सावधान भारत ....! ओबामा ने खजूर पर चडाया हे...!!
जब कोई बढाई करे तो सावधान हो जाओ
- अरविन्द सिसोदिया
इन दिनों भारत कि बड़ी कद्र अमरीका कर रहा हे , अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा कहतें हें कि जब भारत के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह बात करते हें तो सारी दुनिया सुनती हे , उनका कथन अतिश्योक्ति हे , भारतीय दर्शन कहता हे कि जब कोई बडाई करे तो सावधान हो जाओ , जरुर कोई स्वार्थ फंसा हे . सावधान भारत ....! ओवामा ने खजूर पर चडाया हे , उस पर चड़ने कि कोई जरूरत नही हे . हमें सावधान होने कि जरूरत हे ,
अमेरिका और हमारे क्या संबंध हो सकते हें , उन्हें कितना निभाया जा सकता हे , यह सोचना जरूरी हे , अमेरिका के सामने चीन हे , रूस चुप भले ही हो मगर वह सावधान हे ,रणनीतिक स्थिति में और अधिक अमरीका कमजोर हुआ हे . उसकी फोज अफगानिस्थान में फशी हुई हें , वियतनाम कि तरह वह यह युध भी जीत नही पा रहा हे . वर्षों हो गए कोई नतीजा नही निकल रहा हे . मित्र देश भी अब कन्नी काटने लगे हें .
मंदी कि बात उन देशों पर ही लागु होती हे जिन का मॉल दूसरे देशों को सप्लाई होता हे . जो अपने यहाँ मॉल बनाते हें और दूसरे देशों में बेंचते हें , यह कारोवार अमरीका और यूरोप का हे , वे किसी दूसरे देश को तकनीकी प्रगति में आगे आने भी नही देते . क्यों कि इतना तय हे कि जब भी विकास शील और अतिपिछडे देशों में तकनीकी मॉल का उत्पादन होने लगेगा तो , विकसित देशों में मंदी तो आनी ही हे और यह आने भी लगी हे , भारत एक बाजार हे , यहाँ के १२५ करोड़ लोग खरीददार हें , इसी कारण इनकी कीमत हे कि ये मॉल खरीदते हें . भारत में मॉल सप्लाई का बहुत बड़ा बाजार चीन भी खा जाता हे .
चीन ने, एक राष्ट्र स्वतंत्र हो कर आगे कैसे बड़ता हे इसका उदाहरन पेस किया हे . भारत में अभी भी वह बात नही जो प्रगति के लिए आवश्यक हे , विकास कि झूठी रिपोटों को रद्दी कि टोकरी में ड़ाल देना चाहिए . चीन ने जिस तरह से उनकी जनता को तकनिकी ज्ञान से जोड़ा हे भारत अभी उससे कोसों दूर हे , सही शिक्षा क्या हे , यह भी सरकार को मालूम नही हे . कुल मिला कर भारत कि जरूरत चीन के प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका को हे ...! अमेरिका ही नही यूरोप और अन्य बहुत सारे देश भी चीन कि सामरिक , आर्थिक व्यापारिक और परमाण्विक ताकत से चितित हें . मगर वह भारत के प्रति ईमानदार नही हे , वह पाकिस्तान को हमेशा ही सामरिक और आर्थिक सहयोग करता हे जिसक खमियाजा भारत को उठाना पड़ता हे . मत भूलें येशा ही चीन ने भी किया था ..????
हमें वे दिन याद होने चाहिए जब चीन को किसी भी देश ने मान्यता नही दी थी , भारत ने उसे मान्यत दी और राष्ट्र संघ में उसे लेकर गया , तब जवाहरलाल नेहरू ने चीन के साथ पंचशील के नाम से महत्वपूर्ण समझोता किया था . हिंदी चीनी भाई भाई का नारा गुज़ा था और फिर उसने काम निकलते ही हम पर आक्रमण किया हमारा भूभाग हथिया लिया और सारा तिब्बत कब्जा कर लिया . सच यह हे कि तिब्बत स्वतंत्र हो जाये तो एक भी इंच सीमा चीन से भारत कि नही मिलती . अब उसने नेपाल में भी पेर जमा लिए हें , मयमार उसके कहने में वर्षों से हे , लंका में उसने एल टी टी ई का सफाया करवा कर अपनी स्थिती मजबूत कि हे .पाकिस्तान को परमाणु सामग्री दे ही रहा हे . जो परमाणु बम पाकिस्तान ने फोड़े थे वे चीन के ही थे . भारत को चारों और से वह घेर चुका हे . अगर अमेरिका सच्चा दोस्त हे तो वास्तविक मदद क्यों नही करता . वह तो इस स्थिति से भी लाभ उठाना चाहता हे . मदद तो वह पाकिस्तान कि ही करता हे .
चीन के छल ने तिब्बत छिना, कश्मीर का क्षेत्र दबा लिया , अरुणाचल पर दावा करता हे ,
अमरीका क्या क्या छिनेगा ..! दोस्ती जरुर करो मगर सावधानी रख्खो. अभी आप एंडर्सन का ही मामला नही कह सके , जिस में १५००० से ज्यादा भारतियों कि म़ोत का मसला जुड़ा हे . आगे क्या कह पाओगे, या दब्बू बन कर दबे रहोगे , यह तो भगवान ही जनता हे.
-- राधा कृष्ण मन्दिर रोड , डडवाडा , कोटा २ , राजस्थान . .
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