गांधी जी ने गिनाए , सात सामाजिक पाप
वर्तमान भारतीय राजनीति का मूल स्त्रोत स्वतंत्रता के आन्दोलन के दौरान उपजा कांग्रेस नामक दल ही बना जो आज तमाम सिद्धांतों और नैतिकताओं को छोड़ चुका है और उसी के प्रभाव से भारत की तमाम राजनीति भी दूषित हुई..! सामाजिक न्याय के रास्ते में जो अनैतिक्तायें आती हैं , उन्हें गांधीजी ने सात सामाजिक पाप के नाम से समय रहते गिनाया था ! वे जो आज भी प्रासंगिक हैं जिनकी आज भी उपयोगिता है ..! नीचे उन्हें दिया जा रहा है ..! महात्मा गांधी ही पुन्य तिथि पर इनका अनुशरण भारतीय राजनीति करे तो यह बापू को सबसे बड़ी श्रधांजलि होगी !
मोहनदास करमचंद गांधी (2 अक्तूबर 1869 - 30 जनवरी1948) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।सत्य के मूल्यों की सार्थकता और अहिंसा को महात्मा गांधी द्वारा दशकों पहले आरंभ किया गया और ये मान्यताएं आज भी सत्य हैं। विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के आदर से हम एक दूसरे की बात सुनें, आपस में बोलें और सभी की प्रशंसा करें। एक अनोखी लोकतांत्रिक व्यवस्था वह है जहां प्रत्येक के लिए चिंता, प्रमुख रूप से निर्धनों, महिलाओं और वंचित वर्ग के समूहों, को आदर पूर्वक संबोधित किया जाए।
सत्याग्रह और अहिंसा की विचारधारा को वैश्विक समुदाय में भी उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र में गांधी जी के जन्म दिवस, 2 अक्तूबर को 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में अपनाया है। इससे पता लगता है कि हमारे राष्ट्र पिता का यह संदेश समय की सीमाओं से परे आने वाले लंबे समय तक अनेक संस्कृतियों में मान्यता पाता रहेगा।महात्मा गांधी ने लोगों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सत्याग्रह का उपयोग किया और वे इन क्षेत्रों में सामाजिक न्याय लाने के लिए निरंतर कार्य करते रहे जैसे सार्वत्रिक शिक्षा, महिलाओं के अधिकार, साम्प्रदायिक सौहार्द, निर्धनता का उन्मूलन, खादी के उपयोग को प्रोत्साहन आदि।
सत्याग्रह और अहिंसा की विचारधारा को वैश्विक समुदाय में भी उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र में गांधी जी के जन्म दिवस, 2 अक्तूबर को 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में अपनाया है। इससे पता लगता है कि हमारे राष्ट्र पिता का यह संदेश समय की सीमाओं से परे आने वाले लंबे समय तक अनेक संस्कृतियों में मान्यता पाता रहेगा।महात्मा गांधी ने लोगों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सत्याग्रह का उपयोग किया और वे इन क्षेत्रों में सामाजिक न्याय लाने के लिए निरंतर कार्य करते रहे जैसे सार्वत्रिक शिक्षा, महिलाओं के अधिकार, साम्प्रदायिक सौहार्द, निर्धनता का उन्मूलन, खादी के उपयोग को प्रोत्साहन आदि।
गांधी जी ने सात सामाजिक पाप गिनाए, जो इस प्रकार हैं :
१- सिद्धांतों के बिना राजनीति
२- परिश्रम के बिना संपत्ति
३- अंतरात्मा के बिना आनंद
४- चरित्र के बिना ज्ञान
५- नैतिकता के बिना वाणिज्य
६- मानवता के बिना विज्ञान
७- त्याग के बिना पूजा
२- परिश्रम के बिना संपत्ति
३- अंतरात्मा के बिना आनंद
४- चरित्र के बिना ज्ञान
५- नैतिकता के बिना वाणिज्य
६- मानवता के बिना विज्ञान
७- त्याग के बिना पूजा
बापू को शत-शत नमन!
जवाब देंहटाएंअरविन्द सिसोदिया जी ! आपकी इस दिन प्रकशित यह पोस्ट सामयिक तो है ही जानकारीपूर्ण भी है | गाँधी जी के द्वारा गिनाये गए ७ पाप जिनका आपने उल्लेख किया खास हैं जिनको निजी और सामाजिक स्तर पर वर्जित किया जाना चाहिए ..सुन्दर लेख के लिए बधाई.. सादर शुक्रिया आपको..
जवाब देंहटाएं..बापू जी को आजकल.के लोग .तभी. समाज में..बहुत ही उंचा स्थान देते हैं... .योगेश चंद्रा समाजसेवी..
जवाब देंहटाएंThanks for provide this
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