मुख्यमंत्री अब्दुल्ला सरकार भंग कि जाये


   हो जाने दो एक और तांडव नृत्य    
हिन्दुओं को अमरनाथ यात्रा पर आने से
हतोत्साहित करने कि सोची समझी चाल 
--अरविन्द सीसोदिया
हिदुओं के पवित्र तीर्थ बाबा अमरनाथ कि यात्रा प्रारंभ होने के ठीक पूर्व , कश्मीर में पाकिस्तान प्रेरित  अलगाववादी संगठनों के द्वारा , पूर्व नियोजित तरीके से  अशांति   का वातावरण बनाया जाना , एक सोची समझी चाल है. इस के पीछे मूलरूप से हिन्दुओं को अमरनाथ यात्रा पर आने से हतोत्साहित करना हे . यह सब जानते हें कि जब तक कश्मीर में सेना हे तब तक ही कश्मीर हे ..! कश्मीर से सेना को खदेड़ने कि और हिन्दुओं को अमरनाथ जाने से रोकने कि साजिस के तहत ही यह सब कुछ हो रहा हे .  

कम उम्र बच्चों के द्वारा,  भारतीय सेना पर पत्थर   फेंकना , घायल करना और इसके लिए ५०० रूपये  का इनाम देना, ट्रकों के ट्रक पत्थर एकत्र कर के उसे सेना के विरुद्ध इस्तेमाल करना , मानव अधिकार उलंघन के आरोप लगाना यह सब सरकार कि सह  पर हो रहा हे . राज्य सरकार कि सह के बिना  यह हो ही नही सकता, जरूरत हे कि उमर अबुदूलाह सरकार भंग कि जाये  . . 

कश्मीर में फिर वही आग कि लपटने उठने लगीं हें , फिर से स्वायतत्ता का राग  अलापा जा रहा हे .   जब भी अब्दुल्लाह परिवार के हाथ में राज सत्ता  आती हे , तब ही गद्दारी  के  तमाशे और अधिक बड़ जाते हें, आदत  हे.! विश्वास देना  और विश्वास घात करना ! यह उनकी पुस्तैनी आदत हे केन्द्रीय सरकार कमजोर के साथ साथ पूरी तरह अपरिपक्व  साबित  हो रहो हे , देश कि चिंता ही नही हे .  सरकार को बहुमत में बनाये रखना ही एक मात्र उदेश्य हो गया हे . इसके लिए चाहे तो कीमत देनी  पड़े  .  कांग्रेस कि कायरता पूर्ण नीतियों के कारण ही कश्मीर  समस्या हे , चीन ने पूरा तिब्बत हडप लिया वहां    उफ़ नही हो पा रही , दूसरे हमारे विधिवत विलय हे , उस पर भी ६० साल से जबरिया अलगाववाद , जबरिया आतंकवाद . मेंने जबरिया शब्द का उपयोग इस लिए किया हे कि कश्मीर में वास्तव में अलगाववाद या  आतंकवाद नही हे . यह सिर्फ चंद पाकिस्तान से मिले गद्दार  लोगों के द्वारा उत्पन्न किया जाता हे और उसे बहुत ज्यादा बड़ा चडा कर फैलाया जाता हे .   
     अब्दुल्ला ने एक बयान में कहा, ""जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की भावनाओं को केवल विकास, अच्छे प्रशासन और आर्थिक पैकेज के जरिए शांत नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए एक राजनीतिक समाधान की जरूरत है।"".मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपनी नेशनल कांफ्रेंस की राज्य की स्वायत्तता की मांग को छो़डने के खिलाफ नहीं हैं। इस व्यवस्था के तहत सिर्फ रक्षा, विदेश विभाग और मुद्रा भारत द्वारा नियंत्रित होगा। 
अब्दुल्ला ने कहा, ""यदि स्वायत्तता के अलावा कोई समाधान है जो कि भारत और पाकिस्तान दोनों को स्वीकार्य हो और जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की भावनाओं को शांत करता हो, तो मैं इस मांग को छो़डने के खिलाफ नहीं हूं।""
""कश्मीर समस्या का समाधान राजनीति में छुपा हुआ है। यह रोजगार, स़डक और पुल और प्रशासन को लेकर नहीं है। केंद्र सरकार को अर्थपूर्ण बातचीत के जरिए कोई समाधान निकालना है।ताली दोनों हाथों से बजती है। अलगाववादियों को उचित जवाब देने की जरूरत है और भारत सरकार को बातचीत को अर्थपूर्ण बिंदु तक पहुंचाने की जरूरत है।""

बात यह हे कि उमर अब्दुल्लाह  के  दादा जी  शेख अब्दुल्लाह भी कश्मीर के स्वतंत्र राजा बनना चाहते थे , उनकी  यह आकांक्षा नेहरु के कारण बड़ गई थी . नेहरु ने ही उन्हें आजाद भारत में कश्मीर का प्रधान मंत्री बनाया था . नेहरु ने महाराजा हरी सिंह कि चेतावनी के वावजूद जम्मू ओए कश्मीर कि जिम्मेवारी शेख अब्दुल्लाह को मित्रता निभाने के लिए सोपी थी  बाद में बगावती तेवरों के चलते , शेख अब्दुल्लाह को, नेहरूजी को ही जेल में डालना पड़ा था . फारुक हो या उमर हो , हें तो उसी कि सन्तान. कांग्रेस कि कायरता पूर्ण नीतियों के कारण देश कितने कष्ट भुगतेगा       
अब्दुल्ला के इन शब्दों को पहचाना जाना  चाहिए , ये वही शब्द  हें जो कभी  शेख और बाद  में फारुख  बोला करते थे ...!
- राधाकृष्ण मन्दिर रोड , कोटा , राजस्थान . 

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