराल सरकार गिरा दी गई थी और अब उसके साथ ही सरकार बनाई हुई है ..!
संघ की शक्ति से कांग्रेस हमेशा ही परेशान रही है,क्यों कि उनके एक छत्र राज्य में यह हिंदुत्व का जागरूक संगठन उन्हें रोड़ा लगता है. कांग्रेस ने तीन वार इस पर प्रतिबंध लगाये और तीनों वार यह संगठन और मजबूत बन कर उभरा, जनता ने इसको इतनी शक्ति दी कि इस संगठन के कारण कांग्रेस केंद्र की सत्ता से बाहर हुई और गत २५ साल से स्पष्ट बहुमत को तरस रही है .१९८४ में इंदिरा गाँधी कि हत्या में उभरी साहनुभूति से उसे प्रचंड बहुमत मिला था तब से आज तक उसे लोकसभा में स्पष्ट बहुमत नही मिला है.
१- पहला प्रतिबन्ध ( ४ फरवरी १९४८ से जुलाई १९४९ तक )१९४७ में जब देश आजाद हुआ तो देसी रियासतों को भारत में सम्मिलित करने की जिम्मेवारी सरदार पटेल को सोंपी गई,संघ ने सरदार पटेल को पूरा - पूरा साथ दिया,जम्मू - कश्मीर के विलय हेतु महाराजा हरीसिंहजी को तैयार ही संघ के सरसंघचालक गुरु जी ने किया था. सरदार पटेल चाहते थे कि राष्ट्र निर्माण में संघ कांग्रेस में अपना विलय करले या साथ प्रभावी भूमिका निभाए,उस समय पटेल जन-नेता थे और नेहरु थोपे हुए नेता माने जाते थे. सच भी यही था कांग्रेस की एक भी स्टेटवर्किंग कमेटी नें नेहरु को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव नहीं किया था.ज्यादातर पटेल के पक्ष में थे .प्रधान मंत्री बनाने के बाद, संघ - पटेल गठबधन से घबराकर नेहरूजी नें पहले तो कांग्रेस से संघ के संबंधों से इंकार किया व लगे हाथ गाँधी वध में भी संघ को घसीट लिया. हर तरह से संघ निर्दोष सावित हुआ, न्यायालय ने उसे दोषी नही माना. स्वंय नेहरु जी ने संघ पर से प्रतिबंध हटाया .इंदिरा गांधी जी के शासन काल में भी एक जाँच हुई उसमें भी गांधी वध से संघ का कोई संबंध होना साबित नही हुआ.जाँच कमेटी ने स्पष्ट कहा सघ का कोई रोल नहीं था .
२ - दूसरा प्रतिबन्ध (४ जुलाई १९७५ से २२ मार्च १९७७ तक )भारतीय आजादी पर कलंक रुपी इमरजेंसी नामक काला अध्याय ,नेहरू वंश के अधिनायक वाद का ही प्रतिफल था,इंदिरा गांधी ने प्रजातंत्र को सामन्तवाद में बदलने के लिए आपात काल लगाया था , हजारों निर्दोष लोगों को जेलों में ड़ाल दिया गया,चुने हुए जन प्रतिनिधि से लेकर संघ के पदाधिकारियों तक को जेलों में ड़ाल दिया गया था . प्रतिपक्ष की समस्त गतिविधियाँ बंद कर दी गई .ऐसे में संघ कैसे बच सकता था , उस पर भी प्रतिबंध लगाया गया . संघ से जुड़े युवक आगे आये और विरोध करते हुए जेलों में गये , अन्तः इमरजेंसी हटी , स्वंय इंदिरा गाँधी व उनकी पार्टी बुरी तरह से हारी, यह प्रतिबंध वापस लिया .
३ - तीसरा प्रतिबन्ध (१० दिसंबर १९९२ से ४ जून १९९३ तक )६ दिसंबर १९९२ के दिन श्रीराम जन्मभूमी पर बनी हुई बाबरी मस्जिद अयोध्या में ढह गई ,एक न्यायालय की तारीख बढ़ा दिए जाने से आक्रोशित कार सेवकों नें उसे ढहा दिया. तब की कांग्रेस भी चाहती थी ना रहे बांस ना बजे बांसुरी,बाबरी मस्जिद ढह गई. इसी ओट से भा ज पा कि काई प्रदेश सरकारें भंग कर दी गई और संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया . न्यायालय ने इस प्रतिबन्ध को गैर क़ानूनी मानते हुए हटा दिया .
अर्थात जब - जब संघ पर प्रतिबन्ध लगाया गया , तब -तब कांग्रेस को मुह की कहानी पड़ी है. क्यों की भारत कि जनता ने उसे भरपूर सर्थन दिया .
आज संघ की उपस्थिति भारतीय समाज के हर क्षेत्र में महसूस की जा सकती है जिसकी शुरुआत 1925 से होती है। उदाहरण के तौर पर 1962 के भारत-चीन युद्ध में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संघ की भूमिका से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने संघ को गणतंत्र दिवस के 1963 के परेड में सम्मिलित होने का निमन्त्रण दिया। सिर्फ़ दो दिनों की पूर्व सूचना पर तीन हजार से भी ज्यादा स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में वहाँ उपस्थित हो गये।
संघ ने हमेशा कई मोर्चो पर अपने आपको स्थापित किया है। राष्ट्रीय आपदा के समय संघ का स्वंयसेवक ही सबसे पहले सहायता के लिए खड़ा मिलता है। आपदा के समय संघ केवल और केवल राष्ट्रधर्म का पालन करता है कि आपदा मे फसा हुआ अमुख भारत माता का बेटा है। गुजरात में आये भूकम्प और सुनामी जैसी घटनाओ के समय सबसे आगे अगर किसी ने राहत कार्य किया तो वह संघ का स्वयंसेवक था। चाहे युद्ध हो या अन्य कोई विभीषिका , दुर्घटना या अन्य कोई आपदा , यदि कोई समाज से सबसे पहले खड़ा मिलेगा तो वह अवश्य ही संघ का स्वंयसेवक होगा .
बात यहीं ख़त्म नहीं होती है,देश के उपर मंडराने वाले सभी खतरों के लिए संघ ने समय पूर्व चेताया है,चीन के हमले की सबसे पूर्व सूचना संघ ने दी थी,चीन के मंसूबों के प्रति देश में एक मात्र संगठन सरकार को सावचेत कर रहा है वह संघ ही है उसकी आशंका पूरी तरह से सही साबित हो रहीं है . यह तो उदाहरण है , लंम्बी श्रंखला है .
जिस संगठन का ध्येय ही परमा पवन हो तो उस पर मिथ्या आरोप ठीक नही हैं , समाज कांग्रेस के इन मिथ्या आरोपों को सिरे से ख़ारिज करता है .
इस संघठन कि नित्य कि जाने वाली प्रार्थना का पहला पद स्वंय सब कुछ कह देता है .
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।
हे मातृभूमि, तुम्हे प्रणाम ! इस मातृभूमि ने हमें बच्चों की तरह स्नेह और ममता दी है. इस हिन्दू भूमि पर सुख पूर्वक में बड़ा हुवा हूँ.यह भूमि महा मंगलमय और पुण्य भूमि है. इस भूमि की रक्षा के लिए मेरा यह नश्वर शरीर में मातृभूमि को अर्पण करते हुवे इस भूमि को बार बार प्रणाम करता हूँ.
राधा कृष्ण मन्दिर रोड डडवाडा , कोटा २ , राजस्थान .
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